Saturday, February 29, 2020

जानें- आज शाहीन बाग में भारी संख्या में सीआरपीएफ जवान, पुलिस की तैनाती के पीछे की वजह

शाहीन बाग इलाके में आज सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। लोगों को एक जगह इकट्ठा न होने की सलाह दी गई है यहां तक ​​कि इलाके में धारा 144 भी लगाई गई है।
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Delhi Violence: NHRC ने हिंसा का लिया स्वतः संज्ञान, जांच के लिए बनाई टीमें

Delhi Violence राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली में और विशेष रूप से उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा का संज्ञान लिया है।
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गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी बोले- दिल्ली हिंसा साजिश की तह तक जाना चाहती है सरकार

मैं दोहराऊंगा CAA किसी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनना है बल्कि पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना है।
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8वीं में पढ़ने वाले नितिन के सिर में मारी थी गोली, मौत

जवानों के खाने-पीने का ख्याल रख रहे इलाके के लोग

राजधानी दिल्ली में आज भी हो सकती है बारिश

मानसिक ट्रॉमा से गुजर रहे हैं हिंसा में घायल मरीज

Delhi Violence: कौन हैं इशरत जहां, जिन पर लगा भीड़ को उकसाने का आरोप; पुलिस पर हुई थी फायरिंग

Delhi Violence आरोप है कि उत्तर पूर्वी जिले में हिंसा के बीच 26 फरवरी को जगतपुरी इलाके के खजूरी में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां की मौजूदगी में गोलियां चली थीं
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दिल्ली हिंसा: ऐसे पुलिस के हाथ से फिसलती चली गई बात

नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा में 42 लोगों की जान गई है और सैकड़ों करोड़ की संपत्ति खाक हुई है। पुलिस पर दंगा रोकने के लिए तुरंत ऐक्शन नहीं लेने का आरोप है। जब हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने पुलिस अधिकारियों से बात की तो कई नई बातें सामने आईं। कुछ अधिकारियों ने बताया कि 22 फरवरी को रात करीब 10 बजे दिल्ली हिंसा के बीज बोए गए। करीब 600 महिलाएं जाफराबाद की संकरी गलियों से होते हुए दिल्ली मेट्रो स्टेशन की तरफ बढ़ रही थीं। हालांकि, पुलिस ने उस वक्त कोई दखलअंदाजी नहीं की। स्थानीय लोगों के अनुसार पुलिस मान रही थी कि वह महिलाएं वहां जा रही हैं, जहां पहले से ही प्रोटेस्ट हो रहा है, लेकिन वह मेट्रो स्टेशन पर ही प्रोटेस्ट करने लगीं, जो पहले वाली जगह से करीब 500 मीटर दूर था।

कम थी पुलिस बल की तैनाती
उस वक्त बहुत ही कम महिला पुलिस बल मौजूद था, जो महिलाओं की भीड़ से निपट सके और पुलिस उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग भी नहीं कर सकती थी। उन्हें ऊपर से भी कोई आदेश नहीं मिला, क्योंकि ये नहीं पता था कि इस पर कोर्ट कैसा रुख अपनाएगा। देखते ही देखते महिलाओं के साथ करीब 400 पुरुष भी प्रोटेस्ट में शामिल हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार शुरुआत में प्रोटेस्ट करने वाले लोग स्थानीय नहीं थे। रविवार सुबह तक प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़कतर 3000 हो गई। उन्होंने बताया कि उन्हें बल का प्रयोग कर के नहीं हटा सकते थे, ऐसे में उन्हें कोई भी टेंट लगाने या डायस या स्टेज लगाने से रोक दिया।

पढ़ें- दिल्ली हिंसा: 42 साल की महिला ने छतों के जरिए बचाए 40 लोग, पेट्रोल बम वाली भीड़ भी कुछ बिगाड़ नहीं सकी

हिंदू समूहों ने भी ब्लॉक कर दी सड़क
रविवार दोपहर को स्थिति बिगड़ना शुरू हो गई। हिंदू समूहों ने तय किया कि वह भी पूरी सड़क ब्लॉक करेंगे। उनका तर्क था कि अगर एक समुदाय को सड़क पर बैठकर प्रोटेस्ट रखने की इजाजत है तो हिंदू समूहों को भी इसकी अनुमति होनी चाहिए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने प्रदर्शन पर बैठे लोगों से बात भी करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। देखते ही देखते दो समूहों ने एक दूसरे पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हालांकि, देर शाम तक पुलिस ने स्थिति को काबू करने में सफलता पा ली।
पुलिस का अंदाजा गलत निकला
पुलिस को लगा था कि ये प्रदर्शन भी शाहीन बाग की तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा- हमने 24 फरवरी के लिए पर्याप्त इंतजाम किए थे, जब अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली पहुंचे, हालांकि पूर्वी रेंज के अधिकारियों को छूट दी गई थी। फोर्स को लाने में कुछ समय लगा, लेकिन हमारे पास पर्याप्त पुलिस फोर्स थी। 24 फवरी को ही सुबह 9 बजे तक दंगे शुरू हो गए। जो पत्थरबाजी से शुरू हुआ था, वह धीरे-धीरे तोड़फोड़ और आगजनी में बदल गया। कुछ ही देर में दोनों समूहों के बीच देसी कट्टों से गोलीबारी शुरू हो गई। एक सूत्र के मुताबिक, 'गुस्साए समूह ना सिर्फ एक दूसरे पर हमले कर रहे थे, बल्कि पुलिस को भी निशाना बना रहे थे। कुछ जगहों पर तो भीड़ ने पुलिस को ही घेर लिया, तो कहीं पर तीन तरफ से पुलिस पर हमले हुए। '
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पुलिस पर टूटा प्रदर्शनकारियों का कहर
शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा और उनकी टीम समेत तीन कंपनियों पर सुबह करीब 11 बजे चांद बाग में एक मस्जिद के सामने हमला बोल दिया गया। अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार को दंगाइयों ने बुरी तरह पीटा और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ऐसी स्थिति में चुनौती ये हो गई थी कि चांद बाग में फिर से सेना कैसे भेजी जाए। एक ज्वाइंट कमिश्नर से कहा गया कि वह कुछ सहायता लेकर घटनास्थल पर पहुंचें।

अफवाहों ने दंगों को हवा दी
अफवाहें इतनी फैल गई थीं कि 20 स्थानीय इलाकों में गलियों में बहुत सारे लोग जमा हो गए, जिसकी वजह से ज्वाइंट कमिश्नर को आगे जाने का रास्ता ही नहीं मिला। मौजपुर के पास एक डीसीपी फंस गए इसलिए क्राइम ब्रांच से एक अन्य डीसीपी और एक ज्वाइंट कमिश्रर को बुलाया गया। उस्मानपुर-पुस्ता रूट से वह चांद बाग पहुंचे और 4 बजे तक वजीराबाज और 66 फुट की रोड पर पुलिस ने काबू पा लिया। हालांकि, ये तब मुमकिन हो सका जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और स्पेशल पुलिस कमिश्रर एनएन श्रीवास्तव ने मोर्चा संभाला।

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सबसे घनी आबादी वाला इलाका है जाफराबाद
जब एक पुलिस अधिकारी से ये पूछा गया कि दंगाइयों के खिलाफ अधिक फोर्स भेजकर उन पर काबू क्यों नहीं किया गया तो वह बोले कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में प्रति वर्ग किलोमीटर में करीब 80 हजार लोग रहते हैं, जो इसे देश का सबसे घना इलाका बनाता है। ये समूह बड़ी आसानी से चंद मिनट में करीब 25 हजार लोगों को जाफराबाद से कर्दमपुरी ले जाने में सफल हो गए। पिछले साल 22 दिसंबर को जाफराबाद रोड पर करीब 40 हजार लोग जमा हो गए थे, लेकिन फिर भी सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया। उन्होंने ये भी कहा कि हर कदम उठाने से पहले सोचना जरूरी था। अगर पुलिस ने अच्छे से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई होती तो मरने वालों की संख्या काफी अधिक होती।

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Delhi violance LIVE Updates: अब तक 167 केस दर्ज, 885 उपद्रवी हिरासत में; स्थिति सामान्य

Delhi violance LIVE Updates उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों में स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है। पुलिस लोगों के बीच विश्वास पैदा करने में जुटी है।
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Delhi Violence: हिंसाग्रस्त इलाकों में जनजीवन सामान्य, शांत हुआ माहौल तो घर लौटने लगे लोग

Delhi Violence हिंसाग्रस्त इलाके जाफराबाद मौजपुर बाबरपुर और सीलमपुर में जनजीवन सामान्य तेजी से सामान्य हो रहा है।
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Delhi Violence: भरोसे से गिरीं खौफ की दीवारें तो उठने लगे रोजगार के शटर

दो आइपीएस अधिकारियों के विश्वास से लोगों के दिलों में बनी खौफ की दीवार गिर गई और उन्होंने घरों व गलियों से बाहर आकर अपना सामान्य जीवन शुरू किया।
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JNU कैंपस में बाहरी लोगों को न लाएं छात्र: VC

मानसिक ट्रॉमा से गुजर रहे दंगे में घायल लोग

बढ़ती गर्मी के बाद अचानक क्यों हुई बारिश, यहां जानिए मौसम का ताजा अपडेट

नई दिल्ली के प्रादेशिक मौसम पूर्वानुमान के प्रमख डॉ कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश के कारण रविवार को अधिकतम तापमान में गिरावट होगी। रविवार को दिन भर बादल छाए रह सकते हैं।
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2012 Delhi Nirbhaya Case: दोषियों का एक और दांव, फांसी से 2 दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा मामला

2012 Delhi Nirbhaya Case निर्भया के दोषियों की ओर से वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) पहुंच गया है। हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई है।
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दिल्ली हिंसा पर विपक्ष ना सेंके राजनीति की रोटियां, नकवी बोले- घाव पर नमक छिड़क रहे कुछ नेता

दिल्ली हिंसा को लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह सिर्फ हिंसा प्रभावित लोगों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं।
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Unnao Case: पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में दिल्ली की कोर्ट 4 मार्च को सुनाएगी फैसला

Unnao Case शनिवार को फैसला सुनाया जाना था लेकिन सुनवाई पूरी नहीं होने के चलते अगली तारीख 4 मार्च तय की गई।
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Friday, February 28, 2020

Morarji Desai Birth Anniversary: जब इंदिरा सरकार को मोरारजी देसाई के सामने झुकना पड़ा

Former Prime Minister Morarji Desai Birth Anniversary मोरारजी देसाई ने 7 अप्रैल 1975 को एलान किया था कि वो अपने दिल्ली के घर-5 ड्यूप्लेक्स रोड पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।
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Heroes of Delhi Violence: हिंसा और डर के बीच 8 हिंदुओं को सुरक्षित स्थान पर ले गए नईम अली

दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इसी बीच कई नायक ऐसे सामने आए जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की। ऐसी ही एक हीरों से हम आपको मिलवाने जा रहे हैं।
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Delhi Violence: कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां गिरफ्तार, लगा है भीड़ को उकसाते का आरोप

Delhi Violence दिल्ली पुलिस के मुताबिक इशरत जहां ने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि हम चाहें मर जाएं लेकिन हम यहां से नहीं हटेंगे चाहे पुलिस कुछ भी कर ले हम आजादी लेकर रहेंगे।
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Delhi Violence: जंतर मंतर पर निकाला जा रहा शांति मार्च, हाथों में 'स्कूल क्यों जलाए' लिखे बैनर

Delhi Violence शांति मार्च में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में गणमान्य लोग भी पहुंचे हैं। इनमें दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके और अब भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हैं।
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Heroes of Delhi Violence: हिंसा के बीच दो बेटियों की विदाई, एक दुल्हन ने मेट्रो से किया सफर

Heroes of Delhi Violence दिल्ली हिंसा के दौरान कई लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की पुलिस ने भी अपनी जिम्मेदारी पूरी इमानदारी से निभाई।
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WhatsApp पर भड़काऊ मैसेज मिलने पर करें शिकायत, दिल्‍ली सरकार लेगी एक्‍शन

दिल्‍ली में जारी हिंसा को लेकर यहां की सरकार ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
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ताहिर हुसैन की बिल्डिंग का SIT ने किया मुआयना, FSL ने उठाए सैंपल

Weather Update: पहाड़ों पर बर्फबारी का असर, दो दिन बारिश का अनुमान; हो सकती है ओलावृष्टि

Delhi Weather Update पहाड़ी राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में संभावित हिमपात के बाद दिल्ली-एनसीआर के मौसम में भी बदलाव आ सकता है।
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Delhi Politics: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात करेंगे CM अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Union Urban Development Minister Hardeep Singh Puri) से मुलाकात करेंगे।
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रक्षक बन मुस्लिम परिवार ने करवाई सावित्री की शादी

चांद बाग मुस्लिम बहुल इलाके में हिंसा के चलते हिंदू परिवार अपनी बेटी की शादी रद करने को मजबूर था। घर में शादी की पूरी तैयारी हो चुकी थी।
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Nirbhaya Case: 3 मार्च को ही होगी फांसी, SC में लंबित याचिका से डेथ वारंट पर असर नहीं

2012 Delhi Nirbhaya Case निर्भया मामले में आगामी 3 मार्च को होने वाली फांसी के मद्देनजर दिल्ली की तिहाड़ जेल में तैयारी तेज कर दी गई है।
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Delhi Violence: जन-जीवन सामान्य करने के लिए निगम का बेड़ा उतरा सड़कों पर

दंगों की चपेट में आए इलाकों में जन-जीवन सामान्य हो इसके लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारियों ने पूरे इलाके का दौरा किया और सड़कों को साफ कराने का कार्य शुरू करवाया।
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दंगाइयों को खदेड़ हीरो बने एसपी नीरज जादौन

दक्षिण दिल्ली के लोगों को झटका, 20,000 से ज्यादा है आय तो देना होगा 150 रुपये प्रोफेशनल टैक्स

दिल्ली विधानसभा चुनाव खत्म होते ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने लोगों को बड़ा झटका दिया है। अब निगम क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को संपत्तिकर के साथ पेशेवर कर भी चुकाना होगा।
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Delhi Violence: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सड़कों से हटाए गए चार लाख किलो ईंट-पत्थर

पूर्वी दिल्ली नगर निगम रास्तों के साफ-सुथरा बनाने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है। ईंट-पत्थरों को निगम शास्त्री पार्क स्थित प्लांट में भेज रहा है।
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दिल्ली हिंसा:कल तक खुशियों का शोर, आज मातम

नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या अब तक बढ़कर 42 हो गई है, वहीं करीब 200 लोग घायल हैं। हर गुजरता दिन नए राज खोल रहा है। कहीं नालों से लाशें मिल रही हैं तो कहीं जले घरों और गाड़ियों से शव बरामद हो रहे हैं, जो इस हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ाते जा रहे हैं। गुरुवार को गुरु तेग बहादुर अस्पताल से 35 साल के मुदस्सर खान के शव की पहचान हुई, जिनकी मौत दिल्ली दंगे के दौरान हुई थी। करीब दो हफ्ते पहले जिस घर में एक छोटी बच्ची की किलकारी गूंजने से खुशियों का शोर था, अब वहां मातम छाया हुआ है।

8 बेटियां, सबसे छोटी 15 दिन की मासूम
शुक्रवार को मुदस्सर खान की पत्नी इमराना अपनी 15 दिन की बच्ची इनाया को गोद में लिए रोती दिखीं। उनकी सात और बेटियां हैं, जिनकी उम्र अलग-अलग है और सबसे बड़ी बेटी की उम्र 14 साल है। मुदस्सर खान की मां केसर खान ने रोते हुए कहा- 'इन बच्चों के चेहरो देखिए। छोटी बच्चियों को तो ये पता भी नहीं है कि क्या हुआ है। अब उनके भविष्य का ध्यान कौन रखेगा?' 14 साल की सबसे बड़ी लड़की ने कहा कि 14 फरवरी को मेरा जन्मदिन था और पापा ने मुझे एक गाउन गिफ्ट में दिया था।


किसी काम से कर्दमपुरी गए थे युसुफ
मुदस्सर खान प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस करते हैं। उनके छोटे भाई युसुफ खान अपने भाई को हर मुसीबत का हल निकालने वाला कहते हुए याद करते हैं। युसुफ ने कहा- 'मेरे भइया सोमवार को किसी काम से कर्दमपुरी गए हुए थे। वह वहीं पर फंस गए और उन्होंने मुझे कर्दमपुरी में भड़की हिंसा के बारे में बताया। मैंने उनसे कहा था कि जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, घर के अंदर ही रहें। अगले दिन उन्होंने सुबह मुझे फोन किया। वह लगातार बढ़ रही हिंसा से काफी चिंतित थे और भइया ने मुझसे वहां आकर उन्हें निकालने के लिए कहा था।'

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अजनबी ने फोन उठाकर दी मौत की सूचना
जब युसुफ ब्रिजपुरी ब्रिज पर पहुंचे तो वहां उन्होंने देखा कि दोनों ही समुदायों के दंगाई एक दूसरे पर पत्थर बरसा रहे थे। युसुफ बताते हैं- 'मैंने अपने भाई को कई बार फोन किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। मैं काफी डर गया था। उसके बाद किसी अजनबी ने फोन उठाया और कहा कि मेरे भाई सड़क पर मरे पड़े थे और टाटा 407 से एक शख्स ने उनके शव को जीटीबी अस्पताल पहुंचाया।'

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बाहरी लोगों ने किया दंगा
परिवार स्थानीय नेताओं और पुलिस से मदद लेकर अस्पताल पहुंचे और मुदस्सर खान का शव घर लाए। आंखों में आंसू लिए मुदस्सर के पिता कहते हैं- 'उसके सिर में गोली मारी थी। वह बहुत ही जिम्मेदार बेटा था।' भले ही इलाके में शुक्रवार को भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन वहां रहने वाले खुद को सुरक्षित नहीं मान रहे थे। युसुफ ने कहा- 'स्थिति बहुत ही गंभीर है और हम अपने घरों से सिर्फ कुछ घंटों के लिए बाहर निकलते हैं। यहां दोनों ही समुदाय के लोग रहते हैं और हमने कभी ऐसी भयावह स्थिति नहीं देखी। बल्कि, स्थानीय लोगों का कहना है कि दंगा करने वाले लोग बाहरी थे।'

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Delhi Violence : यमुना पार में तेजी से पटरी पर लौट रहा जनजीवन

Delhi Violence यमुनापार में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर भड़की हिंसा के बाद पांचवें दिन कुछ प्रभावशील इलाकों की मार्केट खुलने लगी है।
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Delhi Violence : हिंदू बताकर पड़ोसी ने बचाई पूरे मुस्लिम परिवार की जान

Delhi Violence पड़ोस के हिंदू परिवार ने सिर्फ पूरे परिवार को शरण दी बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के कपड़े पहनाकर 12 घंटे तक पहचान छिपाकर रखी।
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Delhi Violence: जब बन्ने खां के परिवार के लिए ढाल बन गया मोहल्ला, हर साल लाते हैं कांवड़

Delhi Violence गोविंदपुरी की गली नंबर-8 में इंसानियत और भाईचारे की मिसाल पेश की और बन्ने खां के परिवार के 22 लोगों को उपद्रवियों का शिकार होने से बचाया।
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दिल्ली दंगे: मार्शल की 'साइड ट्रिक', बची 20 जानें

नई दिल्ली
कलस्टर बस में तैनात बस मार्शल ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ का परिचय देते हुए दंगाइयों से न सिर्फ अपनी और ड्राइवर-कंडक्टर की जिंदगी बचाई, बल्कि बस में बैठी 20 सवारियों के लिए भी वह मसीहा बन गए। लाठी-डंडे और हथियारों से लैस 100 से भी अधिक दंगाइयों ने बस को चारों ओर से घेर लिया था। दंगाई बस का गेट खुलवाने की कोशिश कर रहे थे। इससे वह घबराए नहीं। मार्शल ने मौका देख बस को वहां से यू-टर्न कराया और बस में बैठे सभी लोगों की जिंदगी बच गई।

इस बहादुर और समझदार मार्शल का नाम है गुलशन कुमार। 35 साल के गुलशन करोल बाग में रहते हैं। गुलशन बताते हैं कि 26 फरवरी की दोपहर बाद मोरी गेट से यमुना विहार सी-ब्लॉक रूट नंबर-253 की कलस्टर बस पर उनकी ड्यूटी थी। मोरी गेट से बस चलते हुए शास्त्री पार्क रेड लाइट पर आ गई। उस वक्त बस में 20 पैसेंजर थे, इनमें सात महिलाएं भी थीं। शास्त्री पार्क रेड लाइट से बस ने यमुना विहार जाने के लिए लेफ्ट टर्न लिया। वह बस में ड्राइवर के पास खड़े थे। खजूरी चौक से पहले 5वें पुश्ते के पास पहुंचने ही वाले थे कि उन्होंने देखा कि कुछ दूर आगे काफी लोग खड़े हैं। उन्हें कुछ शक हुआ। उस जगह ना तो बस को वापस घुमाया जा सकता था और ना ही बस रोककर दंगाइयों का इंतजार किया जा सकता था। उन्होंने ड्राइवर से कहा कि किसी भी हालत में बस के गेट मत खोलना। साथ ही उन्होंने पैसेंजर से कहा कि आप सब बस की सीट के नीचे छिप जाओ।

