नई दिल्ली
नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) और सीपीडब्ल्यूडी ने पेड़ों की कटाई और उन्हें गिराए जाने से बचने के लिए दक्षिणी दिल्ली की 7 कॉलोनियों के पुनर्विकास संबंधी डिजाइन और प्लान पर फिर से काम करने का फैसला किया है। यह फैसला 17000 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद किया गया है। हाई कोर्ट 4 जुलाई को इस मामले पर फिर सुनवाई करने वाला है।
इस संबंध में गुरुवार को केंद्रीय शहरी आवास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इस बैठक में GPRA कॉलोनियों के पुनर्विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों विशेषकर पेड़ों को गिराए जाने पर चर्चा की गई है। एनबीसीसी ने पेड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने और दोबारा रोपे जाने के लिए उपकरण खरीदने और इसके लिए प्रशिक्षित पेशेवर कंपनियों की सेवा लेने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किया है। इसके बाद सिटिजन ग्रुप्स को बुलाकर उनसे सुझाव लिया जाएगा कि इन पेड़ों को कहां लगाया जाए।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव डी.एस. मिश्रा ने कहा, 'अगले तीन महीने में केंद्र सरकार की विभिन्न एजंसियां 10 लाख से अधिक पौधे रोपेंगी। डीडीए 10 लाख पौधे रोपेगा, सीबीडब्ल्यूडी 50,0000 और डीएमआरसी 20,000 पौधे रोपेगी।'
उल्लेखनीय है कि हाउसिंग प्रॉजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई की खबर सामने आते ही वायु प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली के आम से लेकर खास लोगों ने विरोध जताया है और इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने इसके लिए उपराज्यपाल और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और वन और पर्यावरण मंत्रालय की है। आप के अनुसार, 'एनवायरनमेंटल क्लियरेंस केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी, जिसके मंत्री चांदनी चौक से बीजेपी के सांसद हर्षवर्धन हैं। यह अनुमति पिछले साल 27 नवंबर को दी गई थी।'
पेड़ काटे जाने के फैसले के खिलाफ आम लोगों ने प्रदर्शन किया और पेड़ों को बचाने को लोगों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया है। वहीं, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रिडेवलप की जा रही कॉलोनियों में पेड़ काटने की खबरों के बीच एनबीसीसी ने साफ किया है कि उसने अपने ठेकेदारों को निर्देश दे दिया है कि वे फिलहाल कोई भी पेड़ न काटें। कंपनी ने यह भी कहा है कि उसने अपने ठेकेदारों से कहा है कि अगर उन्होंने कोई पेड़ काटा तो इसके लिए अदालत की अवमानना समेत किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेदारी ठेकेदारों को ही उठानी होगी।
नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) और सीपीडब्ल्यूडी ने पेड़ों की कटाई और उन्हें गिराए जाने से बचने के लिए दक्षिणी दिल्ली की 7 कॉलोनियों के पुनर्विकास संबंधी डिजाइन और प्लान पर फिर से काम करने का फैसला किया है। यह फैसला 17000 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद किया गया है। हाई कोर्ट 4 जुलाई को इस मामले पर फिर सुनवाई करने वाला है।
इस संबंध में गुरुवार को केंद्रीय शहरी आवास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इस बैठक में GPRA कॉलोनियों के पुनर्विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों विशेषकर पेड़ों को गिराए जाने पर चर्चा की गई है। एनबीसीसी ने पेड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने और दोबारा रोपे जाने के लिए उपकरण खरीदने और इसके लिए प्रशिक्षित पेशेवर कंपनियों की सेवा लेने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किया है। इसके बाद सिटिजन ग्रुप्स को बुलाकर उनसे सुझाव लिया जाएगा कि इन पेड़ों को कहां लगाया जाए।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव डी.एस. मिश्रा ने कहा, 'अगले तीन महीने में केंद्र सरकार की विभिन्न एजंसियां 10 लाख से अधिक पौधे रोपेंगी। डीडीए 10 लाख पौधे रोपेगा, सीबीडब्ल्यूडी 50,0000 और डीएमआरसी 20,000 पौधे रोपेगी।'
उल्लेखनीय है कि हाउसिंग प्रॉजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई की खबर सामने आते ही वायु प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली के आम से लेकर खास लोगों ने विरोध जताया है और इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने इसके लिए उपराज्यपाल और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और वन और पर्यावरण मंत्रालय की है। आप के अनुसार, 'एनवायरनमेंटल क्लियरेंस केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी, जिसके मंत्री चांदनी चौक से बीजेपी के सांसद हर्षवर्धन हैं। यह अनुमति पिछले साल 27 नवंबर को दी गई थी।'
पेड़ काटे जाने के फैसले के खिलाफ आम लोगों ने प्रदर्शन किया और पेड़ों को बचाने को लोगों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया है। वहीं, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रिडेवलप की जा रही कॉलोनियों में पेड़ काटने की खबरों के बीच एनबीसीसी ने साफ किया है कि उसने अपने ठेकेदारों को निर्देश दे दिया है कि वे फिलहाल कोई भी पेड़ न काटें। कंपनी ने यह भी कहा है कि उसने अपने ठेकेदारों से कहा है कि अगर उन्होंने कोई पेड़ काटा तो इसके लिए अदालत की अवमानना समेत किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेदारी ठेकेदारों को ही उठानी होगी।
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Read more: पेड़ न कटें इसलिए NBCC बनाएगी नई योजना