नई दिल्ली
डीयू के कमला नेहरू कॉलेज के एक नाटक को लेकर साहित्य कला परिषद के एक समारोह में कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई है। वजह, नाटक में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो ऑर्गनाइजर्स को जंचे नहीं। कलाकारों का कहना है कि एक सीन में डायलॉग में ब्रा, पैंटी जैसे शब्द के इस्तेमाल की वजह से बेहतरीन परफॉर्मेंस के बावजूद प्ले को कॉम्पिटिशन से डिसक्वॉलिफाई कर दिया गया। मगर ऑर्गनाइजर्स का कहना है कि नाटक में कई शब्द ऐसे थे, जो अश्लील थे।
साहित्य कला परिषद के महाविद्यालय रंगमंच महोत्सव में कमला नेहरू कॉलेज 'शाहिरा के नाम' नाटक लेकर पहुंचा, जो कॉमिडी पंच के साथ एक इमोशनल लव स्टोरी है। कहानी 6 महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। कॉलेज की ड्रामा सोसायटी 'लक्ष्य' के इस नाटक को इस कॉम्पिटिशन में जगह मिली। 27 जनवरी को इस नाटक का मंचन श्रीराम सेंटर में हुआ। थिएटर सोसायटी की कॉर्डिनेटर मोनामी बासु कहती हैं, 'मंचन के बाद हमें बताया गया कि नामुनासिब लैंग्वेज की वजह से नाटक को कॉम्पिटिशन से हटा दिया गया है।'
मोनामी ने कहा, 'नाटक के एक सीन में डायलॉग में 'ब्रा', 'पैंटी' जैसे शब्द थे। इनकी वजह से ऑर्गनाइजर्स इतने परेशान हुए कि हमें क्वॉलिफाई न करने की वजह तक नहीं बता पाए। हम ऐसे पाखंड भरे विचारों का विरोध करते हैं। हम ऐसी पांबदी का भी विरोध करते हैं, जो महिलाओं की जिंदगी से जुड़ी नॉर्मल चीजों जैसे पीरियड, सेक्सुअल डिजायर, ब्रा, पैंटी पर बात करने पर लगाई जाती है।'
कलाकारों ने सवाल उठाया है कि हम रोजाना सेक्सुअली वॉयलेंट शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर हम महिलाओं की रोजाना की जिंदगी नहीं दिखा सकते और ब्रा-पैंटी के बारे में स्टेज पर बिल्कुल बात नहीं कर सकते! कलाकारों का कहना है, 'नाटक में इन शब्दों का इस्तेमाल सामान्य ढंग से किया गया है, जो कि लड़कियों की रोजमर्रा की जिंदगी के कुछ पल को दिखाता है। क्या नाटक के किसी डायलॉग में अंडरगारमेंट्स का जिक्र नहीं हो सकता? बात तब ही क्यों खड़ी होती है, जब ये महिलाओं से जुड़ी हो?'
दूसरी ओर ऑर्गनाइजर्स का कहना है कि नाटक को डिसक्वॉलिफाई नहीं किया गया, बल्कि अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करने पर पॉइंट काटे गए हैं। उनका कहना है कि बात सिर्फ ब्रा-पैंटी की नहीं है, बल्कि नाटक में और भी शब्द थे जो प्रतिष्ठाजनक नहीं थे।
डीयू के कमला नेहरू कॉलेज के एक नाटक को लेकर साहित्य कला परिषद के एक समारोह में कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई है। वजह, नाटक में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो ऑर्गनाइजर्स को जंचे नहीं। कलाकारों का कहना है कि एक सीन में डायलॉग में ब्रा, पैंटी जैसे शब्द के इस्तेमाल की वजह से बेहतरीन परफॉर्मेंस के बावजूद प्ले को कॉम्पिटिशन से डिसक्वॉलिफाई कर दिया गया। मगर ऑर्गनाइजर्स का कहना है कि नाटक में कई शब्द ऐसे थे, जो अश्लील थे।
साहित्य कला परिषद के महाविद्यालय रंगमंच महोत्सव में कमला नेहरू कॉलेज 'शाहिरा के नाम' नाटक लेकर पहुंचा, जो कॉमिडी पंच के साथ एक इमोशनल लव स्टोरी है। कहानी 6 महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। कॉलेज की ड्रामा सोसायटी 'लक्ष्य' के इस नाटक को इस कॉम्पिटिशन में जगह मिली। 27 जनवरी को इस नाटक का मंचन श्रीराम सेंटर में हुआ। थिएटर सोसायटी की कॉर्डिनेटर मोनामी बासु कहती हैं, 'मंचन के बाद हमें बताया गया कि नामुनासिब लैंग्वेज की वजह से नाटक को कॉम्पिटिशन से हटा दिया गया है।'
मोनामी ने कहा, 'नाटक के एक सीन में डायलॉग में 'ब्रा', 'पैंटी' जैसे शब्द थे। इनकी वजह से ऑर्गनाइजर्स इतने परेशान हुए कि हमें क्वॉलिफाई न करने की वजह तक नहीं बता पाए। हम ऐसे पाखंड भरे विचारों का विरोध करते हैं। हम ऐसी पांबदी का भी विरोध करते हैं, जो महिलाओं की जिंदगी से जुड़ी नॉर्मल चीजों जैसे पीरियड, सेक्सुअल डिजायर, ब्रा, पैंटी पर बात करने पर लगाई जाती है।'
कलाकारों ने सवाल उठाया है कि हम रोजाना सेक्सुअली वॉयलेंट शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर हम महिलाओं की रोजाना की जिंदगी नहीं दिखा सकते और ब्रा-पैंटी के बारे में स्टेज पर बिल्कुल बात नहीं कर सकते! कलाकारों का कहना है, 'नाटक में इन शब्दों का इस्तेमाल सामान्य ढंग से किया गया है, जो कि लड़कियों की रोजमर्रा की जिंदगी के कुछ पल को दिखाता है। क्या नाटक के किसी डायलॉग में अंडरगारमेंट्स का जिक्र नहीं हो सकता? बात तब ही क्यों खड़ी होती है, जब ये महिलाओं से जुड़ी हो?'
दूसरी ओर ऑर्गनाइजर्स का कहना है कि नाटक को डिसक्वॉलिफाई नहीं किया गया, बल्कि अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करने पर पॉइंट काटे गए हैं। उनका कहना है कि बात सिर्फ ब्रा-पैंटी की नहीं है, बल्कि नाटक में और भी शब्द थे जो प्रतिष्ठाजनक नहीं थे।
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