नई दिल्ली
आउटर दिल्ली के ग्रामीण इलाकों मे अब भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का इंतजार हैं। लोगों की जनसंख्या के हिसाब से अस्पतालों की भारी किल्लत है। लोगों का कहना है कि अस्पताल के लिए कई बार इन इलाकों में शिलान्यास और उद्घाटन भी किए गए, लेकिन अस्पताल बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। इसी तरह मुंडका के जौंती गांव में करीब 45 साल पहले लोगों ने अस्पताल के लिए करीब 4 बीघा जमीन सरकार को दान में दी थी। हालांकि आज तक अस्पताल नहीं बना।
लोगों के अनुसार, उस समय सरकार यह कह रही थी कि हमारे पास अस्पताल बनाने के लिए जगह नहीं है। अगर गांव के लोग हमारी मदद करें तो हम यहां पर 50 बेड का अस्पताल बना देंगे। लोगों ने ग्रामसभा की जमीन के अलावा और कुछ और जगह को मिलाकर करीब 4 बीघा जमीन सरकार को दान कर दी थी, लेकिन तब से लेकर आज तक यहां एक बोर्ड के अलावा कुछ भी नहीं लग सका।
इसी गांव के शिशुपाल कहते हैं कि करीब 1976 से आज तक यहां के लोगों को अस्पताल बनने का इंतजार है। हालांकि इस अस्पताल को बनाने के नाम पर 2 बार शिलान्यास कार्यक्रम भी हो गया, लेकिन अभी तक अस्पताल की इमारत के लिए एक ईंट तक नहीं लगाई गई। हालत यह है कि जगह बंजर भूमि में तब्दील हो गई है।
लोगों का कहना है कि यदि यहां पर एक अस्पताल बन जाता तो दिल्ली देहात के करीब 25 से 30 गांवों के लोग इसका फायदा उठा सकते थे। सिर्फ जौंती में ही करीब 10 हजार से अधिक की आबादी रहती है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाने की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने कई बार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की, लेकिन मांग अभी तक पूरी नहीं हो सकी।
इसी इलाके के सत्यनारायण बताते हैं कि अस्पताल नहीं होने की वजह से गांव के लोगों को दूर के अस्पतालों में जाना पड़ता है। मुंडका, नजफगढ़ और कंझावला के दर्जनों गांव के रहने वाले लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करीब 20-25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द यहां अस्पताल बनाया जाए।
आउटर दिल्ली के ग्रामीण इलाकों मे अब भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का इंतजार हैं। लोगों की जनसंख्या के हिसाब से अस्पतालों की भारी किल्लत है। लोगों का कहना है कि अस्पताल के लिए कई बार इन इलाकों में शिलान्यास और उद्घाटन भी किए गए, लेकिन अस्पताल बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। इसी तरह मुंडका के जौंती गांव में करीब 45 साल पहले लोगों ने अस्पताल के लिए करीब 4 बीघा जमीन सरकार को दान में दी थी। हालांकि आज तक अस्पताल नहीं बना।
लोगों के अनुसार, उस समय सरकार यह कह रही थी कि हमारे पास अस्पताल बनाने के लिए जगह नहीं है। अगर गांव के लोग हमारी मदद करें तो हम यहां पर 50 बेड का अस्पताल बना देंगे। लोगों ने ग्रामसभा की जमीन के अलावा और कुछ और जगह को मिलाकर करीब 4 बीघा जमीन सरकार को दान कर दी थी, लेकिन तब से लेकर आज तक यहां एक बोर्ड के अलावा कुछ भी नहीं लग सका।
इसी गांव के शिशुपाल कहते हैं कि करीब 1976 से आज तक यहां के लोगों को अस्पताल बनने का इंतजार है। हालांकि इस अस्पताल को बनाने के नाम पर 2 बार शिलान्यास कार्यक्रम भी हो गया, लेकिन अभी तक अस्पताल की इमारत के लिए एक ईंट तक नहीं लगाई गई। हालत यह है कि जगह बंजर भूमि में तब्दील हो गई है।
लोगों का कहना है कि यदि यहां पर एक अस्पताल बन जाता तो दिल्ली देहात के करीब 25 से 30 गांवों के लोग इसका फायदा उठा सकते थे। सिर्फ जौंती में ही करीब 10 हजार से अधिक की आबादी रहती है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाने की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने कई बार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की, लेकिन मांग अभी तक पूरी नहीं हो सकी।
इसी इलाके के सत्यनारायण बताते हैं कि अस्पताल नहीं होने की वजह से गांव के लोगों को दूर के अस्पतालों में जाना पड़ता है। मुंडका, नजफगढ़ और कंझावला के दर्जनों गांव के रहने वाले लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करीब 20-25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द यहां अस्पताल बनाया जाए।
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