Monday, August 7, 2017

मॉनसून में दिल्लीवालों को डराने लगे हैं पेड़

नई दिल्ली
मॉनसून के दौरान दिल्ली वाले पेड़ों से डरने लगे हैं। डीडीए में ऐसे डरावने पेड़ों को कटवाने की मांग के साथ लोग पहुंच रहे हैं। दरअसल यह ऐसे पेड़ हैं जो दीमक या किसी अन्य बीमारी की वजह से टूटने की कगार पर हैं। यह पेड़ इतने तिरछे हो गए हैं कि कभी भी हादसों की वजह बन सकते हैं। डीडीए में इस तरह के 70 से अधिक पेड़ों को काटने की लोगों ने गुहार लगाई हैं। डीडीए ने इसके लिए वन विभाग से मंजूरी मांगी है। लेकिन मंजूरी न मिलने के चलते अभी यह कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

लोगों का कहना है कि इन पेड़ों की वजह से फुटपाथ पर चलना मुश्किल हो गया है। द्वारका के अलावा रोहिणी, मयूर विहार, वसंत कुंज आदि इलाकों से पेड़ों को लेकर इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं। यहां पेड़ काफी खतरनाक तरीके से टेढ़े-मेढ़े हो चुके हैं। सेक्टर-9 के वरुण ने बताया कि वह रोज गणपति चौक से सेक्टर-9 मेट्रो स्टेशन जाते हैं। यहां रास्ते में सेंट्रल वर्ज पर एक पेड़ लगभग गिर चुका है। यह गाड़ी चलाने वालों के लिए काफी खतरनाक है। मैं इसके बारे में कई बार डीडीए को लिख चुका हूं। इस तरह के पेड़ को या तो ट्रांसप्लांट किया जाए या फिर हटाया जाए। वहीं कुछ पेड़ जड़ों से उखड़ने लगे हैं। ऐसे पेड़ ज्यादातर फुटपाथ पर हैं। इसकी वजह से फुटपाथ का इस्तेमाल मुश्किल हो रहा है। द्वारका सेक्टर-14 के पास एक ऐसा ही पेड़ लगभग गिरने को है। इस पेड़ ने पूरा फुटपाथ कवर कर लिया है।

पर्यावरणविद् मानते हैं कि मॉनसून के दौरान पेड़ कमजोर होकर उखड़ने लगते हैं। फिर कुछ पेड़ों की जड़ों में दीमक आदि लग जाते हैं। वैसे भी दिल्ली में पेड़ों को जड़ें फैलाने के लिए काफी कम जगह उपलब्ध रहती है। उनके आसपास कंकरीट कवर कर दिया जाता है। राइज फाउंडेशन के शोभित चौहान के अनुसार पेड़ों के कमजोर होने की वजह दीमक भी हैं। दीमक से पेड़ों को बचाने के लिए उपाय नहीं किए जाते। हमने डीडीए को द्वारका में पेड़ों में दीमक लगने की जानकारी दी है। इस तरह का एक पेड़ द्वारका में है, लेकिन इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। इसे लेकर एक आरटीआई भी डाली गई है कि अब तक पेड़ों को दीमक से बचाने के लिए क्या उपाय किए गए हैं। इस आरटीआई का जवाब अब तक नहीं मिला है।

डीडीए हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पेड़ों के हटाने के लिए हमें वन विभाग की मंजूरी चाहिए होती है। रेजिडेंट्स की मांग के बाद हम वन विभाग से पेड़ों को हटाने की मंजूरी मांगते हैं। अभी हमें वन विभाग से मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने के बाद पेड़ों को हटाया जाएगा।'

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