Saturday, September 3, 2016

स्कूटी से हिमालयन रोड पहुंची 11 महिलाएं

दिल्ली
बाइकर्स के ग्रुप तो पूरे साल ही अडवेंचर के लिए अकेले या फिर ग्रुप में खतरनाक पहाड़ी रास्तों को पार करते हुए हिमालय की खूबसूरत वादियों के बीच जाते रहते हैं, मगर देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाली 11 महिलाओं-युवतियों ने इस मामले में एक नया कारनामा कर दिखाया है। ये स्कूटर लेकर 18,340 फुट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड खारदुंग-ला पर जा पहुंची और इस रोमांचक यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा कर वापस लौट आईं।

अब इन सबका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है और इन सबके परिजन इनके इस हैरतंगेज उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। टीवीएस मोटर कंपनी द्वारा आयोजित हिमालयन हाईज सीजन-2 के तहत इन 11 महिलाओं ने इस कारनामे को अंजाम दिया और आज ये सभी खुद को आत्मविश्वास से लबरेज महसूस कर रही हैं। खास बात यह है कि अब कंपनी के साथ-साथ इन लोगों के पास भी बड़ी तादाद में युवा लड़कों और पुरुषों के फोन कॉल्स और सवाल आ रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें भी इस अलग तरह के अडवेंचर का हिस्सा बनने का मौका दिया जाए।



उम्र नहीं आई आड़े
इस ग्रुप में शामिल 11 महिलाओं को कड़ी स्क्रीनिंग प्रोसेस के बाद चुना गया था। कंपनी ने जून में इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू की थी। महिलाएं और युवतियां इस अडवेंचर का हिस्सा बनने के लिए किस कदर उत्साहित थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के 29 राज्यों और चुनिंदा यूनियन टेरेटरीज से करीब 50,000 वुमन राइडर्स ने इसमें हिस्सा लेने की इच्छा जताई। आवेदकों के रिटन टेस्ट, टेली कन्वर्सेशन, विडियोज और स्क्रीनिंग के बाद 20 शॉर्ट लिस्टेट कैंडिडेट्स को बेंगलुरु बुलाया गया, जहां दो हफ्तों तक उनकी ट्रेनिंग चली। उनकी मेंटल स्ट्रेंथ, फिजिकल फिटनेस, उनके पैशन और एटिट्यूड को बारीकी से परखा गया और मेडिकल टेस्ट के बाद कुल 11 महिलाओं और युवतियों को इस अडवेंचरस ट्रिप पर भेजने के लिए चुना गया।

खास बात यह थी कि इस ग्रुप में 21 साल की युवतियों से लेकर 50 साल की महिला तक शामिल थी। दिल्ली की पल्लवी और मुंबई की तृप्ति के तो दो-दो बच्चे भी हैं, मगर इसके बावजूद उन्होंने इस चुनौती का सामना किया। सबसे अच्छी बात यह थी कि सभी वुमन राइडर्स के परिजनों ने उन्हें इस चुनौतीपूर्ण राइड पर जाने के लिए सपोर्ट और इनकरेज किया। लखनऊ की रहने वाली 21 साल की अनम हाशिम को इस ग्रुप का लीडर चुना गया, क्योंकि अनम ने पिछले साल हिमालयन हाईज के सीजन-1 के तहत अकेले ही स्कूटी से खारदुंग-ला तक जाकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया था। उन्हें रास्तों की जानकारी भी थी और चुनौतियों का अंदाजा भी। इसी वजह से टीम को लीड करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं को सौंपी गई। अनम और गरिमा इस ग्रुप की यंगेस्ट मेंबर थीं।

10 दिनों का यादगार सफर
इस ग्रुप ने 11 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के मंडी से अपना सफर शुरू किया और 10 दिन की चुनौतीपूर्ण, रोमांचक और यादगार जर्नी के बाद आखिरकार 21 अगस्त को ये सभी महिलाएं महज 110 सीसी की स्कूटी से खारदुंग-ला दर्रे पर जा पहुंची। खास बात यह थी कि उसी दिन उम्र के लिहाज से इस दल की सबसे सीनियर सदस्य तृप्ति सरमलकर का 50वां जन्मदिन भी था। ग्रुप के सदस्यों ने वहां पर उन्हें सरप्राइज पार्टी दी और तृप्ति ने वहां सबके साथ मिलकर अपना बर्थडे केक काटा। तृप्ति का कहना है कि यह उनके जीवन का सबसे यादगार बर्थडे सेलिब्रेशन था, जिसे वे हमेशा याद रखेंगी।





