नई दिल्ली: 'देखिए, अगर इस बार आम बजट में सरकार अगर कोई पुराना टैक्स खत्म नहीं कर सकती तो कम से कम लोगों पर कोई नया टैक्स नहीं लगाना चाहिए। पिछला पूरा साल कोरोना की भेंट चढ़ चुका है। ठप हुए काम-धंधे अब धीरे-धीरे पटरी पर आना शुरू हो रहे हैं। जरूरत है कम से कम एक-दो साल तक सरकार कोई नया टैक्स ना लेकर आए। बल्कि बिजनेस को बढ़ाने के लिए कुछ छूटी ही दे तो अच्छा होगा। यह कहना है जाइंट बिजनेसमैन फैमिली जैन परिवार का। जिन्होंने आने वाले आम बजट के बारे में एनबीटी से खुलकर अपनी बात रखी।
जॉइंट फैमिली में कौन-कौन
ईस्ट दिल्ली के गांधी नगर में कपड़े का बिजनेस करने वाले मुकेश कुमार जैन ने बताया कि उनके संयुक्त परिवार में 10 सदस्य हैं। परिवार में पिता नरेंद्र कुमार जैन (67), मां उर्मिला जैन (68), मुकेश कुमार जैन (46), पत्नी मृदुला जैन (43), बेटी प्रेरणा जैन (23) और बेटा प्रज्जवल जैन (19), छोटा भाई विकास कुमार जैन (44), पत्नी प्रियंका जैन (43), बेटा प्रासुक जैन (20) और बेटी परिणिता जैन (16) हैं। सारा परिवार गांधी नगर में एक ही घर में रहता है। अच्छी बात यह भी है कि पूरे परिवार का आज तक भी खाना एक ही रसोई में बनता है।
बिजनेस और इनकम
मुकेश कुमार जैन ने बताया कि उनके परिवार का गांधी नगर में कपड़ों का काम है। फेबरिक के इस बिजनेस में उनका पूरा परिवार लगा है। बच्चे अभी पढ़ रहे हैं और जो अपने पैरों पर खड़े होते जा रहे हैं। वह भी फैमिली बिजनेस में अपना योगदान दे रहे हैं। उनका साल की कमाई करीब 15 लाख रूपये के आसपास है। पूरा परिवार दिन-रात व्यापार को बढ़ाने के बारे में सोचता रहता है। कोरोना काल में उन्हें भी काफी घाटा हुआ। अब धीरे-धीरे बिजनेस पटरी पर लौट रहा है। कमाई कम हुई है लेकिन उम्मीद है कि साल की 15 लाख रुपये की इनकम को हम और बढ़ा सकेंगे।
खर्चे और बचत
बिजनेसमैन मुकेश ने बताया कि उनके मोटे खर्चों में तो सबसे बड़ा खर्चा रसोई का ही है। इसमें हर महीने 40 से 50 हजार तक का खर्चा हो जाता है। इसके अलावा कुछ खर्चे घूमने-फिरने के हो जाते हैं। गाड़ियों की मेंटिनेंस और अन्य खर्चे हैं। हालांकि, पिछले साल तो कोरोना काल होने की वजह से परिवार का कोई भी सदस्य कहीं घूमने नहीं जा सका। इस बार कुछ प्लानिंग कर रहे हैं आउटिंग की। घर पर कैद हुए काफी बोर भी हो गए हैं। रही बचत की बात तो इसके लिए उन्होंने एलआईसी, पोस्टऑफिस और अन्य जगहों पर कुछ इनवेस्टमेंट कर रखा है। यह बच्चों की पढ़ाई और शादियों के वक्त काम आएगा।
बजट से उम्मीदें
बजट से तो हम यही उम्मीद करते हैं कि सरकार एक ऐसा बजट लेकर आए। जिससे कोरोना काल में हुए हर वर्ग के घाटे की कुछ तो भरपाई हो सके। पिछला पूरा साल ठप रहा है। किसी भी आइटम पर कोई नया टैक्स नहीं लगाना चाहिए। मुमकिन हो तो कुछ रॉ मैटेरियल में टैक्स में छूट दी जाए। सरकार सैलरी क्लास और बिजनेसमैन को सोचते हुए बजट लाए। कोरोना काल में लोगों की जमापूंजि खत्म हो गई। अब जरूरत है उनकी जेबों में कुछ देने की। यह सरकार को सोचना है कि वह कैसे लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकती है।
