नई दिल्ली
दिल्ली सरकार द्वारा बजट में तीनों निगमों के लिए कुछ मदों में प्लान हेड से मिलने वाले फंड को काटे जाने से बीजेपी नाराज है। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि निगमों का वित्तीय रूप से गला घोंट दिया जाए, ताकि तीनों एमसीडी कोई विकास कार्य नहीं कर सके और बाद में उन्हें बदनाम करके चुनावों में उसका लाभ लिया जा सके। वह उपराज्यपाल से मिलकर सरकार की शिकायत करेंगे और अनुरोध करेंगे कि दिल्ली सरकार को एमसीडी को प्लान हेड के तहत दिया जाने वाला फंड फिर से आवंटित करने का आदेश दें। अगर इसके बावजूद सरकार फंड नहीं देती है, तो हम हाई कोर्ट जाएंगे।
गुप्ता के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने अर्बन डिवेलपमेंट सेक्टर और ट्रांसपॉर्ट सेक्टर के तहत प्लान हेड से निगमों को मिलने वाली राशि काट ली है। पिछले वित्त वर्ष में नॉर्थ को इस मद में 472.56 करोड़, साउथ एमसीडी को भी 472.56 करोड़ और ईस्ट एमसीडी को 280.30 करोड़ आबंटित किए गए थे, मगर इस साल यह पूरी की पूरी राशि काट ली गई। तीनों एमसीडी के 1228.42 करोड़ रुपये काट लिए गए हैं। इनमें अर्बन रोड्स, सेनिटेशन, अप्रूव्ड कॉलोनियों में डिवेलपमेंट वर्क, स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जाने वाले काम समेत कई अन्य विकास कार्यों के लिए मिलने वाला फंड भी शामिल है।
उधर, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार पहले ही निगमों को तय सीमा से ज्यादा फंड दे चुकी है, लेकिन उसके बावजूद न तो फंड का सही तरीके से इस्तेमाल किया गया और न ही विकास के कार्य किए गए। जहां तक इस साल प्लान हेड के तहत फंड काटने का आरोप है, तो एमसीडी को पहले नियमों के तहत यह बताना चाहिए कि पिछली बार प्लान हेड के तहत दिए गए कितने फंड का कहां यूटिलाइजेशन किया गया?
दिल्ली सरकार द्वारा बजट में तीनों निगमों के लिए कुछ मदों में प्लान हेड से मिलने वाले फंड को काटे जाने से बीजेपी नाराज है। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि निगमों का वित्तीय रूप से गला घोंट दिया जाए, ताकि तीनों एमसीडी कोई विकास कार्य नहीं कर सके और बाद में उन्हें बदनाम करके चुनावों में उसका लाभ लिया जा सके। वह उपराज्यपाल से मिलकर सरकार की शिकायत करेंगे और अनुरोध करेंगे कि दिल्ली सरकार को एमसीडी को प्लान हेड के तहत दिया जाने वाला फंड फिर से आवंटित करने का आदेश दें। अगर इसके बावजूद सरकार फंड नहीं देती है, तो हम हाई कोर्ट जाएंगे।
गुप्ता के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने अर्बन डिवेलपमेंट सेक्टर और ट्रांसपॉर्ट सेक्टर के तहत प्लान हेड से निगमों को मिलने वाली राशि काट ली है। पिछले वित्त वर्ष में नॉर्थ को इस मद में 472.56 करोड़, साउथ एमसीडी को भी 472.56 करोड़ और ईस्ट एमसीडी को 280.30 करोड़ आबंटित किए गए थे, मगर इस साल यह पूरी की पूरी राशि काट ली गई। तीनों एमसीडी के 1228.42 करोड़ रुपये काट लिए गए हैं। इनमें अर्बन रोड्स, सेनिटेशन, अप्रूव्ड कॉलोनियों में डिवेलपमेंट वर्क, स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जाने वाले काम समेत कई अन्य विकास कार्यों के लिए मिलने वाला फंड भी शामिल है।
उधर, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार पहले ही निगमों को तय सीमा से ज्यादा फंड दे चुकी है, लेकिन उसके बावजूद न तो फंड का सही तरीके से इस्तेमाल किया गया और न ही विकास के कार्य किए गए। जहां तक इस साल प्लान हेड के तहत फंड काटने का आरोप है, तो एमसीडी को पहले नियमों के तहत यह बताना चाहिए कि पिछली बार प्लान हेड के तहत दिए गए कितने फंड का कहां यूटिलाइजेशन किया गया?
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Read more: एमसीडी का फंड काटने पर बीजेपी नाराज