बस भीड़ के पास पहुंची तो देखा कि 100 से अधिक लोग लाठी-डंडे और हथियार लेकर खड़े थे। सभी लोग बस के सामने आ गए। बस रोकनी पड़ी। दंगाइयों ने बस को चारों ओर से घेर लिया। दंगाइयों ने कहा कि बस की सारी सवारियों को नीचे उतारो। गुलशन ने कहा कि बस में कोई सवारी नहीं है। दंगाइयों ने धमकी दी कि जान बचाना चाहते हो तो बस छोड़कर भाग जाओ। हम बस में आग लगाएंगे। इतने में ही मार्शल को एक तरकीब सूझी। वहीं पास में ही यू-टर्न था। मार्शल ने ड्राइवर से कहा कि तुम धीमे-धीमे से बस चलाते हुए यू-टर्न पर ले आओ। मैं इन्हें बातों में उलझाता हूं, लेकिन किसी भी सूरत में गेट मत खोल देना।

इतने में दंगाइयों ने बस में झांकना शुरू कर दिया। उन्हें पैसेंजर दिख गए। वह बोले इसमें सवारी है.... अब हम किसी को नहीं छोड़ेंगे। इतने में ही बस यू-टर्न के पास तक पहुंच चुकी थी। मार्शल ने कहा कि ठीक है हम बस को साइड में लगाते हैं थोड़ा दूर हटो। जैसे ही दंगाई उसकी बात समझ पाते मार्शल ने बस को यू-टर्न करा लिया और वहां से बस को तेज रफ्तार से भगाते हुए शास्त्री पार्क रेड लाइट पर ले आए। वहां सभी को बस से सुरक्षित उतारा। तमाम सवारियों ने मार्शल गुलशन का शुक्रिया अदा किया। मार्शल ने उनकी यह सोचकर जान नहीं बचाई थी कि वह हिंदू हैं या मुसलमान। मार्शल का केवल एक ही उद्देश्य था कि चाहे कुछ भी हो जाए। वह सवारियों की जिंदगी पर आंच नहीं आने देगा। गुलशन ने बताया कि पिछले साल मार्च में बीमारी की वजह से उसकी मां की डेथ हो गई थी। मां की मौत के एक सप्ताह में ही पिताजी भी सदमे में चल बसे। गुलशन करोल बाग में किराए के घर में रहते हैं।

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जलती दिल्ली, मुस्लिमों ने यूं की हिंदू बहन की शादी

नई दिल्ली
हाथों में मेहंदी लगाकर दुलहन के जोड़े में 23 साल की सावित्री मंगलवार को अपने घर में बैठकर रो रही थीं। उस दिन उनकी शादी थी लेकिन घर के बाहर से आ रहीं गोलियों और बमबारी की आवाजें उन्हें लगातार डरा रही थीं। सावित्री के पिता ने हिंसा के चलते एक दिन के लिए शादी टाल दी। अगले दिन मुस्लिम पड़ोसियों ने घर की पहरेदारी की और सावित्री की उनके मंगेतर गुलशन से शादी संपन्न हुई। सावित्री के पिता बोले कि उनके मुस्लिम पड़ोसी उनके परिवार की तरह हैं और उनकी मौजूदगी में वह सुरक्षित महसूस करते हैं।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए सावित्री बोलीं, 'मेरे मुस्लिम भाई मुझे बचा रहे हैं।' यह कहते हुए वह रो पड़ीं और उनके घरवाले व पड़ोसी उन्हें संभालने लगे। सावित्री के पिता भोले प्रसाद ने कहा कि वह इस इलाके में मुस्लिम पड़ोसियों से साथ कई सालों से रह रहे हैं और कभी कोई समस्या नहीं हुई।


मुस्लिम पड़ोसियों ने दिया आशीर्वाद
सावित्री के पिता ने कहा, 'हमें नहीं पता कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं, लेकिन वे मेरे पड़ोसी तो नहीं हैं। यहां हिंदू-मुस्लिम के बीच कोई दुश्मनी नहीं है।' जब मंगलवार को इलाके में हिंसा फैली तो उन्होंने दूल्हे पक्ष को कॉल करके कहा कि वे यहां न आएं। अगले दिन माहौल थोड़ा शांत हुआ तो भोले ने अपनी बेटी की शादी कराने का फैसला किया। इस दौरान उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने भी आकर आशीर्वाद दिया।

मुस्लिम पड़ोसियों ने दिया घर पर पहरा
सावित्री की पड़ोसी समीना बेगम ने कहा, 'हमें उसके लिए दर्द हो रहा था। कौन चाहता है कि उसकी बेटी घर पर बैठकर रोए जिस दिन सबसे ज्यादा खुश होना चाहिए।' शादी के दौरान सावित्री के दूसरे पड़ोसी आमिर मलिक कई लोगों के साथ उनके घर के बाहर खड़े होकर पहरा देते रहे। आमिर कहते हैं, 'हम अपने हिंदू भाइयों के साथ शांति से रहना चाहते हैं। हम उनके लिए सबकुछ हैं और आज हम यहां उनके लिए ही हैं।'

'मुस्लिम भाइयों ने कहा- अंकल आप आराम से सो, कुछ नहीं होगा'
इसी तरह शिव विहार में रहने वाले राम सेवक ने बताया कि वह इलाके में अपने मुस्लिम पड़ोसियों के बीच 35 साल से रह रहे हैं। हिंसा के दिन भी उनके पड़ोसियों ने आकर उनसे कहा कि वह आराम से सोएं, कुछ नहीं कहा। राम सेवक ने कहा, 'हम यहां 35 साल से रह रहे हैं। इस गली में सिर्फ एक या दो मकान ही हिंदू के होंगे। लेकिन हमें कोई समस्या नहीं हुई कभी। हिंसा के समय मुझे मेरे मुस्लिम भाइयों ने कहा, अंकल जी आप आराम से सोइए। यहां कुछ नहीं होगा।'

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देश के कई हिस्सों में हिंदू अल्पसंख्यक? केंद्र को नोटिस

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र से शुक्रवार को जवाब मांगा जिसमें दावा किया गया है कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन उन्हें अन्य अल्पसंख्यक समूहों को मिले अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरी शंकर की पीठ ने गृह, कानून और न्याय एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों को नोटिस जारी करते हुए उनसे उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें कहा गया है कि केंद्र ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित करें तथा राज्य स्तर पर उनकी पहचान के लिए दिशा निर्देश बनाए।

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका में दावा किया गया है, ‘लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिंदू वास्तव में अल्पसंख्यक हैं।’ उपाध्याय ने कहा, ‘लेकिन उनके अल्पसंख्यक अधिकारों को गैरकानूनी और मनमाने तरीके से छीना जा रहा है क्योंकि न तो केंद्र और न ही संबंधित राज्य ने उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) कानून की धारा दो के तहत ‘अल्पसंख्यक’ के रूप में अधिसूचित नहीं किया है। इसलिए हिंदुओं को अनुच्छेद 29-30 के तहत दिए उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।’

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि लक्षद्वीप (96.58 %) और कश्मीर (96 %) में मुसलमान बहुसंख्यक हैं तथा उनकी अच्छी-खासी आबादी लद्दाख (44%), असम (34.20%), पश्चिम बंगाल (27.5%), केरल (26.60%), उत्तर प्रदेश (19.30%) और बिहार (18%) में है। याचिका में कहा गया है, ‘लेकिन उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल है तथा यहूदी (0.2%) और बहाई धर्म (0.1%) के अनुयायी जो असल मायने में अल्पसंख्यक है, उन्हें अपना वैध हक नहीं मिल रहा है क्योंकि राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान नहीं की गई है।’

याचिका में दावा किया गया है कि ‘इसी तरह निस्संदेह ईसाई मिजोरम (87.16%), नगालैंड (88.10%), मेघालय (74.59%) में बहुसंख्यक हैं तथा अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी उनकी अच्छी-खासी आबादी है लेकिन उनसे अल्पसंख्यक की तरह व्यवहार किया जाता है।’ याचिका में कहा गया है, ‘इसी तरह, पंजाब में सिख बहुसंख्यक है तथा दिल्ली, चंडीगढ़ और हरियाणा में भी उनकी अच्छी-खासी तादाद है लेकिन उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है। बौद्धों की लद्दाख में बहुल आबादी है लेकिन उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है।’ उपाध्याय ने यह भी दलील दी कि असली अल्पसंख्यकों को अल्पसंख्यक अधिकार न देना और अल्पसंख्यक के फायदों को मनमाने ढंग से बहुसंख्यक को देना ‘धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव न करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन’ है।

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Nirbhaya case : फांसी से बचने के लिए SC पहुंचा पवन, क्विरेटिव पिटीशन दाखिल

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्विरेटिव पिटीशन दाखिल की है।
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यहां जानें कौन हैं दिल्ली के नए पुलिस कमीश्नर एस एन श्रीवास्तव

स एन श्रीवास्तव पहले से ही दिल्ली के स्पेशल कमिश्नर के पद पर काम कर रहे हैं। अब 29 फरवरी को वो दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त पदभांर संभालेंगे।
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Delhi violence: उत्तर पूर्वी दिल्ली केंद्रों पर 2 मार्च से हो सकती है CBSE बोर्ड परीक्षा, HC को दिया जवाब

दिल्ली हिंसा के बाद स्थगित की गई उत्तर पूर्व दिल्ली के केंद्रों पर स्थगित की गई सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा अब 2 मार्च से होंगी।
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Delhi Violence: दिल्ली में अब तक 43 लोगों की मौत, हिंसा प्रभावित इलाकों का आज दौरा करेंगे LG

उपराज्यपाल अनिल बैजल आज उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे। अनिल बैजल मौके पर ताजा हालात की जानकारी लेंगे।
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दंगा प्रभावित इलाकों में जाएगा कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल, सोनिया गांधी ने बनाई टीम

दंगा प्रभावित इलाकों में मुआयने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक टीम का गठन किया है जिसमें 5 सदस्य शामिल हैं।
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हाईकोर्ट में याचिका: कई राज्‍यों में अल्‍पसंख्‍यक हैं हिंदू लेकिन समुदाय के अधिकारों से हैं वंचित

दिल्‍ली हाई कोर्ट में दायर याचिका केे अनुसार कई राज्‍यों में हिंदू अल्‍पसंख्‍यक है लेकिन उन्‍हें इस समुदाय के अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। मामले पर चार मई को सुनवाई की जाएगी।
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Delhi Violence: मुश्किल में AAP पार्षद ताहिर हुसैन, घर व फैक्टरी में दाखिल हुई फॉरेंसिक टीम

Delhi Violence आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन (municipal councillor of Delhi Tahir Hussains) पर दिल्ली पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है।
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Thursday, February 27, 2020

एसएन श्रीवास्तव दिल्ली के नए पुलिस चीफ बने

नई दिल्ली
दिल्ली में हिंसा के बाद पुलिस की कमान बदल गई है। चार दिन पहले ही दिल्ली के स्पेशल पुलिस कमिश्नर (लॉ ऐंड ऑर्डर) बनाए गए एसएन श्रीवास्तव को अब नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी का नया कार्यकाल 1 मार्च से शुरू होगा। दिल्ली के मौजूदा पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था, लेकिन उन्हें एक महीने का एक्सटेंशन दिया गया था।

