टीकरी बॉर्डर
टीकरी बॉर्डर पर शनिवार को एक और किसान की मौत हो गई। अबतक इस बॉर्डर पर कुल 15 किसानों की मौत हो चुकी है। किसान नेताओं का कहना है कि इनमें से अधिकतर मौतें हार्ट अटैक होने के कारण हुई है। ठंड के बीच यहां काफी तादाद में किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को इन मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बिल वापसी की मांग को लेकर लंबे समय से बॉर्डर पर टिके हैं, लेकिन बिल वापसी को लेकर सरकार कोई पहल नहीं कर रही है।
रात में खाना खाकर सोए, लेकिन सुबह नहीं उठे
जानकारी के मुताबिक, बोहर सिंह पंजाब के मुक्तसर साहिब के रहने वाले थे। पिछले कई दिनों से टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे। किसान नेता साहिल ने बताया कि शुक्रवार की रात बोहर सिंह खाना खाकर सो गए, शनिवार सुबह देर तक ना उठने के बाद उनके दोस्त उन्हें उठाने गए, लेकिन वह नहीं उठे। इसकी सूचना तुरंत मंच संचालकों को दी गई। जिसके बाद इनके दोस्तों से इनकी जानकारी जुटाई गई। तुरंत इनके परिवार के सदस्यों को इस बात की जानकारी दी गई। इसकी सूचना पुलिस को भी दी गई। किसानों का कहना है कि बॉर्डरों पर मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है। किसान ठंड से मर रहे हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
नाटक के जरिए जताया विरोध
रविवार सुबह टीकरी बॉर्डर पर कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पहुंचे। जहां उन्होंने नुक्कड़ नाटक के जरिए किसानों की मांग, कृषि बिलों से किसानों का नुकसान के अलावा सरकार का विरोध भी जताया। दो बार हुए इस नाटक में काफी संख्या में स्टूडेंट्स ने भाग लिया। स्टूडेंट्स ने कहा कि हम किसानों के साथ है। हम आगे भी बॉर्डर पर आते रहेंगे।
टीकरी बॉर्डर पर शनिवार को एक और किसान की मौत हो गई। अबतक इस बॉर्डर पर कुल 15 किसानों की मौत हो चुकी है। किसान नेताओं का कहना है कि इनमें से अधिकतर मौतें हार्ट अटैक होने के कारण हुई है। ठंड के बीच यहां काफी तादाद में किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को इन मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बिल वापसी की मांग को लेकर लंबे समय से बॉर्डर पर टिके हैं, लेकिन बिल वापसी को लेकर सरकार कोई पहल नहीं कर रही है।
रात में खाना खाकर सोए, लेकिन सुबह नहीं उठे
जानकारी के मुताबिक, बोहर सिंह पंजाब के मुक्तसर साहिब के रहने वाले थे। पिछले कई दिनों से टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे। किसान नेता साहिल ने बताया कि शुक्रवार की रात बोहर सिंह खाना खाकर सो गए, शनिवार सुबह देर तक ना उठने के बाद उनके दोस्त उन्हें उठाने गए, लेकिन वह नहीं उठे। इसकी सूचना तुरंत मंच संचालकों को दी गई। जिसके बाद इनके दोस्तों से इनकी जानकारी जुटाई गई। तुरंत इनके परिवार के सदस्यों को इस बात की जानकारी दी गई। इसकी सूचना पुलिस को भी दी गई। किसानों का कहना है कि बॉर्डरों पर मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है। किसान ठंड से मर रहे हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
नाटक के जरिए जताया विरोध
रविवार सुबह टीकरी बॉर्डर पर कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पहुंचे। जहां उन्होंने नुक्कड़ नाटक के जरिए किसानों की मांग, कृषि बिलों से किसानों का नुकसान के अलावा सरकार का विरोध भी जताया। दो बार हुए इस नाटक में काफी संख्या में स्टूडेंट्स ने भाग लिया। स्टूडेंट्स ने कहा कि हम किसानों के साथ है। हम आगे भी बॉर्डर पर आते रहेंगे।
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