Friday, January 29, 2021

आखिर क्यों रोने लगे थे राकेश टिकैत? जानिए उस रात की इनसाइड स्टोरी

प्रशांत सोनी/नई दिल्ली
गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान कई जगहों पर हुई हिंसा बाद दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। गुरुवार को तो जिस तरह से सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भारी तादाद में पुलिस फोर्स तैनात की गई और किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उन्हें पुलिस की तरफ से नोटिस भेजे गए और लुक आउट सर्कुलर जारी किए, उसके बाद सवाल उठ रहे थे कि अगर ये नेता गिरफ्तार हो गए, तो आंदोलन को लीड कौन करेगा। उसके बाद अचानक राकेश टिकैत का रोते हुए एक विडियो सामने आया और देखते ही देखते पूरे आंदोलन का माहौल बदल गया। उस रात टिकैत क्यों रोए थे,जानिए उसकी इनसाइड स्टोरी...

.... तो क्या बीजेपी विधायक ने बिगाड़ा खेल?
गुरुवार देर शाम गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की कमान संभाल रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के पुलिस के सामने सरेंडर करने की खबरें तक आ चुकी थीं और गाजियाबाद के एसएसपी व एडीएम उन्हें जगह खाली करने का नोटिस देने भी पहुंच गए थे। तब माना जा रहा था कि चंद घंटों में गाजीपुर बॉर्डर खाली हो जाएगी, लेकिन फिर राकेश टिकैत का एक ऐसा विडियो सामने आया, जिसने पूरी बाजी ही पलट दी। महज एक डेढ़ मिनट के विडियो में टिकैत फूट-फूटकर रोते हुए नजर आए। वह कह रहे थे कि गिरफ्तारी के नाम पर किसान आंदोलन को खत्म करने और उन्हें जान मारने की साजिश रची जा रही है। उससे कुछ ही देर पहले बीजेपी विधायक नंदकिशोर गूजर और सुनील शर्मा के नेतृत्व में कुछ लोग हाथों में तिरंगे झंडे लेकर विरोध-प्रदर्शन करने धरनास्थल पर पहुंचे थे। ये लोग किसानों को वहां से हटाए जाने की मांग भी कर रहे थे।


किसानों के साथ हुई मारपीट, तंबू भी उखाड़े
आरोप है कि उस दौरान कुछ लोगों ने आंदोलन में शामिल कुछ किसानों के साथ मारपीट की और कुछ तंबू भी उखाड़ दिए। टिकैत ने उसी का हवाला देते हुए बीजेपी पर किसान आंदोलन को कुचलने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए घोषणा कर डाली कि अब वह न तो यहां से हटेंगे और ना गिरफ्तारी देंगे। यूपी के प्रशासन की तरफ से कार्रवाई करते हुए धरनास्थल पर बिजली और पानी की जो सप्लाई रोक दी गई थी, उसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए राकेश टिकैत अनशन पर बैठ गए और घोषणा कर दी कि अब जब तक उनके गांव से उनके लिए पानी नहीं आएगा, तब तक वे पानी भी नहीं पिएंगे।

टिकैत के आंसू बन गए इज्जत का सवाल
टिकैत की इस अपील का ऐसा असर हुआ कि रातोंरात पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवों और कस्बों से किसानों के जत्थे टिकैत को समर्थन देने के लिए गाजीपुर बॉर्डर की तरफ कूच कर गए। टिकैत के गांव सिसौली में भी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और रात को ही उनके पानी लेकर दिल्ली के लिए निकल पड़े। टिकैत के आंसुओं को किसानों ने इज्जत का सवाल बना लिया। कुछ किसान तो यह तक कहते नजर आए कि टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में नई जान फूंक दी है। हालांकि माना जा रहा था कि गुरुवार देर रात यूपी पुलिस कोई बड़ी कार्रवाई करते हुए रास्ता खाली करवा सकती है, लेकिन टिकैत का विडियो वायरल होने के बाद जिस तरह की प्रतिक्रियाएं समाने आईं और एकदम से उनके प्रति समर्थन उमड़ पड़ा। उसे देखते हुए प्रशासन को भी अपने कदम पीछे खींचने पड़े और देर रात को ही फोर्स वापस लौट गई। सुबह होते-होते सैकड़ों की तादाद में कई अन्य किसान गाड़ियों और ट्रैक्टरों पर सवार होकर गाजीपुर पहुंच गए। टिकैत ने अपने गांव से लाए गए पानी को पीकर अपना अनशन खत्म किया। गांव से उनके लिए मट्ठा भी भेजा गया। इसके अलावा कई अन्य लोग भी अपने गांवों से उनके लिए पानी और गंगाजल तक लेकर आए। यह सिलसिला शुक्रवार को पूरे दिन जारी रहा।


