Monday, August 1, 2016

‘चीनी मांजे’ पर लगेगा प्रतिबंध, केवल सूती धागे से उड़ेगी पतंग: आप सरकार ने कोर्ट को बताया

आप सरकार ने सोमवार (1 अगस्त) को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि ‘चीनी मांजे’ पर जल्द ही प्रतिबंध लगा दिया जाएगा क्योंकि नायलोन से बने धागे से पतंग उड़ाने के कारण ‘होने वाली दुर्घटनाओं को’ लेकर वह फिक्रमंद है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की पीठ को जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार ‘चीनी मांजे’ पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर रही है और पतंग उड़ाने के लिए केवल ऐसे सूती धागे के इस्तेमाल की इजाजत दी जाएगी, जिसमें ‘किसी भी तरह की धातु और कांच के अंश’ नहीं हों। दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है, ‘पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले चीनी मांजे या नायलोन अथवा प्लास्टिक से बने मांजे या तेज धार वाले किसी भी मांजे जिसकी धार तेज करने के लिए उस पर कांच, धातु या कोई भी धारदार वस्तु चढ़ाई गई हो, दिल्ली में उसकी बिक्री, उत्पादन, भंडारण और आपूर्ति पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने संबंधी अधिसूचना का एक मसौदा दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने तैयार किया है। इसकी समीक्षा दिल्ली के विधि विभाग ने की है। पतंग उड़ाने के लिए अब धातु या कांच से रहित केवल सूती या प्राकृतिक रेशों वाले मांजे की ही अनुमति दी जाएगी।’

हलफनामे में आगे कहा गया है, ‘संबद्ध विभाग इस आशय की अधिसूचना का मसौदा तैयार कर रहा है।’ अदालत में इस किस्म के मांजे को प्रतिबंधित करने संबंधी याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि ‘चीनी मांजे’ के उत्पादन, बिक्री, इस्तेमाल और इसकी खरीद पर प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि ‘बेहद धारदार’ इस मांजे के कारण देशभर में कई मौत हो चुकी है और यह मांजा इंसानी मांस को काटने में सक्षम है। इस याचिका के आधार पर अदालत ने आप सरकार को नोटिस जारी किया था, जिस पर आप सरकार ने अदालत में यह जवाब दिया है। याचिकाकर्ता जुल्फिकार हुसैन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इस कृत्रिम धागे का शिकार पहले पक्षी बना करते थे लेकिन अब ‘इंसानों को भी इससे खतरा है’। उन्होंने पूर्वी दिल्ली में हाल ही में मारे गए उस 28 वर्षीय युवक का संदर्भ दिया, जिसका गला ऐसे ही मांजे से तब कट गया था जब वह मोटरसाइकिल पर सवार होकर कहीं जा रहा था। अदालत को जानकारी दी गई कि ‘चीनी मांजे’ पर प्रतिबंध लगाने संबंधी इसी किस्म की याचिका उच्चतम न्यायालय के सामने भी आई थी। उच्चतम न्यायालय का कहना था कि चूंकि यह मुद्दा पर्यावरण तथा वन्यजीव संरक्षण से संबंधित है इसलिए ऐसे मसलों में फैसला राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दायरे में आता है। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों के वकीलों से उच्चतम न्यायालय के फैसले को मंगलवार (2 अगस्त) तक अदालत में पेश करने को कहा है।

15 अगस्त को पतंगे उड़ाई जाती हैं, इस तथ्य के मद्देनजर अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से यह बताने को कहा है कि उसकी ओर से अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी या फिर इसमें समय लगेगा। याचिका में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हुए उन हादसों का संदर्भ दिया गया था जिनमें कथित तौर पर पतंग के मांजे से घायल होने के बाद व्यक्ति की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया था कि राजस्थान उच्च अदालत ने इस किस्म के मांजे के इस्तेमाल और बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है और इलाहाबाद उच्च अदालत ने ‘चीनी मांजे’ जैसे पतंग उड़ाने वाले कृत्रिम धागे के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने संबंधी निर्देश जारी किए हैं। यह याचिका एडवोकेट तारिक अदीब के जरिए दायर की गई थी और इसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश ने भी इस किस्म के मांजे पर रोक है। याचिका में कहा गया था कि पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 के तहत इस किस्म के मांजे का इस्तेमाल, उत्पादन और बिक्री गैरकानूनी है। इसमें सरकार को ‘पूरी दिल्ली में इस प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने का’ निर्देश देने को कहा गया था।

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