Monday, August 29, 2016

डेथ के 15 दिन बाद भी कॉर्निया का यूज!

नई दिल्ली
अब तक कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की मौत के केवल छह से आठ घंटे के अंदर कॉर्निया का यूज करना पड़ता था, लेकिन अब इसके लिए 15 दिन का समय मिलेगा। आई डोनेशन के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम होगा, जिससे डोनेशन में मिले आंख का सही यूज होगा और इससे रिजल्ट भी बेहतर हो पाएगा। इसके लिए एम्स के आरपी सेंटर ने पहल शुरू कर दी है।

आरपी सेंटर के डॉक्टर जे. एस. टिटियाल ने बताया कि अब तक आई डोनेशन से मिले कॉर्निया का यूज छह घंटे तक ही हो पाता था। उन्होंने कहा कि कई बार मेडिकल लीगल केस में आई डोनेशन में समय ज्यादा लग जाता है, इसलिए इसके लिए पुलिस को ट्रेनिंग दी जाएगी। डॉक्टर टिटियाल ने कहा कि साल-2015 में 13065 डोनेट किए गए कॉर्निया के बदले में दस हजार कॉर्निया का ही ट्रांसप्लांट किया जा सका। बाकी जितने कॉर्निया बेकार चले गए, उनमें प्रमुख वजह कॉर्निया का सही वक्त पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाना रहा।

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उन्होंने कहा कि कॉर्निया प्रिजर्व करने के लिए फिलहाल एम्स ऐसे लिक्विड का यूज कर रहा है, जिसमें इसे 6-8 घंटे के अंदर मरीज में ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है। जबकि आरपी सेल मीडियम का अगर यूज किया जाए तो ज्यादा समय तक कॉर्निया का यूज किया जा सकता है। डॉक्टर टिटियाल ने कहा कि आरपी सेल मीडियम के यूज में हर कॉर्निया पर दो हजार रुपए का खर्च आएगा, जबकि एम्स के आरपी सेंटर की लैब में अब इसे तैयार किया जा सकेगा, जिसकी अनुमति केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी दे दी है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में हर साल 35000 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। देश में 5 लाख लोगों में एक आंख की रोशनी नहीं है और ढाई लाख लोगों में दोनों आंख की रोशनी नहीं है। इसलिए एक कॉर्निया का एक से अधिक लोगों में यूज करने के लिए एम्स स्प्लिट कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर रहा है। इसमें एक कॉर्निया से तीन लोगों की आंखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है।

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