नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी को जब एक के बाद एक चुनावी शिकस्त झेलनी पड़ रही थी तब पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने चुप रहकर अपनी रणनीति को नए सिरे से संवारा और परिणाम बवाना विधानसभा चुनाव में जीत के रूप में सामने है। पंजाब, गोवा और दिल्ली के राजौरी गार्डेन में लगातार चुनावी पराजय झेल चुकी केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपनी योजना बदल ली, इसके तहत AAP प्रमुख खुद चुप रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने की बजाए अभियान के दौरान अपनी सरकार की उपलब्धियों पर फोकस किया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी की दिल्ली इकाई का नेतृत्व कर रहे श्रम मंत्री गोपाल राय ने सफलता का श्रेय AAP के सुशासन के ट्रैक रिकॉर्ड को दिया। एक लाइन के ट्वीट में केजरीवाल ने भी यही बयां किया। बहरहाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि मोदी को लगातार निशाना बनाने से परहेज करने के कारण दिल्ली सरकार की उपलब्धियों पर फोकस करने में मदद मिली।
आप के एक नेता ने कहा, 'निश्चित तौर पर इससे फायदा हुआ। धीरे-धीरे धारणा बनती गई थी कि AAP और केजरीवाल झगड़े से नहीं बढ़ पाएंगे भले ही सरकार कितना भी कठिन मेहनत करे। नई रणनीति के तहत फोकस उसपर है जो हमने किया। हमने प्रतिक्रिया की बजाए एजेंडे को रूप दिया।'
हालांकि, मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि मुख्यमंत्री की खामोशी ने भूमिका अदा की, लेकिन बवाना जैसे ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में सफलता की गाथा की यही एक वजह नहीं है जहां उम्मीदवारों की जीतने की संभावनाओं को बहुत सारे कारकों ने निर्धारित किया। पहचान छुपाने का अनुरोध करते हुए नेता ने कहा, 'बवाना गोल्फ लिंक या जोर बाग नहीं है। मुद्दे पर मुख्यमंत्री दिन में कितने ट्वीट करते हैं या इंटरव्यू देते हैं या बोलते हैं यह मायने नहीं रखता। यह अलग दुनिया है।'
इसकी बजाए उन्होंने अन्य पहलुओं को गिनाया जिसमें उन्होंने 'मोदी लहर धारणा खंडित' होने जैसी अन्य महत्वपूर्ण चीजों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि धनबल से अन्य दलों को तोड़ने की राजनीति की अमित शाह शैली हमेशा काम नहीं करती। बवाना में BJP के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि उनपर एक और चुनाव क्यों थोपा गया? राजौरी गार्डेन में हमें भी इस सवाल से दो चार होना पड़ा था।
पहले चरण में निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाके के वोटों की गिनती हुई, जिसके बाद कांग्रेस अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों-AAP और BJP पर बढ़त बनाती दिखी। लेकिन झुग्गी बस्तियों में मतदान केंद्रों पर डाले गए मतों की गिनती शुरू हुयी तो बाजी AAP के हाथ लगी। बिजली दर आधा घटाने, सीमित सीमा तक पानी मुफ्त प्रदान करने, सीवर लाइन डालने और स्वास्थ्य तथा शिक्षा क्षेत्र में सुधार जैसी आप सरकार की कवायद जे जे कॉलोनियों में हमेशा कामयाब रही है जहां पर रहने वाले ज्यादातर बाशिंदे पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार से आए प्रवासी हैं।
आम आदमी पार्टी को जब एक के बाद एक चुनावी शिकस्त झेलनी पड़ रही थी तब पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने चुप रहकर अपनी रणनीति को नए सिरे से संवारा और परिणाम बवाना विधानसभा चुनाव में जीत के रूप में सामने है। पंजाब, गोवा और दिल्ली के राजौरी गार्डेन में लगातार चुनावी पराजय झेल चुकी केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपनी योजना बदल ली, इसके तहत AAP प्रमुख खुद चुप रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने की बजाए अभियान के दौरान अपनी सरकार की उपलब्धियों पर फोकस किया।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी की दिल्ली इकाई का नेतृत्व कर रहे श्रम मंत्री गोपाल राय ने सफलता का श्रेय AAP के सुशासन के ट्रैक रिकॉर्ड को दिया। एक लाइन के ट्वीट में केजरीवाल ने भी यही बयां किया। बहरहाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि मोदी को लगातार निशाना बनाने से परहेज करने के कारण दिल्ली सरकार की उपलब्धियों पर फोकस करने में मदद मिली।
आप के एक नेता ने कहा, 'निश्चित तौर पर इससे फायदा हुआ। धीरे-धीरे धारणा बनती गई थी कि AAP और केजरीवाल झगड़े से नहीं बढ़ पाएंगे भले ही सरकार कितना भी कठिन मेहनत करे। नई रणनीति के तहत फोकस उसपर है जो हमने किया। हमने प्रतिक्रिया की बजाए एजेंडे को रूप दिया।'
हालांकि, मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि मुख्यमंत्री की खामोशी ने भूमिका अदा की, लेकिन बवाना जैसे ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में सफलता की गाथा की यही एक वजह नहीं है जहां उम्मीदवारों की जीतने की संभावनाओं को बहुत सारे कारकों ने निर्धारित किया। पहचान छुपाने का अनुरोध करते हुए नेता ने कहा, 'बवाना गोल्फ लिंक या जोर बाग नहीं है। मुद्दे पर मुख्यमंत्री दिन में कितने ट्वीट करते हैं या इंटरव्यू देते हैं या बोलते हैं यह मायने नहीं रखता। यह अलग दुनिया है।'
इसकी बजाए उन्होंने अन्य पहलुओं को गिनाया जिसमें उन्होंने 'मोदी लहर धारणा खंडित' होने जैसी अन्य महत्वपूर्ण चीजों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि धनबल से अन्य दलों को तोड़ने की राजनीति की अमित शाह शैली हमेशा काम नहीं करती। बवाना में BJP के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि उनपर एक और चुनाव क्यों थोपा गया? राजौरी गार्डेन में हमें भी इस सवाल से दो चार होना पड़ा था।
पहले चरण में निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाके के वोटों की गिनती हुई, जिसके बाद कांग्रेस अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों-AAP और BJP पर बढ़त बनाती दिखी। लेकिन झुग्गी बस्तियों में मतदान केंद्रों पर डाले गए मतों की गिनती शुरू हुयी तो बाजी AAP के हाथ लगी। बिजली दर आधा घटाने, सीमित सीमा तक पानी मुफ्त प्रदान करने, सीवर लाइन डालने और स्वास्थ्य तथा शिक्षा क्षेत्र में सुधार जैसी आप सरकार की कवायद जे जे कॉलोनियों में हमेशा कामयाब रही है जहां पर रहने वाले ज्यादातर बाशिंदे पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार से आए प्रवासी हैं।
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