घर लौट चुके लोग भी वापस आए
टिकैत ने पुलिस और प्रशासन की पूरी कार्रवाई को किसान आंदोलन कुचलने की साजिश के रूप में पेश करके पूरे माहौल को ही बदल डाला और हिंसा के बाद से ठंडे हो चुके आंदोलन में एक नई जान फूंक दी। इसका ऐसा असर हुआ कि ट्रैक्टर रैली के बाद पुलिस के एक्शन को देखते हुए जो लोग अपने गांवों को लौट गए थे, वे भी गाजीपुर बॉर्डर पर वापस आ गए। वहीं बड़ी तादाद में नए लोग भी यहां पहुंच गए। टिकैत की आंखों के आंसू किसानों के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गए और इसे किसानों की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान के साथ जोड़कर टिकैत एक बार फिर किसानों को लामबंद करने में कामयाब रहे। उसी का नतीजा रहा कि हिंसा के बाद से शांत बैठे राजनीतिक दल भी एक बार फिर से आंदोलन को मुखर तरीके से समर्थन देते नजर आए।


राजनीतिक स्तर पर भी मिला भारी समर्थन
शुक्रवार की सुबह आरएलडी के नेता जयंत चौधरी के अलावा आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी टिकैत के प्रति समर्थन जताने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। सिसोदिया ने यहां दिल्ली सरकार की तरफ से पेयजल की व्यवस्था भी करवाई। दोपहर में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और दिल्ली की कांग्रेस नेता अलका लांबा भी यहां पहुंचीं। बताया गया कि प्रियंका गांधी ने भी टिकैत से फोन पर बात करके उनके प्रति अपना समर्थन जताया। समाजवादी पार्टी समेत कई अन्य दलों के नेता और उनके समर्थक भी यहां पहुंचे, जिससे गाजीपुर बॉर्डर पर भीड़ बढ़ती चली गई।


यूपी का ही पानी पीने की जिद पर अड़े
राकेश टिकैत ने साफ कर दिया कि जब तक वह आंदोलन में शामिल हुए किसानों को सम्मान के साथ उनके घर तक नहीं पहुंचा देंगे, तब तक यहां से नहीं हटेंगे। गिरफ्तारी को लेकर भी उन्होंने कहा कि पुलिस को यहां आने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि मैं खुद गिरफ्तारी देने जाऊंगा, लेकिन यह तभी होगा जब सरकार सम्मान के साथ किसानों के वापस लौटने का रास्ता साफ करेगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सरकार के साथ उनकी बातचीत चल रही है। टिकैत ने धरनास्थल की बिजली-पानी काटे जाने की निंदा करते हुए कहा कि वैसे दिल्ली सरकार ने उनके लिए पानी के टैंकर की व्यवस्था करवाई है, लेकिन हमें दिल्ली का पानी नहीं चाहिए। हम उत्तर प्रदेश का ही पानी पिएंगे और अगर सरकार ने हमारे लिए पानी की व्यवस्था नहीं की, तो हम यहीं सबमर्सिबल खोदकर अपने लिए पानी का इंतजाम कर लेंगे।

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