Thursday, June 30, 2016

दिल्ली पूर्ण राज्य के मुद्दे पर SC करेगा सुनवाई

नई दिल्ली
दिल्ली के पूर्ण राज्य के मुद्दे पर आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 239 AA के तहत दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। कोर्ट सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा।

दिल्ली सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से कहा था कि राजधानी में दुविधा की स्थिति है इसलिए कोर्ट को यह फैसला करना चाहिए कि दिल्ली एक राज्य है या नहीं। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है यानी पुलिस और जमीन जैसे अहम विभाग केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। सत्ता में आने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल का कई प्रमुख मसलों पर केंद्र सरकार और उप राज्यपाल नजीब से विवाद होता रहा है।

आम आदमी पार्टी कहती रही है कि एलजी लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को नजरअंदाज नहीं कर सकते। आम आदमी पार्टी यह भी कहती है कि दिल्ली में बीजेपी के सिर्फ तीन विधायक हैं, इसके बावजूद केंद्र देश की राजधानी पर नियंत्रण रखना चाहती है।

पिछले साल हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर केजरीवाल की शक्तियां सीमित हैं और अहम अधिकारियों की नियुक्ति में उनका कोई रोल नहीं है। हाई कोर्ट ने अधिसूचना पर संशय जताया था जिसके बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

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यूनिटेक को SC का झटका, फ्लैट खरीदारों का पैसा न लौटाया तो जाना होगा जेल

समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं देने पर देश के बड़े बिल्डरों में शुमार यूनिटेक को सुप्रीम कोर्ट ने आज तगड़ा झटका दिया है।
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DU admission: वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड करने में आ रही परेशानी

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में दाखिला चाहने वाले अभ्यर्थियों की परेशानी का सिलसिला लगातार दूसरे दिन जारी है।
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अमित शाह दे गए नया नारा, 'यूपी में सत्ता दो, प्रदेश बदलो-देश भी बदलेगा'

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सपा की सरकार को बदल डालो।
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रिलायंस कंपनी में जनरल मैनेजर के बेटे की मौत का रहस्य गहराया

रजत की मौत को लेकर दिल्ली पुलिस भी सवालों के घेरे में है। पुलिस ने शरीर पर चोट के निशान न मिलने के बाद हत्या का मुकदमा क्यों दर्ज कर लिया?
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आज पढ़ी जाएगी जुमा की अलविदा नमाज, NCR के बाजारों में रौनक

आज जुमा की अलविदा नमाज पढ़ी जाएगी। इसके चलते दिल्ली-एनसीआर में खासी रौनक है।
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कार से निकले गुड़गांव के SHO लापता, यूपी के मथुरा में होने की खबर

गुड़गांव के सबसे चर्चित और अहम माने जाने वाले डीएलएफ सेक्टर-29 थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर सुरेंद्र संदिग्ध हालात मे गायब हो गए।
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केजरीवाल ने दी इफ्तार पार्टी, नहीं आए जंग

अम्बिका पंडित, नई दिल्ली
दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में अरविंद केजरीवाल की इफ्तार पार्टी में उनका राजनीतिक दबदबा साफ दिखा। इस इफ्तार पार्टी को आम आदमी पार्टी को एक प्रमुख पॉलिटिकल इवेंट के तौर पर देखा जा पहा है। दिलचस्प बात यह रही कि इसमें उपराज्यपाल नजीब जंग मौजूद नहीं थे। इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मधुर रिश्तों का कोई खास स्कोप नहीं है।

इंदिरा गांधी स्टेडियम के खुले मैदान में तकरीबन 7,000 पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक उपस्थित थे। इसमें कई लोग ऐसे भी थे जो दिल्ली के बाहर से आए थे। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी इस इफ्तार पार्टी में शरीक नहीं हुईं। अचानक हुई बारिश भी आप समर्थकों का उत्साह कम नहीं कर पाई। वहीं, तकरीबन 50 लोग वेन्यू के बाहर विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठे हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि इफ्तार पार्टी को आयोजित करने के लिए उर्दू अकैडमी फंड का इस्तेमाल किया गया है।


इफ्तार पार्टी के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद हंसारी और सीएम अरविंद केजरीवाल

पिछले साल की इफ्तार पार्टी में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, नजीब जंग और शीला दीक्षित तीनों आए थे। हामिद अंसार इस बार भी थोड़ी देर के लिए आए और केजरीवाल के साथ कैमरों के लिए पोज भी दिया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल परंपरागत स्कल कैप और स्कार्फ पहने नजर आए। मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने खुद नजीब जंग को न्योता दिया था। हालांकि एलजी के ऑफिस ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

इवेंट में बिरयानी, मटन, चिकन, फल और आइसक्रीम दी गई। आप ने उर्दू अकैडमी फंड के इस्तेमाल को यह कहते हुए सही ठहराया कि अकैडमी के मैंडेट के मुताबिक ही आयोजित किया गया था। उर्दू अकैडमी के सदस्य मोहम्मद अतहरुद्दीन ने अकैडमी के फंड का इस्तेमाल करने के लिए दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि वह उर्दू को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजनों में पैसे खर्च करने के सख्त खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल को राजनीतिक इफ्तार आयोजित करना है तो उन्हें पार्टी का फंड इस्तेमाल करना चाहिए, वह पब्लिक के पैसे बर्बाद क्यों कर रहे हैं? बीजेपी ने भी पैसों की बर्बादी को लेकर केजरीवाल की आलोचना की।

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केजरीवाल के विधायक ने भाजपा नेताओं पर लगाया सनसनीखेज आरोप

संगम विहार से आप विधायक ने आरोप लगाया कि उन्हें फंसाने में भाजपा के कुछ नेता शामिल हैं। हालांकि विधायक ने उन नेताओं का नाम नहीं बताया है।
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उत्तराखंड में नहीं मिली बाघ सफारी की इजाजत

एनटीसीए ने उत्तराखंड के कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में प्रस्तावित बाघ सफारी परियोजना को मंजूरी नहीं दी है और राज्य सरकार से कहा है कि वह पहले वन्यजीव मानकों का अनुपालन करे। उसने केंद्र सरकार के मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में नियमों के कथित उल्लंघनों का हवाला देते हुए बाघ सफारी परियोजना पर रोक लगाने के निर्णय का हवाला दिया है।

उत्तराखंड वन विभाग ने पिछले साल अगस्त में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से इस प्रसिद्ध पार्क के भीतर बाघ सफारी शुरू करने के बारे में अनुमति मांगी थी। यह प्राधिकरण पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है। एनटीसीए ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि वह केंद्रीय प्राणी उद्यान प्राधिकरण से मंजूरी ले।

एनटीसीए के राज्य को भेजे गए पत्र कहा गया कि यह भी गौर किया जाना चाहिए कि क्या यह प्रस्ताव कार्बेट आरक्षित क्षेत्र द्वारा तैयार बाघ आरक्षण योजना के अनुरूप है कि नहीं। इस पत्र की प्रति वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे के पूछे गए आरटीआइ प्रश्न के जवाब में मिली है।
पेच राष्ट्रीय उद्यान में सफारी के मुद्दे पर एनटीसीए ने कहा कि इससे बाघों के शिकार की आशंका बढ़ती है। इसमें कहा गया कि मध्य प्रदेश वन विभाग ने वहां बाघ सफारी बनाने से पहले पूर्व अनुमति नहीं ली।


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वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मियों को निराश किया : कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करके 47 लाख सरकारी कर्मचारियोंं तथा 53 लाख पेंशनधारकों को निराश किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने गुरुवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले सात दशकों के केंद्रीय कर्मचारी आयोग के इतिहास में वर्तमान वेतन आयोग की सिफारिशें सबसे निराशाजनक रही हैं। कांग्रेस ने नैतिकता के आधार पर केंद्रीय कर्मचारी फेडरेशनों की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ 11 जुलाई से प्रस्तावित हड़ताल का समर्थन करने का निर्णय किया है। इस हड़ताल को भारतीय रेलवे, आर्डिनेंस फैक्टरी के सिविल कर्मचारी तथा पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभागों की कर्मचारी यूनियनों इत्यादि का समर्थन प्राप्त है।

माकन ने कहा कि भाजपा सरकार से सातवें वेतन आयोग की निम्न कर्मचारियों से संबंधित सिफारिशों में बढ़ोतरी करने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर कमेटी बनाई थी। उसने अपने राजनैतिक आकाओं की बात मानते हुए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके कारण निम्न तथा उच्च श्रेणी के कर्मचारियोंं के वेतनमान में काफी अंतर आ गया है, क्योंकि वतर्मान में निम्न तथा उच्च श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों जिसमें सैनिक बल तथा अर्द्धसैनिक बल भी आते हैं, उनके वेतन का अनुपात 1:12 है जो कि अब 1:13.8 हो जाएगा तथा फिटमेंट फैक्टर जो कि इस समय 2.57 निम्न श्रेणी के लिए बराबर नहीं है तथा उच्च श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह 2.62 से 2.81 के बीच में है। अर्थात उच्च श्रेणी के कर्मचारियोंं को ज्यादा अहमयित दी गई है। सरकार ने वेतन आयोग की यह सिफारिश भी मान ली है जिसमें कर्मचारियों के बेसिक पे में केवल तीन फीसद के हिसाब से बढ़ोतरी होगी जबकि पहले यह बढ़ोतरी तीन से चार फीसद की थी।

कांग्रेस पार्टी की अगुआई वाली यूपीए सरकार ने पांचवे व छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 20 फीसद से बढ़ा कर 40 फीसद दिया था जबकि वतर्मान सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करके सरकारी कर्मचारियों के वेतन में केवल 14.27 फीसद की बढ़ोतरी का निर्णय लिया। सातवें वेतन आयोग के कुछ मुख्य बिंदु जिसमें 2006 से पहले सेवानिवृत हुए कर्मचारियों की पेंशन को हाल ही में सेवानिवृत हुए कर्मचारियोंं की पेंशन के बराबर करने का प्रावधान था, उस सिफारिश को सरकार ने नहीं माना है। इसी प्रकार भत्तों को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है तथा उसको लंबित कर दिया गया है।

उनका आरोप था कि भाजपा सरकार ने हमेशा केंद्रीय कर्मचारियोंं के हितों के खिलाफ कार्य किया है। आजादी से लेकर अब तक सभी सातों वेतन आयोग का गठन कांग्रेस की अगुआई वाली सरकारों ने किया है। जब 2003 में एनडीए सरकार थी, तब एनडीए सरकार ने छठे वेतन आयोग को गठित करने से मना कर दिया था जबकि पांचवें वेतन आयोग में छठे वेतन आयोग को 1 जनवरी, 2003 से गठित करने की सिफारिश की गई थी। केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए उन कर्मचारियों का इंक्रीमेंट रोकने की बात कही गई है जो 20 वर्ष तक कोई प्रमोशन नहीं ले पाते हैं और न ही एमएपीस द्वारा बनाए गए मापदंड को पूरा करते हैं तो ऐसे कर्मचारियोंं को वार्षिक बढ़ोतरी नहीं मिलेगी तथा उन्हें वोलियटंरी रिटायरमेंट लेने वाले कर्मचारियों को दी जाने वाली शर्तों के साथ नौकरी से बाहर जाने का मौका दिया जाएगा।


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नियमित पदोन्नति का दावा नहीं कर सकते फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि फास्ट ट्रैक अदालतों के पीठासीन अधिकारी के तौर पर नियुक्त न्यायिक अधिकारी सीधी भर्ती वाले जजों की तरह नियमित पदोन्नति के अधिकार का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि उनकी नियुक्ति अस्थायी प्रकृति की होती है। शीर्ष अदालत ने यह बात कुछ न्यायिक अधिकारियों की ओर से दायर अपील को खारिज करने के दौरान कही।
इन न्यायिक अधिकारियों ने इस बारे में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इन अधिकारियों को पदोन्नति या तबादले के जरिए ग्रेड-2 दीवानी न्यायाधीश से जिला एवं सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। हाई कोर्ट ने जजों की वरिष्ठता सूची के खिलाफ उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि फास्ट ट्रैक अदालत के जजों को उनकी सतत लंबी सेवा के आधार पर वरिष्ठता का लाभ नहीं दिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने कहा- यह बिल्कुल स्पष्ट है कि फास्ट ट्रैक अदालतों में नियुक्ति अस्थायी प्रकृति की होती है और निचली न्यायपालिका से अस्थायी आधार पर पदोन्नत, पदस्थापित लोगों को इस तरह की नियुक्ति के आधार पर नियमित पदोन्नति का अधिकार नहीं मिलता। यह साफ तौर पर कहा गया है कि फास्ट ट्रैक अदालतों के जज अलग नियमों के तहत नियुक्त किए गए। उनकी नियुक्ति राज्य उच्चतर न्यायिक सेवा में नियमित नियुक्तियों पर लागू होने वाले नियमों के तहत नहीं की गई।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को एफटीसी योजना लागू होने की वजह से पदोन्नति दी गई थी। अदालत ने कहा कि वे एक योजना से लाभान्वित हुए। योजना के तहत पद पर बने रहने के दौरान कैडर में नियमित पद खाली हो गया और उन्हें नियमित किया गया। लेकिन उससे पहले प्रतिवादियों को उनके कोटा में ठीक-ठाक पदों के मद्देनजर भर्ती कर लिया गया। अपीलकर्ताओं को हमारी राय में इस भेद को स्वीकार करने की स्थिति में होना चाहिए। लेकिन पदोन्नत लोगों और सीधी भर्ती किए गए लोगों के बीच विवाद लगता है कि निरंतर चलने वाला मामला है।


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लड़के को चलती ट्रेन से फेंकने की घटना पर रेलवे बोर्ड को नोटिस

चलती रेलगाड़ी से टीटीई द्वारा एक लड़के को बाहर फेंक देने की घटना को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बेहद गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस मामले में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी कर छह हफ्ते के भीतर घटना का ब्योरा मांगा है। मीडिया की 26 जून की एक खबर का संज्ञान लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है। 15 साल का लड़का जब बिना टिकट कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था तो एक टीटीई ने उसे चलती गाड़ी से धक्का दे दिया। नतीजतन वह बुरी तरह जख्मी हो गया।

बालक पी कृष्णा इस गाड़ी में कटक पहुंचने के लिए विशाखापत्तनम से चढ़ा था। वह कटक जाकर अपने दादा से मिलना चाहता था। घटना भुवनेश्वर के पास मानचेश्वर स्टेशन के निकट हुई। आयोग ने इस घटना को अमानवीय कृत्य बताते हुए निंदनीय माना। आयोग की नजर में बेशक बिना टिकट यात्रा करना गैरकानूनी है। पर लोकसेवक होने के नाते टीटीई से अपेक्षा की जाती है कि वह उत्तरदायित्वपूर्ण और कानूनी तौर-तरीकों से पेश आए। चलती गाड़ी से किसी मुसाफिर को धक्का देने पर उसकी जान जा सकती है, इस तथ्य से टीटीई भलीभांति अवगत होगा।

हैरानी की बात यह है कि पीड़ित नाबालिग लड़के के पास टिकट खरीदने के लिए वाकई पैसे नहीं थे। जब वह टीटीई को अपना टिकट नहीं दिखा पाया तो टीटीई ने उससे घूस मांगी। नहीं देने पर उसकी जेबों की तलाशी ली। उसके जेब खाली मिली तो टीटीई बौखला गया। पहले लड़के को गालियां दी और फिर चलती गाड़ी से धक्का दे दिया।
घायल लड़के को स्थानीय लोगों ने बचाया और भुवनेश्वर के नंदन कानन थाने को सूचित किया। उसके बाद पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। लड़के के परिवारवालों ने राजकीय रेलवे पुलिस में टीटीई की शिकायत दर्ज कराई है।