कमाई-15 लाख रुपये साल
रसोई का खर्चा-50 हज़ार रुपये महीना
पढ़ाई पर खर्चा-3 लाख रुपये साल
घूमने-फिरने पर खर्चा-70 से 80 हज़ार रुपये साल
(लेकिन पिछले साल कहीं नही गए)
बाकी अन्य खर्चे
बचत-3 लाख रुपये साल
जॉइंट फैमिली में कौन-कौन
ईस्ट दिल्ली के गांधी नगर में कपड़े का बिजनेस करने वाले मुकेश कुमार जैन ने बताया कि उनके संयुक्त परिवार में 10 सदस्य हैं। परिवार में पिता नरेंद्र कुमार जैन (67), मां उर्मिला जैन (68), मुकेश कुमार जैन (46), पत्नी मृदुला जैन (43), बेटी प्रेरणा जैन (23) और बेटा प्रज्जवल जैन (19), छोटा भाई विकास कुमार जैन (44), पत्नी प्रियंका जैन (43), बेटा प्रासुक जैन (20) और बेटी परिणिता जैन (16) हैं। सारा परिवार गांधी नगर में एक ही घर में रहता है। अच्छी बात यह भी है कि पूरे परिवार का आज तक भी खाना एक ही रसोई में बनता है।
बिजनेस और इनकम
मुकेश कुमार जैन ने बताया कि उनके परिवार का गांधी नगर में कपड़ों का काम है। फेबरिक के इस बिजनेस में उनका पूरा परिवार लगा है। बच्चे अभी पढ़ रहे हैं और जो अपने पैरों पर खड़े होते जा रहे हैं। वह भी फैमिली बिजनेस में अपना योगदान दे रहे हैं। उनका साल की कमाई करीब 15 लाख रूपये के आसपास है। पूरा परिवार दिन-रात व्यापार को बढ़ाने के बारे में सोचता रहता है। कोरोना काल में उन्हें भी काफी घाटा हुआ। अब धीरे-धीरे बिजनेस पटरी पर लौट रहा है। कमाई कम हुई है लेकिन उम्मीद है कि साल की 15 लाख रुपये की इनकम को हम और बढ़ा सकेंगे।
खर्चे और बचत
बिजनेसमैन मुकेश ने बताया कि उनके मोटे खर्चों में तो सबसे बड़ा खर्चा रसोई का ही है। इसमें हर महीने 40 से 50 हजार तक का खर्चा हो जाता है। इसके अलावा कुछ खर्चे घूमने-फिरने के हो जाते हैं। गाड़ियों की मेंटिनेंस और अन्य खर्चे हैं। हालांकि, पिछले साल तो कोरोना काल होने की वजह से परिवार का कोई भी सदस्य कहीं घूमने नहीं जा सका। इस बार कुछ प्लानिंग कर रहे हैं आउटिंग की। घर पर कैद हुए काफी बोर भी हो गए हैं। रही बचत की बात तो इसके लिए उन्होंने एलआईसी, पोस्टऑफिस और अन्य जगहों पर कुछ इनवेस्टमेंट कर रखा है। यह बच्चों की पढ़ाई और शादियों के वक्त काम आएगा।
बजट से उम्मीदें
बजट से तो हम यही उम्मीद करते हैं कि सरकार एक ऐसा बजट लेकर आए। जिससे कोरोना काल में हुए हर वर्ग के घाटे की कुछ तो भरपाई हो सके। पिछला पूरा साल ठप रहा है। किसी भी आइटम पर कोई नया टैक्स नहीं लगाना चाहिए। मुमकिन हो तो कुछ रॉ मैटेरियल में टैक्स में छूट दी जाए। सरकार सैलरी क्लास और बिजनेसमैन को सोचते हुए बजट लाए। कोरोना काल में लोगों की जमापूंजि खत्म हो गई। अब जरूरत है उनकी जेबों में कुछ देने की। यह सरकार को सोचना है कि वह कैसे लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकती है।
कमाई-15 लाख रुपये साल
रसोई का खर्चा-50 हज़ार रुपये महीना
पढ़ाई पर खर्चा-3 लाख रुपये साल
घूमने-फिरने पर खर्चा-70 से 80 हज़ार रुपये साल
(लेकिन पिछले साल कहीं नही गए)
बाकी अन्य खर्चे
बचत-3 लाख रुपये साल
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