Wednesday, December 2, 2020

थैलीसीमिया के मरीजों का कोविड ने बढ़ाया दर्द

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
कोविड महामारी का असर पूरे जनमानस पर देखा जा रहा है। पहले से बीमार लोगों के लिए यह किसी आफत से कम नहीं है। हर महीने दूसरे के ब्लड से आगे का जीवन पाने वाले थैलीसीमिया से पीड़ित लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन में हर रोज दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड से न केवल उन्हें संक्रमण का डर है, बल्कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन नहीं होने पर यह बीमारी बढ़ने का भी खतरा है। डिसएब्लिटी एक्ट में शामिल होने के बाद भी थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों को उनका हक नहीं मिल रहा है। गुरुवार को डिसएब्लिटी डे है।

एक्सपर्ट का कहना है कि डिसएब्लिटी एक्ट के क्लॉज 8 के अनुसार इन बच्चों को इलाज में तवज्जो मिलनी चाहिए। अगर महामारी का दौर है तो उसमें उनके इलाज का और खयाल रखना चाहिए। उन्हें हर जरूरी सुविधा मुहैया करानी चाहिए। मगर, ऐसा हो नहीं रहा है। थैलीसीमिक इंडिया की सचिव शोभा तुली ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 2500 ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें हर महीने ब्लड की जरूरत होती है। अगर एक महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन नहीं कराया तो उनकी परेशानी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि जब से कोविड आया है, तब से उन्हें ब्लड मिलने में दिक्कत हो रही है। अब उनके माता-पिता को खुद से डोनर लेकर आने पड़ते हैं, तभी उनके बच्चे का समय पर ट्रांसफ्यूजन हो पाता है। कई अस्पताल कोविड के हो गए हैं, इसलिए कई बच्चों का अस्पताल बदल गया है। उन्हें दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है। आने-जाने में उनका खर्च बढ़ गया है। रिस्क ज्यादा हो गया है। उनकी परेशानी बढ़ गई है।

शोभा तुली ने बताया कि कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके घर में सिर्फ एक ही कमाने वाले थे। कोविड की वजह से उनकी नौकरी चली गई। इन बच्चों को सरकार की तरफ से हर महीने मदद के तौर पर 2500 रुपये मिलते हैं, लेकिन अभी ऐप्लिकेशन जमा नहीं हो पा रहा है तो उन्हें यह सुविधा नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि डिसएब्लिटी एक्ट के तहत जितनी सुविधा उन्हें मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है। सरकार से मांग है कि वह इन बच्चों का जो हक है, उसे पूरा करे।

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