भूपेंद्र शर्मा, नई दिल्ली
डीटीसी की बसों की संख्या लगातार कम हो रही है। अभी डीटीसी के पास करीब 3,950 बसें हैं। इनमें पुरानी स्टैंडर्ड फ्लोर बसें भी हैं। इन बसों की संख्या हर महीने कम की जा रही है। दो महीने पहले स्टैंडर्ड फ्लोर बसों की संख्या 239 थी, जो अब घटकर 163 रह गई हैं। डीटीसी अधिकारियों का कहना है कि ये सभी स्टैंडर्ड बसें अगले 2 से 3 महीनों में सड़कों से हटा ली जाएंगी। स्टैंडर्ड फ्लोर बसों की हालत ठीक नहीं है।
हालांकि दिल्ली सरकार ने 1,000 डीटीसी और 1,000 क्लस्टर स्कीम की बसों को लाने का फैसला किया है। अगस्त में नई बसों को खरीदने का प्रपोजल कैबिनेट की मीटिंग में लाया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी के बाद टेंडर प्रक्रिया जारी होगी। सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द नई बसों को सड़कों पर उतारा जाए, ताकि बसों की कमी को दूर किया जा सके। 2012-13 में करीब 1,500 स्टैंडर्ड बसें थी। पहले इन सभी बसों को 31 दिसंबर 2016 तक हटाए जाने की तैयारी थी। हालांकि बसों की कमी को देखते हुए जो बसें चल सकती हैं, उन्हें सड़कों पर उतारा जा रहा है। अब जो बसें बची हुई हैं, उनमें से भी अगले 2 महीने में बसें सड़कों से हट सकती हैं।
अभी स्टैंडर्ड बसें यमुना विहार, घुम्मनहेड़ा, हरिनगर और दिचाउं कलां बस डिपो से चलती है। ज्यादातर स्टैंडर्ड बसें बाहरी दिल्ली और ग्रामीण इलाकों में चलाई जा रही है। आजापुर से नरेला रूट पर कुछ बसें चल रही हैं। इसी तरह से कंझावला इलाके में भी बसें चल रही हैं। जानकारों का कहना है कि डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या लगातार कम हो रही है और सरकार ने एक हजार नई बसें खरीदने का जो फैसला किया है, उसके लिए प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए।
ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत भी कह चुके हैं कि अगले कुछ महीनों में दिल्ली देहात में बसों की कमी को दूर करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली देहात में कई बस डिपो भी बनाए जा रहे हैं। नई बसों का संचालन नए बस डिपो से होगा और ऐसे में ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में नई बसें चलाई जाएंगी। जानकारों के मुताबिक, दिल्ली में करीब 15 से 16 हजार बसों की जरूरत है। सरकार भी यह मान रही है कि पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है कि नई बसों को लाया जाए। दिल्ली में 20, 25 और 30 सीटों वाली छोटी बसों को चलाने की भी योजना है। सरकार ने मिनी और मिडी बसों को लेकर स्टडी करवाने का भी फैसला किया है।
डीटीसी की बसों की संख्या लगातार कम हो रही है। अभी डीटीसी के पास करीब 3,950 बसें हैं। इनमें पुरानी स्टैंडर्ड फ्लोर बसें भी हैं। इन बसों की संख्या हर महीने कम की जा रही है। दो महीने पहले स्टैंडर्ड फ्लोर बसों की संख्या 239 थी, जो अब घटकर 163 रह गई हैं। डीटीसी अधिकारियों का कहना है कि ये सभी स्टैंडर्ड बसें अगले 2 से 3 महीनों में सड़कों से हटा ली जाएंगी। स्टैंडर्ड फ्लोर बसों की हालत ठीक नहीं है।
हालांकि दिल्ली सरकार ने 1,000 डीटीसी और 1,000 क्लस्टर स्कीम की बसों को लाने का फैसला किया है। अगस्त में नई बसों को खरीदने का प्रपोजल कैबिनेट की मीटिंग में लाया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी के बाद टेंडर प्रक्रिया जारी होगी। सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द नई बसों को सड़कों पर उतारा जाए, ताकि बसों की कमी को दूर किया जा सके। 2012-13 में करीब 1,500 स्टैंडर्ड बसें थी। पहले इन सभी बसों को 31 दिसंबर 2016 तक हटाए जाने की तैयारी थी। हालांकि बसों की कमी को देखते हुए जो बसें चल सकती हैं, उन्हें सड़कों पर उतारा जा रहा है। अब जो बसें बची हुई हैं, उनमें से भी अगले 2 महीने में बसें सड़कों से हट सकती हैं।
अभी स्टैंडर्ड बसें यमुना विहार, घुम्मनहेड़ा, हरिनगर और दिचाउं कलां बस डिपो से चलती है। ज्यादातर स्टैंडर्ड बसें बाहरी दिल्ली और ग्रामीण इलाकों में चलाई जा रही है। आजापुर से नरेला रूट पर कुछ बसें चल रही हैं। इसी तरह से कंझावला इलाके में भी बसें चल रही हैं। जानकारों का कहना है कि डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या लगातार कम हो रही है और सरकार ने एक हजार नई बसें खरीदने का जो फैसला किया है, उसके लिए प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए।
ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत भी कह चुके हैं कि अगले कुछ महीनों में दिल्ली देहात में बसों की कमी को दूर करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली देहात में कई बस डिपो भी बनाए जा रहे हैं। नई बसों का संचालन नए बस डिपो से होगा और ऐसे में ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में नई बसें चलाई जाएंगी। जानकारों के मुताबिक, दिल्ली में करीब 15 से 16 हजार बसों की जरूरत है। सरकार भी यह मान रही है कि पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है कि नई बसों को लाया जाए। दिल्ली में 20, 25 और 30 सीटों वाली छोटी बसों को चलाने की भी योजना है। सरकार ने मिनी और मिडी बसों को लेकर स्टडी करवाने का भी फैसला किया है।
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