प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात काडर के निलंबित आइएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। निदेशालय ने शर्मा को तब गिरफ्तार किया जब वे विदेश में अपने या अपने परिवार के सदस्यों के खातों के बारे में ‘सही तथ्यों’ का खुलासा करने में ‘असफल’ रहे। 1984 बैच के आइएएस अधिकारी को धनशोधन रोकथाम कानून, 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ मार्च और सितंबर 2010 में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक हटा ली थी।
एजंसी ने दावा किया कि शर्मा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। शर्मा को अपना बयान दर्ज करने के लिए शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय बुलाया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उन्होंने अपने बयान में फिर से अपने विदेशी बैंक खातों और अपने या अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों से हुए लेनदेन के बारे में गोलमोल उत्तर दिए और सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया। इसके चलते उनकी गिरफ्तारी जरूरी हो गई।
एजंसी ने कहा कि शर्मा ने जांच अधिकारियों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया उससे यह लगता है कि वह वास्तव में पीएमएलए, 2002 की धारा तीन के तहत परिभाषित और कानून की धारा चार के तहत दंडनीय धनशोधन में लिप्त थे। मामला भुज में एक सरकारी जमीन को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मेसर्स वेलस्पन इंडिया लिमिटेड और उसके समूह की कंपनियों वेलस्पन पावर एंड स्टील और वेलस्पन गुजरात स्टाइल रोहरन को मंजूर करने से संबंधित है जिसमें संदेह है कि दोनों ने एक दूसरे को फायदा पहुंचाया।
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