Wednesday, September 28, 2016

दिल्ली में डॉक्टरों की भारी कमी, सरकार अड़ी

नई दिल्ली
दिल्ली में डॉक्टरों की कमी कोई नई बात नहीं है। पिछले दो वर्षों से सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट की कमी बनी हुई है। बावजूद इसके दिल्ली सरकार डॉक्टरों की कमी मानने के लिए तैयार नहीं। कुछ ही समय पहले स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है।

इस बयान के ठीक डेढ़ महीने बाद मंत्री जैन के विभाग ने ही 550 डॉक्टरों की भर्तियां निकाली हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, पिछले पांच महीने में यह तीसरी बार नोटिफिकेशन जारी हुआ है। लोकनायक, जीबी पंत, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में जूनियर व सीनियर लेवल पर रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी है। सिर्फ दिल्ली सरकार ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के एम्स में भी ऐसे ही हालात हैं। वहीं, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) तीन महीने से 10 जूनियर डॉक्टर तक तैनात नहीं कर पाया है।

मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो डॉक्टरों को मिलने वाले वेतन और सुविधाएं नाकाफी हैं। जिस तरह से देश के हेल्थ सिस्टम पर प्राइवेट कंपनियों का दबाव बढ़ता जा रहा है। डॉक्टर भी सरकारी सेवाओं में विश्वास नहीं रख रहे। यही कारण है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर तैनात नहीं हो पा रहे।

सबसे ज्यादा एनेस्थिसिया में डॉक्टर नहीं
दिल्ली के अस्पतालों की बात करें तो ऑपरेशन से पहले मरीज का परीक्षण करने वाले एनेस्थिसिया विभाग में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की कमी है। 34 अस्पताल मिलाकर दिल्ली सरकार ने 120 डॉक्टरों की कमी बताई है। जबकि कार्डियोलॉजी और प्रसूतिरोग विभाग में 42 डॉक्टरों की दरकार है। इतना ही नहीं, बच्चों के लिए 39 और रेडियोलॉजी व मेडिसिन में 32 डॉक्टरों की कमी है। चूंकि इन विभागों में यह कमी डेढ़ वर्ष से बनी हुई है। ऐसे में सरकार के आगे समय रहते डॉक्टरों को तैनात कर पाना बड़ी चुनौती बना हुआ है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: दिल्ली में डॉक्टरों की भारी कमी, सरकार अड़ी