Monday, August 1, 2016

राजनाथ सिंह को खाली करना पड़ेगा लखनऊ का सरकारी बंगला

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (1 अगस्त) को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीवन भर सरकारी आवास के पात्र नहीं हैं। न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वर्ष 2004 की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसा कोई भी सरकारी आवास दो से तीन माह के भीतर खाली कर दिया जाना चाहिए। इस पीठ में न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी थे। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह सहित मायावती को अपना सरकारी आवास खाली करना पड़ेगा, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते दिया गया था। पीठ ने कहा, ‘उन लोगों के पास जीवन भर के लिए सरकारी आवास को अपने पास रखे रहने का अधिकार नहीं है।’ यह फैसला उत्तरप्रदेश के गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी की ओर से दायर याचिका पर आया है। इस याचिका में सरकारी बंगले पूर्व मुख्यमंत्रियों को और अन्य ‘अयोग्य’ संगठनों को आवंटित किए जाने के खिलाफ निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। लोक प्रहरी ने आरोप लगाया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद उत्तरप्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले आवंटित करने के लिए ‘पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियम, 1997 (गैर विधायी)’ बना दिया।

एनजीओ ने दावा किया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले आवंटित करने के लिए वर्ष 1997 में बनाए गए नियम असंवैधानिक और अवैध थे और जो लोग उनमें रह रहे हैं, वे उत्तरप्रदेश सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जाधारकों के निष्कासन) कानून के तहत अनाधिकृत कब्जाधारक हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि पद छोड़ने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास को अपने पास रखे रहना उत्तरप्रदेश मंत्री (वेतन:भत्ते एवं अन्य सुविधाएं) कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। इस याचिका पर फैसला 27 नवंबर 2014 को सुरक्षित रख लिया गया था।

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