विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
शादी के दो साल बाद ही ममता (बदला हुआ नाम) ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो गईं। उन्हें लगा अब वह मां नहीं बन पाएंगी। लेकिन मेडिकल के क्षेत्र में आई नई तकनीक ये यह संभव हो गया। कैंसर के इलाज के दौरान ही ममता ने भ्रूण तैयार करवा कर प्रिजर्व करा दिया और जब वह कैंसर की बीमारी से मुक्त हुईं, तब इस भ्रूण का इस्तेमाल कर एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।
अब कई ऐसी तकनीक आ गई हैं जिससे प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखा जा सकता है। इनमें से एक है ‘ऑन्को फर्टिलिटी’। इसके आने से युवा दंपत्तियों के लिए अपनी प्रजनन क्षमता बनाए रखना और कैंसर के ठीक होने के बाद संतान पाना संभव है। इस बारे में मिलन आईवीएफ सेंटर की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. सुमि मारिया का कहना है कि जब किसी की ब्रेस्ट की सर्जरी की जाती है तो उसकी कीमोथेरेपी शुरू करने के बीच कुछ समय का अंतराल रखा जाता है। इसलिए, इस दौरान इस कपल्स के पास भी कुछ समय था, इस पर चर्चा की और कैंसर सर्जन के साथ भी इस बारे में बात की गई। कपल की सहमति के बाद महिला के अंडों को निकाला गया और उसके पति के स्पर्म के साथ उसे फर्टिलाइज कराकर एक भ्रूण तैयार किया गया और इस भ्रूण को प्रिजर्व करा दिया गया। जब महिला कैंसर से ठीक हो गई, तब उसका भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
डॉक्टर ने कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसके इलाज के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाइयां प्रजनन क्षमता को बाधित करती है। अब कैंसर का समय पर इलाज होने से जहां एक तरफ बीमारी से छुटकारा मिलने लगा है, वहीं इसकी वजह से लोग अपना बाकी जीवन अच्छे से जीना चाहते हैं। ऐसे में प्रजनन क्षमता के लिए ऑन्को फर्टिलिटी का विकल्प खुल गया है।
एम्ब्रयोलॉजिस्ट डॉ. सैयद वसीम अंद्राबी का कहना है कि उनके यहां लगभग एक दर्जन से कैंसर मरीजों ने इस तरक का विकल्प चुना है। खासकर जिनका कैंसर का शुरुआती इलाज चल रहा है, उनके लिए यह विकल्प बेहतर साबित हो रहा है। फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के लिए उनके यहां कई प्रकार के विकल्प हैं, जिसमें भ्रूण प्रिजर्वेशन काफी सफल साबित हो रहा है।
शादी के दो साल बाद ही ममता (बदला हुआ नाम) ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो गईं। उन्हें लगा अब वह मां नहीं बन पाएंगी। लेकिन मेडिकल के क्षेत्र में आई नई तकनीक ये यह संभव हो गया। कैंसर के इलाज के दौरान ही ममता ने भ्रूण तैयार करवा कर प्रिजर्व करा दिया और जब वह कैंसर की बीमारी से मुक्त हुईं, तब इस भ्रूण का इस्तेमाल कर एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।
अब कई ऐसी तकनीक आ गई हैं जिससे प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखा जा सकता है। इनमें से एक है ‘ऑन्को फर्टिलिटी’। इसके आने से युवा दंपत्तियों के लिए अपनी प्रजनन क्षमता बनाए रखना और कैंसर के ठीक होने के बाद संतान पाना संभव है। इस बारे में मिलन आईवीएफ सेंटर की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. सुमि मारिया का कहना है कि जब किसी की ब्रेस्ट की सर्जरी की जाती है तो उसकी कीमोथेरेपी शुरू करने के बीच कुछ समय का अंतराल रखा जाता है। इसलिए, इस दौरान इस कपल्स के पास भी कुछ समय था, इस पर चर्चा की और कैंसर सर्जन के साथ भी इस बारे में बात की गई। कपल की सहमति के बाद महिला के अंडों को निकाला गया और उसके पति के स्पर्म के साथ उसे फर्टिलाइज कराकर एक भ्रूण तैयार किया गया और इस भ्रूण को प्रिजर्व करा दिया गया। जब महिला कैंसर से ठीक हो गई, तब उसका भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
डॉक्टर ने कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसके इलाज के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाइयां प्रजनन क्षमता को बाधित करती है। अब कैंसर का समय पर इलाज होने से जहां एक तरफ बीमारी से छुटकारा मिलने लगा है, वहीं इसकी वजह से लोग अपना बाकी जीवन अच्छे से जीना चाहते हैं। ऐसे में प्रजनन क्षमता के लिए ऑन्को फर्टिलिटी का विकल्प खुल गया है।
एम्ब्रयोलॉजिस्ट डॉ. सैयद वसीम अंद्राबी का कहना है कि उनके यहां लगभग एक दर्जन से कैंसर मरीजों ने इस तरक का विकल्प चुना है। खासकर जिनका कैंसर का शुरुआती इलाज चल रहा है, उनके लिए यह विकल्प बेहतर साबित हो रहा है। फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के लिए उनके यहां कई प्रकार के विकल्प हैं, जिसमें भ्रूण प्रिजर्वेशन काफी सफल साबित हो रहा है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: कैंसर के इलाज के दौरान ही भ्रूण तैयार कर प्रिजर्व कराया, कैंसर खत्म होने पर दिया बच्ची को जन्म