Thursday, June 28, 2018

विदेशी महिलाएं दिल्ली को नहीं मानतीं असुरक्षित

नई दिल्ली
क्या भारत महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित है यहां तक कि संकटग्रस्त सीरिया और अफगानिस्तान से भी ज्यादा? हालांकि, असली तस्वीर थॉमसन रॉयटर्स सर्वे में किए दावे से बेहद अलग है, जिसने भारत को यौन उत्पीड़न और ट्रैफिकिंग की लिस्ट में भारत को टॉप पर रखा है।

लेकिन भारत के बाहर की महिलाएं यहां के बारे में क्या महसूस करती है, उनका अनुभव अपने देश की तुलना में कैसा है? डीयू के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ने वाले मंगोलिया की सारुल बुयान कहती है, 'दिल्ली मुझे विशेष तौर पर असुरक्षित नहीं लगा।' सारुल कहती है कि अत्यधिक खतरे की बात बढ़ा चढ़ा कर की गई है। उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से यह महिलाओं के सुरक्षित रहने की उनकी खुद की समझ पर निर्भर करता है। मैं शायद दिन की तुलना में रात में निकलने में कम कॉन्फिडेंट महसूस करती हूं। लेकिन मेरा खराब अनुभव सिर्फ रुखे टैक्सी ड्राइवरों के साथ रहा है।'

वह कहती हैं, 'भारत में कई महिलाओं के पास शिक्षा का अवसर है, जिसके कारण उनका उत्पीड़न करना आसान नहीं है।' साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली पाकिस्तानी स्टूडेंट महजबीन सरफराज (बदला हुआ नाम) कड़ी प्रतिक्रिया के साथ कहती हैं, 'जो लोग भारत को अफगानिस्तान से भी खराब बताते हैं उन्हें अन्य जगहों के बारे में नहीं पता। यहां तक कि कराची, जहां से मैं हूं, जहां अगर आप ढेर सारी जूलरी पहन कर ऑटो पर बैठें और फोन पर बात करें, तो यह तुरंत ही झपट लिया जाएगा।'

महजबीन ने बताया कि उन्हें भारत में घूमने में कोई दिक्कत नहीं हुई और ऑटो ड्राइवर विनम्र और भरोसेमंद रहे हैं, तब भी जब उन्होंने रात में ट्रैवल किया है। इस बीच, 43 वर्षीय फ्रांसीसी नागरिक पॉलिना लोपेज बताती हैं कि उन्हें दो साल यहां रहते हुए कभी भी असुरक्षित महसूस नहीं हुआ, लेकिन वह कभी खतरा मोल नहीं लेतीं। वह कभी टाइट फिट कपड़े नहीं पहनतीं और न ही रात में एकांत जगहों पर जाती हैं और कैब लेते वक्त ध्यान रखती हैं।

पॉलिना कहती हैं कि भारत में खतरे को लेकर बनी हुई अवधारणा निश्चित रूप से तथ्यों से जुड़ी हुई है, क्योंकि यहां क्रूरतापूर्वक महिलाओं का रेप किया गया है। लेकिन वह फिर कहती हैं इस विचारधारा को सीमित रखा जा सकता है। उन्होंने अपने हाल के एक अनुभव के बारे में बताया कि एक बार उन्होंने दो लोगों से डायरेक्शन पूछा , जब उन्होंने एक संकरी रास्ते में उनके पीछे-पीछे आने को कहा तो वह डर गईं, लेकिन वे सिर्फ उनकी मदद कर रहे थे। पॉलिना का कहना है कि मुझे लगा कि इन लोगों पर भरोसा क्यों न किया जाए।

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