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संगीत और नृत्य में योग का संयोग

अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संगीत नाटक अकादमी ने योग पर केंद्रित एक उत्सव ‘योग पर्व’ मेघदूत सभागार में पिछले दिनों अयोजित किया। इस समारोह में चित्र प्रदर्शनी, कार्यशाला, वृत्तचित्र से लेकर योग से प्रेरित युद्ध कलाएं और सांगीतिक प्रदर्शन तक शामिल थे।
योग-पर्व का उद्घाटन और समापन दोनों ही प्रतिभा प्रसाद ने किया। उद्घाटन संध्या पर उन्होंने निष्पादन कलाओं में योग के महत्त्व पर प्रकाश डाला और समापन संध्या के संभाषण में उन्होंने तीनों ही दिन प्रस्तुत कार्यक्रमों के वेद से जुड़ाव को रेखांकित किया। अंत में अपने दो शिष्यों द्वारा योग के संदर्भ में भरतनाट्यम के संक्षिप्त प्रदर्शन से कार्यक्रम का अंत किया।

पहले दिन प्रतिष्ठा शर्मा ने नृत्य और योग के जुड़ाव पर स्वव्याख्या प्रदर्शन किया और अगले दिन डिंपल कौर ने नृत्य चिकित्सा को योग के साथ जोड़ा। योग के संदर्भ में युद्ध परक कलाओं का पहली शाम प्रतिनिधित्व किया मणिपुर के थांग ता और ढोल चोलम ने। प्रदीप सिंह और साथियों का थागता प्रदर्शन और ढोल बजाते हुए आकाश भ्रामरी लेना शारीरिक संतुलन का प्रतीक था। इसी तरह का संतुलन दूसरे दिन असम के पुराना कमलाबाड़ी सत्र के माटी अखाड़ा योद्धाओं में और तीसरे दिन मयूरभंज छऊ के युद्धपरक नृत्य में देखा जा सकता था। बारीपद से आए युवा नर्तक लोक नाथ दास के शिव तांडव में उनका एक पैर पर संतुलन साधना तो प्रभावी था लेकिन शिव के रौद्र रूप दर्शाने के लिए उन्होंने जिस प्रसंग का आश्रय लिया वह विष्णु के नृसिंहावतार की याद दिलाता था। इसकी जगह शिव के रौद्र तांडव के लिए दक्ष यज्ञ विध्वंस अधिक उपयुक्त होता।

शास्त्रीय संगीत तो अपने आप में ही नादयोग है। योगपर्व ने संगीत को योग के ध्यान और मनन पक्ष से जोड़ा। इस संदर्भ में उस्ताद वासिफुद्दीन डागर का ध्रुपद गायन सर्वथा समीचीन था। सरस्वती राजगोपालन द्वारा परिकल्पित और तीन अन्य उत्कृष्ट कलाकारों के साथ मिल कर प्रस्तुत ‘मेडिटेटिव म्यूजिक एनसेंबल’ से अंतिम दिन समारोह संपन्न हुआ। इस प्रस्तुति में स्वयं सरस्वती राजगोपालन कर्नाटक वीणा पर थीं, सईद जफर खां सितार पर, कैलाश शर्मा बांसुरी पर और दानिश असलम खा सरोद पर थे।

कर्नाटक शैली का राग किरवानी, जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय शैली में भी उतना ही लोकप्रिय है, इस प्रस्तुति के लिए चुना गया था। वीणा पर कर्नाटक शैली के रागम-तानुम और शेष वाद्यों पर हिंदुस्तानी संगीत के आलाप-जोड़ के माध्यम से इस राग का मननशील ही नहीं मनोरम माहौल बना। बारी-बारी से वीणा, बांसुरी, सरोद और सितार की सुरीली आलाप मंद्र और मध्य सप्तक से होती हुई तार सप्तक तक पहुंची जिसमें इत्मीनान से क्रमश: सबने अपना सुरीला योगदान दिया। आलाप के वापस षड्ज पर लौटने के बाद तानुम और जोड़ में लय कायम हुई। सरस्वती राजगोपालन के इस ‘मेडिटेटिव एनसेंबल’ में कोई भी ताल-वाद्य नहीं था। यह प्रशंसनीय बात थी पर इतने मननशील संगीत में वीणा के अवांछित रूप से तेज आवाज ने अक्सर ध्यान में व्यवधान डाला। तथापि इस सांगीतिक प्रस्तुति को भरपूर सराहना मिली। कल्पनाशीलता से संजोए बांसुरी पर शंखनाद, सभी वाद्यों पर समवेत वैदिक मंत्रोच्चार और शांति-मंत्र ने अंतिम तिहाई का काम किया।


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सरकारी अस्पतालों में मिलेंगे 'डॉक्टर ऑन कॉल'!

नई दिल्ली

सरकारी अस्पतालों में भी 'डॉक्टर ऑन कॉल' बुलाने की प्लानिंग की जा रही है। दिल्ली सरकार प्राइवेट अस्पतालों की तर्ज पर डॉक्टरों की पूलिंग कर सकती है। इसके तहत एक हॉस्पिटल में जरूरत होने पर दूसरी जगह से डॉक्टर को बुलाया जा सकेगा। रिसोर्सेज का मिसयूज कम करने और सर्विस के बेहतर इस्तेमाल के मकसद से दिल्ली सरकार इस सिस्टम पर विचार कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में यह बात कही।

मिनिस्टर ने कहा कि दिल्ली में डाक्टरों की कोई कमी नहीं है। यहां लगभग 50 हजार डॉक्टर हैं। हालांकि कई बार स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का सही यूज नहीं हो पाता क्योंकि उनके पास कम मरीज पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले समय में 'डॉक्टर ऑन कॉल' सिस्टम लाने पर विचार कर रही है। इसके लिए दिल्ली को पांच जोन (ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ और सेंट्रल) में डिवाइड किया जाएगा। जोन बेस्ड डॉक्टरों को किसी अस्पताल में जरूरत होने पर 'ऑन कॉल' भेजा जा सकेगा।

सत्येंद्र जैन ने कहा कि उन्हें रिव्यू के दौरान पता चला कि कुछ ऑर्थोपेडिक सर्जन ने पूरे साल में कोई सर्जरी नहीं की है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह रिसोर्स वेस्टेज नहीं तो और क्या है? इसी वेस्टेज को कम करने के लिए ऐसी प्लानिंग की जा रही है। इस सिस्टम के साथ मदर एंड चाइल्ड और इमजरेंसी की सुविधा अलग होगी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुपर स्पेशलिस्ट सर्विस की जरूरत होगी, तो यह सर्विस प्राइवेट अस्पताल से भी ले सकते हैं और इसके बदले उन्हें पेमेंट की जाएगी।

पीपीपी मॉडल से इंस्ट्रूमेंट : मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए दिल्ली सरकार पीपीपी मॉडल के तहत एमआरआई और सीटी स्कैन इंस्ट्रूमेंट्स लाने जा रही है। हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि अभी 5 एमआरआई और 10 सीटी स्कैन मशीनें खरीदने की योजना है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर प्राइवेट हॉस्पिटल वाले ऐसे सेंटर चलाते हैं, लेकिन यह छोटे लेवल पर होता है। सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर यह सुविधा शुरू करेगी। दिल्ली सरकार के डीडीयू, जीटीबी, आंबेडकर सहित पांच बड़े अस्पतालों में एमआरआई मशीन लगाएगी। इसी तर्ज पर सरकार किडनी मरीजों को डायलेसिस की सुविधा भी देगी। हेडगेवार अस्पताल में डायलेसिस की सुविधा शुरू कर दी गई है।

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आतंकवादियों को पालने वाले देशों को चुकानी होगी कीमत: सुषमा

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता के साथ वैश्विक लड़ाई का आह्वान करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को यहां कहा कि आतंकवादियों को पालने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी। ब्रिक्स युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच अंतर किए बिना लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।

सुषमा ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका) जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन और भ्रष्टाचार जैसी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए महत्त्वपूर्ण तरीके से वैश्विक संवाद को आकार दे रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स की भारत की अध्यक्षता के मूल में समावेशी और सामूहिक समाधान निहित होंगे। समूह ने अपनी इस छोटी सी यात्रा में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय ढांचे में अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और उसकी विभिन्न समितियों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को समाप्त करने के लिए मिल कर काम करने और संघर्ष करने की जरूरत है।

कहा कि आतंकवादी आतंकवादी होता है और वह पूरी मानवता के खिलाफ काम कर रहा है। आतंकवादियों को प्रायोजित कर रहे और आसरा दे रहे देशों को इसकी कीमत अदा करनी होगी। युवाशक्ति के बारे में सुषमा ने कहा कि भारत के 80 करोड़ नागरिक 35 साल से कम आयु के हैं और वे दुनिया में भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने में संचालक शक्ति का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी में आपको युवाओं का सबसे बड़ा हिमायती देखने को मिलेगा।

सम्मेलन में सभी ब्रिक्स देशों के युवा हिस्सा ले रहे हैं। भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता रखने के नाते अक्तूबर में गोवा में इस समूह के आठवें सालाना सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा कि हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जल्द सुधारों के लिए मिल कर काम करने की भी जरूरत है ताकि यह समूह 21वीं सदी की जरूरतों के लिए संगत बना रहे।


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बीजेपी विधायकों ने की केजरीवाल की शिकायत

नई दिल्ली दिल्ली सरकार द्वारा 12 लाख निर्माण मजदूरों के कल्याण फंड का 1150 करोड़ रुपये अन्य मदों में खर्च करने के फैसले को रद्द करवाने की मांग को लेकर बीजेपी विधायक गुरुवार को केंद्रीय श्रम मंत्री से मिले।

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने इस मसले पर जांच के आदेश दिए हैं और दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी है। निर्माण मजदूरों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विपक्ष के नेता, बीजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा और जगदीश प्रधान के साथ केंद्रीय श्रममंत्री से मिले थे।

विपक्ष के नेता ने बताया कि दिल्ली सरकार ने मजदूरों को गुमराह करके निर्माण मजदूर कल्याण फंड में जमा लगभग 2000 करोड़ रुपये में से 1,150 करोड़ रुपये अस्पतालों, स्कूलों, अस्थायी आवास आदि के निर्माण के लिए खर्च करने का गैरकानूनी फैसला किया है। गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय श्रममंत्री ने इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लिया और दिल्ली सरकार के इस फैसले को लेकर जांच के आदेश जारी कर दिये।

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गवाह मुकरा, पूर्व DUSUअध्यक्ष नकुल भारद्वाज बरी

दशक भर पहले के एक मामले में अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के पूर्व अध्यक्ष को बरी कर दिया है। उन पर दिल्ली विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को नुकसान पहुंचाने और एक प्रोफेसर को धमकाने का आरोप था। अभियोजन पक्ष के गवाह ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया जिसके बाद अदालत ने उन्हें आरोप से मुक्त कर दिया।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शिल्पी जैन ने डूसू के पूर्व अध्यक्ष नकुल भारद्वाज को उनपर भारतीय दंड संहिता की धारा 427 के तहत लगे अपराध से बरी कर दिया। उन्हें पहले ही आइपीसी की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी के आरोप से मुक्त कर दिया गया था। मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि तथ्य और परिस्थितियों के मुताबिक, अभियोजन पक्ष के इस मामले में मुख्य गवाह का समर्थन नहीं होने और आरोपी के खिलाफ कोई पक्का सबूत न होने के कारण उन पर लगाया गया एक आरोप एक सीमा से आगे साबित नहीं होता।

आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है। अदालत का यह आदेश डीयू के पूर्व प्रोफेसर केएम श्रीमाली की ओर से किए गए मुकदमे पर आया है, जो उस समय लाइब्रेरियन थे। उनका आरोप था कि 26 जून, 2004 को डूसू के पूर्व अध्यक्ष उसके कार्यालय में आए थे। लेकिन उनके व्यस्त होने के कारण उन्हें इंतजार करने के लिए बोला गया। आरोप है कि वहां रुकने के बजाए भारद्वाज उनके दफ्तर में घुस गए और उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। पुस्तकालय के अंदर तोड़-फोड़ की। हालांकि अदालत में गवाही के दौरान शिकायतकर्ता और अभियोजन पक्ष के दो अन्य गवाह ने इस घटना के घटित होने से इनकार कर दिया और आरोपी को पहचानने से भी इनकार कर दिया।


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केजरीवाल की इफ्तार से बाहर रहा विपक्ष, नजर नहीं आए शीला दीक्षित और नजीब जंग

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप सरकार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता शामिल नहीं हुए। इस बार आयोजन में शामिल होने वाले गणमान्य लोगों में केवल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी शामिल थे। अंसारी मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में लगभग दस मिनट तक रुके।

पिछले वर्ष जंग और दीक्षित के अलावा तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दलों के प्रतिनिधियों और कई राजनयिकों ने हिस्सा लिया था। पिछले वर्ष की इफ्तार पार्टी में केजरीवाल, जंग और दीक्षित की एकसाथ ली गयी तस्वीर पर लोगों का खूब ध्यान गया था। जंग और गुप्ता की गैर-मौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हो सकता है कि निजी कारणों से वे कार्यक्रम में शामिल ना हो सके हों। इंदिरा गांधी स्टेडियम में खुले मैदान में आयोजित पार्टी में संजय सिंह, कुमार विश्वास के अलावा सभी मंत्रियों, विधायकों समेत अन्य पार्टी नेताओं और बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।

दिल्ली उर्दू अकादमी की ओर से गुरुवार को दिल्ली सरकार ने एक करोड़ रुपए की लागत से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इस इफ्तार के लिए 20 हजार लोगों को दावतनामा भेजा गया था। उर्दू अकादमी के सदस्य मुन्ने भारती ने कहा कि वे अकादमी का सदस्य होने के नाते इस इफ्तार आयोजन का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि दिल्ली उर्दू अकादमी का बजट दिल्ली में उर्दू की तरक्की के लिए है।

अकादमी का कार्यकाल अपने आखिरी पड़ाव पर है, बजट खर्च करने के लिए मुशायरा के बाद अब सियासी इफ्तार कर बजट को खत्म करने की घटिया कोशिश है। मामले में भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से जवाब मांगा कि उर्दू भाषा को प्रोत्साहित करने के बजट के करोड़ों रुपए दावत पर क्यों खर्च किए गए। इसलिए भाजपा विधायक दल के सदस्य एम अतहरउद्दीन मुन्ने भारती की भावना की कद्र करते हुए विरोध स्वरूप इफ्तार पार्टी मे शामिल नहीं हुए।


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दिल्लीवालों ने छुड़ाए बिजली कंपनियों के पसीने

राजधानी में अत्यधिक गर्मी व उमस के कारण बिजली की मांग अभी तक सर्वाधिक रेकार्ड 6260 मेगावाट दर्ज की गई। दिल्ली ट्रांसको ने लोगों से बिजली का उपयोग विवेकपूर्ण तरीक से करने और बिजली की कम मांग के समय लोड को परिवर्तित करने की अपील की है। बीआरपीएल व बीवाईपीएल की ओर से बकाया राशि का भुगतान न करने से ट्रांसको के नियमित मरम्मत व परिचालन कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