सीआरपीएफ के तेज-तर्रार अफसर दिल्ली में में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपे जाने से पहले डीजी ट्रेनिंग थे। दो साल पहले तक जम्मू-कश्मीर के स्पेशल डीजी रहे एसएन श्रीवास्तव को घाटी में ऑपरेशन ऑल आउट के दौरान आर्मी के साथ काम करने के कौशल के लिए जाना जाता है।

एसएन श्रीवास्तव का कार्यकाल 30 जून 2021 तक है और यह चर्चा थी कि आने वाले वक्त में उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर भी बनाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस की ऐंटी टेरर सेल के विशेष आयुक्त रहे श्रीवास्तव को पूर्व में सीआरपीएफ के वेस्टर्न जोन का एडीजी बनाया गया था। इस दौरान श्रीवास्तव के नेतृत्व में ही सीआरपीएफ और भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में कई ऐंटी टेरर ऑपरेशन चलाए थे। इनमें ऑपरेशन ऑल आउट जैसे बड़े ऑपरेशन भी शामिल थे।

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हत्यारों ने अंकित को चाकू से गोदा फिर नाले में फेंका

नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली के चांदबाग इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मारे गए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) कर्मचारी अंकित शर्मा की पोस्टमॉर्टम के मुताबिक उनकी हत्या बेहद निर्दयता से की गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि अंकित के शरीर पर किसी नुकीले हथियार के कई जख्म हैं। बताया जा रहा है कि चाकू जैसी किसी चीज से उनके शरीर पर कई वार किए गए थे। उधर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अंकित के शरीर पर चाकू से 400 वार किए जाने की बात कही है।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर जख्म अंकित के शरीर में ऊपरी हिस्से में हैं। अंकित के सीने और पेट में कई बार चाकू खोंपा गया है। हत्या के बाद अंकित का शव नाले में फेंक दिया गया था। अंकित की हत्या में आम आदमी पार्टी से निलंबित किए गए पार्षद ताहिर हुसैन को भी आरोपी बनाया गया है।

यह भी पढ़ें: पुलिसवाले पर पिस्तौल तानने वाला शाहरुख कहां?

अंकित शर्मा के परिजनों ने आरोप लगाया है कि हिंसा के दौरान ताहिर हुसैन के समर्थक अंकित को खींचकर पार्षद की इमारत में ले गए। अंकित की हत्या के बाद उनका शव नाले में फेंक दिया गया। पार्षद पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। आम आदमी पार्टी ने गुरुवार रात ताहिर हुसैन को पार्टी से सस्पेंड कर दिया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि उनकी पार्टी का कोई व्यक्ति हिंसा में शामिल हो तो उसे जेल में डाला जाए और डबल सजा दी जाए।

मनोज तिवारी का दावा
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्षद ताहिर के साथ उसके आका को सजा देने की मांग की है। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि वह किसे ताहिर का आका मानते हैं। मनोज तिवारी ने लिखा, 'निर्धारित समय सीमा में इस केस के आरोपियों और साजिशकर्ताओं को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। 400 बार चाकू से गोदना एक IB अफसर को ? धार्मिक असहिष्णुता ने आप को कितना गिरा दिया...।'


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2012 Delhi Nirbhaya Case: क्या फांसी की तैयारी की भनक चारों दोषियों को नहीं है, पढ़िए पूरी खबर

2012 Delhi Nirbhaya Case जेल सूत्रों का कहना है कि अभी फांसी को लेकर तैयारी इस तरह की जा रही है कि इसकी भनक दोषियों को न लगे।
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Delhi Violence: एसएन श्रीवास्तव को सौंपा गया दिल्ली पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार

Delhi Violence दिल्ली हिंसा के बीच एसएन श्रीवास्तव को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
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ज्वाइंट कमीश्नर ओपी मिश्रा ने लोगों से की शांति की अपील, किया 'गंगा-जमुनी तहजीब' का जिक्र

ओपी मिश्रा ने कहा कि हमने अमन कमिटी से बातचीत करके मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ने वालों के लिए खास इंतेजाम किए हैं।
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पुलिस वाले पर बंदूक तानने वाला शाहरुख है कहां?

नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली में जाफराबाद हिंसा में एक शख्स ने पुलिस और भीड़ पर 8 राउंड गोलियां चलाई थीं। यहां तक कि उसने एक पुलिस वाले पर भी पिस्तौल तान दी थी, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक पर खूब वायरल हुई। उस शख्स की पहचान शाहरुख के रूप में हुई थी। पहले ऐसी खबर सामने आ रही थी कि जिस दिन हिंसा में शाहरुख ने गोलियां चलाई थीं, उसी शाम को उसे पकड़ लिया गया था, लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने इस पर अपनी सफाई दी है कि शाहरुख अभी भी फरार है। यहां तक कि उसका कोई सुराग भी नहीं लग रहा है। अब सवाल ये है कि आखिर शाहरुख है कहां और उसके दिमाग में कौन सी नई खुराफात सूझ रही है।


ना शाहरुख का पता ना परिवार का
बताया जा रहा है कि शाहरुख दिल्ली के थाना उस्मानपुर के अरविंद नगर की गली नंबर-5 में यू-108 में रहता है। इन दिनों उसके घर के बाहर ताला लटका हुआ है। अब ना तो शाहरुख का पता चल रहा है, ना ही उसके परिवार का कोई सुराग मिल रहा है। बता दें कि उसके साथ परिवार में एक बड़ा भाई और मां-बाप हैं, लेकिन फिलहाल पूरा परिवार ही लापता है, जिनके बारे में कोई कुछ नहीं बता पा रहा।

पुलिस पर उठ रहे सवाल
दिल्ली हिंसा में पिस्तौल लहराने और गोलियां चलाने वाले शख्स के अब तक नहीं पकड़े जाने से पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि इस घटना का वीडियो, शाहरुख की तस्वीरें सब कुछ खूब वायरल हुआ, लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं। वहीं शाहरुख के गिरफ्तार होने की खबरें कई दिनों से सामने आ रही थीं, लेकिन पुलिस ने अब तक इस अफवाह को खारिज नहीं किया था। सवाल उठते हैं कि आखिर पुलिस इतने दिनों बाद क्यों सफाई दे रही है। हिंसा की वजह से दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था काफी तगड़ी थी, लेकिन बावजूद इसके शाहरुख का निकल भागना दिल्ली पुलिस की काबीलियत पर सवालिया चिन्ह लगा रहा है।

पढ़ें- सीने पर तनी थी पिस्तौल, फिर भी हिंसक भीड़ के सामने खड़ा रहा कॉन्स्टेबल

शाहरुख के पिता का है क्रिमिनल बैकग्राउंड
हिंसा में शामिल शाहरुख के पिता का नाम शावर पठान है और बताया जा रहा है कि उनका परिवार 1985 से ही वहां रहता है। बताया जा रहा है कि ड्रग्स बेचने के मामले में शावर पठान दो बार जेल भी जा चुका है। हाल ही में वह जेल से छूटा था। इतना ही नहीं, ये भी कहा जा रहा है कि पहले शावर पठान एक सरदार था, लेकिन बाद में एक मुस्लिम महिला से शादी कर के उसने अपना धर्म बदल लिया।


बता दें कि दिल्ली हिंसा मामले में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 200 लोग घायल हैं। इसी बीच अब नालों से शव बरामद होने लगे हैं। पहले आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा का शव चांदबाग इलाके से मिला था और गुरुवार को गगनपुरी के एक नाले से दो शव बरामद हुए हैं। इस हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता ही जा रहा है।

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'तो उस दिन अंकित शर्मा से पहले मैं होता'

नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा के बाद हर गुजरता दिन कोई न कोई नया राज खोल रहा है। साथ ही बहुत से सवाल भी हैं जो सामने आ रहे हैं। कुछ के जवाब मिल रहे हैं, तो कुछ सवालों के जवाब एक रहस्य जैसे हो गए हैं। इनमें से ही एक है आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या पर उठने वाला सवाल। अंकित शर्मा के परिजन आम आदमी पार्टी (आप) नेता और पार्षद ताहिर हुसैन पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं ताहिर की बिल्डिंग के छत से मिले पेट्रोल बम और ईंट-पत्थर भी ताहिर पर ही उंगलियां उठाने की वजह बन रहे हैं। अब तो ताहिर हुसैन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई है, बिल्डिंग को सील कर दिया गया है और जांच चल रही है। हालांकि, ताहिर हुसैन खुद के निर्दोष होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में एक सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है कि आखिर उस दिन उत्तर पूर्वी दिल्ली के चांद बाग इलाके में हुआ क्या था कि लोगों ने अंकित शर्मा की हत्या कर दी। आइए आपको बताते हैं उस दिन की कहानी, चश्मदीदों की जुबानी।

'हिंदू है मारो'
अंकित शर्मा के दोस्त प्रदीप जब वो वाकया याद करते हैं तो उनकी रूह कांप जाती है। उन्होंने बताया कि उस दिन जो लोग आए थे, वह यहां के नहीं थे, बाहर के थे और सभी मुस्लिम थे। उन्होंने आते ही कहा कि 'हिंदू है मारो'। प्रदीप बताते हैं कि उनके हाथ में रॉड थी, लंबे-लंबे चाकू थे, जिनमें धार नहीं थी। पेट्रोल की बोतलें थीं, मेरे ऊपर भी पेट्रोल डाला है। उन दिन का वाकया याद करते हुए प्रदीप रो भी पड़े और बोले कि मैं ही जानता हूं उस दिन मेरी जान कैसे बची है, वरना शायद अंकित शर्मा से पहले मेरा फोटो टीवी पर होता।


'ताहिर हुसैन की बिल्डिंग में ले गए अंकित को'
एक टीवी चैनल से प्रदीप ने कहा कि अंकित को ताहिर हुसैन की बिल्डिंग के सामने से पकड़ा और फिर मारते हुए अंदर ले गए। वहां इतने सारे लोग थे कि उन्हें आगे तक नहीं आने दिया, बचाने का मौका तक नहीं मिला। प्रदीप से भी मारपीट हुई और उन्होंने अपने सिर पर लगी गंभीर चोट के निशान भी दिखाए। प्रदीप ने बताया कि अंकित शर्मा को अंदर ले जाकर भीड़ ने क्या किया, कुछ पता ही नहीं चला। जब अंकित का शव नाले से मिला, उसके बाद उन्हें पता चला कि भीड़ ने अंकित को मार दिया।

ताहिर हुसैन पर उठती एक और उंगली
मशिंद नाम के एक शख्स उस दिन को याद करते हुए कहा कि उस दिन ताहिर हुसैन ने लोनी से हथियार लेकर लोग मंगाए। अपनी बिल्डिंग को इन्होंने टारगेट बना रखा है। पथराव और गोलीबारी वहीं से चालू हुई है। अंकित शर्मा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अंकित को जबरदस्ती खींचकर बिल्डिंग के अंदर ले जाया गया।


