नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) विधायक प्रकाश जारवाल और दो अन्य व्यक्तियों को 2013 के दंगा और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने कहा कि इस पर कोई संदेह नहीं है कि इस मामले में लोगों का जमावड़ा गैरकानूनी था क्योंकि इसने यातायात जाम हुआ तथा हिंसा की गई। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि लोगों का जमावड़ा शांतिपूर्ण नहीं था और उसने प्रदर्शन का शांतिपूर्ण तरीका नहीं अपनाया।
अदालत ने कहा कि जारवाल, सलीम और धर्मप्रकाश गैरकानूनी जमावड़े में शामिल थे जिसने दो पुलिस कांस्टेबलों और एक सहायक उपनिरीक्षक पर हमला किया था। अदालत ने कहा, 'आरोपी जारवाल, सलीम और प्रकाश आईपीसी की धाराओं 332 (लोक सेवक को ड्यूटी से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), 353 (लोक सेवक को रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 147 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) तथा सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम कानून की धारा तीन के तहत अपराधों के लिए दोषी हैं।'
आईपीसी की धाराओं 332 और 352 में अधिकतम सजा तीन वर्ष तथा जुर्माने की है। शिकायत के अनुसार, 30 अगस्त 2013 को करीब 100 लोग एकत्रित हुए जिससे ट्रैफिक जाम हुआ और इनमें शामिल लोगों ने वाहनों को नुकसान पहुंचाया। दंगे की यह घटना यहां एमबी रोड पर वायुसेनाबाद के पास हुई जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया तथा डीटीसी की एक बस सहित दो वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। दंगे में शामिल भीड़ ने पथराव और हिंसा भी की थी। जारवाल का दावा था कि वह घटना के वक्त मौके पर मौजूद नहीं थे और अपने कार्यालय में लोगों की समस्याएं सुन रहे थे क्योंकि उनकी टिकट पक्की हो चुकी थी।
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