नई दिल्ली
'कोविड महामारी में अभी सारी उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हैं। इसलिए बुधवार को वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के लिए मैं भी पहुंच गया। वैक्सीन को लेकर पिछले कुछ दिनों से बहुत पढ़ा है और लिखा भी है। इसलिए मन में कोई संशय नहीं था। एम्स के वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचा और वहां के स्टाफ को मैंने बताया कि ट्रायल में शामिल होना चाहता हूं। उन्होंने बिना समय गंवाए एक फॉर्म दिया। 9 पेज के इस फॉर्म पर वैक्सीन के बारे में जानकारी दी गई थी और उसमें कुछ पर्सनल डिटेल्स भरने थे।
यहां पर सब आराम से चल रहा था। न कोई कोरोना की दहशत थी और न ही कोई पैनिक वाली बात। स्टाफ भी बहुत अच्छे और मददगार थे। मैंने फॉर्म भरा, उसमें मुश्किल से 5 मिनट लगे। अपना एक आईकार्ड दिया। इसके बाद मेरा वजन और ब्लड प्रेशर चेक किया गया। फिर डॉक्टर के पास मुझे लेकर गए। वहां पर डॉक्टर ने सारे अपडेट को डिजिटली अपलोड किया और इस दौरान वैक्सीन को लेकर काउंसलिंग भी की। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन क्या है, कैसे काम करती है और वैक्सीनेशन के डोज के बाद अगर कोई दिक्कत होती है तो क्या करना है, सहित अन्य जानकारी दी गई।
इस दौरान वहां पर और भी लोग पहुंच रहे थे जो वैक्सीन में शामिल होना चाहते थे। हालांकि, उम्मीद के अनुसार ट्रायल में शामिल होने कम लोग आ रहे हैं। एक स्टाफ ने बताया कि पहले यह वैक्सीनेशन का ट्रायल साउथ दिल्ली के दक्षिणपुरी में चल रहा था, वहां पर कम लोग आते थे। पिछले कुछ दिनों से यह ट्रायल एम्स के लंग्स डिपार्टमेंट बिल्डिंग के रूम नंबर 5 में चल रहा है। अब यहां पर ट्रायल में शामिल होने वालों की संख्या बढ़ी है। ट्रायल में शामिल हुए सबजेक्ट में मेरा नंबर 477 था। जिस प्रकार सब ट्रायल का प्रोसीजर चल रहा था, उससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था।
इसके बाद मुझे सैंपल के लिए ले जाया गया। जहां पर पहले ब्लड सैंपल लिए गए ताकि मेरे अन्य पैरामीटर बाद में चेक किए जा सकें, उसके बाद एंटीबॉडी कोविड टेस्ट हुआ और इसके बाद वैक्सीन का शॉट दिया गया। कुछ सेकेंड भर का यह शॉट था। एक हल्की सी चुभन और इस महामारी के अंत के इलाज का हिस्सा बनने के अनुभव से अंदर ही अंदर रोमांचित हुआ। पहली बार ऐसा लगा कि मैं देश के काम आ सका। वैक्सीनेशन के बाद एक जूस दिया गया। आधे घंटे के इंतजार के दौरान हमें एक बुकलेट दी गई, जिसमें हमें समय समय पर होने वाली दिक्कत को लिखते रहना है। यह वैक्सीन दो डोज का है और अगली विजिट 27 जनवरी को है। वैक्सीनेशन के बाद घर आया, अभी तक कोई खास दिक्कत महसूस नहीं हुई है। ट्रायल का हिस्सा बन कर अच्छा लग रहा है।'
'कोविड महामारी में अभी सारी उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हैं। इसलिए बुधवार को वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के लिए मैं भी पहुंच गया। वैक्सीन को लेकर पिछले कुछ दिनों से बहुत पढ़ा है और लिखा भी है। इसलिए मन में कोई संशय नहीं था। एम्स के वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचा और वहां के स्टाफ को मैंने बताया कि ट्रायल में शामिल होना चाहता हूं। उन्होंने बिना समय गंवाए एक फॉर्म दिया। 9 पेज के इस फॉर्म पर वैक्सीन के बारे में जानकारी दी गई थी और उसमें कुछ पर्सनल डिटेल्स भरने थे।
यहां पर सब आराम से चल रहा था। न कोई कोरोना की दहशत थी और न ही कोई पैनिक वाली बात। स्टाफ भी बहुत अच्छे और मददगार थे। मैंने फॉर्म भरा, उसमें मुश्किल से 5 मिनट लगे। अपना एक आईकार्ड दिया। इसके बाद मेरा वजन और ब्लड प्रेशर चेक किया गया। फिर डॉक्टर के पास मुझे लेकर गए। वहां पर डॉक्टर ने सारे अपडेट को डिजिटली अपलोड किया और इस दौरान वैक्सीन को लेकर काउंसलिंग भी की। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन क्या है, कैसे काम करती है और वैक्सीनेशन के डोज के बाद अगर कोई दिक्कत होती है तो क्या करना है, सहित अन्य जानकारी दी गई।
इस दौरान वहां पर और भी लोग पहुंच रहे थे जो वैक्सीन में शामिल होना चाहते थे। हालांकि, उम्मीद के अनुसार ट्रायल में शामिल होने कम लोग आ रहे हैं। एक स्टाफ ने बताया कि पहले यह वैक्सीनेशन का ट्रायल साउथ दिल्ली के दक्षिणपुरी में चल रहा था, वहां पर कम लोग आते थे। पिछले कुछ दिनों से यह ट्रायल एम्स के लंग्स डिपार्टमेंट बिल्डिंग के रूम नंबर 5 में चल रहा है। अब यहां पर ट्रायल में शामिल होने वालों की संख्या बढ़ी है। ट्रायल में शामिल हुए सबजेक्ट में मेरा नंबर 477 था। जिस प्रकार सब ट्रायल का प्रोसीजर चल रहा था, उससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था।
इसके बाद मुझे सैंपल के लिए ले जाया गया। जहां पर पहले ब्लड सैंपल लिए गए ताकि मेरे अन्य पैरामीटर बाद में चेक किए जा सकें, उसके बाद एंटीबॉडी कोविड टेस्ट हुआ और इसके बाद वैक्सीन का शॉट दिया गया। कुछ सेकेंड भर का यह शॉट था। एक हल्की सी चुभन और इस महामारी के अंत के इलाज का हिस्सा बनने के अनुभव से अंदर ही अंदर रोमांचित हुआ। पहली बार ऐसा लगा कि मैं देश के काम आ सका। वैक्सीनेशन के बाद एक जूस दिया गया। आधे घंटे के इंतजार के दौरान हमें एक बुकलेट दी गई, जिसमें हमें समय समय पर होने वाली दिक्कत को लिखते रहना है। यह वैक्सीन दो डोज का है और अगली विजिट 27 जनवरी को है। वैक्सीनेशन के बाद घर आया, अभी तक कोई खास दिक्कत महसूस नहीं हुई है। ट्रायल का हिस्सा बन कर अच्छा लग रहा है।'
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