'आगे से भीड़ खींच कर ले गई, पीछे से मारकर नाले में फेंक दिया'
अंकित शर्मा के घर के पास रहने वाले कुछ चश्मदीदों ने भी बताया कि भीड़ उन्हें खींचकर बिल्डिंग के अंदर ले गई। वहां पथराव हो रहा था और भगदड़ के बीच ये सब हुआ। एक शख्स ने ये भी बताया कि ताहिर हुसैन की बिल्डिंग में दो रास्ते हैं। आगे से भीड़ उन्हें खींचकर अंदर ले गई और पीछे से मारकर नाले में फेंक दिया।


'अंकित समेत 4 को मारकर नाले में फेंका'
अंकित शर्मा के भाई ने पहले ही ताहिर हुसैन पर हत्या का आरोप लगाया हुआ कहा है कि करीब 4.30 बजे के लगभग ड्यूटी से आते हुए अंकित शर्मा को गली के बाहर पकड़ लिया गया और भीड़ उन्हें खींचकर निगम पार्षद ताहिर हुसैन की बिल्डिंग में ले गई। उन्होंने ये भी बताया कि दंगाई 4 लड़कों को जबरदस्ती खींचकर अंदर ले गई थी और चारों को मारकर नाले में फेंक दिया। अंकित के भाई ने कहा है कि 3 लड़कों का शव मिल चुका है, 1 का मिलना बाकी है। बता दें कि ताहिर हुसैन की बिल्डिंग का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जो दिखा रहे हैं कि उनकी बिल्डिंग का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। बिल्डिंग पर ताहिर हुसैन जैसा एक शख्स भी दिख रहा है।


इस पूरी कवायद में ताहिर हुसैन खुद को निर्दोष बताते हुए कह रहे हैं कि उस दिन वह बिल्डिंग में थे ही नहीं। हालांकि, गुरुवार को ही ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत से पेट्रोल बम, गुलेल, ईंट-पत्थर और एसिड मिला है, जिसके बाद मामले की जांच चल रही है। अंकित की हत्या में ताहिर हुसैन की भूमिका है या नहीं और उनकी हत्या किसके की, इन सब को लेकर जांच चल रही है। सच क्या है वो तो जांच के बाद सामने आ ही जाएगा, लेकिन अभी चश्मदीदों के बयान ताहिर हुसैन पर ही उंगलियां उठा रहे हैं।

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Delhi Violence: जानिए इस फरिश्ते के बारे में, जिसने बचाई मुस्लिम परिवार की जान

जयबीर ने अपनी जान जोखिम में डाली और दंगाइयों के सामने रफी के परिवार की जान बचाने के लिए ढाल बनकर खड़े हो गए।
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दिल्ली में दंगों के बाद अब डरा रहे हैं नाले

पारस सिंह, पंखुड़ी यादव/नई दिल्ली
दिल्ली दंगों के बाद अब नालों का खौफ है। बहुत सारी आशंकाएं अब नालों में तैर रही है, खुफिया ब्यूरो (IB) के एक कर्मचारी अंकित शर्मा का शव मिलने के बाद गुरुवार को गोकुलपुरी के गंगा विहार जंक्शन के पास नाले से 2 और शव बरामद हुए हैं। नाले से शव मिलने की खबरें जंगल की आग की तरह फैल रही है। पुलिस शवों की तलाश में अब उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उन नालों को खंगाल रही है, जो बंद हैं। बता दें कि दिल्ली हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हुई है।

नाले से निकल रहे हैं शव!

सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के कर्मचारी अनिल त्यागी ने बताया कि गुरुवार को नाले के कचरे में एक शव तैरता मिला। उन्होंने कहा, 'जैसे ही शव मिलने की खबर मिली, यहां भीड़ जुटनी शुरू हो गई। लेकिन इस इलाके में कर्फ्यू लगी है, तो तुरंत फोर्स पहुंची और लोगों को वहां से हटा दिया।'

पढ़ें, दिल्ली दंगे की आंखोंदेखीः 'भाई अस्पताल छोड़ दो, मर जाएगा'

शवों की पहचान नहीं
दोनों शव को गुरुवार सुबह 11 बजे हटा लिया गया था। हालांकि उनकी पहचान नहीं हो पाई थी। जब हमारे सहयोगी अखबर टाइम्स ऑफ इंडिया की टीम दोपहर 2.30 बजे इस इलाके में पहुंची तो कॉलोनियों में फ्लैग मार्च किया जा रहा था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी लाउड स्पीकर पर कह रहे थे, धारा 144 लगी हुई है और देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। लोगों से आग्रह है कि वे अपने घरों में रहें।' भागीरथी विहार में रहने वाले 62 वर्षीय रंजीत कुमार ने दावा किया नाले से मिला मृतक इस इलाके का रहने वाला नहीं था और हो सकता है कि उसका शव मुस्तफाबाद से बहते हुए नाले में यहां तक आया हो।

शवों की तलाश में नालों में खोज
निगम कर्मचारी और पुलिस और शवों की तलाश में कूड़ा से बजबजाते नालों में खोज कर रहे हैं। इस बारे में सिंचाई और बाढ़ विभाग, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और पुलिस के बीच बैठक भी हुई है। EDMC कमिश्नर डॉ. दिलराज कौर और प्रवक्ता अरुण कुमार ने बाद में बताया कि निगम पुलिस को शवों की खोज में हर संभव मदद देगी।

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'हर जगह खोजा, अस्पताल में शव मिला'

टाइम्स ऑफ इंडिया ने वैसे मृतकों के परिजनों से बात की, जिसके शव नाले से निकाले गए थे। चांद बाग के नाले से मुशर्रफ का शव मिला था। मृतक की बहन फरहीन ने कहा, 'हम हर जगह गए लेकिन उसका पता नहीं चल पाया। हमारे एक जानने वाले ने बताया कि मुशर्रफ (35) को नाले में फेंक दिया गया है। जब हम उसे नाले में नहीं खोज पाए, तो हम गुरुवार सुबह जीटीबी अस्पताल गए। वहां हमें उसका शव मिला।'

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'मारकर नाले में फेंक दिया'

मोहशीन का शव भजनपुरा नाले में मिला था। मोहसीन के चाचा वारिस अली खान ने कहा, 'मंगलवार को करीब शाम 5 बजे, वह किसी काम के लिए भजनपुरा आया था। भीड़ ने उसकी कार घेर ली और उसे अपनी पैंट उतारने को कहा। इस दौरान उसने अपने किसी दोस्त को फोन किया। लेकिन जबतक कोई उसे बचाने के लिए कुछ कर पाता, लोगों ने उसे मारकर नाले में फेंक दिया।'

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Delhi Violence: दंगाइयों की भेंट चढ़ी शादी, जैसे-तैसे विदा की दुल्हन

आगजनी पथराव और मारपीट ने खुशियों के पूरे माहौल को गमगीन बना दिया। घर वालों ने बस किसी तरह दुल्हन को विदा भर कर दिया।
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Tahir Hussain: यूपी से मजदूरी करने दिल्ली आया था ताहिर हुसैन, बन गया AAP का पार्षद

Tahir Hussain इंटैलिजेंस ब्यूरो में तैनात कांस्टेबल अंकित शर्मा की हत्या में आरोपित आम आदमी पार्टी पार्षद ताहिर हुसैन को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है।
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Delhi Violence:आइबी में तैनात कांस्टेबल अंकित शर्मा की मर्डर में खुलासा, बेरहमी से हुई थी हत्या

Delhi Violenceबताया गया है कि अंकित के शरीर पर चाकू के कई घाव हैं। इसके लिए चार से पांच चाकू इस्तेमाल किए गए हैं।
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3 बार आए दंगाई, हिंदू-मुसलमानों ने मिलकर खदेड़ा

राम त्रिपाठी, बाबरपुर
तीन तरफ से दंगाग्रस्त इलाकों से घिरा न्यू जाफराबाद का इलाका हिंदू-मुस्लिम एकता और लोगों की सजगता के कारण ही सुरक्षित बचा हुआ है। यहां के लोग दिन-रात इलाके की पहरेदारी कर बाहरी लोगों पर नजर रखे हुए हैं। दंगाइयों ने यहां भी बवाल करने की कोशिश की। वह भी एक नहीं 3 बार, लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें यहां से खदेड़ दिया।

दंगा फैलने के अगले ही दिन 24 फरवरी की शाम 4 बजे नारे लगाते हुए कुछ युवक सुदामापुरी के रास्ते से न्यू जाफराबाद में घुसकर बवाल करना चाहते थे। उनके हाथों में लाठी-डंडे, लोहे की रॉड और चेन आदि थी। सुदामापुरी की गली नंबर 12 से 25-30 दंगाई युवकों का गुट वहां पहुंचा था। गली का दूसरा छोर मेन बाबरपुर है। न्यू जाफराबाद की तरफ जैसे ही दंगाई बढ़ने लगे, तभी सुदामापुरी के लोगों ने उन्हें ललकारा। यह देख दंगाई थोड़ा झिझके। स्थानीय लोगों ने उन्हें वापस जाने की चेतावनी दी तो युवक वहां से भाग गए।

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बवाल करने की दूसरी और तीसरी कोशिश बुधवार रात को हुई। रात 9:30 बजे हिंसक युवकों का एक गुट नारेबाजी करता हुआ रोहताश नगर नाला के रास्ते कॉलोनी के घुसा गया। स्थानीय लोगों ने उन युवकों को धमकाते हुए वापस भेज दिया।

इसके बाद रात लगभग 1:30 बजे के करीब बाहरी युवकों का दूसरा गुट उसी रास्ते से वहां पहुंचा। लोगों ने बताया कि हिंसक युवकों ने 2-3 राउंड गोली भी चलाई थी। स्थानीय लोगों ने समझदारी दिखाई और वे दंगाइयों के उकसावे में नहीं आए और तुरंत पुलिस को फोन कर सूचना दी। कुछ देर बाद वहां पैरामिलट्री के जवान पहुंचे और उन्होंने युवकों को खदेड़ दिया।

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सुदामापुरी के लोगों ने पेश की एकता की मिसाल

1992 में हुआ दंगा न्यू जाफराबाद और वाल्मिकी बस्ती सुदामापुरी के कुछ युवकों के बीच हुई हिंसा का परिणाम था। 23 फरवरी को दंगे शुरू होने के बाद मुस्लिम बाहुल्य न्यू जाफराबाद के निवासी अपने पड़ोसियों से थोड़ा सहमे हुए थे, लेकिन सुदामापुरी के लोगों ने दंगाईयों को भगाकर एकता की मिसाल पेश की।









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हिंसा वाले इलाकों की ग्राउंड रिपोर्ट: गुस्सा, दर्द और खौफ

