Friday, March 29, 2019

DU में अस्थाई प्रफेसर को मैटरनिटी लीव की सुविधा नहीं

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी से एक याचिका पर जवाब मांगा। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूनिवर्सिटी अपनी अस्थाई महिला प्रफेसर्स को मैटरनिटी लीव नहीं दे रहा है। मैटरनिटी लीव के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन की अनुमति की प्रतीक्षा कर रही महिला फरवरी में मां बन गई और अब वह अवैतनिक अवकाश पर है।

अरबिंदो कॉलेज की इस महिला प्रफेसर ने याचिका में कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत वह छह महीने के अवकाश की हकदार है। लेकिन यूनिवर्सिटी ने उसे यह अवकाश प्रदान नहीं किया है क्योंकि वह उनकी स्थाई कर्मचारी नहीं है और अस्थाई रूप से वहां काम कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दे रखी है कि मातृत्व लाभ पाने के सभी कर्मचारी हकदार हैं, भले ही वह स्थाई हो या कॉन्ट्रैक्ट आधारित।

जस्टिस सुरेश कैत ने याचिकाकर्ता के अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए पाया कि शीर्ष अदालत के आदेश और कानून के अनुसार वह मैटरनिटी लीव की हकदार है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वकील को मामले पर दिशानिर्देश हासिल करने के आदेश दिए। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।

महिला ने याचिका में कहा कि उसने यूनिवर्सिटी को चार जनवरी से मैटरनिटी लीव पाने के लिए कई अनुरोध भेजे क्योंकि उसकी डिलिवरी की तारीख 22 फरवरी थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और इस बीच तीन फरवरी को उसने बच्चे को जन्म दिया। महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि तब से वह अवैतनिक अवकाश पर है क्योंकि यूनिवर्सिटी ने उसके मैटरनिटी लीव को मंजूरी नहीं दी है।

यूनिवर्सिटी के वकील ने अदालत को बताया कि हर चार महीने पर उसका एक नया कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है और उसका मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट 18 मार्च को खत्म हो गया है। वकील ने कहा कि केवल स्थाई कर्मचारियों को लाभ मुहैया कराना यूनिवर्सिटी का नीतिगत निर्णय है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: DU में अस्थाई प्रफेसर को मैटरनिटी लीव की सुविधा नहीं