दिल्ली में गुरुवार दोपहर बाद 3.29 पर दिल्ली की अधिकतम मांग 6260 मेगावाट दर्ज की गई। यह अभी तक की सर्वाधिक मांग है। इससे पहले अधिकतम मांग 20 मई को 6188 मेगावाट रिकार्ड की गई थी जबकि उससे पहले की गर्मियों तक अधिकतम मांग 5925 मेगावाट 2014 में दर्ज की गई थी।

गर्मी और उमस इसी तरह बढ़ती रही तो इस बार अधिकतम मांग 6500 मेगावाट तक पहुंच सकती है। बढ़ती मांग की आपूर्ति करने के लिए डीटीएल अपने ढांचे को मजबूत कर रही है और मौजूदा ढांचे के आधार पर ही 9000 मेगावाट तक की पूर्ति कर सकती है।

हालांकि रिलायंस के स्वामित्व की विद्युत वितरण कंपनियों बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड व बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड की ओर से देय राशि का भुगतान नहीं किए जाने के कारण दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड को अपने नेटवर्क के विस्तार व इसके दैनिक रखरखाव में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दोनों कंपनियों पर लगभग 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ये कंपनियां ट्रांसको को देय राशि का भुगतान नहीं कर रही है।


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बिजली की डिमांड ने तोड़े सारे रेकॉर्ड

नई दिल्ली

बढ़ती गर्मी और उमस के कारण बिजली की डिमांड ने तोड़े सारे रेकॉर्ड। गुरुवार को दिल्ली में बिजली की डिमांड 6260 मेगावॉट दर्ज की गई। यह अभी तक की सबसे ज्यादा डिमांड है।

इससे पहले अधिकतम मांग 20 मई 2016 को 6188 मेगावॉट रिकार्ड की गई थी। दिल्ली में बिजली की मांग मुंबई की तुलना में लगभग दोगुना, चेन्नै और कोलकाता की मांग तीन गुना से भी अधिक है।

पूरे नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र की मांग भी दिल्ली की मांग की आधे से भी कम है। गर्मी और उमस इसी तरह बढ़ती रही तो अधिकतम मांग 6500 मेगावॉट तक पहुंच सकती है।

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दामाद ने की सास की हत्या

नई दिल्ली

दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में दामाद ने ससुराल पहुंचकर धारदार हथियार से वार कर सास की हत्या कर दी। इससे पहले कि वह मौके से फरार हो पाता उसे लोगों ने दबोचकर पुलिस को सौंप दिया। आरोपी की पहचान महेंद्र (28) के रूप में हुई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। मृतक महिला की पहचान कलावती (45) के रूप में हुई।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक महिला अपने परिवार के साथ उत्तम नगर की शिव विहार कॉलोनी में रहती थीं। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। उन्होंने अपनी बेटी निशा की शादी महेंद्र से की थी। आरोप है कि महेंद्र अकसर शराब पीकर निशा के साथ मारपीट करता था। उसकी इन्ही हरकतों से परेशान होकर निशा दो महीने पहले अपने मायके आ गईं थीं।

महेंद्र गुरुवार शाम 7 बजे अपने ससुराल पहुंचा। उसने अपनी सास पर आरोप लगाया कि वह उसका घर खराब कर रही है। बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि महेंद्र ने अपनी सास पर धारदार हथियार (चापड़) से हमला कर कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

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चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव मामले में 'आप' से पूछे 11 सवाल

चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने को लेकर दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में केजरीवाल सरकार से आयोग ने ग्यारह सवाल पूछे है।
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भाजपा ने देश को बोलने वाला प्रधानमंत्री दिया: अमित शाह

भाजपा मिशन यूपी 2017 में जुट गई है। इसकी शुरुआत अमित शाह ने आज नोएडा से की। अपने संबोधन में शाह ने कहा कि 2 साल पहले देश अंधकार में था भाजपा ने देश को बोलने वाला पीएम दिया।
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केजरीवाल की इफ्तार पार्टी में नहीं पहुंचे नजीब जंग, बारिश ने किरकिरा किया मजा

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को इफ्तार पार्टी आयोजित की। इस पार्टी में कोई विपक्षी नेता नहीं पहुंचा। साथ ही उपराज्यपाल नजीब जंग भी पार्टी से नदारद रहे।
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दिल्ली: ऑटो चालक ने पुलिसकर्मी को पीटा, वर्दी भी फाड़ी

दिल्ली में एक ऑटो चालक का पीछाकर उसे रोकना पुलिसकर्मी को भारी पड़ गया। ऑटो चालक ने न सिर्फ पुलिसकर्मी की पिटाई की, बल्कि उसकी वर्दी भी फाड़ दी।
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MD ने बनाया कॉस्टेबल की पत्नी का अश्लील वीडियो, कर रहा था ब्लैकमेल

दिल्ली पुलिस के सिपाही की पत्नी के साथ रेप मामले में एक और नया खुलासा हुआ है। पीड़ित महिला ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा है कि परम डेयरी के एमडी ने उसका अश्लील वीडियो भी बनाय था
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Modi Cabinet Reschuffle: मंत्रियों ने पीएम के लिए बनाए प्रेजेंटेशन, फेरबदल से पहले होगा ‘परफॉर्मेंस रिव्‍यू’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के साथ कैबिनेट में बदलाव से पहले बैठक कर रहे हैं। कैबिनेट फेरबदल में कुछ एक नए चेहरे शामिल हो सकते हैं तो वहीं कुछ की कुर्सी जा सकती है। संभावना जताई जा रही है कि इस सात घंटे की बैठक में मंत्री दो साल में किए गए अपने काम का ब्योरा देंगे। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्तमंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को प्रेजेंटेशन बनाने के लिए कहा है, जिसमें यह बताना होगा कि उन्हें कितनी रकम मिली और कहां खर्च की गई। सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी अपने अधिकारियों के साथ हर एक मंत्रालय के प्रदर्शन पर चर्चा करेंगे।

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कैबिनेट में फेरबदल की चर्चाओं के बीच पीएम मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने पांच घंटे से ज्यादा देर तक मुलाकात की थी। सूत्रों ने बताया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली भी इस बैठक में शामिल होने वाले थे, लेकिन वे बैठक में मौजूद नहीं थे। साथ ही बताया कि कुछ सीनियर मंत्रियों की जिम्मेदारी बदली जा सकती है और कैबिनेट में कुछ नए चेहरे भी शामिल किए जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि इसकी घोषणा पीएम मोदी के अफ्रीका दौरे पर जाने से पहले की जाएगी।

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साथ ही बताया जा रहा है कि इसके साथ ही भाजपा में भी बदलाव किए जाएंगे। अमित शाह भी जुलाई के पहले सप्ताह में अपनी टीम में बदलाव कर सकते हैं।

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60 साल के डॉक्टर पार की हदें, उतरवाए 11 की बच्ची के कपड़े, और फिर...

दिल्ली में 11 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कूी कोशिश का मामला सामने आया है। रेप की कोशिश का आरोप एक डॉक्टर पर लगा है।
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नई दिल्ली: 21 विधायकों को मिली सुविधाओं पर इलेक्शन कमीशन ने मांगा AAP सरकार से ब्यौरा

निर्वाचन आयोग लाभ के पद पर बने रहने के चलते अयोग्य करार देने संबंधी याचिका पर संसदीय सचिवों के रूप में नियुक्त आप के 21 विधायकों का पक्ष सुनने की तैयारी कर रहा है और इस बीच उसने दिल्ली सरकार से इन विधायकों को उपलब्ध करायी गयी सुविधाओं तथा उनके कामकाज के बारे में ब्यौरा मांगा है ।  दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में आयोग ने संसदीय सचिवों के रूप में उन्हें उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी है । आयोग ने संसदीय सचिवों के रूप में इनके कामकाज का ब्यौरा भी मांगा है।

दिल्ली सरकार के इस संबंध में दिए जाने वाले जवाब से आयोग को 14 जुलाई से निजी तौर पर उनकी बात सुनने की प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व एक राय बनाने में मदद मिलेगी।
एक वकील ने आयोग के समक्ष याचिका दायर कर उन्हें इस आधार पर आयोग्य घोषित किए जाने की मांग की थी कि विधायक लाभ का पद हासिल नहीं कर सकते । इसके बाद विधानसभा के 21 सदस्यों ने निजी तौर पर अपनी बात रखने की अनुमति दिए जाने की अपील की थी। विधायकों का यह कहना है कि दिल्ली में संसदीय सचिव के पद के लिए कोई भत्ता नहीं मिलता या किसी प्रकार के कोई अधिकार उन्हें नहीं होते । पिछले वर्ष मार्च में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों की सहायता के लिए 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। आप सरकार ने इसके बाद 1997 के दिल्ली विधानसभा सदस्य : अयोग्यता की समाप्ति : अधिनियम में संशोधन कर पूर्व प्रभाव से इसे कानूनी मंजूरी देने का प्रयास किया था।  पिछले वर्ष जून में इस संबंध में पारित विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजा गया था लेकिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति के रूख का संज्ञान लिया है।


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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर 6 साल बाद बांग्लादेश से वतन लौटा सोनू

दिल्ली के सीमापुरी से साल 2010 में लापता हुआ सोनू गुरुवार दोपहर ढाका से दिल्ली पहुंचा। बांग्लादेश के जमाल इब्नमूसा वह शख्स हैं, जिन्होंने सोनू की वतन वापसी में अहम भूमिका निभाई।
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येलो लाइन पर पीक आवर्स में बाधित हुई मेट्रो

त्रिभुवन शर्मा, नई दिल्ली
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सबसे बेहतर मानी जाने वाली दिल्ली मेट्रो अब यात्रियों को कभी भी धोखा दे देती है। गुरुवार सुबह येलो लाइन पर पीक आवर्स के दौरान मेट्रो सेवा अचानक से धीमी हो गई, जिससे पांच की दूरी तय करने वाले यात्रियों को 20 से 30 मिनट में अपना सफर तय करना पड़ा। यात्रियों के मुताबिक, विश्वविद्यालय से कश्मीरी आने के लिए उन्हें करीबन 30 मिनट का वक्त लगा, जबकि मात्र दो स्टेशन की दूरी पांच मिनट से भी कम लगती है।

सुबह तक मीडिया में चर्चा थी कि किसी मेट्रो के इमरजेंसी ब्रेक लगने की वजह से मेट्रो सेवा बाधित हुई है। हालांकि, दूसरी ओर मेट्रो विभाग का कहना था कि यलो लाइन पर किसी भी तरह की तकनीकी खामी नहीं थी। कोई भी फॉल्ट नहीं हुआ है। इतना ही नहीं, विभाग ने मेट्रो के धीमी गति से चलने की खबर को भी इनकार किया है। विभाग का यह भी कहना था कि अगर कोई समस्या आ रही है, तो उसका पता किया जा रहा है।

ऐसा पहली बार नहीं है, जब दिल्ली मेट्रो की सेवाएं अचानक बाधित हुई हों। सोमवार को भी ऐसा हुआ था। ब्लू लाइन पर शाम के वक्त मेट्रो सेवा बाधित हुई थी, जिससे कई स्टेशनों पर सैकड़ों यात्री घंटे भर तक खड़े रहे थे। जानकारी के मुताबिक, साल 2013 में कुल 38 बार, साल 2014 में 46 और साल 2015 में 60 से ज्यादा बार मेट्रो सेवा बाधित हुई है।

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दिल्ली का मोस्ट वॉन्टेड बदमाश PK अरेस्ट

अवनीश चौधरी, नई दिल्ली

दिल्ली के टॉप 15 मोस्ट वॉन्टेड बदमाशों में एक विकास उर्फ पीके (23) को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट कर लिया है। पुलिस के अनुसार पीके कपिल सांगवान गैंग का कुख्यात शूटर है। दिल्ली बॉर्डर के पास हरियाणा के शिकारपुर गांव में डबल मर्डर के एक केस में पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी।

पुलिस का दावा है कि पीके की गिरफ्तारी से दिल्ली में कपिल सांगवान गैंग का 'पैकअप' हो गया है। इस समय सांगवान समेत उसकी गैंग के सभी कुख्यात बदमाश जेल में हैं। सांगवान और मनजीत महाल गैंग की दुश्मनी के चलते नजफगढ़ में करीब सात मर्डर हो चुके हैं। पीके बहुत कम उम्र में अपराध के रास्ते पर बहुत आगे निकल गया। उसके ऊपर गन पॉइंट पर कई एसयूवी गाड़ियां लूटने का आरोप है।

क्राइम ब्रांच के जॉइंट सीपी रवींद्र यादव ने बताया कि पीके के बारे में मुखबिर से सूचना मिली थी, जिसके बिनाह पर एसीपी जितेंद्र सिंह और इंस्पेक्टर पूरन पंत की टीम ने उसे अरेस्ट कर लिया। उससे दो पिस्टल बरामद हुई हैं।

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निर्माण मजदूर सेस फंड अन्य विभागों पर खर्च करने में घिरी AAP सरकार

आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा निर्माण मजदूर सेस फंड से 1150 करोड़ रुपये अन्य विभागों में खर्च किए जाने को लेकर घिर गई है।
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रंग लाया सुषमा स्वराज का प्रयास, छह साल बाद भारत लौटा सोनू

6 साल पहले अगवा कर बांग्लादेश ले जाया गया सोनू विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास के चलते आज वतन लौट आया।
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मयूर विहार में 9वीं के छात्र की पीटकर हत्या!

