Wednesday, June 29, 2016

मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक, सरकार ने कहा- जीएसटी पास करने के लिए है पर्याप्त समर्थन

सरकार ने बुधवार को कहा कि संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पास कराने के लिए उसके पास पर्याप्त समर्थन है। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो-तीन दिन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे।

नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पास कराना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है। लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी हमें इसे मानसून सत्र में ही पास कराना है।

नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार कांग्रेस को राजी करने का प्रयास करेगी जो कुछ शर्तों को लेकर इस विधेयक का विरोध करती रही है, नायडू ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली कांग्रेस सहित सभी दलों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री के इंटरव्यू का भी हवाला दिया जिसमें मोदी ने जीएसटी को पास कराने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा है।

नायडू ने कहा कि जीएसटी के अलावा सरकार मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर अध्यादेश की जगह लेने वाले तीन विधेयकों और साथ ही शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन के विधेयक को पास कराने पर जोर देगी। उन्होंने कहा कि 56 विधेयक लंबित हैं जिसमें से 11 लोकसभा में और 45 राज्यसभा में लंबित हैं। उन्होंने मंत्रालयों से कम से कम 25 नए विधेयक लाने को भी कहा। इन मंत्रालयों को नए विधेयक लाने के लिए तीन जुलाई तक नोटिस देना होगा।

लोकसभा में लंबित महत्त्वपूर्ण विधेयकों में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015 और बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2015 शामिल हैं। संसद के पिछले कुछ सत्र अवरोधों से भरे रहे। हालांकि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में अपेक्षाकृत कुछ सुधार दर्ज किया गया।


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