ये लोग मंडी से मनाली, जिस्पा, सरचू, पांघ और लेह होते हुए खारदुंग-ला पहुंचे। इस दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एक पूरी मेडिकल टीम भी ऐंबुलेंस लेकर इनके साथ गई थी, जिसमें ऑक्सिजन और दवाइयों के साथ-साथ अन्य जरूरी चीजें भी मौजूद थीं। हालांकि सबसे अच्छी बात यह रही कि इस पूरी यात्रा के दौरान टीम की किसी भी सदस्य को किसी भी तरह की मेडिकल हेल्प की जरूरत नहीं पड़ी और तमाम कठिन परिस्थितियों के बाद भी सबने अपनी यात्रा जारी रख उसे पूरा किया।

चुनौतियां कम नहीं थीं
ऐसा नहीं है कि इस यात्रा के दौरान इन लोगों को किसी तरह की चुनौती नहीं झेलनी पड़ी। दल की सदस्य पल्लवी ने बताया कि मंडी से आगे बढ़ते ही उन्हें पूरे रास्ते एक्ट्रीम वेदर कंडीशंस का सामना करना पड़ा। पहले दो-तीन दिन तेज बारिश झेली, टूटी-फूटी और फिसलन भरी सड़कों से गुजरे, बर्फीले रास्तों को पार किया, यहां तक कि एक जगह सड़क के बी बना पुल टूट गया, तो बगल की नदी से होकर गुजरना पड़ा, जिसमें तेज बहाव के साथ कमर तक पानी था और नीचे बड़े-बड़े पत्थर थे।

ऐसे में सबने एक दूसरे के स्कूटर को धक्का लगाकर और एक तरफ से उठा उठाकर नदी पार करने में एक-दूसरे की मदद की। एक दिन सुबह सो कर उठे, तो स्कूटर की सीटों पर बर्फ जमी मिली। हाइट पर पहुंचने के बाद जब ऑक्सिजन कम हुई, तो हाथ-पैर और कमर में तेज दर्द भी झेलना पड़ा, मगर किसी ने भी हिम्मत नहीं हारी और तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए इस जर्नी को पूरा किया।

हम किसी से कम नहीं
इस ग्रुप में शामिल महिलाएं और युवतियां भले ही देश के अलग-अलग कानों से आई थीं, मगर उन सबका मकसद एक ही था। ये सभी इस बात को साबित करना चाहती थीं कि महिलाएं किसी भी लिहाज से पुरुषों से कमजोर या कमतर नहीं है, बल्कि उनके मुकाबले ज्यादा कठिन चुनौतियों से पार पा सकती हैं। पल्लवी कहती हैं, 'हमारे समाज में महिलाओं को हमेशा से ही कमजोर समझा जाता रहा है और इसी तरह स्कूटर (स्कूटी) को भी महिलाओं की सवारी मानकर उसे एक कमजोर वीइकल माना जाता है, जबकि बाइक को हमेशा से पुरुषों की सवारी माना जाता है। जब कोई महिला बाइक चलाती है, तो लोग पूछते हैं कि बाइक क्यों? इसीलिए मैंने यह चैलेंज एक्सेप्ट किया, ताकि हम स्कूटी से दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर जाकर यह साबित कर सकें कि ना तो हम किसी कमजोर हैं और ना ही हमारी सवारी।

तृप्ति ने बताया कि इसके जरिये वो यह साबित करना चाहती थीं कि अगर आपके अंदर जज्बा है, तो फिर आपका जेंडर या आपकी उम्र आड़े नहीं आएगी। गरिमा ने बताया कि शुरुआत में उन्हें संदेह था कि पता नहीं स्कूटी से खारदुंग-ला पहुंच भी पाएंगे कि नहीं, मगर जब वहां पहुंचे, तो पेट में गुदगुदी सी महसूस हुई और अब मैं किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूं। अनम ने बताया कि जब हम खारदुंग-ला से वापस आ रहे थे, तो रास्ते में हमें बाइकर्स के कई ग्रुप मिले। हमें इतनी हाइट पर स्कूटी से आते देखकर वे सभी हैरान थे। वे लोग नीचे झुककर हमारी स्पीरिट की सराहना कर रहे थे, हमें सलाम कर रहे थे और ताली बजाकर व हाथ हिलाकर हमारी हौसला अफजाई कर रहे थे। यह मेरे लिए सबसे गर्व का क्षण था।

इन्होंने रचा इतिहास
1 अनम हाशिम (लखनऊ) - टीम लीडर
2 पल्लवी फौजदार (दिल्ली)
3 तृप्ति सरमलकर (मुंबई)
4 गरिमा कपूर (लखनऊ)
5 मेघा चक्रवर्ती (बिलासपुर)
6 कैनूर मिस्त्री (मुंबई)
7 रोशनी सोमकुंवर (नागपुर)
8 एबरोना डोरेथी (चैन्नई)
9 अंतरा पाल (बेंगलुरु)
10 सुरभि तिवारी (बेंगलुरु)
11 श्रुति नायडू (बेंगलुरु)

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: स्कूटी से हिमालयन रोड पहुंची 11 महिलाएं