प्रमुख संवाददाता
मयूर विहार फेज- 3 में 9वीं में पढ़ने वाले एक छात्र की बुधवार शाम पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। ये आरोप छात्र के परिजनों ने लगाया है। पुलिस जांच कर रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि शुरुआती मेडिकल जांच में छात्र की बॉडी पर जख्मों के निशान नहीं मिले हैं। हो सकता है कि मारपीट में गुम चोटें लगने या किसी शारीरिक अघात से मौत हुई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस उसके दोस्तों से पूछताछ कर रही है।

मयूर विहार फेज-3 में रहने वाला रजत (15) सलवान पब्लिक स्कूल का छात्र था। उसके पिता एक प्राइवेट कंपनी में जनरल मैनेजर हैं। घटना शाम करीब 6 बजे के आसपास हुई। रजत के परिजनों का कहना है कि फेज-3 की मार्केट में एक पान की दुकान पर रजत का कुछ लोगों से झगड़ा हुआ। रजत के साथ उसके दोस्त भी थे। वह लोग रजत को खींचकर पास के पार्क में ले गए। वहां बुरी तरह पीटा। उस दौरान उसके दोस्त भाग गए। इन लोगों ने रजत की पीट-पीटकर हत्या कर दी।

पुलिस का कहना है कि घटना के समय रजत ट्यूशन से लौट रहा था। उसके दोस्तों से पूछताछ करके आरोपियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस को घटना की सूचना रात करीब 8 बजे अस्पताल से मिली थी। देर रात परिजनों ने पुलिस को शिकायत देकर हत्या की आशंका जताई।

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इस्तांबुल का असर: IGI पर सुरक्षा कड़ी हुई

अन्वित श्रीवास्तव, दिल्ली
मंगलवार रात इस्तांबुल में हुए आतंकी हमले के बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटनैशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट पर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। यहां आईजीआई पुलिस का आंतक रोधी दस्ता तैनात किया गया है।

सीआईएसएफ और ब्यूरो ऑफ सिविल ऐविशन सिक्यॉरिटी (बीसीएएस) को भी यात्रियों के सामान की चेकिंग करते वक्त ज्यादा चौकन्ना रहने को कहा गया है। एयरपोर्च के अधिकारियों ने कहा कि सभी फ्लाइटों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और सामान की चेकिंग करने में भी ज्यादा सावधानी बरती जा रही है।

हाल के दिनों में एयरपोर्ट परिसर में यात्रियों द्वारा हथियार ले जाए जाने की कई घटनाएं हुई हैं। जनवरी में एक युवक फेक टिकट लेकर इंटरनैशनल टर्मिनल में घुस गया था। मार्च में एक शख्स चेकइन काउंटरों के पास पिस्तौल के साथ पकड़ा गया था। दो दिनों पहले ही एक शख्स अपने साथ हथियार ले जाने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था। इन घटनाओं ने अधिकारियों को मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव करने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है।

सीआईएसएफ ने कहा कि वह किसी भी तरह के हालात से निबटने के लिए तैयार है।

Read this story in English: Istanbul effect: IGI goes under multi-layer blanket

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फोनरवा को झटका, DND पर टोल वसूलने से रोक लगाने पर SC का इन्कार

सुप्रीम कोर्ट में फोनरवा ने की मांग थी कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट से याचिका पर कोई अंतिम फैसला नही आ जाता, तब तक टोल वसूली पर अंतरिम रोक लगे।
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Wednesday, June 29, 2016

पैर कटवाना चाहते थे, डॉक्टरों ने दिया नया पैर

दुर्गेश नंदन झा, दिल्ली
मुकेश कुमार (48 साल) दो महीने पहले जब अपने संक्रमित पैर का इलाज कराने सफदरजंग हॉस्पिटल आए थे, उन्होंने डॉक्टरों को दुविधा में डाल दिया था।

मुकेश के पैर में भयंकर इंफेक्शन हो गया था और डॉक्टरों ने उनसे कहा था कि बोन फिक्शेसन सर्जरी के जरिए उनका पैर बचाया जा सकता है, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। वजह जल्दी ही साफ हो गई जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह अस्पताल और दवाइयों का खर्च नहीं उठा सकते थे। लेकिन खुश कर देने वाली बात यह है कि डॉक्टरों और मेडिकल टीम ने उनके लिए पैसे का इंतजाम किया और उनका पैर बचा लिया।

मुकेश फिलहाल हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक वार्ड में हैं और उनकी हालत में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें नई जिंदगी दी है जिसके लिए वह उनका जितना शुक्रिया अदा करें, कम है। मुकेश ने कहा,'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दोबारा अपने पैर इस्तेमाल कर पाऊंगा। मैं किसी तरह इससे छुटकारा पाना चाहता था क्योंकि इसे दुर्गंध आती है और बहुत दर्द होता था।'

मुकेश पेशे से एक ड्राइवर हैं। साल 2005 में वह एक हादसे का शिकार हुए जिसमें उनका पैर घायल हो गया। संक्रमित पैर पर उनके इलाज का कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने बताया,'मैं बिस्तर पर पड़ा रहता था। मेरी पत्नी और बेटी ने घरों में जाकर काम करना शूरू कर दिया ताकि गृहस्थी चलाई जा सके और मेरे लिए दवाइयां खरीदी जा सकें।'

डॉक्टरों का कहना है कि वह अब अगले छह-आठ महीनों में फिर से चल सकेंगे। एक ऑर्थोपेडिक सर्जन ने कहा,'मुकेश की तरह सैकड़ों दूसरे लोग भी हैं जिनके पास बीपीएल कार्ड नहीं होता और इसलिए वे सस्ते में इलाज से वंचित रह जाते हैं। कागजी कार्यवाही में बहुत वक्त लगता है। हम ऐसे बहुत से मरीजों को देखते हैं जो मदद का इंतजार करते-करते ही चल बसते हैं।'

ऐम्स में रोज तकरीबन 8,000 मरीज रोज आते हैं। हाल ही में ऐम्स ने फंड बढ़ाने के लिए पब्लिक डोनेशन की अपील की। कई बार ऐसे मौके आते हैं जब कोर्ट ने गरीबों का इलाज न करने के लिए ऐम्स को लताड़ लगाता है।

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18 साल की जवान बेटी का आरोप, 'पापा मेरे साथ 3 साल से कर रहे थे रेप'

एक पिता ने अपनी ही पुत्री को हवस का शिकार बनाकर पिता और पुत्री के रिश्ते को शर्मसार कर दिया।
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दिल्ली-एनसीआर में हट सकता है डीज़ल वाहनों से बैन, सुप्रीम कोर्ट में 4 जुलाई को अगली सुनवाई

उच्चतम न्यायालय डीजल कार खरीदने वालों ओर वाहन निर्माता कंपनियों को बड़ी राहत दे सकती है। शीर्ष कोर्ट ने बुधवार (29 जून) को अपने एक आदेश में कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2000सीसी से ज्यादा वाली क्षमता वाली कारों और एसयूवी की बिक्री पर लगा प्रतिबंध हटाने पर विचार कर सकता है। कोर्ट ने इसके साथ ग्रीन सेस भुगतान की भी बात कही है।

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति एके सीकरी और आर. भानुमति ने वाहन निर्माता कंपनी मर्सडीज और टोयोटा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कहीं। वाहन निर्मात कंपनी की ओर से गोपाल सुब्रह्मणियम और गोपाल जैन ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करते हुए कहा कि डीजल वाहनों पर से प्रतिबंध हटाने के लिए वह कारों के एक्स-शोरूम कीमत का एक प्रतिशत सेस के रूप में जमा करने के लिए तैयार हैं।

शीर्ष कोर्ट ने बड़ी डीजल कार वाहन निर्मात कंपनियों को ताकीद करते हुए कहा, पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के मुकाबले बड़ी डीजल गाड़ियां ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं और यह बात वाहन निर्मात कंपनियों को समझनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने भी डीजल वाहन खरीदने की चाह रखने वालों पर कहा कि उन्हें मालूम होना चाहए कि वे जो वाहन खरीद रहे हैं वह प्रदूषण फैलाने वाला है और इसीलिए उसे ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं।

टोयोटा की ओर से पैरवी कर रहे वकील गोपाल जैन ने कहा, ‘कंपनी अपनी ओर से एक्स-शोरूम कीमत का एक फीसदी सेस के रूप में देने के लिए तैयार है।’ जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इस पर अपनी मंजूरी दे दी। हालांकि कोर्ट ने अपना अंतिम निर्णय 4 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया।


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उमर अब्दुल्ला से अलग रह रही पत्नी पायल ने दिल्ली का बंगला खाली करने से किया इनकार, दिया प्रियंका गांधी का उदाहरण

दिल्‍ली के अकबर रोड स्थित जम्‍मू कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री का आधिकारिक निवास खाली कराने में राज्‍य के अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। दरअसल टाइप VIII-7 बंगले में फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पूर्व पत्‍नी पायल रह रही हैं। पायल ने कई नोटिस के बाद भी बंगला खाली करने से साफ इनकार कर दिया है। पायल जम्‍मू एंड कश्‍मीर के पूर्व CM उमर अब्‍दुल्‍ला से 2011 में अलग हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर रेजिडेंट कमीशन ऑफ स्टेट कई बार उनसे बंगला खाली करने की गुजारिश कर चुका है लेकिन पायल हैं कि मान ही नहीं रहीं। बंगला खाली नहीं करने के लिए पायल ने प्रियंका गांधी का उदाहरण दिया है। उन्होंने सुरक्षा के आधार पर प्रियंका गांधी समेत कुछ और लोगों को मिल रही सुविधाओं का हवाला देते हुए लिखा कि उन्हें भी इसी आधार पर अकबर रोड के बंगला नंबर सात में रहने की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्‍होंने कहा, ”मैं बंगले में जम्मू-कश्मीर के महान नेता शेख अब्दुल्ला के दोनों पोते के साथ रहती हूं। सुरक्षा कारणों से मैं बंगला खाली नहीं कर सकतीं क्योंकि मेरे परिवार को Z स्तर की सुरक्षा मिली हुई है।’

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जम्मू-कश्मीर रेजिडेंट कमीशन ने 30 नवंबर 2015 को पायल को नोटिस जारी कर बंगला खाली करने के लिए कहा था। पायल ने उस नोटिस का जवाब नहीं दिया। 12 दिसंबर को एक और नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया था कि बंगला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के लिए आवंटित किया गया था, उनके परिवार के लिए नहीं। कोई जवाब नहीं मिलने पर 27 जून को एक और नोटिस पायल को भेजा गया। नोटिस के जवाब में पायल ने कहा कि 7 अकबर रोड वाले बंगले में वह 1999 से अपने दो बेटों के साथ रह रही हैं। जवाब में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया जिसमें पति से अलग रह रही पत्नी को पति के लिए आवंटित घर में रहने का अधिकार है।

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अपने जवाब में पायल ने कहा कि उन्हें जेड श्रेणी की और उनके बेटों को Z+ श्रेणी की सुरक्षा मिली है। उनके बेटे जम्मू-कश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला के वंशज हैं, जिन्होंने भारत में कश्मीर को मिलाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी।अपने जवाब में उन्होंने कहा कि ‘2002 से 2008 तक उमर अब्दुल्ला न तो सांसद थे और न ही विधायक। उस दौरान भी वह बंगले में रह रही थीं। उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए बंगले में हर वक्त 94 जवान सुरक्षा में लगे रहते हैं। साथ ही उन्होंने दावा किया कि जनवरी 2009 से 2015 तक उमर अब्दुल्ला प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उस दौरान उनका आधिकारिक निवास स्थान साउथ एवेन्यू लेन बंगला नंबर पांच था। वहीं जम्मू-कश्मीर की वेबसाइट पर यह पता 5, पृथ्वीराज रोड था।


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UP के 'शो विंडो' से सूबे की राजनीति में प्रवेश करने की तैयारी में JDU

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ बिहार में सत्तासीन जनता दल यू उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव विस्तार को बेताब है।
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डीजल वाहनों के पंजीकरण पर लगी रोक हटा सकता है सुप्रीम कोर्ट

2000 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले डीजल एसयूवी और कार खरीदने की इच्छा रखने वालों पर सुप्रीम कोर्ट का नया सुझाव राहत ला सकता है।
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300 रु. में आपकी फोटो होगी डाक टिकट पर

पंकज डोभाल, नई दिल्ली
अब आप डाक डिकट पर अपनी फोटो छपवा सकते हैं। चाहे यह नए शादीशुदा जोड़े की फोटो हो, किसी बच्चे के पहले जन्मदिन की फोटो हो या आपके पुराने दोस्तों से मुलाकात की यादगार तस्वीर, ये सभी डाक टिकट पर छप सकती हैं और हमेशा के लिए आपकी यादों में शुमार हो सकती हैं। इसकी कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं है। 12 टिकटों के लिए आपको सिर्फ 300 रुपये देने होंगे।

पोस्टल सेक्रटरी एसके सिन्हा ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से बताया,'हम डाक विभाग को लोगों के और करीब ले जाना चाहते हैं। पहले यह सुविधा कुछ ही दिनों के लिए थी लेकिन अच्छा रेस्पॉन्स मिलने पर इसे बढ़ाने का फैसला लिया गया है। यह सुविधा प्रमुख शहरों और कस्बों के पोस्टऑफिसों में उपलब्ध है। सुविधा और जगहों पर बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा ऑनलाइन तरीका भी अपनाया जा रहा है।' वेबसाइट http:http://ift.tt/UY8dXz पर लॉग इन करके इसके लिए बुकिंग की जा सकती है।



अगर आप खुद ऑफिस जाकर अपनी तस्वीरें डाक विभाग को देते हैं तो आपको तुंरत ही डाक टिकट मिल जाएगी। हालांकि ऑनलाइन अप्लाई करने पर तीन-चार दिन का समय लग सकता है। डाक विभाग अधिकारी ने बताया,'इसके लिए आपको एक आईडी कार्ड और घोषणा पत्र भी देना होगा ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हमें दी गई जानकारी सही है।'

कस्टमाइज्ड टिकटों के लिए कई तरह की थीम्स ऑफर की जा रही हैं। जैसे ताजमहल, अजंता-ऐलोरा की गुफाएं, पोर्ल ब्लेयर आईलैंड, मैसूर पैलेस, हवा महल, बनारस के घाट, विक्टोरिया मेमोरियल, कोणार्क का सूर्य मंदिर और गेटवे ऑफ इंडिया। डाक विभाग ने कॉर्पोरेट सेक्टर और प्राइवेट संस्थानों के लिए भी यह ऑफर शुरू किया है।



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चुनाव को देखते हुए कैबिनेट में फेरबदल करेंगे पीएम मोदी, जानिए कौन होगा अंदर, कौन जाएगा बाहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कैबिनेट में जुलाई के पहले सप्ताह में फेरबदल कर सकते हैं। मोदी यह फेरबदल अपने चार देशों की यात्रा से पहले करेंगे। बताया जा रहा है कि इस बार कैबिनेट में होने वाला बदलाव आने वाले चुनाव को देखते हुए किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नए मंत्रियों की लिस्ट को फाइनल टच देंगे। अपने कैबिनेट में पीएम मोदी उन राज्यों के सांसदों को शामिल कर सकते हैं, जहां आने वाले वक्त में चुनाव होने वाले हैं। यूपी चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी के कैबिनेट में यूपी से कई मंत्री नजर आ सकते है।

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पहले अटकलें थीं कि पीएम मोदी के अफगानिस्तान, कतर, यूएस और मेक्सिको की यात्रा से लौटने के बाद ही बदलाव किया जाएगा। लेकिन बदलाव हुआ नहीं। पीएम मोदी कैबिनेट में किए जाने वाले फेरबदल में देरी नहीं चाहते, क्योंकि वे चाहते हैं कि संसद के मानसून सत्र(18 जून से शुरू होने वाला है) से पहले नए मंत्री अपने काम से परिचित हो जाएं। अभी बताया जा रहा है कि पीएम मोदी अपने नए मंत्रियों की घोषणा सात जुलाई से पहले करेंगे। सात जुलाई को पीएम मोजेम्बिया, दक्षिण अफ्रिका, तनजानिया और केन्या की यात्रा पर जा रहे हैं।

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अंग्रेजी अखबार ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक नजमा हेपतुल्ला को राजभवन भेजा सकता है, वे 75 साल पूरे कर चुकी हैं, वहीं एक जुलाई को कलराज मिश्र भी 75 साल पूरे कर रहे हैं। मिश्र को यूपी इलेक्शन के लिए पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। पियूष गोयल को कैबिनेट रैंक से नवाजा जा सकता है। वहीं मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) बनाए जा सकते हैं। राज्यमंत्री संजीव बालियान और महेश शर्मा भी कैबिनेट रैंक पाने वालों की रेस में शामिल हैं।

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हाल ही में राज्यसभा में शामिल हुए एमजे अकबर और एसपी शुक्ला भी जल्द ही कैबिनेट का हिस्सा बन सकते हैं। इनके साथ ही सांसद जगदंबिकापाल को भी मंत्री बनाया जा सकता है। रिपोर्ट में इसके भी संकेत दिए गए हैं कि कानूनमंत्री सदानंद गौड़ा को हटाया जा सकता है और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर और राधा मोहन सिंह को दूसरे मंत्रालय दिए जा सकते हैं।

जिन सांसदों के मोदी के कैबिनेट में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं उनमें भूपेंद्र यादव, योगी आदित्यानाथ, वीरेंद्र सिंह हैं। भाजपा सांसद पूनम महाजन और राघव लेखनपाल को भी कुछ जिम्मेदारी मिल सकती है।


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केजरी के मंत्री ने मोदी को कोसा, अटल की कविता पढ़कर उन्हें सराहा है

अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जमकर कोसा, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को जमकर सराहा।
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कैंडल, गुलाब के फूल सजाकर GF की हत्या की

विशेष संवाददाता, नेब सराय
जुनून की हद तक डांस को चाहने वाला एक शख्स ट्रेनिंग लेने आई एक लड़की से प्यार करने लगा। लड़की की शादी किसी और से तय हो गई। यह बात डांस टीचर को सहन नहीं हुई। उसने उसी लड़की की हत्या कर दी, जिसके साथ वह जिंदगी भर रहना चाहता था। उसने खुद भी सीलिंग फैन से फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया। हालांकि पुलिस को कोई सूइसाइड नोट नहीं मिला है, घटना मंगलवार रात की है।

बुधवार सुबह साउथ दिल्ली में इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पहले नेब सराय की गली नंबर 5 में स्थित 'एबीसी डांस अकैडमी' का गेट बंद था और डांस टीचर सचिन उर्फ सोनू भी वहां मौजूद नहीं था। इस अकैडमी में ट्रेनिंग लेने वाली योगिता नामक लड़की की बहन उसे तलाश करते हुए पहुंच गई। उन्होंने गेट खटखटाया तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई। दरअसल डांस अकैडमी का मालिक और टीचर सचिन इसी अकैडमी में ही रहता था।



वह रोज सुबह अकैडमी खोल देता था। सुबह 10 बज गए, लेकिन अंदर से बंद गेट नहीं खुल रहा था। लोग जमा होने लगे। किसी को अंदर से बदबू आई तो पुलिस को खबर देने का फैसला किया गया। पीसीआर कॉल की गई। पीसीआर और महरौली थाने की पुलिस मौके पर आई। कुछ देर तक खटखटाने के बाद गेट तोड़ दिया गया। अंदर फर्श पर एक लड़की की लाश पड़ी थी। उसके गले में एक्सटेंशन कोर्ड का तार लिपटा हुआ था। छत के पंखे से एक युवक का शव लटका हुआ था। पुलिस को बताया गया कि सीलिंग फैन से लटका हुआ शव सचिन (24 साल) का है।

कुछ देर तहकीकात करने के बाद पता चला कि लड़की का नाम योगिता (24 साल) है। उनकी मौत की खबर फैलने पर सचिन के दोस्त और जानकार लोग वहां पहुंचने लगे। शवों को मॉर्च्युरी ले जाने से पहले पुलिस ने योगिता के परिवारवालों को मौके पर बुलाया। योगिता का परिवार छतरपुर पहाड़ी पर रहता है, उनके पिता और भाई मौके पर आए। बहन ने पुलिस को बताया कि योगिता मंगलवार रात 9:15 बजे घर से डांस अकैडमी में सचिन से मिलने आईं थीं। योगिता के आने की जानकारी उसकी बहन को थी। रात भर वह वापस नहीं आईं। सुबह पुलिस से मिली फोन कॉल से उन्हें पता चला कि योगिता का मर्डर कर दिया गया है। जांच में पुलिस को जानकारी मिली कि योगिता ने तीन महीने पहले ही एबीसी डांस अकैडमी जॉइन की थी। यह भी पता चला कि सचिन उससे प्यार करता था। योगिता के भी उससे अच्छे संबंध थे।

अडिशनल डीसीपी साउथ नुपूर प्रसाद के मुताबिक, अब तक हुई तहकीकात से पता चला है कि सचिन ने पहले एक्सटेंशन कोर्ड योगिता के गले में लपेटकर उसकी हत्या की और उसके बाद आत्महत्या की। महरौली थाने में योगिता के मर्डर का केस दर्ज कर लिया गया है। हालांकि इस मर्डर के मुलजिम की मौत की वजह से यह केस चार्ज अबेटिड किया जाएगा। दूसरी ओर, सचिन की मौत के मामले में पुलिस सीआरपीसी की धारा 174 के तहत छानबीन कर रही है।

कैंडल और गुलाब के फूल सजाकर किया मर्डर

डांस टीचर सचिन उर्फ सोनू के दो फोन नंबरों के वट्सऐप स्टेटस उसकी मानसिक हालत जाहिर कर रहे हैं। एक स्टेटस में उसने लिखा था कि 'एक गलती फिर हो गई- ट्रस्ट (भरोसा)।' दूसरा स्टेटस अंग्रेजी में लिखा था, जिसका मतलब है 'एक आदमी अपनी पत्नी को राजकुमारी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करता है।' इस मर्डर और खुदकुशी के केस की कहानी का खुलासा सचिन के दोस्तों ने किया। पंकज ने बताया कि सचिन योगिता से प्यार करता था। वह उससे शादी करना चाहता था। सचिन ने अपने दोस्तों को बताया था कि योगिता की शादी किसी और से होने वाली है। इसके बाद सचिन बेहद हताश रहने लगा था।

उसकी हालत देख कर दोस्तों ने उसे सलाह दी थी कि कोई गलत कदम मत उठाना। तहकीकात कर रहे पुलिस अफसरों का मानना है कि उसने अकेले ही पूरी प्लानिंग कर वारदात को अंजाम दिया। उसने किसी बहाने से योगिता को मंगलवार रात को डांस अकैडमी में बुलाया था। योगिता के आने से पहले उसने अकैडमी में कैंडल और गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां सजाईं थीं। योगिता रात 9:15 बजे अकैडमी में जाने से पहले घर में अपनी बहन को बता कर गई थीं। उनकी बहन ने पुलिस को बताया कि जाते वक्त योगिता पूरी तरह से नॉर्मल थीं।

पुलिस का अनुमान है कि योगिता को सचिन के इरादों की कोई भनक नहीं थी। सचिन उर्फ सोनू (24) मूल रूप से इंदौर का निवासी था। उसे डांस का शौक था और उसने इसी को अपना करियर बना लिया था। उसके मौसा-मौसी का परिवार साउथ दिल्ली के नेब सराय में रहता है। सचिन भी डांस करियर को आगे बढ़ाने के मकसद से दिल्ली आ गया था। सवा दो साल पहले उसने इग्नू रोड पर एक डांस अकैडमी की शुरूआत की थी। उसकी 'एबीसी डांस अकैडमी' का बिजनेस ठीक चल रहा था। उसके बाद सचिन ने नेब सराय की गली नंबर 5 में इस अकैडमी का ऑफिस शिफ्ट कर दिया।





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गैर से शारीरिक संबंध बनाने वाली पत्नी की करतूत जानकर रह जाएंगे आप

हत्याकांड का मास्टर माइंड जलपरी सायरा सिरोही का पिता जयदीप सिरोही था। हत्याकांड को अंजाम पत्नी ने अवैध संबंधों के चलते दिलाया था।
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दिल्ली में सनसनीखेज वारदात, 9वीं के छात्र को पीटकर मार डाला

दिल्ली में 9वीं क्लास के छात्र की पीट-पीटकर हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। घटना मयूर विहार इलाके की है व जान गंवाने वाले का नाम रजत है।
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84 दंगा: पीड़ित का दर्द- दंगाइयों ने मेरे परिवार को बाहर बुलाया और कर दिया था आग के हवाले

गुरप्रीत सिंह तब सिर्फ 16 साल के थे, जब उन्‍होंने अपने माता-पिता, दो भाइयों, चाची और भतीजे को भीड़ द्वारा जिंदा जलाते हुए देखा था। तारीख की 2 नवंबर, 1984। गुरप्रीत के परिवार के छह सदस्‍य गुड़गांव और पटौदी के उन लोगों में से एक थे जिन्‍हें मार दिया गया। ऐसे ही परिवारों के लिए जस्टिस टी.पी. नारंग कमीशन ने मुआवजे के तौर पर 12.07 करोड़ रुपए की सिफारिश की है।

उस दिन जब भीड़ गुड़गांव के बादशाहपुर पहुंची, गुरप्रीत के पड़ा‍ेसियों ने उसे अपने घर में छिपा दिया। उसने एक खिड़की से सबकुछ होते हुए देखा। कम से कम ‘एक हजार’ लोगों की भीड़ ने उसके परिवार के घर के सामने स्थित गुरुद्वारे को आग लगा दी, उसके बाद गुरप्रीत के परिवार की ओर रुख किया। गुरप्रीत बताते हैं, ”वे उनसे बाहर निकलने को कहने लगे, उन्‍हें इस बात का भरोसा दिलाने लगे कि कोई नुकसान नहीं होगा। मेरा बढ़ा भाई नीचे गया और जैसे ही वह नीचे पहुंचा, उन्‍होंने उसे घेर लिया और जिंदा जला दिया।” उसके दूसरे भाई को भी नीचे बुलाया गया था और जब उसने भागने की कोशिश की तो भीड़ ने उसे पकड़ा, पीटा और जिंदा जला दिया। कुछ हमलावरों ने उसकी उंगलियां भी काट दी थीं। गुरप्रीत के मुताबिक, ”उसके बाद उन्‍होंने हमारे घर को आग लगा दी, जिससे सबको बाहर आना पड़ा और फिर उन्‍होंने उन्‍हें जिंदा जला दिया।

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तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद हुए 1984 के सिख दंगों में बच निकले अन्‍य लोग भी हिंसा, लूट, बलात्‍कार और हत्‍या की ऐसी ही दिल दहला देने वाली कहानियां सुनाते हैं। दंगों ने पूरे देश में हिंसा और मौत का तांडव कराया। गुड़गांव में 47 और पटौदी में 17 लोग मारे गए। इसके अलावा जीवित बचे लोगों का आरोप है कि पटौदी में 21 व्‍यापारिक संपत्त‍ियों (स्‍टोर और फैक्‍ट्री) को आग लगा दी गई। पटौदी के 35 सिख परिवार दंगे से प्रभावित हुए। गुड़गांव के 300 घर जला दिए गए। दंगों के सर्वाइवर्स कहते हैं कि जब राहत और देखभाल के लिए उन्‍हें रिफ्यूजी कैंप में ले जाया गया, तो भी डर हावी रहा। दंगों के वक्‍त 42 साल के रहे सुरिंदर सिंह कहते हैं, ”वे हमें कैम्‍स ले गए और छोड़ दिया। वहां ना तो खाने की कोई व्‍यवस्‍था थी, ना पानी, ना शौचालय की। हम अपना खाना खुद बनाते थे और अपना सामान खुद खरीदते थे।”

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वे परिवार जिन्‍होंने अपने घर को सही सलामत छोड़कर रिफ्यूजी कैम्‍प की शरण ली, आरोप लगाते हैं कि लौटने पर उन्‍हें घर में तोड़फोड़ की गई मिली। उनका फर्नीचर, ज्‍वेलरी, बर्तन, चादर जैसे जरूरी सामान भी चोरी जा चुके थे। वह ये भी आरोप लगाते हैं कि कई मामलों में अधिकारियों ने मौतों को मानने से इनकार कर दिया और FIR दर्ज नहीं की।

कई परिवार एक ही आरोप लगाते हैं, ”47 और 17 तो सिर्फ अाधिकारिक आंकड़े हैं, कई ऐसे हैं जिनकी मौत मानी ही नहीं गई। 1984 में पटौदी गांव में 35 सिख परिवार रहते थे, आज वहां सिर्फ 10 घर हैं। गुरजीत सिंह, जो कि दंगों के दौरान अपने पड़ोसी के घर में छिपे थे, उस वक्‍त किए गए अत्‍याचारों को याद करते हैं। वह कहते हैं, ”लोगों को मरने तक तड़पाया गया। मौत जल्‍दी नहीं आई। मैंने सुना कि महिलाओं को नंगा कर बलात्‍कार किया गया, जिसके बाद दंगाइयों ने उन्‍हें मुक्ति दे दी और जिंदा जला दिया।

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1984 दंगों का प्रभाव हिंसा खत्‍म होने के बाद भी लम्‍बे समय पर महसूस किया जाता रहा। जीवित बचे लोग अपने बच्‍चों के भविष्‍य पर पड़े असर की बात करते हैं, जिनमें से कई इसलिए नहीं पढ़ पाए क्‍योंकि या तो उनके माता-पिता को मार दिया गया या लूट लिया गया। सर्वाइवर्स को अभी भी डर महसूस होता है, जब भी वे कहीं सांप्रदायिक तनाव की बात सुनते हैं। गुड़गांव के एक निवासी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ”हम अपनी दुकान बंद करते हैं और घर पर रहते हैं। हमने पहले ही बहुत कुछ देख लिया है। हम सुरक्षित रह पाएंगे।”

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गुड़गांव और पटौदी के सिख परिवार कहते हैं कि 1984 दंगों के अत्‍याचार की तस्‍वीरें अभी तक उनके जेहन में ताजा हैं, मगर वे उम्‍मीद नहीं करते कि ज्‍यादातर दंगाई कभी पकड़े जाएंगे और उन्‍हें सजा होगी। उन्‍होंने जो खोया है, वे उसके मुआवजे की मांग करते हं। उन्‍हें लगता है कि कई सरकारों और अदालतों ने उन्‍हें जो आॅफर किया है, वह ‘अपर्याप्‍त’ है। एक सर्वाइवर ने कहा, ”हम वही मुआवजा चाहते हैं जिसके हम हकदार हैं। एक लोकतांत्रिक देश में, हम अभी भी लोकतंत्र का इंतजार कर रहे हैं।


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AAP सरकार का एलान, 9वीं फेल छात्र भी दे सकेंगे 10वीं बोर्ड की परीक्षा!