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के उन इलाकों में मीडिया अभी पहुंच भी नहीं पा रहा है, जहां हिंसा चरम पर थी। गाड़ियां जलाई गईं, दुकाने लूटी गईं, पूरी मार्केट जला दी गई। वहां नवभारत टाइम्स के 2 पत्रकार रात में पहुंचे। इस दौरान उनके आईडी कार्ड कई बार चेक किए गए। लोगों में बहुत गुस्सा था। रोहित उपाध्याय और मोहम्मद असगर ने लोगों से बात की। दोनों ने उनका जो गुस्सा देखा, दर्द सुना, उसकी रिपोर्ट।

दंगे से झुलसी नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का रियलिटी चेक

'अरे भाई, अस्पताल छोड़ दो। बहुत खून बह रहा है। देखो ये सारा कपड़ा खून में सन गया है। मर जाएगा ये। कोई मदद नहीं कर रहा। पुलिस भी नहीं।' ये अल्फाज हैं 18-19 साल के लड़के के, जो अपनी हमउम्र के लड़के को कंधे पर उठाए सड़क पर दौड़ रहा है। बदहवास। खौफजदा। परेशान। लड़का कंधे पर बेहोश। इनके साथ एक और लड़का है। रात के पौने 11 बजे हैं। जगह है, दयालपुर थाने से चंद कदम की दूरी। सड़कों पर पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के अलावा कोई नजर नहीं आ रहा है। बस सन्नाटे को चीरती हुई सायरन की आवाजें, जिंदा होने का एहसास करा रही हैं। इन इलाकों में गाड़ियां जला दी गई हैं, दुकानें लूट ली गई हैं। पूरी मार्केट की मार्केट जला दी गई है। घरों जल चुके हैं। यहां बुधवार रात 8 बजे से 11 बजे तक एनबीटी के दो रिपोर्टर 8 किलोमीटर तक पैदल घूमें। इस दौरान कई बार आईडी कार्ड गुस्साए लोगों ने चेक किए। उनके गुस्से को देखते हुए हिंदू इलाकों में रोहित उपाध्याय ने बात की तो मुस्लिम इलाकों में मोहम्मद असगर ने।

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सीलमपुर: जहां रहता था जाम, वहां अब सन्नाटा
रात के 8 बजे थे। सीलमपुर की रेड लाइट सूनी थी। अमूमन यहां इतना जाम रहता है कि निकलने में ही 15-20 मिनट लग जाएं। बैरिकेड से एक रास्ता बंद कर रखा था। वहां पुलिस थी। टीवी वाले भी वहीं खड़े उस हिंसा की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जिसने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को जगह-जगह से जलाकर राख कर दिया है। उस रेड लाइट से जाफराबाद की तरफ बढ़े। सायरन की आवाजें परेशान करने वाली थीं। दूर-दूर तक इक्का दुक्का ही कोई नजर आ रहा था। वो भी खौफजदा। दुकानें बंद। जाफराबाद में प्रोटेस्ट चल रहा है। महिलाएं बैठी तो हैं, मगर एकदम खामोश। अगर कोई पास से जाकर न देखे तो पता ही न चले कि सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट चल रहा है। यहां महिलाएं खुद ही सिक्यॉरिटी गार्ड बनी हैं। चेक करने के बाद ही महिलाओं को अंदर भेज रही हैं। कुछ पुरुष भी बैठे हैं। महिलाएं हाथ में तस्बीह लिए इबादत कर रही हैं। अमन की दुआ कर रही हैं। पुलिस यहां बिल्कुल नहीं है। रियाज अहमद कहते हैं, जहां पुलिस जा रही है, वहीं हिंसा हो रही है। अच्छा है यहां पुलिस नहीं।


फरहाना कहती हैं, 'हमें डर नहीं, तभी तो बैठे हैं। हम गोली खाने के लिए बैठे हैं। मार दो हमें। पुलिस आई थी। कह रही थी, इसे पैक कर लो। हमने कहा 41 दिन यहां गुजार दिए। अब तभी हटेंगे जब सीएए वापस हो। ये जो हुआ वो सब कपिल मिश्रा ने किया। हम 23 फरवरी को कैंडल मार्च निकालने गए थे। भीम आर्मी भी थी, मगर कपिल मिश्रा ने लोगों को भड़का कर हमारे खिलाफ सड़कों पर बैठा दिया। जबकि हमारी लड़ाई कानून से है। लोगों से नहीं।' आजादी के सवाल पर रुखसाना कहती हैं, 'हम अपने बच्चों के मुस्तकबिल के लिए आजादी मांग रहें। जुल्म से। खौफ से। सीएए से, मगर हमारे नारों को ऐसे दिखाया जा रहा है, जैसे हम देशद्रोही हैं।' महिलाओं ने बताया कि यहां पर बाइक पर कुछ लोग आते हैं, गाली और धमकियां देकर भाग जाते हैं। इसपर सलमा कहती हैं, यहां के हिंदू भाइयों ने हमें बोला है। आप घबराएं नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं। इसके लिए उन्होंने अभी आधा घंटे पहले एकता मार्च निकाला। हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई के नारे लगाए गए हैं। कल शाम भी हिंदू मुस्लिम ने यहां मिलकर मार्च निकाला था। इसी बातचीत के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल वहां से गुजरते हैं। महिलाएं कहती हैं, हमें पता नहीं कौन गाड़ी में गया। मगर सीएम केजरीवाल का हमारी बात न सुनना बहुत तकलीफ देने वाला है। सायरन की आवाजें कलेजे पर चुभ रही हैं, जो सब हुआ है, नहीं होना चाहिए था। इतनी मौतें हुई हैं कि सुनकर रूह कांप रही है।

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आखिर किसपर करें भरोसा?
जाफराबाद थाने के पास पुलिस है, फोर्स है। वेलकम, जाफराबाद की गलियां सीलबंद हैं। लकड़ी, दरवाजे और अलमारी रखकर बंद कर रखा है। लोग पहरे पर बैठे हैं। बिल्कुल ऐसा लग रहा है, जैसे बॉर्डर पर पहरा हो। लोगों में डर इतना है कि हमें भी संदिग्ध नजरों से देख रहे हैं। जाफराबाद थाने से आगे बढ़े तो वेलकम ईदगाह के पास ही कुछ लोगों ने रोक लिया। पुलिस को लेकर गुस्सा था। पूछा-आप मीडिया वाले हैं? बताने लगे-देखो यहां पुलिस की वर्दी में लोग थे। पता नहीं पुलिस थी या कोई और। वो दो लड़कों को पकड़कर उनसे जबरन कुछ कहलवा रहे थे। उन्हें पीटा भी। जब और लोग आए तो यहां से वो वर्दी वाले जाने लगे, तभी लड़के भी भाग गए। अगर ये पुलिस है तो फिर हम किसपर भरोसा करेंगे। लोगों का गुस्सा इतना था कि हमपर यकीन नहीं कर रहे थे और आईडी चेक करने लगे। उनसे बात करने पर साफ जाहिर था कि सिर्फ इंसानों का कत्ल नहीं हुआ है, बल्कि विश्वास को भी कत्ल कर दिया गया है।

'ये झूठ बोल रही है, बंद करो इसे।'
मौजपुर चौक पर पहुंचे तो यहां मंदिर के पास एक टीवी एंकर लाइव शो कर रही थीं। चारों तरफ पुलिस और फोर्स। एंकर शो में बोल रही है, यहां सब कंट्रोल में है। शांति है। ये बात अभी बोली ही थी कि तभी दो लोग बाइक पर आते हैं। एक चिल्लाने लगता है, 'ये झूठ बोल रही है। झूठ दिखा रही है। बंद करो इसे।' पुलिस के सामने भड़कता है। और भी लोग पास आने लगते हैं, जो दूर गली में पहले से खड़े थे। तब पुलिस उन्हें हटाती है। ये वही इलाका है, जहां कपिल मिश्रा ने पुलिस को सड़क खाली कराने की चेतवानी दी थी। सड़क पर चारों तरफ पत्थर पड़े हैं। यहां से अब आगे बढ़ते हैं तो हिंसा के सबूत मिलने शुरू हो जाते हैं। आगे बढ़ने पर एक मिठाई की दुकान के बाहर कनस्तरों का ढेर पड़ा है। दुकानों को तोड़ने की कोशिश की गई है। एक स्कूटर सड़क पर जला पड़ा है, जिसमें कुछ नहीं बचा है। सड़क पर यहां-वहां चप्पल पड़े हैं। पत्थर पड़े हैं। डिवाइडर पर लगी ग्रिल टूटी पड़ी है। फायर ब्रिगेड की दौड़ती गाड़ियां। पुलिस फोर्स से भरी बसें। पुलिस सायरन की दहाड़ ये सब देख और सुनकर लगता ही नहीं था कि ये दिल्ली का हिस्सा है। हम पैदल चल रहे हैं, तभी एक बाइक पर दो लड़के धमकाते हुए गुजर जाते हैं। उनकी धमकी पर जाफराबाद में बैठी औरतों की बात याद आती है, कैसे उनको बाइक वाले धमका कर भाग रहे हैं।

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संविधान को टूटने नहीं देंगे, जहां ये लिखा है वो बोर्ड तोड़ दिया गया है
कर्दमपुरी जहां सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट हो रहा था, वहां अब एकदम सन्नाटा है। यहां पुलिस नहीं है। कॉलोनी के गेट पर एक बोर्ड लगा है, जिसपर लिखा है, 'बाबा साहेब के संविधान को टूटने नहीं देंगे।' मगर जिस बोर्ड पर ये लिखा था वो टूटकर लटक गया है। उसपर लगा रह गया है तिरंगा। जो हवा से लहरा रहा है, मगर यहां की हवा साफ नहीं महसूस हो रही है। बराबर में लगा टेंट उजाड़ हो चुका है।

कर्दमपुरी से दूसरी तरफ सामने ही यमुना विहार है। यहां सी ब्लॉक का बोर्ड लगा है, जहां पुलिस की एक गाड़ी खड़ी है। तीन लोग पार्क में से निकलकर आते हैं, जहां चार पांच गाड़ियां जली पड़ी हैं। विनय के हाथ में डंडा है। विनय कहते हैं, देखो कर्दमपुरी की तरफ से आए लोगों ने कितने पत्थर मारे हैं। गाड़ियां जला दी हैं। मगर ये पत्थर दूसरी तरफ भी इतनी ही तादाद में पड़े थे। इस सवाल पर वो मुस्तफाबाद की बात करने लगते हैं। तीनों लोग इतने गुस्से में थे कि वहां खड़ी पुलिस की गाड़ी भी चली गई। सतीश आईडी कार्ड चेक करने लगे, नाम पूछने लगे। तो उनसे रोहित ने बात की। विनय या सतीश ही गुस्से में नहीं थे, बल्कि मुस्लिम इलाकों में भी ये गुस्सा उतना ही नजर आया। मगर वहां पुलिस के खिलाफ ज्यादा गुस्सा था। उनका कहना था कि अगर पुलिस तैनात होती तो तबाही नहीं होती। ये बात हिंदू इलाकों में भी बोली गई।


