नई दिल्ली
जेएनयू में सीसीटीवी लगाने के मामले में ऐडमिनिस्ट्रेशन और जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) आमने-सामने हैं। प्रशासन ने साफ किया है कि यूनिवर्सिटी कैंपस के हॉस्टलो के बाहर सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।
दूसरी ओर, जेएनयूएसयू ने वीसी को लेटर लिखा है। इसमें कहा गया है कि प्रशासन ने बिना उनसे बात कर यह फैसला ले लिया जबकि कैंपस में किसी निगरानी की कोई जरूरत नहीं है। स्टूडेंट्स का कहना है कि जेएनयू हमेशा से ही प्राइवेसी के लोकतांत्रिक अधिकार की बात करता है और कैंपस पूरी तरह सुरक्षित भी है।
जेएनयू में सोमवार से हॉस्टलों के बाहर सीसीटीवी लग रहे हैं। जेएनयूएसयू कैंपस में निगरानी का विरोध करता आया है। हालांकि, डीन ऑफ स्टूडेंट्स का कहना है कि हॉस्टलों के चोरी के मामलों को रोकने और सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया गया है। स्टूडेंट्स यूनियन के ऐतराज पर उन्होंने कहा कि वे इस बारे में प्रशासन को लिखित में बताएं और सीसीटीवी लगाने के प्रोसेस में कोई दखल न दें। इस पर जेएनयूएसयू ने वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखी है। उनका कहना है कि छात्र पूरे कैंपस को निगरानी पर रखने की जरूरत नहीं समझते हैं, इसलिए सीसीटीवी लगाने का काम रोका जाए।
प्रशासन ने सर्कुलर जारी करके छात्रों को यह भी बताया है कि हाल ही में एक सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने भी सीसीटीवी लगाने की बात की थी। इस पर जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित पांडे ने कहा, 'कैंपस में चोरी जैसी वारदातों के लिए दूसरे प्रावधान है। साथ ही, यूनिवर्सिटी ने सीसीटीवी लगाने के लिए छात्रों से कोई राय नहीं ली है। यह जेएनयू के डेमोक्रैटिक कल्चर के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने पूरे कैंपस में सीसीटीवी लगाने को जरूरी नहीं कहा है। कोर्ट ने प्रशासन के सीसीटीवी लगाने वाली बात पर एडमिन-ब्लॉक में कैमरे की बात की थी।'
यूनियन का कहना है कि किसी भी हॉस्टल की जनरल बॉडी में इसे लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है बल्कि इससे उलट छात्रों ने निगरानी का विरोध ही किया है। छात्रों का कहना है कि उनकी तो दूर प्रशासन ने इसकी जानकारी हॉस्टलों के वॉर्डेन को भी नहीं दी है। यूनियन का मानना है कि निगरानी से शक, प्राइवेसी में दखल और असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है।
जेएनयू में सीसीटीवी लगाने के मामले में ऐडमिनिस्ट्रेशन और जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) आमने-सामने हैं। प्रशासन ने साफ किया है कि यूनिवर्सिटी कैंपस के हॉस्टलो के बाहर सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है।
दूसरी ओर, जेएनयूएसयू ने वीसी को लेटर लिखा है। इसमें कहा गया है कि प्रशासन ने बिना उनसे बात कर यह फैसला ले लिया जबकि कैंपस में किसी निगरानी की कोई जरूरत नहीं है। स्टूडेंट्स का कहना है कि जेएनयू हमेशा से ही प्राइवेसी के लोकतांत्रिक अधिकार की बात करता है और कैंपस पूरी तरह सुरक्षित भी है।
जेएनयू में सोमवार से हॉस्टलों के बाहर सीसीटीवी लग रहे हैं। जेएनयूएसयू कैंपस में निगरानी का विरोध करता आया है। हालांकि, डीन ऑफ स्टूडेंट्स का कहना है कि हॉस्टलों के चोरी के मामलों को रोकने और सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया गया है। स्टूडेंट्स यूनियन के ऐतराज पर उन्होंने कहा कि वे इस बारे में प्रशासन को लिखित में बताएं और सीसीटीवी लगाने के प्रोसेस में कोई दखल न दें। इस पर जेएनयूएसयू ने वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखी है। उनका कहना है कि छात्र पूरे कैंपस को निगरानी पर रखने की जरूरत नहीं समझते हैं, इसलिए सीसीटीवी लगाने का काम रोका जाए।
प्रशासन ने सर्कुलर जारी करके छात्रों को यह भी बताया है कि हाल ही में एक सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने भी सीसीटीवी लगाने की बात की थी। इस पर जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित पांडे ने कहा, 'कैंपस में चोरी जैसी वारदातों के लिए दूसरे प्रावधान है। साथ ही, यूनिवर्सिटी ने सीसीटीवी लगाने के लिए छात्रों से कोई राय नहीं ली है। यह जेएनयू के डेमोक्रैटिक कल्चर के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने पूरे कैंपस में सीसीटीवी लगाने को जरूरी नहीं कहा है। कोर्ट ने प्रशासन के सीसीटीवी लगाने वाली बात पर एडमिन-ब्लॉक में कैमरे की बात की थी।'
यूनियन का कहना है कि किसी भी हॉस्टल की जनरल बॉडी में इसे लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है बल्कि इससे उलट छात्रों ने निगरानी का विरोध ही किया है। छात्रों का कहना है कि उनकी तो दूर प्रशासन ने इसकी जानकारी हॉस्टलों के वॉर्डेन को भी नहीं दी है। यूनियन का मानना है कि निगरानी से शक, प्राइवेसी में दखल और असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है।
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