नई दिल्ली
फ्लाइट की कूरियर से ड्रग मंगवाने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो डार्क नेट पर ड्रग का ऑर्डर देते थे और फिर टॉफी की शक्ल वाली ड्रग को न्यू ईयर पर बड़ी बड़ी पार्टियों में सप्लाई करते थे। दोनों ही हाई-फाई सोसाइटी से हैं और यह अमेरिका से महंगी ड्रग्स मंगवाते थे। आरोपियों के पास से मिली टॉफी की शक्ल वाली ड्रग दिखने में हूबहू उस संतरे वाली टॉफ़ी जैसी है, जिसे बचपन मे हर किसी ने खाया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के पास से कानेबीएन बड बरामद हुई है, जो भारत में सोने के भाव बिकती है।
उन्होंने बताया कि आरोपी नए साल के जश्न में इस ड्रग को मार्केट में फैलाने वाले थे, लेकिन पहले ही दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों का नाम लक्ष्य और शशांक गुप्ता है, जिसमें लक्ष्य मुख्य सरगना बताया जा रहा है। लक्ष्य ना सिर्फ कोरियर से ड्रग्स मंगवाता था, बल्कि फर्जी आईडी बनाकर उसे एयरपोर्ट से लेने के लिए भी जाता था। अपने अलावा उसने कई और शागिर्दों को भी फर्जी आईडी बनाकर ड्रग मंगवाने का काम सिखाया हुआ था।
डीसीपी क्राइम ब्रांच भीष्म सिंह ने बताया कि पुलिस को शुक्रवार को आरोपियों के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके बाद वसंतकुंज इलाके से दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी शशांक दिल्ली के एक नामचीन स्कूल का पढ़ा लिखा है, जबकि अभी एक बड़ी कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है। वही लक्ष्य भी मैनेजमेंट कोर्स कर चुका है और दिखाने के लिए तैयारी कर रहा था। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने डार्क नेट के जरिए ड्रग्स का खेल शुरू किया था। आरोपियों के पास से लाखों रुपये की ड्रग बरामद हुई है। जो मलाना क्रीम उनसे मिली है, वह कैलिफोर्निया में तैयार होती थी।
क्या है टॉफी जैसी दिखने वाली ड्रग
टेट्राहाइड्रोकैंनबिनोल (टीएचसी) असल में गांजा मिलाकर बनाई गई टॉफ़ी है, जिसे सिर्फ मुंह मे रखकर चूसना होता हैं। बहुत ही असरदार इस एक टॉफी की कीमत 500 रुपये है, जिसे हाई सोसाइटी की पार्टियों में पसंद किया जाता है। आरोपी लक्ष्य पिछले दो सालों से इस तरह ड्रग सप्लाई कर रहा है और डार्क नेट के जरिये अपना ऑर्डर लगाता था।
क्या है डार्क नेट
इंटरनेट भी समुंदर के उस आइसबर्ग जैसा है, जिसका कुछ हिस्सा ही हमें दिखता है। बाकी के हिस्से को डार्क नेट कहते हैं, जो आम इंटरनेट यूजर के एक्सेस में नहीं है। फिलहाल, उस हिस्से का जानकार लोग क्राइम की गतिविधियों के लिए ही इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि वह इंटरनेट की एक अलग दुनिया है, लेकिन उसके बारे में अभी बहुत अधिक नहीं पता चला है।
फ्लाइट की कूरियर से ड्रग मंगवाने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो डार्क नेट पर ड्रग का ऑर्डर देते थे और फिर टॉफी की शक्ल वाली ड्रग को न्यू ईयर पर बड़ी बड़ी पार्टियों में सप्लाई करते थे। दोनों ही हाई-फाई सोसाइटी से हैं और यह अमेरिका से महंगी ड्रग्स मंगवाते थे। आरोपियों के पास से मिली टॉफी की शक्ल वाली ड्रग दिखने में हूबहू उस संतरे वाली टॉफ़ी जैसी है, जिसे बचपन मे हर किसी ने खाया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के पास से कानेबीएन बड बरामद हुई है, जो भारत में सोने के भाव बिकती है।
उन्होंने बताया कि आरोपी नए साल के जश्न में इस ड्रग को मार्केट में फैलाने वाले थे, लेकिन पहले ही दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों का नाम लक्ष्य और शशांक गुप्ता है, जिसमें लक्ष्य मुख्य सरगना बताया जा रहा है। लक्ष्य ना सिर्फ कोरियर से ड्रग्स मंगवाता था, बल्कि फर्जी आईडी बनाकर उसे एयरपोर्ट से लेने के लिए भी जाता था। अपने अलावा उसने कई और शागिर्दों को भी फर्जी आईडी बनाकर ड्रग मंगवाने का काम सिखाया हुआ था।
डीसीपी क्राइम ब्रांच भीष्म सिंह ने बताया कि पुलिस को शुक्रवार को आरोपियों के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके बाद वसंतकुंज इलाके से दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी शशांक दिल्ली के एक नामचीन स्कूल का पढ़ा लिखा है, जबकि अभी एक बड़ी कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है। वही लक्ष्य भी मैनेजमेंट कोर्स कर चुका है और दिखाने के लिए तैयारी कर रहा था। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने डार्क नेट के जरिए ड्रग्स का खेल शुरू किया था। आरोपियों के पास से लाखों रुपये की ड्रग बरामद हुई है। जो मलाना क्रीम उनसे मिली है, वह कैलिफोर्निया में तैयार होती थी।
क्या है टॉफी जैसी दिखने वाली ड्रग
टेट्राहाइड्रोकैंनबिनोल (टीएचसी) असल में गांजा मिलाकर बनाई गई टॉफ़ी है, जिसे सिर्फ मुंह मे रखकर चूसना होता हैं। बहुत ही असरदार इस एक टॉफी की कीमत 500 रुपये है, जिसे हाई सोसाइटी की पार्टियों में पसंद किया जाता है। आरोपी लक्ष्य पिछले दो सालों से इस तरह ड्रग सप्लाई कर रहा है और डार्क नेट के जरिये अपना ऑर्डर लगाता था।
क्या है डार्क नेट
इंटरनेट भी समुंदर के उस आइसबर्ग जैसा है, जिसका कुछ हिस्सा ही हमें दिखता है। बाकी के हिस्से को डार्क नेट कहते हैं, जो आम इंटरनेट यूजर के एक्सेस में नहीं है। फिलहाल, उस हिस्से का जानकार लोग क्राइम की गतिविधियों के लिए ही इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि वह इंटरनेट की एक अलग दुनिया है, लेकिन उसके बारे में अभी बहुत अधिक नहीं पता चला है।
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Read more: डार्क नेट पर देते थे ड्रग का ऑर्डर, फ्लाइट से माल आने पर फर्जी डिलीवरी देकर उठाते थे सामान