Wednesday, June 29, 2016

प्रतिभा शुक्ल की रिपोर्ट : गर्मी की छुट्टी और दर्द से मुक्ति का लंबा इंतजार

अखिल भारतीय अयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक ओर मरीज बेतहाशा भटक रहे हैं, दूसरी ओर कई डॉक्टर लंबी छुट्टी पर हैं। मरीजों को छुट्टी में लंबे इलाज के लिए आने में सहूलियत होती है तो डाक्टरों को भी काम के दबाव से निजात व अपने छोटे-मोटे काम निपटाने के लिए लंबी छुट्टी चाहिए। कुल मिला कर काम होने में दिक्कत तो हो रही है, लेकिन इसका समाधान नहीं हो रहा। कुछ डॉक्टर जरूर छुट्टी पर होने के बावजूद मरीजों का छोटा-मोटा काम कर रहे हैं तो कुछ मरीजों के कारण लंबे समय से छुट्टी पर नहीं गए। लेकिन यह व्यवस्था कुछ ही डॉक्टर स्वैच्छिक स्तर पर दे पा रहे हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ईएनटी विभाग में आर्इं मरीज हमीदा (बदला नाम) की बेटी डॉक्टर के कमरे में पहुंची तो उसे आॅपरेशन के लिए भर्ती की परची की बजाए एक महीने बाद की तारीख पकड़ा दी गई। वह भाग कर मां क ो लाई, मां को डॉक्टरी जांच की कुर्सी पर बिठाकर डॉक्टर से इस बात की मिन्नतें करने लगी कि उनकी हालत देखें, बीमारी उन्हें और इंतजार की इजाजत नहीं दे रही। डाक्टर गले के कैंसर से पीड़ित इस मरीज की हालत पर पसीजे जरूर लेकिन कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं कह कर परचा लौटा दिया। यह देख कर बेबस बेटी किसी भी तरह से अगले कुछ दिनों में आॅपरेशन की जिद करने लगी। इस पर डॉक्टर ने अपनी मजबूरी थोड़े और विस्तार से बताई। कहा, छुट्टियां चल रही हैं। बड़े डॉक्टर साहब छुट्टी पर हैं।

आॅपरेशन थिएटर भी आॅपरेशन के लिए कम मिलते हैं। इस समय भी आधे ओटी ही काम कर रहे हैं। इसमें किसी भी सूरत में रास्ता निकालना संभव नहीं है। जाओ अगले महीने आना। इस पर भी तीमारदार क ो ढाढस नहीं। वह रो कर किसी भी तरह अपनी मां को बचाने की मिन्नतें करने लगी। फिर डॉक्टर ने कहा कि आना चाहो तो अगले महीने की सात तारीख को आकर देख लेना। अगर कोई मरीज नहीं आया तो शायद उसकी जगह तुम्हारे मरीज को लेंगे।

इस बीच नेफ्रोसर्जरी विभाग में दिखाने के लिए भटक रही मरीज स्नेहलता (बदला नाम) ने बताया कि वे कई महीने से बार-बार आकर जांच करा रही हैं। पिछले दो-तीन बार से तो यह हो रहा है कि कहीं ये डॉक्टर छुट्टी पर हैं तो कभी वे डॉक्टर नहीं हैं। इसलिए दो बार से मेरे कार्ड को कभी इस कमरे तो कभी दूसरे कमरे में भेज दिया जाता है। हम यहीं भटक रहे हैं। सर्जरी कब तक हो पाएगी यह भी मालूम नहीं हो पा रहा। इसी तरह मेडिसिन विभाग में भी मरीजों का तांता लगा है।

हालांकि एम्स प्रशासन ने तमाम विभागाध्यक्षों को जारी सर्कुलर में कहा है कि छुट्टियों का आबंटन इस हिसाब से किया जाए कि 50 फीसद संकाय सदस्य काम पर मौजूद रहें ताकि मरीजों को मुश्किल न हो, न ही एम्स का कामकाज प्रभावित हो। एम्स प्रवक्ता का कहना है कि जो डॉक्टरछुट्टी पर हंै उनकी जगह दूसरे जो डॉक्टर काम करते हैं वे दुगुनी मेहनत करते हैं। वे दूसरे डॉक्टरों के मरीजों को भी देखते हैं। कार्ड उतने ही बनते हैं जितने सामान्य दिनों में बनते हैं। थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होता है।

एम्स संकाय सदस्यों व प्रशासन की मानें तो ये छुट्टियां अनिवार्य हैं क्योंकि इसी बीच तमाम विभागों की देखभाल का काम, आॅपरेशन थिएटर वगैरह की मरम्मत व फ्यूमीगेशन (कीटाणुमुक्त करने का काम) वगैरह का काम किया जाता है। इस वक्त भी मुख्यल अस्पताल में कुल 12 आॅपरेशन थिएटर में से छह की मरम्मत व नवीनीकरण का काम चल रहा है। इसके अलावा अन्य तमाम विभागों में भी टूटफूट ठीक किया जा रहा है।


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