छात्रों को स्कूलों में उनके सामान्य शिक्षक ही पढ़ाएंगे और उन्हें किताबें,यूनिफार्म इत्यादि की सभी सामान्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
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यूपी 2017: लोगों से सीधे जुड़ने की तैयारी में BJP, नोएडा से होगा आगाज

पू्र्वोत्तर राज्यों में से एक असम में विधानसभा चुनाव में एतिहासिक जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी 'भाजपा मिशन यूपी 2017' में जुट गई है।
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तीन बार तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुसलिम पर्सनल लॉ को संवैधानिक ढांचे की कसौटी पर परखा जाए

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मुसलिम समुदाय में तीन बार तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ना एक बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है जो लोगों के एक बड़े तबके को प्रभावित करता है। इसे संवैधानिक ढांचे की कसौटी पर कसे जाने की जरूरत है। अदालत ने ‘पर्सनल लॉ’ के मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताते हुए यह कहा। शीर्ष अदालत के जजों ने कहा- हम सीधे ही किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रहे क्योंकि दोनों ओर बहुत मजबूत विचार हैं। यह इस बात पर गौर करेगी कि मुद्दे का निबटारा करते वक्त पिछले फैसलों में क्या कोई गलती हुई है और इस बारे में फैसला करेगी कि क्या इसे और बड़ी या पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा-हम सीधे ही किसी निष्कर्ष पर नहीं जा रहे हैं। यह देखना होगा कि क्या संविधान पीठ द्वारा कानून पर कोई विचार किए जाने की जरूरत है।

उन्होंने इसमें शामिल पक्षों से ‘तीन बार तलाक बोले जाने’ (ट्रिपल तलाक) पर फैसलों की न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश पर एक बहस के लिए तैयार होने को कहा। पीठ ने कहा कि पर्सनल लॉ को संवैधानिक ढांचे की कसौटी पर परखना होगा। इसने इस बात पर जोर दिया कि लोगों के एक बड़े तबके को प्रभावित करने वाला यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण मुद्दा है और दोनों ओर से बहुत ही मजबूत विचार हैं। बहरहाल पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर के लिए मुल्तवी करते हुए कहा कि फैसले के लिए कानूनी पहलुओं पर विचार करना होगा।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने बंबई हाई कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि पसर्नल लॉ व्यवस्था को मूल अधिकारों से नहीं जोड़ा जा सकता। पीठ ने कहा-सभी लोग अपने विचार जाहिर कर सकते हैं और बहस में हिस्सा ले सकते हैं। हम जान पाएंगे कि सभी पक्षों का क्या रुख है। बुधवार की सुनवाई में तीन बार तलाक बोले जाने के विषय पर कुल चार याचिकाओं के जरिए सवाल उठाए गए। जिस पर पीठ ने उनमें से सभी को पक्षकार बनने की इजाजत दे दी और इस मुद्दे पर छह हफ्ते में केंद्र का रुख पूछा गया है।

फराह फैज नाम की एक महिला वकील ने आॅल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) और अन्य पर टीवी परिचर्चाओं सहित सार्वजनिक मंचों पर अपने विचार प्रसारित करने पर रोक लगाने की मांग की थी। इस पर सभी पक्षों के अपने विचार प्रकट कर सकने संबंधी टिप्पणी आई है। पीठ ने कहा-हम टीवी कार्यक्रमों से प्रभावित नहीं होंगे। आप भी टीवी कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं। हम आपकी अर्जी को लंबित रखेंगे। यदि किसी स्तर पर हम पाएंगे कि वे हाथ से बाहर निकल रहे हैं तो हम हस्तक्षेप करेंगे।

वहीं बोर्ड की ओर से पेश वकील ने तीन बार तलाक बोले जाने के रिवाज का बचाव किया और कहा कि अदालतों ने यह कहा है कि पसर्नल लॉ के विषयों को संवैधानिक रूप से नहीं जांचा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने बहुविवाह प्रथा, तीन बार तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ना (तलाक ए बिद्दत) और ‘निकाह हलाला’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर इससे पहले केंद्र का जवाब मांगा था।

अदालत ने 28 मार्च को केंद्र से अपने समक्ष उस समिति की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था जिसका गठन मुसलमान सहित विभिन्न धार्मिक अल्पसंख्यकों में मौजूद शादी, तलाक और देखभाल से जुड़े पर्सनल लॉ के पहलुओं पर गौर करने के लिए किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने इस सवाल पर स्वत: संज्ञान लिया था कि क्या मुसलिम महिलाएं तलाक या अपने पति की अन्य शादियों के मामले में लैंगिक भेदभाव का सामना करती हैं। साथ ही प्रधान न्यायाधीश से मुद्दे की जांच के लिए एक पीठ गठित करने अनुरोध किया था। इसके बाद मुसलिम समुदाय के ‘ट्रिपल तलाक’ के सदियों पुराने रिवाज को चुनौती देने वाली कई अन्य याचिकाएं दायर की गई।


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भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की पीएम मोदी की तारीफ, पत्रकारों को फटकारा

अपने राजनीतिक अंदाज में लौटते हुए भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भरोसा जताया। साथ ही उनकी दृढ़ता की सराहना की जबकि उन्होंने पत्रकारों को आड़े हाथ लिया। स्वामी ने मंगलवार को दार्शनिक अंदाज में कुछ टिप्पणियां की थीं। मोदी ने सोमवार को एक टेलीविजन साक्षात्कार में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन एवं वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों पर स्वामी के हमलों को अनुचित कहते हुए परोक्ष रूप से उन्हें झिड़की लगाई थी। स्वामी ने मंगलवार को भगवान कृष्ण को उद्धृत करते हुए कहा था कि एक मानक में मामूली सा परिवर्तन करने से इसके प्रभावस्वरूप अन्य सभी मानकों में बदलाव होता है।

किंतु बुधवार को राज्यसभा सदस्य ने कई विषयों पर टिप्प्णी की। जिसमें यह बात भी शामिल थी कि पूर्व कैग विनोद राय जैसे किसी व्यक्ति का आरबीआइ गवर्नर के रूप में स्वागत किया जा सकता है। स्वामी ने ट्वीट में कहा- मैंने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूं। भले ही आंधी-पानी कुछ भी आएं, मैं मोदी के साथ खड़ा हूं। मैं उनकी दृढ़ता का प्रशंसक हूं। कोई विदेशी ताकत उन्हें नहीं झुका सकती। मोदी ने कहा था कि प्रचार पाने की लालसा से देश का कोई भला नहीं होगा। इस का परोक्ष जवाब देते हुए स्वामी ने ट्वीट किया-नई समस्या जब प्रचार निरंतर राजनीतिक नेताओं का पीछा करता है।

मकान के बाहर 30 ओबी, चैनलों से 200 मिस्ड काल और पापाराजी। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा-प्रेस्टीट्यूट्स हर रोज जानबूझकर झूठी कहानियां बनाते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके उकसावे में आकर जवाब दूं। हां- उन्हें ऐसी उम्मीद है। स्वामी ने यह भी कहा कि आज के आर्थिक एवं वित्तीय समाचारपत्रों ने इन समाचारों की पुष्टि की कि बैंकिंग संकट के बारे में उनकी जो भविष्यवाणी है, वह आसन्न है।


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समलैंगिकता का मुद्दा अब प्रधान न्यायाधीश के पास

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका को उचित फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश के पीठ के हवाले कर दिया है। न्यायमूर्ति एसए बोब्डे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण के पीठ ने कहा कि यह मामला उपयुक्त फैसले के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पीठ के हवाले किया जाए। यह याचिका समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय से ताल्लुक रखने का दावा करने वाले कुछ मशहूर लोगों ने दायर की है।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि याचिका पर अदालत में विचाराधीन उपचारात्मक याचिका के साथ विचार किया जाए। पीठ ने तब कहा कि इसे प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर के अध्यक्षता वाले पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि मामले को उचित आदेश के लिए प्रधान न्यायाधीश के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय का हिस्सा होने का दावा करने वाली कुछ मशहूर हस्तियों- शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमन नाथ और डांसर एनएस जोहर सहित कई हस्तियों ने आइपीसी की धारा 377 रद्द करने की गुहार लगाई है। इन लोगों ने इस आधार पर अपने यौन अधिकारों की रक्षा की मांग की है कि यह जीवन जीने के मूल अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। इन हस्तियों ने अपनी अर्जी में कहा है कि दंडात्मक प्रावधान से उनका जीवन कठोरता से सीमित कर दिया गया है और उनके अधिकारों में दखलंदाजी हो रही है।


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प्रतिभा शुक्ल की रिपोर्ट : गर्मी की छुट्टी और दर्द से मुक्ति का लंबा इंतजार

अखिल भारतीय अयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक ओर मरीज बेतहाशा भटक रहे हैं, दूसरी ओर कई डॉक्टर लंबी छुट्टी पर हैं। मरीजों को छुट्टी में लंबे इलाज के लिए आने में सहूलियत होती है तो डाक्टरों को भी काम के दबाव से निजात व अपने छोटे-मोटे काम निपटाने के लिए लंबी छुट्टी चाहिए। कुल मिला कर काम होने में दिक्कत तो हो रही है, लेकिन इसका समाधान नहीं हो रहा। कुछ डॉक्टर जरूर छुट्टी पर होने के बावजूद मरीजों का छोटा-मोटा काम कर रहे हैं तो कुछ मरीजों के कारण लंबे समय से छुट्टी पर नहीं गए। लेकिन यह व्यवस्था कुछ ही डॉक्टर स्वैच्छिक स्तर पर दे पा रहे हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ईएनटी विभाग में आर्इं मरीज हमीदा (बदला नाम) की बेटी डॉक्टर के कमरे में पहुंची तो उसे आॅपरेशन के लिए भर्ती की परची की बजाए एक महीने बाद की तारीख पकड़ा दी गई। वह भाग कर मां क ो लाई, मां को डॉक्टरी जांच की कुर्सी पर बिठाकर डॉक्टर से इस बात की मिन्नतें करने लगी कि उनकी हालत देखें, बीमारी उन्हें और इंतजार की इजाजत नहीं दे रही। डाक्टर गले के कैंसर से पीड़ित इस मरीज की हालत पर पसीजे जरूर लेकिन कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं कह कर परचा लौटा दिया। यह देख कर बेबस बेटी किसी भी तरह से अगले कुछ दिनों में आॅपरेशन की जिद करने लगी। इस पर डॉक्टर ने अपनी मजबूरी थोड़े और विस्तार से बताई। कहा, छुट्टियां चल रही हैं। बड़े डॉक्टर साहब छुट्टी पर हैं।

आॅपरेशन थिएटर भी आॅपरेशन के लिए कम मिलते हैं। इस समय भी आधे ओटी ही काम कर रहे हैं। इसमें किसी भी सूरत में रास्ता निकालना संभव नहीं है। जाओ अगले महीने आना। इस पर भी तीमारदार क ो ढाढस नहीं। वह रो कर किसी भी तरह अपनी मां को बचाने की मिन्नतें करने लगी। फिर डॉक्टर ने कहा कि आना चाहो तो अगले महीने की सात तारीख को आकर देख लेना। अगर कोई मरीज नहीं आया तो शायद उसकी जगह तुम्हारे मरीज को लेंगे।

इस बीच नेफ्रोसर्जरी विभाग में दिखाने के लिए भटक रही मरीज स्नेहलता (बदला नाम) ने बताया कि वे कई महीने से बार-बार आकर जांच करा रही हैं। पिछले दो-तीन बार से तो यह हो रहा है कि कहीं ये डॉक्टर छुट्टी पर हैं तो कभी वे डॉक्टर नहीं हैं। इसलिए दो बार से मेरे कार्ड को कभी इस कमरे तो कभी दूसरे कमरे में भेज दिया जाता है। हम यहीं भटक रहे हैं। सर्जरी कब तक हो पाएगी यह भी मालूम नहीं हो पा रहा। इसी तरह मेडिसिन विभाग में भी मरीजों का तांता लगा है।

हालांकि एम्स प्रशासन ने तमाम विभागाध्यक्षों को जारी सर्कुलर में कहा है कि छुट्टियों का आबंटन इस हिसाब से किया जाए कि 50 फीसद संकाय सदस्य काम पर मौजूद रहें ताकि मरीजों को मुश्किल न हो, न ही एम्स का कामकाज प्रभावित हो। एम्स प्रवक्ता का कहना है कि जो डॉक्टरछुट्टी पर हंै उनकी जगह दूसरे जो डॉक्टर काम करते हैं वे दुगुनी मेहनत करते हैं। वे दूसरे डॉक्टरों के मरीजों को भी देखते हैं। कार्ड उतने ही बनते हैं जितने सामान्य दिनों में बनते हैं। थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होता है।

एम्स संकाय सदस्यों व प्रशासन की मानें तो ये छुट्टियां अनिवार्य हैं क्योंकि इसी बीच तमाम विभागों की देखभाल का काम, आॅपरेशन थिएटर वगैरह की मरम्मत व फ्यूमीगेशन (कीटाणुमुक्त करने का काम) वगैरह का काम किया जाता है। इस वक्त भी मुख्यल अस्पताल में कुल 12 आॅपरेशन थिएटर में से छह की मरम्मत व नवीनीकरण का काम चल रहा है। इसके अलावा अन्य तमाम विभागों में भी टूटफूट ठीक किया जा रहा है।


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सड़क दुर्घटनाओं पर अमलेश राजू का रिपोर्ट : सड़क पर मौतों का कैसे रुकेगा सिलसिला!

भारत की सड़कों पर तेज रफ्तार और नशे की हालत में ड्राइविंग से हरेक दिन निर्दोष लोग काल के मुंह में समा रहे हैं। इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के ‘स्पीड गर्वनर’ लगाने के आदेशों पर अमल न हो पाना मुख्य कारण है। सड़क दुर्घटनाओं पर हालिया सर्वे से यह भी पता चला है कि राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं में 40 से 50 फीसद मौतें व्यावसायिक वाहनों के तेज रफ्तार से चलने से होती हैं। भारत की 20 करोड़ की आबादी पर एक करोड़ 80 लाख लोगों की मौत व्यावसायिक वाहनों की चपेट में आने से हो रही है। केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ और आमिर खान के ‘सत्यमेव जयते’ कार्यक्रम ने सड़क परिवहन मंत्रालय को इस तरह की असमय मौतों पर सोचने को विवश तो किया पर जब तक आदेशों पर ठोस कार्रवाई, प्रवर्तन की सख्ती और स्पीड गर्वनर पर राज्य सरकारें पूरी तरह खड़ी नहीं होगीं ऐसे ही असमय लोगों की मौत होती रहेगी। मेट्रो शहरों में चेन्नई के बाद दिल्ली दूसरे नंबर पर सड़क दुर्घटनाओं में है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 2013 में जहां 4 लाख 86 हजार चार सौ 76 दुर्घटनाएं हुर्इं वहीं यह आंकड़ा 2015 में पांच लाख तीन हजार तक पहुंच गया। इन हादसों में मरने वालों की संख्या जहां 2013 में एक लाख 37 हजार पांच सौ 72 थी वहीं 2015 में यह एक लाख 46 हजार छह सौ 12 लोगों की मौत हो गई। इन हादसों में 2013 में जहां चार लाख 94 हजार आठ सौ 93 लोग घायल हुए वहीं 2015 में घायलों की संख्या पांच लाख 13 हजार नौ सौ 60 तक पहुंच गई। 2013 से 2015 के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर हर सौ दुर्घटनाओं में करीब 29.6 फीसद लोगों की मौत हो जा रही है। इनमें पंजाब पहले, नगालैंड दूसरे और हरियाणा तीसरे नंबर पर है। जबकि यही फीसद मेट्रो शहरों में चेन्नई प्रथम और दिल्ली दूसरे पर है। राज्यों में तमिलनाडु प्रथम, महाराष्ट्र दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है।

यूरोप में सड़कें पतली हो गई हैं। दक्षिण कोरिया में सारे फ्लाईओवर गिरा दिए गए हैं और पश्चिमी देशों में हरेक गाड़ियों में स्पीड गर्वनर लगाना अनिवार्य हो गया है। भारत में केंद्र सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और राज्य सरकारों की इच्छा इस दिशा में उतनी बलवती नहीं दिखती जिससे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ रही है।

सड़क, परिवहन और हाईवे मंत्रालय के नेशनल रोड सेफ्टी काउंसिल के सदस्य और देश विदेश के कई संस्थानों से जुड़े सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉक्टर कमल सोइ ने बताया कि सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं सुबह छह से नौ बजे और शाम छह से रात नौ बजे के बीच दिखी है। इस समय लोग जल्दबाजी में जाने और लौटने में होते हैं। दुर्घटनाओं की संख्या अलग-अलग समय में अलग-अलग सड़कें, राजमार्ग और हैं। सोइ का मानना है कि स्पीड गवर्नर के बिना व्यावसायिक वाहन पर लगाम लगाना मुश्किल है। वे गाड़ी ड्राइवर मालिक से वेतन के अलावा पारितोषिक के नाम पर भी तेज गति से गाड़ी चलाते हैं ताकि गाड़ियों पर लदा सामान समय से पहले पहुंच जाए और खराब होने से बच जाए। चालक ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते पर सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों को मारते हैं।

भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय से संयुक्त सचिव एसके दास ने 2009 में एक निर्देश जारी कर सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए सभी राज्यों के परिवहन विभागों को गाड़ी की स्पीड कम करने के लिए स्पीड कंट्रोल डिवाइस लगाने कहा। यह डिवाइस व्यावसायिक वाहनों में स्कूल बसों, सामान लाने ले जाने वाली गाड़ियों, टैक्सी और कैब शामिल हैं। लेकिन मेरा मानना है कि स्पीड गर्वनर लगाने से पहले परिवहन मंत्रालय उस कंपनी की वित्तीय क्षमता, सर्विस गारंटी की जांच करे। अगर उस कंपनी के स्पीड गवर्नर 15 साल काम करे तो सरकार उसे वैध करे अन्यथा उस कंपनी को ठेका जारी नहीं करे।

जिन राज्यों में स्पीड गर्वनर लगना अनिवार्य किया है उनमें ओड़ीशा, झारखंड और तेलंगाना में 20 से 25 फीसद कम हो गया है। जबकि दिल्ली में औसतन स्पीड 45 से 50 फीसद प्रतिघंटे की है। यहां दुपहिया, तिपहिया और कार से ज्यादा मौतें होती हैं वनिस्पत व्यावसायिक वाहनों के। सोइ का मानना है कि सिंगापुर की तरह सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने और जैसे ही शहरों में 60 से ज्यादा स्पीड होने पर आटोमेटिक यंत्र के मार्फत भारी भरकम राशि चालान के रूप में जाने की प्रथा शुरू हो जाए तो भारत में भी सड़क दुर्घटनाएं खुद ब खुद कम हो जाएगी।


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‘जांच एजंसियां ड्रग्स मामलों में नहीं करती हैं जांच प्रोटोकॉल का पालन’

दिल्ली की एक अदालत ने 10 किलोग्राम हेरोइन के एक मामले में एक अफ्रीकी नागरिक को फंसाने को लेकर राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) की खिंचाई करते हुए कहा है कि जांच एजंसियां मादक पदार्थ संबंधी अपराधों की गंभीरता से वाकिफ होने के बावजूद जांच प्रोटोकॉल का पालन नहीं करती हैं। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने अफ्रीकी नागरिक सैमसन ओंगेरा ओमोरो को 10 किलोग्राम हेरोइन रखने के आरोप से बरी करते हुए कहा कि डीआरआइ के खुफिया अधिकारी आर राय ने जानबूझकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की।

जज ने कहा कि यह अदालत इस तथ्य से वाकिफ है कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांसेज एक्ट के तहत अपराध बड़े गंभीर समझे जाते हैं क्योंकि ऐसे मामलों में गुनाह साबित होने पर कड़ी सजा मिलती है। लेकिन यह अदालत हमेशा ही तब असहज महसूस करता है जब अभियोजन मामले को साबित करने के लिए जरूरी सबूत बिल्कुल सटीक नहीं होता।

अदालत ने कहा कि एनडीपीएस कानून के तहत आने वाले अपराधों की गंभीरता को पूरी तरह जानते हुए भी जांच एजंसियां जांच के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करती हैं। पारदर्शी जांच समय की मांग है जो कर्मठतापूर्वक और वैज्ञानिक तरीके से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी जांच के अभाव में संदेह का लाभ हमेशा आरोपी को मिलता है जैसा कि इस मामले में हुआ। अभियोजन के अनुसार डीआरआइ के खुफिया अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें 29 जुलाई, 2010 को सूचना मिली कि अफ्रीकी मूल का 40 साल के व्यक्ति बुराड़ी के समीप बस स्टैंड पर ड्रग्स लेकर खड़ा होगा।

डीआरआइ की टीम के छापे में आरोपी 10 किलोग्राम हेरोइन के साथ पकड़ा गया। जहकि आरोपी ने कहा था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है।


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दिल्ली पुलिस के सिपाही की बीवी का ब्लैकमेल करने के बाद बलात्कार

दिल्ली पुलिस के सिपाही की पत्नी को ब्लैकमेल कर बलात्कार करने का मामला थाना सेक्टर-39 पुलिस ने दर्ज किया है। महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप परम डेयरी के मालिक राजीव अग्रवाल पर लगाया है। आरोप है कि अप्रैल में आरोपी ने ग्रेटर नोएडा में फ्लैट दिखाने के बहाने बलात्कार किया था। उस एमएमएस को सार्वजनिक करने की धमकी देकर महिला का यौन उत्पीड़न कर रहा था।

मंगलवार को भी आरोपी ने महिला को नोएडा बुलाया था। कार में बैठने पर महिला ने आरोपी ने एमएमएस डिलीट कर पीछा छोड़ने की गुहार की थी। इसे लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। जिससे बाद आरोपी ने बॉटैनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन के पास चलती कार से धक्का दे दिया। पैर पर कार चढ़ाकर आरोपी फरार हुआ। घायल अवस्था में महिला सेक्टर-34 के निजी अस्पताल पहुंची। वहां से फोन पर दिल्ली पुलिस में अपने पति को घटना की जानकारी दी। पति ने नोएडा पहुंचकर इलाज कराया और पुलिस से मामले की शिकायत की। थाना सेक्टर- 20 और 39 में सीमा विवाद के बाद आखिरकार थाना सेक्टर-39 पुलिस ने मामला दर्ज किया।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के मालवीय नगर में रहने वाली महिला ने करीब 8 साल पहले दिल्ली पुलिस के सिपाही से प्रेम विवाह किया था। उनकी 3 साल की एक बेटी है। करीब 6 महीने पहले दोनों के बीच मनमुटाव होने पर पति- पत्नी अलग-अलग रहने लगे। महिला की दिल्ली के करोल बाग स्थित परम डेयरी के मालिक राजीव अग्रवाल की निजी सहायक के रूप में नौकरी लग गई थी। अप्रैल में राजीव अग्रवाल पीड़ित महिला के साथ ग्रेटर नोएडा के एनआरआई सिटी आया था। महिला का आरोप है कि 9वीं मंजिल पर बने फ्लैट में ले जाकर राजीव अग्रवाल ने उसके साथ बलात्कार किया। घटना का एमएमएस बनाकर लगातार बलात्कार और यौन उत्पीड़न कर रहा था। राजीव ने ही फोन कर मंगलवार को उसे बुलाया था।


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मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक, सरकार ने कहा- जीएसटी पास करने के लिए है पर्याप्त समर्थन

सरकार ने बुधवार को कहा कि संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पास कराने के लिए उसके पास पर्याप्त समर्थन है। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो-तीन दिन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे।

नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पास कराना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है। लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी हमें इसे मानसून सत्र में ही पास कराना है।

नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार कांग्रेस को राजी करने का प्रयास करेगी जो कुछ शर्तों को लेकर इस विधेयक का विरोध करती रही है, नायडू ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली कांग्रेस सहित सभी दलों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री के इंटरव्यू का भी हवाला दिया जिसमें मोदी ने जीएसटी को पास कराने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा है।

नायडू ने कहा कि जीएसटी के अलावा सरकार मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर अध्यादेश की जगह लेने वाले तीन विधेयकों और साथ ही शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन के विधेयक को पास कराने पर जोर देगी। उन्होंने कहा कि 56 विधेयक लंबित हैं जिसमें से 11 लोकसभा में और 45 राज्यसभा में लंबित हैं। उन्होंने मंत्रालयों से कम से कम 25 नए विधेयक लाने को भी कहा। इन मंत्रालयों को नए विधेयक लाने के लिए तीन जुलाई तक नोटिस देना होगा।

लोकसभा में लंबित महत्त्वपूर्ण विधेयकों में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015 और बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2015 शामिल हैं। संसद के पिछले कुछ सत्र अवरोधों से भरे रहे। हालांकि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में अपेक्षाकृत कुछ सुधार दर्ज किया गया।


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अनिल बंसल की रिपोर्ट : यूपी में अब बिछेगी आरक्षण की सियासी बिसात

बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी विरोधी दल भाजपा को आरक्षण के मुद्दे पर घेरने की रणनीति बना रहे हैं। एक तरफ भाजपा के नेता सपा को कमजोर करने के लिए पिछड़ों और दलितों के आरक्षण को विभिन्न श्रेणियों में बांटने की बात कह कर अति पिछड़ी और अति दलित जातियों में अपनी पैठ बढ़ाने की जुगत भिड़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ सपा और बसपा के नेता पलटवार कर भाजपा को इस मुद्दे पर बिहार की तरह बैक फुट पर धकेलने के चक्कर में हैं। इस बीच आरक्षण के सवाल पर 30 जून को सुप्रीम कोर्ट में कुछ याचिकाओं पर सुनवाई की संभावना के मद्देनजर मुद्दा और गरमा गया है।

भाजपा की मुश्किल जाट भी बढ़ा रहे हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार ने सूबे के जाटों के लिए आरक्षण का जो प्रावधान पिछले दिनों किया, उस पर फिलहाल चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे जाट आरक्षण का आंदोलन फिर तूल पकड़ रहा है। भाजपा के जाट नेताओं को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा दिया था कि उनकी सरकार देशभर के जाटों को पिछड़े तबके के आरक्षण का लाभ देने के लिए कोई रास्ता निकालेगी। सुप्रीम कोर्ट से जाटों के लिए मनमोहन सरकार द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिए जाने के बाद ये नेता प्रधानमंत्री से मिले थे। उन्हें याद दिलाया था कि चुनाव में उनकी बंपर जीत के पीछे जाटों का समर्थन भी बड़ी वजह था।

जहां तक पिछड़ों और दलितों के आरक्षण को दो-दो श्रेणियों पिछड़े व अति पिछड़े और दलित व अति दलित में बांटने के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का सवाल है, भाजपा ऐसा मुलायम और मायावती को कमजोर बनाने की गरज से करने की हामी रही है। उसे लगता है कि पिछड़े तबके के 27 फीसद आरक्षण कोटे का असली फायदा यादव उठा रहे हैं जिनकी आबादी यूपी में करीब 10 फीसद है। इसी तरह दलितों के आरक्षण कोटे का फायदा मुख्य रूप से जाटव जाति के लोग उठा रहे हैं। वाल्मीकि, मेहतर, डोम व खटीक आदि जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण कोटे का लाभ नहीं मिल पाता है। राजनाथ सिंह ने 2001 में हुकुम सिंह के नेतृत्व में सामाजिक न्याय समिति बनाकर दलितों और पिछड़ों के आरक्षण को बांट दिया था।

राजनाथ सिंह की अति दलितों और अति पिछड़ों के हित में की गई इस कवायद को उन्हीं की सरकार के एक मंत्री अशोक यादव ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। नतीजतन राजनाथ सिंह ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो इस फैसले पर रोक लगाई और फिर सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकारी अधिसूचना को रद्द कर दिया। अशोक यादव अपनी इस जीत के बाद पिछड़ों के नायक बन गए। नतीजतन 2007 के विधानसभा चुनाव में वे शिकोहाबाद से निर्दलीय जीत गए। इस बार फिर वे आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा विरोधी दलों को लामबंद करने में जुट गए हैं।

अशोक यादव आजकल मायावती की भाषा बोल रहे हैं। मायावती ने सपा और भाजपा की साठगांठ का आरोप लगाया है। यादव का कहना है कि आरक्षण से छेड़छाड़ की भाजपाई कोशिश का मुलायम ने कभी विरोध नहीं किया। मायावती खुलेआम ऐसी कोशिश के लिए न केवल भाजपा का मुखर विरोध कर रही हैं बल्कि आरएसएस पर आरक्षण खत्म करने की मंशा रखने का भी आरोप लगा रही हैं। अशोक यादव ने नीतीश कुमार और लालू यादव को भी यूपी में आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं होने देने की अपनी लड़ाई में साथ आने का न्योता दिया है। उनका कहना है कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग मौजूद है। पर राजनीतिक फायदे के लिए कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा आनन-फानन में समितियां बना कर पिछड़ों के आरक्षण के साथ छेड़छाड़ की अवैधानिक कोशिश करती रही हैं। इसी वजह से अदालत में उन्हें फटकार भी खानी पड़ी है। यादव ने भाजपा को चुनौती दी है कि अगर वह पिछड़ों के आरक्षण से छेड़छाड़ की बात भी करेगी तो यूपी में भी पिछड़े उसे बिहार की तरह सबक सिखा देंगे।


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कश्मीर पर जवाहर लाल नेहरू ने की ‘ऐतिहासिक भूल’: अमित शाह

भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने जवाहर लाल नेहरू पर कश्मीर के मुद्दे पर ‘ऐतिहासिक भूल’ करने का आरोप लगाया और देश के विभाजन के लिए तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना की। शाह ने वर्ष 1948 में उस संघर्ष विराम की घोषणा का हवाला दिया, जब पाकिस्तान के कबाइली हमलावरों को कश्मीर से खदेड़ा जा रहा था। यदि यह फैसला न किया गया होता तो जम्मू-कश्मीर की समस्या आज होती ही नहीं। नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय में आयोजित एक समारोह के दौरान शाह ने कहा कि अचानक ही, बिना किसी कारण के और वह कारण आज तक ज्ञात नहीं है, संघर्षविराम की घोषणा कर दी गई। देश के किसी भी नेता ने ऐसी ऐतिहासिक भूल नहीं की होगी। यदि जवाहरलाल जी ने उस समय संघर्षविराम की घोषणा न की होती तो कश्मीर का मुद्दा आज होता ही नहीं।

शाह ने दावा किया कि यह फैसला नेहरू की ‘छवि’’ सुधारने के लिए किया गया था। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि इस फैसले की वजह से आज कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के पास है। समारोह का आयोजन भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की याद में किया गया था। यहां त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने एक व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में रॉय ने वर्ष 1953 में कश्मीर में मुखर्जी की मौत से जुड़ी परिस्थितियों पर सवाल उठाए। तब मुखर्जी एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए वहां गए थे। उन्होंने घटनाओं से निपटने के नेहरू के तौर तरीकों और मुखर्जी की मौत के कारणों की जांच न करने के नेहरू के फैसले पर सवाल उठाए। शाह ने कहा कि एक ‘बड़ा तबका’ मानता है कि मुखर्जी की मौत दरअसल ‘हत्या’ थी और यदि इसकी जांच की गई होती तो सच सामने आ सकता था। जन संघ के संस्थापक की भूमिका की सराहना करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने बंगाल में हिंदुओं से जुड़ी चिंताएं उठाने में एक अहम भूमिका निभाई थी और यदि कोलकाता भारत का हिस्सा है तो इसका श्रेय एक व्यक्ति को जाता है और वह व्यक्ति हैं श्यामा प्रसाद मुखर्जी।

शाह ने दावा किया कि यदि आजादी के समय कांग्रेस नेतृत्व ने जल्दबाजी न की होती तो भारत का विभाजन रोका जा सकता था। शाह ने कहा कि आजादी के समय पूरा कांग्रेस नेतृत्व आजाद होने के लिए बेचैन था। वे सब बूढ़े हो रहे थे। इसमें देरी से भी उन्हें चिंता हो रही थी। लेकिन उस समय एक युवा नेता ने सोचा कि गलती नहीं होनी चाहिए और बंगाल को बचा लिया गया था। मुखर्जी की मृत्यु से जुड़ी परिस्थितियों पर सवाल खड़ा करते हुए शाह ने कहा कि उन्हें बताया गया कि उन्हें बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश की इजाजत मिली लेकिन वहां कश्मीर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि मुखर्जी को श्रीनगर के समीप बिना उपयुक्त सुविधा वाले एक गोपनीय मकान में रखा गया। उन्हें उपयुक्त मेडिकल सुविधा नहीं प्रदान की गई, उन्हें हृदय की परेशानी थी जबकि उन्हें स्त्रीरोग संबंधी वार्ड में भर्ती कराया गया।

