नई दिल्ली: कोहरे का असर दिल्ली-एनसीआर में दिखने लगा है। एक्सपर्ट के अनुसार अब जनवरी के अंत तक कोहरा समय-समय पर लोगों को परेशान करता रहेगा। मध्यम कोहरा तो छाया ही रहेगा। बीच-बीच में घना और बेहद घना कोहरा भी दिखाई देगा। हालांकि दिल्ली में कोहरे के लिए कोई सिस्टम नहीं है। सैटेलाइट इमेज और विजिबिलिटी उपकरणों से ही फॉग की जानकारी मिलती है, लेकिन कुछ मॉडल्स की स्टडी कर फॉग की आशंका राजधानी में जताई जाती है। एक्सपर्ट के अनुसार कोहरे का पूर्वानुमान काफी मुश्किल है।
7 दिसंबर को पालम समेत कुछ जगहों पर विजिबिलिटी जीरो तक पहुंच गई थी। इसके बाद इसमें थोड़ा सुधार जरूर हुआ। 11 बजे के बाद कोहरे का असर काफी कम हो गया। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश में भी कोहरा छाया रहा। मंगलवार को भी कुछ जगहों पर घना कोहरा देखने को मिल सकता है। रीजनल वेदर फोरकास्ट सेंटर के डिप्टी डीजी डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार कोहरा कई वजहों से बनता है। हवाओं की गति कम होना, हवा में नमी काफी अधिक होना, साथ ही धरती की गर्मी का ऊपर जाकर नमी के साथ मिलना कई कारणों से कोहरा बनता है। कोहरे की ड्रॉप्लेट काफी छोटी होती है, इसलिए उनके आकलन के लिए दिल्ली में उपकरण और रेडार नहीं है। सैटेलाइट इमेज भी कोहरे को तभी बता पाती है, जब कोहरा आ चुका होता है।
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ऐसे में नमी, हवा आदि के मॉडल के आकलन पर ही कोहरे का पूर्वानुमान किया जाता है। कोहरे की स्थिति हर 300 मीटर और 500 मीटर पर बदल सकती है। इसलिए इसका आकलन काफी मुश्किल होता है। कोहरे के लिए सुबह 8 से 9 बजे तक का समय सबसे संवेदनशील होता है। पालम और सफदरजंग केंद्र पर विजिबिलिटी के उपकरण लगे हैं, लेकिन यदि सफदरजंग पर विजिबिलिटी 500 मीटर आ रही है, तो जरूरी नहीं कि लोदी रोड पर भी यही विजिबिलिटी हो।
स्काईमेट के मेट्रोलॉजिस्ट महेश पलावत के अनुसार कोहरे के पूर्वानुमान के लिए कोई सिस्टम अभी तक नहीं है। स्थितियों के आधार पर ही अनुमान लगाया जाता है। मंगलवार को एक्सप्रेस-वे, पालम समेत खुली जगहों पर घना कोहरा रह सकता है। अन्य जगहों पर मध्यम कोहरा रहेगा। इसके बाद हवाएं तेज हो जाएंगी, जिसकी वजह से कोहरा कम होगा। लेकिन 11 दिसंबर के बाद से कोहरे की आफत एक बार फिर से बढ़ जाएगी। जनवरी के अंत तक कोहरा परेशान करेगा।
क्यों बना कोहरा
सोमवार को कोहरा बनने की वजह यह थी कि हवाओं के साथ नमी बढ़ गई। वहीं, पिछले कई दिनों से सूरज की तपिश अधिक थी। ऐसे में जब सूरज की गर्मी धरती से टकराकर ऊपर की तरफ उठी तो पानी की बूंदों के साथ मिलकर उसने फॉग की परत बना ली। इसके बाद जैसे ही सूरज की गर्मी बढ़ी और हवा की नमी कम होती गई, विजिबिलिटी बढ़ती गई।
7 दिसंबर को पालम समेत कुछ जगहों पर विजिबिलिटी जीरो तक पहुंच गई थी। इसके बाद इसमें थोड़ा सुधार जरूर हुआ। 11 बजे के बाद कोहरे का असर काफी कम हो गया। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश में भी कोहरा छाया रहा। मंगलवार को भी कुछ जगहों पर घना कोहरा देखने को मिल सकता है। रीजनल वेदर फोरकास्ट सेंटर के डिप्टी डीजी डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार कोहरा कई वजहों से बनता है। हवाओं की गति कम होना, हवा में नमी काफी अधिक होना, साथ ही धरती की गर्मी का ऊपर जाकर नमी के साथ मिलना कई कारणों से कोहरा बनता है। कोहरे की ड्रॉप्लेट काफी छोटी होती है, इसलिए उनके आकलन के लिए दिल्ली में उपकरण और रेडार नहीं है। सैटेलाइट इमेज भी कोहरे को तभी बता पाती है, जब कोहरा आ चुका होता है।
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ऐसे में नमी, हवा आदि के मॉडल के आकलन पर ही कोहरे का पूर्वानुमान किया जाता है। कोहरे की स्थिति हर 300 मीटर और 500 मीटर पर बदल सकती है। इसलिए इसका आकलन काफी मुश्किल होता है। कोहरे के लिए सुबह 8 से 9 बजे तक का समय सबसे संवेदनशील होता है। पालम और सफदरजंग केंद्र पर विजिबिलिटी के उपकरण लगे हैं, लेकिन यदि सफदरजंग पर विजिबिलिटी 500 मीटर आ रही है, तो जरूरी नहीं कि लोदी रोड पर भी यही विजिबिलिटी हो।
स्काईमेट के मेट्रोलॉजिस्ट महेश पलावत के अनुसार कोहरे के पूर्वानुमान के लिए कोई सिस्टम अभी तक नहीं है। स्थितियों के आधार पर ही अनुमान लगाया जाता है। मंगलवार को एक्सप्रेस-वे, पालम समेत खुली जगहों पर घना कोहरा रह सकता है। अन्य जगहों पर मध्यम कोहरा रहेगा। इसके बाद हवाएं तेज हो जाएंगी, जिसकी वजह से कोहरा कम होगा। लेकिन 11 दिसंबर के बाद से कोहरे की आफत एक बार फिर से बढ़ जाएगी। जनवरी के अंत तक कोहरा परेशान करेगा।
क्यों बना कोहरा
सोमवार को कोहरा बनने की वजह यह थी कि हवाओं के साथ नमी बढ़ गई। वहीं, पिछले कई दिनों से सूरज की तपिश अधिक थी। ऐसे में जब सूरज की गर्मी धरती से टकराकर ऊपर की तरफ उठी तो पानी की बूंदों के साथ मिलकर उसने फॉग की परत बना ली। इसके बाद जैसे ही सूरज की गर्मी बढ़ी और हवा की नमी कम होती गई, विजिबिलिटी बढ़ती गई।
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