शक की निगाह से देखते लोग
अब गोकलपुरी पहुंच चुके थे। वहां एक परिवार बैग लादे पैदल परेशान भटक रहा था। पुलिस ने ऑटो रुकवाकर उसमें उन्हें बैठाया और वहां से फिर गाड़ी चली गई। गलियों में खड़े लोग हमें संदिग्ध नजरों से देख रहे थे। देखना लाजिमी था। ये इलाका हिंसा के चादर में लिपटा था। आगे मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे। यहां पुलिस फोर्स बहुत ज्यादा था। फोर्स से भरी बसें दूसरे इलाके में मूव कर रही थीं। पुलिस जहां भी नजर आई तो बहुत नजर आई या हिंसा वाले इलाकों में नजर ही नहीं आई।

वे नारे लगाते आए और सब जला गए
दयालपुर थाने से चंद कदम आगे बढ़े तो वो टायर मार्केट आ गई, जो जलकर अब राख बची है। टायरों का तार लोहा बनकर पैरों में उलझ रहा था। इस मार्केट का धुआं गला घोट रहा था। बिल्कुल अंधेरा। मोबाइल की टॉर्च सी उसकी हालत देखी। मार्केट में सिर्फ झींगुर की आवाज। तभी वहां अचानक एक कुत्ता भौंका, जिसने सन्नाटे को ऐसा चीरा कि डर गए। इस मार्केट में अब कुछ नहीं बचा दुकानें गिर गई हैं। गाड़ियां भी जली पड़ी हैं। बुझाने के लिए डाला गया पानी मार्केट में भरा हुआ है। इस मार्केट के बराबर में ही पेट्रोल पंप है। पंप पर काम करने वाले प्रवीण शर्मा ने बताया, 'एक भीड़ थी जो धार्मिक नारे लगाती हुई आई और टायर मार्केट को जला दिया। मैं दौड़ा हुआ थाने पहुंचा। पुलिस से मदद मांगी, क्योंकि हम भी डर गए थे कि कहीं पेट्रोल पंप में आग न लग जाए। पुलिस ने बोल दिया हम कहां कहां देखें। पुलिस नहीं आई। ये दुकानें मुसलमानों की थीं। जला दी गईं।' इसी पंप के पास सड़क पर एक ऑटो जला पड़ा है। उससे आगे मुसलमानों की दुकानों के सामने तीन गाड़ियां और जली पड़ी हैं।



अभी बात कर ही रहे थे, तीन लड़के दिखाई दिए। दो दौड़ रहे थे। एक कंधे पर था। एक कंधे से उतारता, फिर दूसरा उसे अपने कंधे पर डाल लेता था। गाड़ी रोकने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे, मगर रात के 10:45 बजे कौन अपनी गाड़ी रोके, वो भी उस जगह जहां नफरत का धुआं टायर मार्केट से उठ रहा है। लड़कों के कपड़े खून से सने थे। नाम पूछने पर एक विनय बताता है, तो दूसरा भी अपना हिंदू नाम बताता है। घबराए हुए। परेशान। एक कहता हैं, हमें मारा है। दूसरा कहता है, ना भाई हमें किसी ने ना मारा ये सीढ़ियों से गिर गया। बस हमें अस्पताल जाना है। एक लड़का फिर भी बोलता है, गोकलपुरी में मारा है। जब उससे कहा कि पीछे तो बहुत पुलिस है उनसे मदद नहीं मांगी, तो कहने लगे, 'उन्होंने भगा दिया। कह रहे थे भाग जाओ गोली मार देंगे' उनके लिए ऑटो रोका। बाइक रोकी, किसी ने नहीं बैठाया। तभी एक पुलिस वाला दिखा उससे मदद मांगी, उसने बोल दिया-100 नंबर पर कॉल कर लो हम नहीं जा सकते। ये बात कहकर शायद पुलिस ने अपनी ड्यूटी निभा दी थी।


रात रात से भी ज्यादा स्याह थी, क्योंकि नफरत की आग से उठे धुएं ने सबकुछ इतना धुंधला कर दिया था कि इंसानियत दिख नहीं रही थी। लड़के के लगातार खून बह रहा था। वो फिर हांफते हुए पैदल ही दौड़ने लगे। तभी एक ऑटो हमने रुकवा लिया। उस ऑटो वाले से गुजारिश की, वो बैठाने के लिए राजी हो गया, तभी उनमें से एक लड़का जोर से चिल्लाया, सलमान आजा ऑटो मिल गया। सलमान दौड़ा हुआ वापस आया और बेहोश लड़के को ऑटो में डाला, तीनों अस्पताल को निकल गए। वो खौफजदा लड़के जहन में ढेर सारे सवाल छोड़ गए। वो सवाल जो कपड़ों से पहचान नहीं कर पाए, क्योंकि खून में सने थे। वो सवाल जो पुलिस पर उठ रहे हैं। वो सवाल इलाके के माहौल पर उठ रहे हैं। वो सवाल इंसानियत को झंझोड़ रहे हैं।

हाथ जोड़ता हूं रुक जाओ, मस्जिद को बचाने के लिए जितेंद्र ने खाये धक्के और पत्थर

रात का खौफनाक मंजर जो देखा वो सुबह में और भी भयानक नजर आया। सुबह में टायर मार्केट वाली जगह पर फोर्स तैनात हो गई है। कुछ मीडिया वाले यहां पहुंचे तो उन्हें हटा दिया गया। जबकि रात में यहां सन्नाटा था। कोयला बन चुकी मार्केट नफरत के मुंह पर कालिख पोत रही है। मगर सुबह हुई है तो एक उम्मीद नजर आई। बर्बादी के ढेर पर कुछ अच्छा बचा रह गया। गोकलपुरी में उस जगह गुरुवार सुबह में पहुंचे, जहां मस्जिद को जला दिया गया था और एक भगवा झंडा फहरा दिया गया था।


'रुक जाइए। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं, मस्जिद को मत जलाओ। हमारे मोहल्ले का माहौल मत बिगाड़ो। मगर भीड़ इतनी उग्र थी कि नहीं रुकी। मेरे हाथ जोड़ने से भी नहीं, बल्कि मेरे मकान पर पत्थर मारे गए।' अशोक नगर की मस्जिद में खड़े अशोक शर्मा ये बताते हुए आंखों में आंसू ले आए। अशोक नगर में उनके सामने मस्जिद को तोड़ा जा रहा था। दुकानों को लूटा जा रहा था। आग लगाई जा रही थी। और उसकी मीनार पर झंडा लगाया जा रहा था।

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मीनार पर झंडा लगाने पर मोहम्मद सलीम कहते हैं, चलो झंडा लगाया कोई बात नहीं। ये इबादतगाह है। और झंडा उनकी इबादत। इबादतगाह तो सबके लिए होती है। वहां कोई भी आ सकता है। झंडा लगाते, मगर मस्जिद में तोड़फोड़ नहीं करनी चाहिए थी। सलीम कहते हैं, हम यहां नहीं थे, जब आए तो देखा सब जल चुका था। कोई न कोई तो था, जो ये बता रहा था कि ये मुसलमान की दुकान है और ये हिंदू की, जो सिर्फ गैर मुस्लिम की दुकान बची। लेकिन इतना मालूम है कि सब राख करने वाले इस कॉलोनी के लोग नहीं थे। हमारा पड़ोस बहुत अच्छा है। दंगाई बाहर से आए और सब जला गए। तीन बार अटैक हुआ।


मस्जिद के कैंपस में भी करीब सात दुकानें हैं, जिनमें एक राजू की थी। बस वही बची है। बाकी तोड़कर लूट ली गई हैं और आग लगा दी गई है। जब भीड़ यहां पहुंची तो उसने दुकानें तोड़ने शुरू कर दीं। जितेंद्र शर्मा ने उस भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन जितेंद्र शर्मा को धक्का मार दिया गया। धमकी दी गई जो रास्ते में आएगा, उसे भी नहीं छोड़ा जाएगा। जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि तभी मेरा बेटा आया और मुझे भीड़ में से खींचकर घर में ले गया। बाहर आग लगाई जा रही थी। मुझसे घर में नहीं रहा गया। घर की बालकनी में पहुंचा। हाथ जोड़े। मगर भीड़ नहीं रुकी। मेरे घर पर भी पत्थरबाजी करने लगे। पुलिस को कई बार फोन किया। मौलवी साहब को पीट रहे थे। उन्होंने छत से दूसरी तरफ कूदकर जान बचाई। पुलिस बहुत देर बाद आई। मौलवी साहब और बाकी मुस्लिम लोगों को उनके जरिए बाहर निकलवाया। लेकिन भीड़ ने बाद में मुस्लिमों के घर भी जला दिए। कुछ नहीं बचा। कुछ भी मतलब खाने का एक दाना भी नहीं।

खुर्शीद और बिलकीस दोनों मियां बीवी अपने जले हुए घर को निहार रहे थे। इनका घर मस्जिद के पीछे था। बिलकीस अपने बच्चों की अधजली किताब उठाती हैं। कहती हैं, बच्चों के एग्जाम थे। सब जला दिया। खाने को नहीं बचा। बस ये जिस्म पर कपड़े बचे। अगर भागते नहीं तो शायद ये भी नहीं बचते। इतना कहते ही वो रो पड़ीं। खुर्शीद का ई रिक्शा जल चुका है, कमाई का जरिया भी नहीं बचा। बिलकीस कहती हैं, कहां से खिलाऊं बच्चों को। हिम्मत नहीं बची है। इतना गहरा जख्म मिला है।


इस इलाके में पांच-छह घर मुस्लिमों के हैं। सिर्फ एक घर बचा है। सब जला दिए गए। घर से पानी के मोटर तक निकाल ले गए। एक जूते का गोदाम था वो भी जला पड़ा था। जूतियां सड़क पर पड़ी हैं, मगर लगता ऐसा है, जैसे इंसानियत पर पड़ी हैं। एक घर में बुलेट का जला हुआ ढांचा पड़ा था। हालत देखकर लग रहा था, नफरत की आग सितम बनकर बरसी थी। यहां जिस पीड़ित से मिले, वो रो पड़ा। यहां तक की बुजुर्ग मो. सलीम भी। ये दर्द जितेंद्र की बातों में भी इतना ही था, वो कहते हैं, दर्द मिला है। ये बर्बादी देखकर दिल बैठा जाता है। जितेंद्र से बात करके एक उम्मीद दिखी कि इंसानियत को सलामत रखने के लिए जितेंद्र जैसी शख्सियतों की बेहद जरूरत है, ताकि उनका प्रेम इतना बरसे कि नफरत की आग लगने ही न पाए।

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Delhi Violence: दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर बोले- जल्द होंगी और गिरफ्तारियां

पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि जल्द ही मामले में और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी।
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Delhi Violence: हिंसा के बीच इंसानियत की मिसाल बने चांद बाग के रईसुल इस्लाम

