Friday, February 28, 2020

दिल्ली हिंसा:कल तक खुशियों का शोर, आज मातम

नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या अब तक बढ़कर 42 हो गई है, वहीं करीब 200 लोग घायल हैं। हर गुजरता दिन नए राज खोल रहा है। कहीं नालों से लाशें मिल रही हैं तो कहीं जले घरों और गाड़ियों से शव बरामद हो रहे हैं, जो इस हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ाते जा रहे हैं। गुरुवार को गुरु तेग बहादुर अस्पताल से 35 साल के मुदस्सर खान के शव की पहचान हुई, जिनकी मौत दिल्ली दंगे के दौरान हुई थी। करीब दो हफ्ते पहले जिस घर में एक छोटी बच्ची की किलकारी गूंजने से खुशियों का शोर था, अब वहां मातम छाया हुआ है।

8 बेटियां, सबसे छोटी 15 दिन की मासूम
शुक्रवार को मुदस्सर खान की पत्नी इमराना अपनी 15 दिन की बच्ची इनाया को गोद में लिए रोती दिखीं। उनकी सात और बेटियां हैं, जिनकी उम्र अलग-अलग है और सबसे बड़ी बेटी की उम्र 14 साल है। मुदस्सर खान की मां केसर खान ने रोते हुए कहा- 'इन बच्चों के चेहरो देखिए। छोटी बच्चियों को तो ये पता भी नहीं है कि क्या हुआ है। अब उनके भविष्य का ध्यान कौन रखेगा?' 14 साल की सबसे बड़ी लड़की ने कहा कि 14 फरवरी को मेरा जन्मदिन था और पापा ने मुझे एक गाउन गिफ्ट में दिया था।


किसी काम से कर्दमपुरी गए थे युसुफ
मुदस्सर खान प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस करते हैं। उनके छोटे भाई युसुफ खान अपने भाई को हर मुसीबत का हल निकालने वाला कहते हुए याद करते हैं। युसुफ ने कहा- 'मेरे भइया सोमवार को किसी काम से कर्दमपुरी गए हुए थे। वह वहीं पर फंस गए और उन्होंने मुझे कर्दमपुरी में भड़की हिंसा के बारे में बताया। मैंने उनसे कहा था कि जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, घर के अंदर ही रहें। अगले दिन उन्होंने सुबह मुझे फोन किया। वह लगातार बढ़ रही हिंसा से काफी चिंतित थे और भइया ने मुझसे वहां आकर उन्हें निकालने के लिए कहा था।'

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अजनबी ने फोन उठाकर दी मौत की सूचना
जब युसुफ ब्रिजपुरी ब्रिज पर पहुंचे तो वहां उन्होंने देखा कि दोनों ही समुदायों के दंगाई एक दूसरे पर पत्थर बरसा रहे थे। युसुफ बताते हैं- 'मैंने अपने भाई को कई बार फोन किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। मैं काफी डर गया था। उसके बाद किसी अजनबी ने फोन उठाया और कहा कि मेरे भाई सड़क पर मरे पड़े थे और टाटा 407 से एक शख्स ने उनके शव को जीटीबी अस्पताल पहुंचाया।'

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बाहरी लोगों ने किया दंगा
परिवार स्थानीय नेताओं और पुलिस से मदद लेकर अस्पताल पहुंचे और मुदस्सर खान का शव घर लाए। आंखों में आंसू लिए मुदस्सर के पिता कहते हैं- 'उसके सिर में गोली मारी थी। वह बहुत ही जिम्मेदार बेटा था।' भले ही इलाके में शुक्रवार को भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, लेकिन वहां रहने वाले खुद को सुरक्षित नहीं मान रहे थे। युसुफ ने कहा- 'स्थिति बहुत ही गंभीर है और हम अपने घरों से सिर्फ कुछ घंटों के लिए बाहर निकलते हैं। यहां दोनों ही समुदाय के लोग रहते हैं और हमने कभी ऐसी भयावह स्थिति नहीं देखी। बल्कि, स्थानीय लोगों का कहना है कि दंगा करने वाले लोग बाहरी थे।'

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