चलती रेलगाड़ी से टीटीई द्वारा एक लड़के को बाहर फेंक देने की घटना को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बेहद गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस मामले में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी कर छह हफ्ते के भीतर घटना का ब्योरा मांगा है। मीडिया की 26 जून की एक खबर का संज्ञान लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है। 15 साल का लड़का जब बिना टिकट कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था तो एक टीटीई ने उसे चलती गाड़ी से धक्का दे दिया। नतीजतन वह बुरी तरह जख्मी हो गया।
बालक पी कृष्णा इस गाड़ी में कटक पहुंचने के लिए विशाखापत्तनम से चढ़ा था। वह कटक जाकर अपने दादा से मिलना चाहता था। घटना भुवनेश्वर के पास मानचेश्वर स्टेशन के निकट हुई। आयोग ने इस घटना को अमानवीय कृत्य बताते हुए निंदनीय माना। आयोग की नजर में बेशक बिना टिकट यात्रा करना गैरकानूनी है। पर लोकसेवक होने के नाते टीटीई से अपेक्षा की जाती है कि वह उत्तरदायित्वपूर्ण और कानूनी तौर-तरीकों से पेश आए। चलती गाड़ी से किसी मुसाफिर को धक्का देने पर उसकी जान जा सकती है, इस तथ्य से टीटीई भलीभांति अवगत होगा।
हैरानी की बात यह है कि पीड़ित नाबालिग लड़के के पास टिकट खरीदने के लिए वाकई पैसे नहीं थे। जब वह टीटीई को अपना टिकट नहीं दिखा पाया तो टीटीई ने उससे घूस मांगी। नहीं देने पर उसकी जेबों की तलाशी ली। उसके जेब खाली मिली तो टीटीई बौखला गया। पहले लड़के को गालियां दी और फिर चलती गाड़ी से धक्का दे दिया।
घायल लड़के को स्थानीय लोगों ने बचाया और भुवनेश्वर के नंदन कानन थाने को सूचित किया। उसके बाद पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। लड़के के परिवारवालों ने राजकीय रेलवे पुलिस में टीटीई की शिकायत दर्ज कराई है।
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