Wednesday, June 29, 2016

समलैंगिकता का मुद्दा अब प्रधान न्यायाधीश के पास

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका को उचित फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश के पीठ के हवाले कर दिया है। न्यायमूर्ति एसए बोब्डे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण के पीठ ने कहा कि यह मामला उपयुक्त फैसले के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पीठ के हवाले किया जाए। यह याचिका समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय से ताल्लुक रखने का दावा करने वाले कुछ मशहूर लोगों ने दायर की है।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि याचिका पर अदालत में विचाराधीन उपचारात्मक याचिका के साथ विचार किया जाए। पीठ ने तब कहा कि इसे प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर के अध्यक्षता वाले पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि मामले को उचित आदेश के लिए प्रधान न्यायाधीश के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय का हिस्सा होने का दावा करने वाली कुछ मशहूर हस्तियों- शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमन नाथ और डांसर एनएस जोहर सहित कई हस्तियों ने आइपीसी की धारा 377 रद्द करने की गुहार लगाई है। इन लोगों ने इस आधार पर अपने यौन अधिकारों की रक्षा की मांग की है कि यह जीवन जीने के मूल अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। इन हस्तियों ने अपनी अर्जी में कहा है कि दंडात्मक प्रावधान से उनका जीवन कठोरता से सीमित कर दिया गया है और उनके अधिकारों में दखलंदाजी हो रही है।


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