कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करके 47 लाख सरकारी कर्मचारियोंं तथा 53 लाख पेंशनधारकों को निराश किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने गुरुवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले सात दशकों के केंद्रीय कर्मचारी आयोग के इतिहास में वर्तमान वेतन आयोग की सिफारिशें सबसे निराशाजनक रही हैं। कांग्रेस ने नैतिकता के आधार पर केंद्रीय कर्मचारी फेडरेशनों की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ 11 जुलाई से प्रस्तावित हड़ताल का समर्थन करने का निर्णय किया है। इस हड़ताल को भारतीय रेलवे, आर्डिनेंस फैक्टरी के सिविल कर्मचारी तथा पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभागों की कर्मचारी यूनियनों इत्यादि का समर्थन प्राप्त है।
माकन ने कहा कि भाजपा सरकार से सातवें वेतन आयोग की निम्न कर्मचारियों से संबंधित सिफारिशों में बढ़ोतरी करने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर कमेटी बनाई थी। उसने अपने राजनैतिक आकाओं की बात मानते हुए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके कारण निम्न तथा उच्च श्रेणी के कर्मचारियोंं के वेतनमान में काफी अंतर आ गया है, क्योंकि वतर्मान में निम्न तथा उच्च श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों जिसमें सैनिक बल तथा अर्द्धसैनिक बल भी आते हैं, उनके वेतन का अनुपात 1:12 है जो कि अब 1:13.8 हो जाएगा तथा फिटमेंट फैक्टर जो कि इस समय 2.57 निम्न श्रेणी के लिए बराबर नहीं है तथा उच्च श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह 2.62 से 2.81 के बीच में है। अर्थात उच्च श्रेणी के कर्मचारियोंं को ज्यादा अहमयित दी गई है। सरकार ने वेतन आयोग की यह सिफारिश भी मान ली है जिसमें कर्मचारियों के बेसिक पे में केवल तीन फीसद के हिसाब से बढ़ोतरी होगी जबकि पहले यह बढ़ोतरी तीन से चार फीसद की थी।
कांग्रेस पार्टी की अगुआई वाली यूपीए सरकार ने पांचवे व छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 20 फीसद से बढ़ा कर 40 फीसद दिया था जबकि वतर्मान सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करके सरकारी कर्मचारियों के वेतन में केवल 14.27 फीसद की बढ़ोतरी का निर्णय लिया। सातवें वेतन आयोग के कुछ मुख्य बिंदु जिसमें 2006 से पहले सेवानिवृत हुए कर्मचारियों की पेंशन को हाल ही में सेवानिवृत हुए कर्मचारियोंं की पेंशन के बराबर करने का प्रावधान था, उस सिफारिश को सरकार ने नहीं माना है। इसी प्रकार भत्तों को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है तथा उसको लंबित कर दिया गया है।
उनका आरोप था कि भाजपा सरकार ने हमेशा केंद्रीय कर्मचारियोंं के हितों के खिलाफ कार्य किया है। आजादी से लेकर अब तक सभी सातों वेतन आयोग का गठन कांग्रेस की अगुआई वाली सरकारों ने किया है। जब 2003 में एनडीए सरकार थी, तब एनडीए सरकार ने छठे वेतन आयोग को गठित करने से मना कर दिया था जबकि पांचवें वेतन आयोग में छठे वेतन आयोग को 1 जनवरी, 2003 से गठित करने की सिफारिश की गई थी। केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए उन कर्मचारियों का इंक्रीमेंट रोकने की बात कही गई है जो 20 वर्ष तक कोई प्रमोशन नहीं ले पाते हैं और न ही एमएपीस द्वारा बनाए गए मापदंड को पूरा करते हैं तो ऐसे कर्मचारियोंं को वार्षिक बढ़ोतरी नहीं मिलेगी तथा उन्हें वोलियटंरी रिटायरमेंट लेने वाले कर्मचारियों को दी जाने वाली शर्तों के साथ नौकरी से बाहर जाने का मौका दिया जाएगा।
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