हिंसा के कारण दिल्ली में तनाव के माहोल के बीच रईसुल इस्लाम जैसे लोग भाईचारे का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। रईसुल उन लोगों को दवाएं मुहैया करने की कोशिश कर रहे हैं।
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Delhi Violence : हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री उपलब्‍ध कराएगी केजरीवाल सरकार

आम आदमी पार्टी ने निर्णय लिया है कि वे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री लोगों को मुहैया कराएगी।
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Wednesday, February 26, 2020

Delhi Violence: हिंसा में 106 लोग गिरफ्तार, व्हाट्सएप ग्रुप और बाहरी लोगों की भूमिका की जांच

दिल्ली में शुरू हुई हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि जब्त किए गए फोनों से पता चला कि सुनियोजित तरीके से भीड़ जुटाई गई थी।
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दिल्ली हिंसाः नाले में मिलीं 2 और लाशें, 35 मौतें

नई दिल्ली
हिंसा की आग में उत्तर-पूर्वी दिल्ली किस कदर झुलसी, इसकी तस्वीर धीरे-धीरे सामने आ रही है। गुरुवार को गगनपुरी में एक नाले से दो लाशें मिलने से आशंकाएं और गहरी हो गईं। बता दें कि बुधवार को खजूरी खास के नाले में आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा का शव मिला था। इस तरह दिल्ली में हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या अब बढ़कर 35 हो गई है।

दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों में अभी भी जबर्दस्त तनाव है। बुधवार रात भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गईं। उपद्रवियों ने ज्योतिनगर में अशोक नगर फ्लाइओवर के पास छोटा हाथी और बाइक जला डाली।

पढ़ें- दिल्ली हिंसा: छत पर पेट्रोल बम का जखीरा, ईंटें... और फंसे ताहिर हुसैन, AAP बचाव में उतरी

जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, गोकुलपुरी और आसपास के इलाकों में शांति रही, लेकिन खौफ और दहशत का माहौल अभी बना हुआ है। ज्यादातर दुकानें बंद हैं और उनके दरवाजों पर हिंसा के निशान साफ देखे जा सकते हैं।

हिंसा को रोकने के लिए पुलिस प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च कर रही है। भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी उत्तर-पूर्वी जिले में तैनात हैं। दिल्ली दमकल सेवा के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि दिल्ली दमकल सेवा को दंगाग्रस्त इलाकों से आधी रात से सुबह आठ बजे तक 19 फोन मिले।

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उन्होंने बताया कि इलाके में 100 से अधिक दमकलकर्मी तैनात हैं और इलाके के सभी चार दमकल केंद्रों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए दमकल की अतिरिक्त गाड़ियां दी गईं और वरिष्ठ अधिकारी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी दंगा प्रभावित इलाकों में डेरा डाले हुए हैं।

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जामिया मिल्लाया इस्लामिया मामले में दिल्ली HC ने राज्य सरकार और पुलिस को जारी किया नोटिस

मो. मुस्तफा (छात्र) ने यूनिवर्सिटी में पुलिस द्वारा 15 दिसंबर को की गई कथित हिंसक कार्रवाई के लिए 1 करोड़ रुपये की नुकसान भरपाई के रूप में मांग की है।
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Delhi Violence: ताहिर हुसैन पर AAP की सफाई, कहा- कोई भी अगर दोषी है तो कार्रवाई हो

Delhi Violence आप नेता संजय सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी पहले दिन से कह रही है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी पार्टी या धर्म का हो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
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छत पर पेट्रोल बम का जखीरा... और फंसे ताहिर, AAP बचाव में

नई दिल्ली
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के खजूरी में हिंसा भड़काने में आप पार्षद ताहिर हुसैन का हाथ था? अब उनके घर से आई कुछ तस्वीरों से शक की सूई और गहरा गई है। ताहिर हुसैन के घर से गुलेल, पेट्रोल बम और कट्टों और ट्रे में भरे मोटे पत्थर बरामद किए गए हैं। इसी घर का एक विडियो भी पहले सामने आया था, जिसमें वहां से लगातार पत्थर और पेट्रोल बम चल रहे थे। आईबी स्टाफ अंकित शर्मा के मर्डर के पीछे भी परिवार इस घर की छत पर मौजूद लोगों को जिम्मेदार ठहरा रहा है। हालांकि, आप पार्षद ताहिर खुद को बेकसूर बता रहे हैं। आम आदमी पार्टी ताहिर हुसैन के बचाव में उतरी है और इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है।

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छत पर पड़े मिले पत्थर-पेट्रोल बम
अब माहौल शांत होने के बाद जब कुछ मीडियाकर्मी उस घर की छतपर पहुंचे तो नजारा दिखा। घर की छत पर पत्थर ही पत्थर दिखे। वहां कुछ पत्थरों का चूरा भी था, जैसे वहां मोटे पत्थरों को कूटकर छोटा किया गया हो। साथ ही वहीं एक बड़ी सी गुलेल भी पड़ी थी। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में पट्रोल भरा मिला है, जिनपर कपड़ा लगाकर उनसे बम बनाने की कोशिश हुई है। इसके अलावा कई कट्टे, बोरियां मिलीं, जिनमें से कुछ में पत्थर भी थे।


ताहिर का जवाब- किसने फेंके बम, पता नहीं
इस मामले में ताहिर अबतक खुद को बेकसूर बता रहे हैं। उनका कहना है कि हिंसा के वक्त वह घर में मौजूद ही नहीं थे। पुलिस ने उन्हें पहले ही वहां से निकाल दिया था। वह बोले कि मेरे घर से कौन बम फेंक रहा था पता नहीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि सामने वाले घरों से भी उनके घर की तरफ पत्थर चल रहे थे।


पार्षद के बचाव में उतरी आम पार्टी
आम आदमी पार्टी अपने पार्षद ताहिर के बचाव में उतर गई है। AAP ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ताहिर के घर पर आठ घंटे बाद पहुंची थी। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आप नेता संजय सिंह ने कहा, 'ताहिर हुसैन का सवाल है, उन्होंने बयान जारी किया। उनके घर के अंदर भीड़ घुसी, तो पुलिस को जानकारी दी। लगातार अपने को बचाने के लिए पुलिस से मदद मांगी। पुलिस आठ घंटे बाद पहुंची और पुलिस ने उन्हें निकाला। कहीं कोई दोषी हो, तो आप कार्रवाई कीजिए। ताहिर हुसैन का बयान है कि उनके घर में भीड़ घुसी थी। पत्थर क्यों थे, इस पर कहा कि पुलिस के अधिकारी ही यह बता सकते हैं। वह तो दो दिन से घर में है ही नहीं, पुलिस ने निकाला है।'


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IB स्टाफ का मर्डर, परिवार ने ताहिर हुसैन पर लगाए आरोप
इसी इलाके में रहनेवाले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में अफसर अंकित शर्मा (26) की हत्या हो गई है। अंकित के परिवार का आरोप है कि ताहिर हुसैन की छत पर जो लोग मौजूद थे वे ही अंकित तो घसीटकर ले गए थे और उन्होंने ही अंकित का मर्डर किया। बता दें कि अंतिक की डेड बॉडी पास के नाले से बरामद हुई थी।

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एक-दूसरे की मदद कर राख होने से बचाईं 50 दुकानें

नई दिल्ली
मौजपुर-बाबरपुर मेट्रो स्टेशन से चंद कदम दूर कर्दमपुरी-कबीर नगर के सामने विजय पार्क का इलाका। यहां मंगलवार को जमकर पथराव हुआ और गोलियां चलीं। यहां की सड़क अभी भी ईंट-पत्थरों से लाल है। लेकिन इलाके के लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल दी है। इस मिसाल की बदौलत ही कम से कम 50 दुकानों को जलने से बचा लिया गया।

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यहां रहने वाले करीम चौधरी ने बताया, मंगलवार सुबह 11:30 बजे अचानक मौजपुर और कबीर नगर की तरफ से लोगों का हुजूम आने लगा। दोनों ओर से पत्थरबाजी शुरू हो गई। उपद्रवियों ने प्रॉपर्टी को निशाना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले दो दुकानों पर हमला हुआ। यह दोनों समुदायों की थी। एक की फर्नीचर की दुकान थी तो दूसरे का क्लिनिक। भीड़ और भी दुकानों को निशाना बनाना शुरू कर चुकी थी। लेकिन वक्त रहते स्थानीय हिंदू-मुस्लिम लोगों ने मोर्चा संभाल लिया।

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लोगों के मुताबिक, उपद्रवियों की भीड़ में अधिकतर पहचान में नहीं आ रहे थे। वह बाहर से आए थे। ऐसे में लोगों ने एक-दूसरे की मदद की। मिठाई की दुकान चलाने वाले मुकेश ने कहा, हमने करीब 9 महीने पहले ही यहां शोरूम खोला है। हमारे अधिकतर ग्राहक मुस्लिम हैं। कभी लगा ही नहीं कि हम यहां सुरक्षित नहीं है। इतना प्यार कि पूछिये मत। लेकिन मंगलवार को जो कुछ हुआ, उससे दुख हुआ। उनके शोरूम में तोड़फोड़ की गई। काफी नुकसान हुआ है। कुछ मुस्लिम भाइयों ने मदद की, वरना तो भीड़ तबाही बरपाने आई थी।

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'...पर नहीं आई पुलिस'
लोगों ने बताया कि मंगलवार को यहां जो कुछ हुआ, उसमें पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही थी। हम मौके पर ही थे। जब पत्थरबाजी हो रही थी, तो पुलिस मौजपुर चौक पर थी। कोई भी इधर नहीं आया। काफी देर तक यहां पत्थरबाजी होती रही। गोलियां चलती रहीं। बाद में जब हालात काबू से बाहर होने लगे, तब जाकर फोर्स आई। अगर पहले ही फोर्स आ जाती, तो यह सब नहीं होता। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों ने तो बिजली तक काट दी थी। शायद उनका इरादा रात में लूटपाट और कत्लेआम का था। पर लोगों ने मीटिंग करके दंगाइयों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

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Delhi Violence: पुलिसकर्मी के फर्ज की लाठी ने झुकाई एक दंगाई पिस्तौल, पढ़िए- पूरी खबर

Delhi Violence दंगाइयों की भीड़ में पिस्टल लिए पहुंचे शाहरुख का हेड कांस्टेबल दीपक दहिया ने सिर्फ लाठी के बल पर सामना किया था।
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गृह मंत्रालय ने दिल्ली की स्थिति पर नजर रखने को तत्काल प्रभाव से IAS जलज श्रीवास्तव को किया नियुक्त

श्रीवास्तव एजीएमयूटी 1984 के अधिकारी हैं। उन्हें दिल्ली की स्थिति पर नजर रखने के लिए राजधानी लाया गया है।
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जानें कौन हैं ताहिर हुसैन, जिन पर लगा IB जवान अंकित शर्मा की हत्या में संदिग्ध भूमिका का आरोप

ताहिर हुसैन की भूमिका दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी(IB) के जवान अंकित शर्मा की हत्या के मामले में संदिग्ध मानी जा रही है।
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