शाह ने कहा कि इतिहास ने जिस तरह के देशभक्त और प्रख्यात शिक्षाविद मुखर्जी थे, उनके साथ न्याय नहीं हुआ। यदि देश का इतिहास निष्पक्ष ढंग से लिखा जाए तो मुखर्जी को महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाएगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले ब्रिटिशों ने और बाद में वामपंथियों ने देश का इतिहास तोड़-मरोड़कर पेश किया। इतिहास को विचारधारा के चश्मे से देखा गया। यह मुखर्जी की वजह से ही हुआ कि आज कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट की जरूरत नहीं होती है और जम्मू-कश्मीर के लिए अलग से प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति की पदवियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

इससे पहले मुखर्जी के जीवनी लेखक ने आजादी से पहले पश्चिम बंगाल में समान सरकार चलाने में उनके योगदान का तथा कश्मीर में प्रवेश के लिए विशेष परमिट को लेकर उनके विरोध का जिक्र किया। तथागत राय ने कहा कि जब नेहरू जम्मू-कश्मीर गए तब उन्होंने मुखर्जी से भेंट करने की जरूरत नहीं समझी जो वहां जेल में हिरासत में थे। मुखर्जी की मां के अनुरोध के बाद भी नेहरू ने उनकी मौत की जांच कराने के पक्ष में फैसला नहीं किया जो निंदनीय है।


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सरकार ने दी नए मॉडल कानून को मंजूरी, अब चौबीसों घंटे खुल सकेंगे अब दुकानें और मॉल

सरकार ने दुकानों, शापिंग मॉल और सिनेमा हाल सहित दूसरे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुला रखने की इजाजत देने वाले एक मॉडल कानून को बुधवार को मंजूरी दे दी। इस कदम का मकसद रोजगार सृजन और खपत आधारित वृद्धि को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही इस कानून में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ महिलाओं को रात की पाली में काम पर लगाने की इजाजत दी गई है। साथ ही पीने के पानी, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा व बच्चों के लिए क्रेच जैसी सुविधाओं के साथ कार्य स्थल का अच्छा वातावरण रखने का प्रावधन किया गया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस विधेयक का असल मकसद रोजगार को मौके बढ़ाना है। जैसे कि मॉल का मामला है जो सातों दिन खुले रहते हैं और जहां तय कामकाजी घंटे नहीं हैं। उन सभी दुकानों को समय व दिन चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 या इससे ज्यादा है। इससे पहले कैबिनेट की बैठक में ‘द मॉडल शाप्स एंड इस्टेबलिशमेंट (रेग्यूलेशन आॅफ इंप्लायमेंट एंड कंडीशन आॅफ सर्विसेज) बिल 2016’ को को मंजूरी दी गई। इस कानून के दायरे में वे सभी प्रतिष्ठान आएंगे जिनमें 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं। लेकिन यह कानून विनिर्माण इकाइयों पर लागू नहीं होगा। यह कानून इन प्रतिष्ठानों को खुलने व बंद करने का समय अपनी सुविधा के अनुसार तय करने और साल के 365 दिन परिचालन की इजाजत देता है। इस माडल कानून के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि यह राज्य के विषय पर एक मॉडल विधेयक है, इसलिए इसेराज्यों को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में अनिवार्य अवकाश का उल्लेख है और इसमें महिलाओं को रात की पाली में काम करने की अनुमति का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस कानून में परिवहन व अन्य सुविधाओं के लिए प्रावधान है। जेटली ने कहा- दुकानों व प्रतिष्ठानों के पास ज्यादा समय तक खुले रहने की आजादी होगी और इसके लिए ज्यादा श्रम बल की जरूरत पड़ेगी। यह आइटी व जैव प्रौद्योगिकी जैसे उच्च दक्ष कर्मचारियों के लिए दैनिक कामकाजी घंटों (नौ घंटे) और साप्ताहिक कामकाजी घंटों (48 घंटे) में भी छूट देता है। इस कानून को विधायी प्रावधानों में समानता लाने के लिए तैयार किया गया है जिससे सभी राज्यों के लिए इसे लागू करना आसान होगा और देश भर में समान कामकाजी माहौल सुनिश्चित होगा।


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DU एडमिशन: खत्‍म हुआ इंतजार, पहली कटऑफ लिस्ट जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ का इंजतार कर रहे छात्रों और अभिभावकों का इंतजार खत्म हो गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कटऑफ जारी हो गई है।
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सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से खुश नहीं रक्षा बल

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को केंद्र सरकार की मंजूरी के संबंध में नाखुश प्रतीत हो रहे रक्षा बलों का कहना है कि इसमें उजागर हुई विसंगतियों पर ध्यान नहीं दिया गया है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने माना था कि रक्षा बलों की ओर से उन्होंने जिन सिफारिशों पर जोर दिया था उनमें से कुछ ‘स्वीकार्य’ नही हैं। रक्षा सूत्रों ने कहा कि हम अभी भी सूक्ष्म ब्यौरों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इसे देखने पर अब तक नहीं लगता कि सब कुछ ठीक है।

उन्होंने कहा कि सच यह है कि सरकार ने आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन में आने वाली कुछ विसंगतियों पर विचार के लिए एक समिति गठित की थी। यह इस बात का संकेत है कि उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि एकमात्र अच्छी बात यह है कि पिछली सभी सरकारों ने जहां एक समिति बनाई थी वहीं इस सरकार ने विसंगतियों, भत्तों और अन्य मुद्दों पर गौर करने के लिए एक से अधिक समितियां बनाईं।

उन्होंने कहा कि समान वेतन की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया और भत्तों को असैन्य कर्मियों के भत्तों के समकक्ष नहीं किया गया।


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सार्वजिनक की गई फाइलें के मुताबिक नेताजी को पूर्वी भारतीयों ने दिया था काफी मात्रा में सोना

सुदूर पूर्व में भारतीयों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपने युद्ध प्रयासों के तहत काफी मात्रा में स्वर्ण दिया था। नेताजी से संबंधित आज सार्वजनिक की गई 25 फाइलों से यह जानकारी सामने आयी है। आजाद हिंद फौज (आईएनए) पर विदेश मंत्रालय के 1951 के नोट में कहा गया है कि नेताजी इस खजाने में से कुछ खजाना सईगान से तोक्यो की अपनी उस दुर्भाग्यपूर्ण उड़ान में साथ ले जा रहे थे जबकि बाकी खजाना सईगान में रह गया।

सईगान दक्षिणी वियतनाम का एक शहर है जिसे वियतनाम युद्ध में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। दस्तावेज में लिखा है, ‘‘सुदूर पूर्व में भारतीयों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपने युद्ध प्रयासों के तहत काफी मात्रा में स्वर्ण दिया था।’’ इसमें कहा गया है कि लकड़ी के दो बक्सों में सात किलोग्राम 900 ग्राम तुलनात्मक रूप से शुद्ध सोना :वजन सोना और लकड़ी के बक्से सहित: उस दुर्घटनाग्रस्त विमान से मिला था जिसमें माना जाता है नेताजी यात्रा कर रहे थे।

इसमें कहा गया है कि साथ ही विमान से लौह धातु मिश्रित तीन किलोग्राम 100 ग्राम सोना भी विमान से मिला था। केंद्रीय सांस्कृतिक सचिव एन के सिन्हा ने आज नेताती सुभाष चंद्र बोस से संबंधित 25 फाइलों का पांचवां बैच जारी किया।


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BSES को देना होगा नो पावर कट का रोडमैप

नई दिल्ली

बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना को पावर कट दूर करने के लिए एक ठोस रोडमैप बनाना होगा। इसे अगले सप्ताह सोमवार-मंगलवार तक सरकार के पास जमा कराना होगा। बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना के चेयरमैन ललित जालान को यह आदेश दिल्ली के पावर मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने बुधवार को हुई मीटिंग में दिए।

मीटिंग का मुख्य अजेंडा कंपनी से अपनी सर्विस में सुधार लाना था। इसमें लोकल फॉल्ट को दूर करते हुए पावर कट जैसी समस्या को खत्म करना था। पावर कट की समस्या को देखते हुए ही पावर मिनिस्टर जैन ने 14 जून को रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को लेटर लिखा था। उसमें कहा गया था कि वह एक ठोस रोडमैप के साथ उनसे मिलें। उम्मीद जताई गई थी कि दोनों के बीच यह मीटिंग अगले सप्ताह तक हो सकेगी। लेकिन यह मीटिंग करीब दो सप्ताह बाद हो सकी।

सरकार से मीटिंग करने के लिए अनिल अंबानी नहीं आए। उनकी जगह दिल्ली में बीएसईएस की दोनों कंपनियों के चेयरमैन जालान ने मंत्री से बातचीत की। इसके बारे में पता लगा है कि सरकार ने जालान से कहा है कि वह यह व्यवस्था करके हमें बताएं कि पावर कट को कैसे खत्म किया जा सकता है।

बैठक में उनसे यह भी कहा गया कि बीएसईस की दोनों कंपनियों को ट्रांस्को, राजघाट और प्रगति आदि पावर प्लांट्स के करीब आठ हजार करोड़ रुपये देने हैं जो उसने नहीं दिए हैं। इसलिए वह यह भी सुनिश्चित करें कि यह पैसा भी जल्द से जल्द दे दिया जाए। इस बारे में कंपनी की ओर से आधिकारिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया गया है। कंपनी का कहना है कि मीटिंग के सिलसिले में वह कोई बात नहीं करेंगे।

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जबड़े की हड्डी बनाकर डॉक्टरों ने दिया नया चेहरा

Rahul.Anand@timesgroup.com

नई दिल्ली: 23 साल के एक युवक के जबड़े की एक तरफ की हड्डी नहीं बनने से बचपन में ही उनका मुंह टेढ़ा हो गया था। वह अपना मुंह खोल भी नहीं पा रहे थे। लेकिन डॉक्टरों ने एलिजारोव तकनीक से जबड़े की हड्डी को 12 एमएम बढ़ा कर फेस को नॉर्मल बनाया। बचपन में ही उनके जबड़े में चोट लगी थी, जिससे उनकी ठुड्डी तक नहीं बन पाई थी। मैक्सिलोफेशल सर्जरी की मदद से दिल्ली के डॉक्टरों ने उनके फेस पर नई हड्डी बनाकर पूरे फेस को सीधा कर दिया। डॉक्टर का कहना है कि आमतौर पर ऐसे लोग सही जगह नहीं पहुंच पाते हैं और पूरी जिंदगी इसी तरह बिताने को मजबूर रहते हैं। आज मॉडर्न तकनीक से इसका पूरा इलाज संभव है। अपोलो हॉस्पिटल के मैक्सिलोफेशल सर्जन डॉक्टर नीरज सिंह ने बताया कि युवक को बचपन में जबड़े में चोट लगी थी। लेकिन इलाज नहीं हो पाने की वजह से बीमारी बढ़ गई और उनके जबड़े की हड्डी बनने की प्रक्रिया बंद हो गई। लेकिन जिस तरफ चोट नहीं लगी थी, उस तरफ की हड्डी बढ़ती चली गई। इससे उनका चेहरा टेढ़ा हो गया। डॉक्टर ने कहा कि बाद में उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। वह ठीक से सो नहीं पा रहे थे। वह नींद में खर्राटे लेने लगे। डॉक्टर नीरज ने कहा कि फर्स्ट स्टेज में सर्जरी करके उनका मुंह खोला गया, ताकि वह ठीक से सांस ले सकें और सही से खाना खा सकें। इसके बाद मुंह में एलिजारोव मशीन सेट किया गया। मशीन को जबड़े की हड्डी में इस तरह से लगाया गया कि उसका हैंडल मुंह से बाहर आ जाए। डॉक्टर का कहना है कि हैंडल बाहर होने से मशीन को एक्टिवेट करना आसान होता है। मशीन को तीन महीने तक मुंह के अंदर रखा गया। इन तीन महीनों में जबड़े की हड्डी 12 एमएम तक बढ़ गई। इसके बाद सर्जरी कर मशीन को बाहर निकाला गया। डॉक्टर ने कहा कि जबड़े की हड्डी बन जाने के बाद दूसरी सर्जरी कर उनकी ठुट्डी बनाई गई। इसके बाद दांतों का इलाज कर जबड़े को प्रॉपर शेप दिया गया। पूरे प्रोसीजर में दो साल लगे। पैर की हड्डी बनाने के लिए भी काफी डॉक्टर एलिजारोव तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जबड़े की हड्डी बढ़ाने में इसका इस्तेमाल देश में बहुत कम हो रहा है। डॉक्टर ने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि लोगों को यह पता नहीं है कि मैक्सिलोफेशल एक्सपर्ट इस प्रकार की सर्जरी करते हैं। डॉक्टर का कहना है कि लोगों में अवेयरनेस लाने की जरूरत है कि इस तरह की सर्जरी संभव है। जानकारी के अभाव में लोग इलाज से वंचित रह जाते हैं।

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कांग्रेस ने वेतन वृद्धि को बताया नाकाफी, कहा- रक्षा कर्मियों के लिए ‘जुमला’

कांग्रेस ने आज कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारी ‘नाकाफी’ वेतन वृद्धि को लेकर निराश हैं और देश के रक्षा कर्मियों के लिए यह केवल एक ‘जुमला’ है जो खुद को ‘ठगा और उपेक्षित’ महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार के 98 लाख कर्मचारी मोदी सरकार द्वारा की गई वेतन एवं भत्तों में नाकाफी वृद्धि से निराश महसूस कर रहे हैं। यह ऐसे समय पर किया गया है जब महंगाई चरम पर है और दामों में हर तरफ से वृद्धि हो रही है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे रक्षा बलों के लिए वन रैंक वन पेंशन का तथा अन्य मुद्दों के हल का वादा किया था। अब सशस्त्र बलों के कर्मियों को अहसास हुआ है कि यह पूरी कवायद केवल एक ‘जुमला’ थी। सुरजेवाला ने कहा ‘‘मोदी सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में हमारे सैन्य बलों के साथ तुच्छ व्यवहार किया है। स्वाभाविक है कि हमारे रक्षा कर्मी खुद को ठगा एवं उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और उनमें भारी असंतोष है।’’

उन्होंने दावा किया कि यह वेतन वृद्धि पिछले सात दशकों में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि सरकार वेतन एवं भत्तों में मूल वेतन पर 23.5 फीसदी की दावा कर रही है जबकि यह वृद्धि केवल 15 फीसदी है। सुरजेवाला ने कहा कि छठें वेतन आयोग ने वेतन एवं भत्तों में 20 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की थी लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे 40 फीसदी कर दिया था। सातवें वेतन आयोग ने 14.29 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की और मोदी सरकार ने केवल 15 फीसदी की वृद्धि ही की।’’


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मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने की मोदी से मुलाकात

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मोदी और शाह के बीच हुई बातचीत की आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है और पार्टी सूत्रों ने इसे तवज्जो न देते हुए कहा कि ऐसी मुलाकात लगभग हर माह होती है जिसमें केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली, राजनाथ सिंह तथा सुषमा स्वराज भी शामिल होते हैं।

शीर्ष पार्टी नेताओं ने इस मुलाकात में राजनीतिक मामलों पर बात की। कुछ समय से पार्टी में फेरबदल के बारे में भी चर्चा चल रही है। अगले साल के शुरू में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। समझा जाता है कि फेरबदल में उत्तर प्रदेश को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। असम को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है क्योंकि वहां के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल पहले केंद्रीय मंत्री ही थे। सूत्रों के अनुसार, कुछ राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।


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