Tuesday, April 30, 2019

ऐतिहासिक महत्व वाले सीट पर कौन बनाएगा इतिहास

नई दिल्ली
चांदनी चौक लोकसभा सीट दिल्ली के सबसे पुराने संसदीय क्षेत्रों में से एक है। इस लोकसभा सीट में 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। बल्लीमारन, मटिया महल, चांदनी चौक, सदर बाजार क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। वहीं शकूरपुर, वजीरपुर, आदर्श नगर, मॉडल टाउन विधानसभा में दलित मतदाताओं की अच्छी संख्या है। शालीमार बाग, मॉडल टाउन में पॉश कॉलोनियां भी हैं। बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। त्रिकोणीय मुकाबले में वोटों का समीकरण तीनों उम्मीदवारों के लिए खासा अहम रहेगा। कांग्रेस ने भी इस सीट से अपने सबसे अनुभवी नेताओं में से एक को मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर कौन रचेगा इतिहास बता रहे हैं भूपेंद्र।

बीजेपी : डॉ. हर्षवर्धन

2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ. हर्षवर्धन ने आम आदमी पार्टी के आशुतोष को हराया था और कांग्रेस के कपिल सिब्बल तीसरे नंबर पर रहे थे। चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री बने डॉ. हर्षवर्धन की छवि साफ-सुथरी रही है और संगठन का साथ भी उन्हें मिल रहा है। बीजेपी के एक सीनियर लीडर की मानें तो पिछले चुनाव में डॉ. हर्षवर्धन को मुस्लिम एरिया में भी समर्थन मिला था और इस बार भी पार्टी को उम्मीद है कि मोदी सरकार के कामकाज का फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा। डॉ. हर्षवर्धन भी अपने चुनाव प्रचार में मोदी सरकार के कामकाज पर खूब फोकस कर रहे हैं और लोगों से नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की अपील भी करते नजर आ रहे हैं। लेकिन उनके सामने इस बार चुनौती 2014 से बड़ी नजर आ रही है। सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में सीलिंग की है। चांदनी चौक में कारोबारी बड़ा फैक्टर है और जो कारोबारी चांदनी चौक से दूसरी जगह शिफ्ट भी हुए हैं, उनमें से बड़ी तादाद अभी भी शालीमार बाग, अशोक विहार, रोहिणी के आसपास के इलाकों में है, जो चांदनी चौक सीट में ही है। विरोधी पार्टी डॉ. हर्षवर्धन पर सीलिंग के मसले पर व्यापारियों का साथ नहीं देने के लगातार आरोप लगा रही हैं कि केंद्रीय मंत्री होते हुए भी व्यापारियों के लिए कुछ नही किया गया। ऐसे में बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक को अपने पाले में ही रखना उनके सामने बड़ी चुनौती है। साथ ही इस बार कांग्रेस ने भी अपने सबसे अनुभवी नेताओं में से एक को मैदान में उतारा है और यह भी एक चुनौती है। वहीं आम आदमी पार्टी का संगठन भी इस चुनाव में सभी क्षेत्रों में है।


कांग्रेस : जय प्रकाश अग्रवाल

कांग्रेस के उम्मीदवार जय प्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट सीट का भी प्रतिनिधित्व किया है। जय प्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि वे यहीं पर पले-बढ़े हैं और उनके परिवार को चांदनी चौक में सभी जानते हैं। चांदनी चौक की हर समस्या से वाकिफ हैं। वे कहते हैं कि मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन चांदनी चौक के लिए कोई बड़ा प्रॉजेक्ट लेकर नहीं आए, जबकि जब वे सांसद थे तो कई अहम प्रॉजेक्ट पर काम हुए थे। जानकार कहते हैं कि जयप्रकाश अग्रवाल की छवि अच्छी है और क्षेत्र के लोग उन्हें अच्छी तरह से जानते-पहचानते हैं। सामाजिक संगठनों के साथ भी वे जुड़े हैं। साथ ही उनके इस सीट से चुनाव लड़ने के कारण कार्यकर्ता भी फिर से एकजुट हो रहे हैं। जयप्रकाश को मुस्लिम बहुत इलाकों में जनता का समर्थन भी मिल रहा है और उनके सामने एक चुनौती यही है कि जो वोटर्स कांग्रेस से दूर हो गए थे, क्या उनको वापस लाने में वे कामयाब होंगे। पिछले लोकसभा चुनाव और उसके बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव में चांदनी चौक में कांग्रेस को जो हार मिली है, उस हार को जीत में बदलना जयप्रकाश के लिए कतई आसान नहीं होगा। उन्हें अपने वोटर्स के मन में फिर से विश्वास जगाना होगा और उनके लिए यह चुनौती बहुत बड़ी है। मुस्लिम बहुल इलाकों और स्लम एरिया में वोटर्स ने कांग्रेस से दूरी बनाई थी, जिसका खामियाजा पिछले दो चुनावों में कांग्रेस को देखने को मिला है और इस बार ये वोटर्स कांग्रेस की तरफ आते है या नहीं, इस पर सबकी निगाह रहेगी। जयप्रकाश भी इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं और इसलिए वे लोगों के बीच जाकर कांग्रेस के पुराने कामों की याद दिला रहे हैं।

आम आदमी पार्टी : पंकज गुप्ता

आम आदमी पार्टी ने करीब 6 महीने पहले ही पंकज गुप्ता को चांदनी चौक सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया था और अभी तक वे इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली सभी विधानसभा एरिया में लोगों के बीच जा चुके हैं। हालांकि उनका मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के दो धुरंधरों से हैं, लेकिन उनके पक्ष में एक बात आप का संगठन है। लोकसभा क्षेत्र की सभी 10 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के ही विधायक हैं और इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। साथ ही पिछले कई महीनों से वे लोगों से मिल रहे हैं और पार्टी का अजेंडा उनके सामने रख रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली में आप सरकार के कामकाज के आधार पर भी वोट मांग रहे हैं। आप को सीलिंग से परेशान व्यापारियों के समर्थन की भी उम्मीद है, जबकि अभी तक व्यापारी वर्ग का भरपूर समर्थन बीजेपी को मिलता रहा है। लेकिन उनके सामने चुनौतियां कम नहीं है। जहां बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं के मुकाबले वे राजनीति में नए हैं, वहीं उन्हें लोगों को यह भी समझाना पड़ रहा है कि आम आदमी पार्टी आखिर दिल्ली में गठबंधन क्यों चाहती थी? दरअसल विपक्षी पार्टियां लगातार आप पर हमला कर रही हैं कि दिल्ली में हार के डर से आम आदमी पार्टी किसी न किसी तरह से कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती थी। ऐसे में लोगों को यह समझाना बड़ी चुनौती है कि आखिर आप गठबंधन क्यों करना चाहती थी। आप ने पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के वोट बैंक में जबर्दस्त सेंध लगाई थी और आप के पाले में आए वोटर्स को कांग्रेस के खेमे में जाने से रोकने की भी चुनौती है। चांदनी चौक में मुस्लिम वोटरों का फैक्टर काफी अहम रहता है। कांग्रेस एक बार फिर से मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर लाने का प्रयास कर रही है और अगर कांग्रेस ऐसा कर पाती है तो आप के लिए राह आसान नहीं होगी।

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