नई दिल्ली
पिछले साल दिवाली पर बर्न के मामले कम आए थे। उम्मीद है कि इस साल भी बर्न के केस कम होंगे। सफदरजंग, आरएमएल और एलएनजेपी के बर्न सेंटर हाई अलर्ट पर हैं। इनमें दिवाली से एक दिन पहले से एक दिन बाद तक बर्न इंजरी के इलाज के लिए स्पेशल तैयारी की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज के लिए सभी दवाएं और ड्रेसिंग के सामान उपलब्ध हैं।
सफदजरंग अस्पताल : पिछले साल बर्न सेंटर में 192 मामले आए थे, जबकि 2014 में 250 मामले आए थे। बर्न डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. करुण अग्रवाल ने बताया कि दिवाली 'डिजास्टर' की तैयारी पूरी कर ली गई है। दिवाली की रात में ग्राउंड फ्लोर पर ही ओपीडी की तरह टेबल लगाया जाता है। जैसे ही मरीज आते हैं, उनका इलाज किया जाता है। पांच-सात मिनट के अंदर प्राइमरी केयर दे दी जाती है। पांच से दस पर्सेंट मरीज को ही भर्ती करने की जरूरत होती है। बर्न डिपार्टमेंट में 101 बेड हैं। सभी स्टाफ ड्यूटी पर हैं। बर्न डिपार्टमेंट के साथ-साथ आंखों और हड्डी के भी डॉक्टर ड्यूटी पर होते हैं। दिवाली की रात लगभग 70-75 डॉक्टर, नर्स और स्टाफ की टीम लगी रहती है।
आरएमएल अस्पताल : साल 2015 में यहां 100 मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे, जबकि साल 2014 में 150 मरीजों का इलाज किया गया था। अस्पताल के बर्न डिपार्टमेंट के डॉ. समीक भट्टाचार्य ने कहा कि तैयारी पूरी है। हर मरीज का इलाज करने के लिए पूरा इंतजाम किया गया है। अलग-अलग शिफ्ट के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है। सात-आठ सीनियर फैकल्टी ड्यूटी पर होते हैं। साथ में सपोर्टिव डिपार्टमेंट जैसे आंखों के डॉक्टर भी होते हैं।
एलएनजेपी अस्पताल : पिछले साल बर्न इंजरी के 27 मामले आए थे, जबकि साल 2014 में 40 मामले आए थे। एलएनजेपी हॉस्पिटल के बर्न डिपार्टमेंट के डॉ. पी. एस. भंडारी ने कहा कि नो क्रैकर को लेकर सरकार ने जागरुकता कार्यक्रम चलाया था। इस बार भी यह अभियान चलाया जा रहा है, जिसका असर जरूर दिखेगा। इस साल भी स्पेशल तैयारी है। इसके लिए अलग से बेड खाली रखे जाएंगे। हर मरीज को तुरंत इलाज मिले, इसके लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है, जिसमें सीनियर डॉक्टरों का होना जरूरी है। पिछले साल डीडीयू हॉस्पिटल में 55 मामले आए थे। इस साल भी डीडीयू और जीटीबी अस्पताल के बर्न डिपार्टमेंट तैयार है।
एम्स ट्रॉमा सेंटर : दिवाली पर किसी भी बड़े हादसे के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर को भी अलर्ट किया गया है।
पिछले साल दिवाली पर बर्न के मामले कम आए थे। उम्मीद है कि इस साल भी बर्न के केस कम होंगे। सफदरजंग, आरएमएल और एलएनजेपी के बर्न सेंटर हाई अलर्ट पर हैं। इनमें दिवाली से एक दिन पहले से एक दिन बाद तक बर्न इंजरी के इलाज के लिए स्पेशल तैयारी की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज के लिए सभी दवाएं और ड्रेसिंग के सामान उपलब्ध हैं।
सफदजरंग अस्पताल : पिछले साल बर्न सेंटर में 192 मामले आए थे, जबकि 2014 में 250 मामले आए थे। बर्न डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. करुण अग्रवाल ने बताया कि दिवाली 'डिजास्टर' की तैयारी पूरी कर ली गई है। दिवाली की रात में ग्राउंड फ्लोर पर ही ओपीडी की तरह टेबल लगाया जाता है। जैसे ही मरीज आते हैं, उनका इलाज किया जाता है। पांच-सात मिनट के अंदर प्राइमरी केयर दे दी जाती है। पांच से दस पर्सेंट मरीज को ही भर्ती करने की जरूरत होती है। बर्न डिपार्टमेंट में 101 बेड हैं। सभी स्टाफ ड्यूटी पर हैं। बर्न डिपार्टमेंट के साथ-साथ आंखों और हड्डी के भी डॉक्टर ड्यूटी पर होते हैं। दिवाली की रात लगभग 70-75 डॉक्टर, नर्स और स्टाफ की टीम लगी रहती है।
आरएमएल अस्पताल : साल 2015 में यहां 100 मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे, जबकि साल 2014 में 150 मरीजों का इलाज किया गया था। अस्पताल के बर्न डिपार्टमेंट के डॉ. समीक भट्टाचार्य ने कहा कि तैयारी पूरी है। हर मरीज का इलाज करने के लिए पूरा इंतजाम किया गया है। अलग-अलग शिफ्ट के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है। सात-आठ सीनियर फैकल्टी ड्यूटी पर होते हैं। साथ में सपोर्टिव डिपार्टमेंट जैसे आंखों के डॉक्टर भी होते हैं।
एलएनजेपी अस्पताल : पिछले साल बर्न इंजरी के 27 मामले आए थे, जबकि साल 2014 में 40 मामले आए थे। एलएनजेपी हॉस्पिटल के बर्न डिपार्टमेंट के डॉ. पी. एस. भंडारी ने कहा कि नो क्रैकर को लेकर सरकार ने जागरुकता कार्यक्रम चलाया था। इस बार भी यह अभियान चलाया जा रहा है, जिसका असर जरूर दिखेगा। इस साल भी स्पेशल तैयारी है। इसके लिए अलग से बेड खाली रखे जाएंगे। हर मरीज को तुरंत इलाज मिले, इसके लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है, जिसमें सीनियर डॉक्टरों का होना जरूरी है। पिछले साल डीडीयू हॉस्पिटल में 55 मामले आए थे। इस साल भी डीडीयू और जीटीबी अस्पताल के बर्न डिपार्टमेंट तैयार है।
एम्स ट्रॉमा सेंटर : दिवाली पर किसी भी बड़े हादसे के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर को भी अलर्ट किया गया है।
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