नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने धार्मिक चिन्ह वाले सिक्कों पर प्रतिबंध की मांग की याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि इससे देश की धर्मनिरपेक्षता को कोई खतरा नहीं है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने माता वैष्णो देवी की तस्वीर के साथ जारी पांच रुपये के सिक्कों पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 'सिक्का अधिनियम के तहत सरकार के पास ऐसे सिक्कों को जारी करने की शक्ति है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की रजत जयंती पर माता वैष्णो देवी की तस्वीर के साथ जारी सिक्कों से देश का धर्मनिरपेक्ष ढांचा नहीं बिगड़ेगा।'
ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि इससे देश की धर्मनिरपेक्षता वाली छवि पर दाग नहीं लगता। बेंच ने कहा, 'धर्मनिरपेक्षता किसी खास अवसर का जश्न मनाने से नहीं रोकती। याचिकाकर्ता अपनी दलील साबित नहीं कर पाए कि धार्मिक चिन्हों वाले सिक्के जारी करने से धार्मिक अभ्यास पर क्या असर पड़ता है?' बेंच ने कहा कि सरकार को कॉइन ऐक्ट 2011 के तहत किसी खास अवसर का जश्न मनाने के लिए सिक्के जारी करने का पूरा अधिकार है। इससे किसी तरह का भेदभाव या पक्षवाद जाहिर नहीं होता।
नफीस काजी और अबू सैयद नाम के 2 लोगों ने यह याचिका दायर की थी। उनकी मांग थी कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय नीति बनाकर देश की मूर्त और अमूर्त संपत्ति पर किसी धार्मिक आकृति या चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कहा जाए। सरकार ने 2010 में बृहदेश्वरा मंदिर के 1000 साल पूरे होने पर उनकी आकृति वाले 5 रुपये के सिक्के जारी किए थे। इसी तरह आरबीआई ने साल 2013 में श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की आकृति वाले 5 रुपये के सिक्के जारी किए थे। याचिकाकर्ता ने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने धार्मिक चिन्ह वाले सिक्कों पर प्रतिबंध की मांग की याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि इससे देश की धर्मनिरपेक्षता को कोई खतरा नहीं है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने माता वैष्णो देवी की तस्वीर के साथ जारी पांच रुपये के सिक्कों पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 'सिक्का अधिनियम के तहत सरकार के पास ऐसे सिक्कों को जारी करने की शक्ति है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की रजत जयंती पर माता वैष्णो देवी की तस्वीर के साथ जारी सिक्कों से देश का धर्मनिरपेक्ष ढांचा नहीं बिगड़ेगा।'
ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि इससे देश की धर्मनिरपेक्षता वाली छवि पर दाग नहीं लगता। बेंच ने कहा, 'धर्मनिरपेक्षता किसी खास अवसर का जश्न मनाने से नहीं रोकती। याचिकाकर्ता अपनी दलील साबित नहीं कर पाए कि धार्मिक चिन्हों वाले सिक्के जारी करने से धार्मिक अभ्यास पर क्या असर पड़ता है?' बेंच ने कहा कि सरकार को कॉइन ऐक्ट 2011 के तहत किसी खास अवसर का जश्न मनाने के लिए सिक्के जारी करने का पूरा अधिकार है। इससे किसी तरह का भेदभाव या पक्षवाद जाहिर नहीं होता।
नफीस काजी और अबू सैयद नाम के 2 लोगों ने यह याचिका दायर की थी। उनकी मांग थी कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय नीति बनाकर देश की मूर्त और अमूर्त संपत्ति पर किसी धार्मिक आकृति या चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कहा जाए। सरकार ने 2010 में बृहदेश्वरा मंदिर के 1000 साल पूरे होने पर उनकी आकृति वाले 5 रुपये के सिक्के जारी किए थे। इसी तरह आरबीआई ने साल 2013 में श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की आकृति वाले 5 रुपये के सिक्के जारी किए थे। याचिकाकर्ता ने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया था।
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