Monday, August 1, 2016

पर्रीकर के बयान पर राज्यसभा में हंगामा

राज्यसभा की कार्यवाही में सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने अभिनेता आमिर खान पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के कथित बयान का मुद्दा उठाया। इसकी वजह से राज्यसभा की कार्यवाही में कुछ देर के लिए व्यवधान पैदा हुई। हालांकि पर्रीकर ने जोर दिया कि मीडिया में उनके हवाले से जो कहा गया है, उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है।

शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि गौरक्षा के नाम पर सीमा का अतिक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेता आए दिन आपत्तिजनक बयान देते रहते हैं। उन्होंने इस क्रम में पर्रीकर के बयान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर सदस्यों को देश में सुरक्षा के संबंध में आश्वासन देना चाहिए। इसके बाद विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी आमिर पर पर्रीकर के कथित बयान का जिक्र करते हुए कहा कि देश को बताया जाना चाहिए कि देश के अल्पसंख्यकों को वे किस प्रकार का सबक सिखाना चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या वह अपने ही देशवासियों को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस पर सदन में मौजूद पर्रीकर ने कहा कि वह सिर्फ एक बात कहना चाहेंगे कि सदस्य पहले वह वीडियो देख लें फिर टिप्पणी करें। लेकिन इससे विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए और माकपा के सीताराम येचुरी ने मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई। उपसभापति पीजे कुरियन ने सदस्यों को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि मंत्री ने साफ कहा है कि वीडियो देखिए। इसका अर्थ है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है जैसा मीडिया में आया है। पर्रीकर ने फिर कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है और किसी को धमकी नहीं दी है।

सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि उन्होंने वीडियो देखी है और मंत्री ने जो कहा है कि वह सीधी धमकी है। बसपा नेता मायावती ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर मुसलिमों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा हैै। उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए। उपसभापति कुरियन ने सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी मुद्दे का हल शोर नहीं है और मंत्री ने अगर यहां या बाहर कोई आपत्तिजनक बयान दिया है तो उसके लिए नियम मौजूद हैं। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि सदस्यों के पास नियमावली की पुस्तक होनी चाहिए और इसके लिए वह अपने पैसे से सदस्यों को नियमावली दे सकते हैं। इसके पहले सुबह बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के आनंद शर्मा ने गौरक्षकों की ओर से दलितों और मुसलिमों पर हमले किए जाने का मुद्दा उठाया और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बयान की मांग की।

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