नई दिल्ली
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) मामले में हिरासत में लिए गए ज्यादातर विदेश नागरिक अपने देश वापस चले गए हैं लेकिन 44 विदेश ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने देश लौटने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है इसलिए जुर्माना भरकर या फिर माफी मांगकर वापस जाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने भारत में ही रहकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करने का फैसला किया है। लगभग 250 तबलीगी जमात के सदस्यों पर 5 हजार से लेकर 10 हजार का जुर्माना लगाने के बाद उन्हें स्वदेश लौटने की अनुमति दे दी गई है।
अमेरिका के रहने वाले अहमद अली भी मरकज में शामिल हुए थे। उनका कहना है, 'मैंने क्या कुछ गलत किया है? मैंने कोई कानून नहीं तोड़ा। देशव्यापी लॉकडाउन होने से पहले ही मैंने मरकज छोड़ दिया था। मैं यहीं रुककर कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। मैं नहीं चाहता कि ऐसे अमेरिकी नागरिक के रूप में जाना जाऊं जिसने विदेशी धरती पर कानून तोड़ा हो।'
2 अप्रैल को दिल्ली में तबलीगी जमात (Tablighi jamaat) के इंटरनैशनल हेडक्वार्टर निजामुद्दीन मरकज से 2346 लोगों को बाहर निकाला गया था। 3 अप्रैल को भारत में 2,547 कोरोना के मामले सामने आ गए थे। अधिकारियों ने दावा किया था कि 25 प्रतिशत कोरोना के केस उन लोगों की वजह से हुए हैं जो मरकज में शामिल हुए थे और बाद में देशभर में फैल गए।
अली का कहना है कि 12 मार्च तक वे मरकज में अपने सास-ससुर और पत्नी के साथ थे और इसके बाद वे पुरानी दिल्ली की एक मस्जिद में चले गए थे जहां से बाद में पुलिस ने उन्हें निकालकर क्वारंटीन किया। 10 मई को दिल्ली सरकार ने तबलीगी जमात के सदस्यों को क्वारंटीन सेंटर से निकालने का आदेश दिया। इसके बाद सरकार ने उन्हें अलग रहने की व्यवस्था की। बहुत सारे लोग प्राइवेट स्कूल में रहने लगे वहीं अली का परिवार शाहीन बाग के एक घर में शिफ्ट हो गया। बाद में अली की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई और उनका एलएनजेपी अस्पताल में 20 दिन तक इलाज हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- माफी मांग कर स्वदेश लौट सकते हैं
34 विदेशी नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्वदेश लौटने की मांग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफी मांगने के बाद वे भारत छोड़कर अपने घर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि अगर सभ जमाती कोर्ट में गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगें तो वे अपने मुल्क वापस जा सकते हैं। वीज शर्तों के उल्लंघन मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है। 34 याचिकाकर्ताओं में से 10 ने आपराधिक मामले में मुकदमा लड़ने का फैसला किया था तो वहीं 10 ने ट्रायल कोर्ट में प्ली बारगेनिंग दाखिल की थी।
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) मामले में हिरासत में लिए गए ज्यादातर विदेश नागरिक अपने देश वापस चले गए हैं लेकिन 44 विदेश ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने देश लौटने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है इसलिए जुर्माना भरकर या फिर माफी मांगकर वापस जाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने भारत में ही रहकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करने का फैसला किया है। लगभग 250 तबलीगी जमात के सदस्यों पर 5 हजार से लेकर 10 हजार का जुर्माना लगाने के बाद उन्हें स्वदेश लौटने की अनुमति दे दी गई है।
अमेरिका के रहने वाले अहमद अली भी मरकज में शामिल हुए थे। उनका कहना है, 'मैंने क्या कुछ गलत किया है? मैंने कोई कानून नहीं तोड़ा। देशव्यापी लॉकडाउन होने से पहले ही मैंने मरकज छोड़ दिया था। मैं यहीं रुककर कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। मैं नहीं चाहता कि ऐसे अमेरिकी नागरिक के रूप में जाना जाऊं जिसने विदेशी धरती पर कानून तोड़ा हो।'
2 अप्रैल को दिल्ली में तबलीगी जमात (Tablighi jamaat) के इंटरनैशनल हेडक्वार्टर निजामुद्दीन मरकज से 2346 लोगों को बाहर निकाला गया था। 3 अप्रैल को भारत में 2,547 कोरोना के मामले सामने आ गए थे। अधिकारियों ने दावा किया था कि 25 प्रतिशत कोरोना के केस उन लोगों की वजह से हुए हैं जो मरकज में शामिल हुए थे और बाद में देशभर में फैल गए।
अली का कहना है कि 12 मार्च तक वे मरकज में अपने सास-ससुर और पत्नी के साथ थे और इसके बाद वे पुरानी दिल्ली की एक मस्जिद में चले गए थे जहां से बाद में पुलिस ने उन्हें निकालकर क्वारंटीन किया। 10 मई को दिल्ली सरकार ने तबलीगी जमात के सदस्यों को क्वारंटीन सेंटर से निकालने का आदेश दिया। इसके बाद सरकार ने उन्हें अलग रहने की व्यवस्था की। बहुत सारे लोग प्राइवेट स्कूल में रहने लगे वहीं अली का परिवार शाहीन बाग के एक घर में शिफ्ट हो गया। बाद में अली की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई और उनका एलएनजेपी अस्पताल में 20 दिन तक इलाज हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- माफी मांग कर स्वदेश लौट सकते हैं
34 विदेशी नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्वदेश लौटने की मांग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफी मांगने के बाद वे भारत छोड़कर अपने घर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि अगर सभ जमाती कोर्ट में गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगें तो वे अपने मुल्क वापस जा सकते हैं। वीज शर्तों के उल्लंघन मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है। 34 याचिकाकर्ताओं में से 10 ने आपराधिक मामले में मुकदमा लड़ने का फैसला किया था तो वहीं 10 ने ट्रायल कोर्ट में प्ली बारगेनिंग दाखिल की थी।
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