एजेंसी, नई दिल्लीः
इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) ने 11 दिसंबर को देशभर में हड़ताल की घोषणा की है। यह ऐलान आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के फैसले के खिलाफ किया गया है। इस दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाएं बंद रहेंगीं। हालांकि, आईसीयू जैसी आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। लेकिन पहले से तय ऑपरेशन नहीं किए जाएंगे।
आईएमए के बयान में कहा गया है कि 11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। कुछ दिनों पहले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ आंख, कान, गले की सर्जरी कर सकेंगे। आईएमए ने कहा है कि सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है।
वहीं दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। गुरुवार को डीएमए ने बैठक के बाद कहा है कि अगर यह अधिकार वापस नहीं लिया गया तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। बैठक के दौरान असोसिएशन के कई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहे। इस दौरान दिल्ली सरकार द्वारा आरटी पीसीआर जांच की घटाई गईं कीमतों को लेकर भी सवाल उठे हैं। बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया है कि असोसिएशन कोविड वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों को लेकर निगरानी रखेगी। इसके लिए अलग-अलग बोर्ड बनाने का निर्णय भी लिया है। राज्य स्तर पर भी असोसिएशन ने एक समिति बनाने का विचार किया है जो कि कोरोना वायरस के वैक्सीनेशन को लेकर पूरी निगरानी रखेगी। सरकार से वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नीति को सार्वजनिक करने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी कर आयुर्वेद में पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की भी अनुमति दी है। इस निर्णय से ऐलोपैथ के डॉक्टरों में काफी नाराजगी है। डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने तो सरकार के इस फैसले को मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने की बात कही है और निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है। पारंपरिक दवाओं की सर्वोच्च नियामक संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने अपने अध्यादेश में कहा है कि एमएस (आयुर्वेद) के डॉक्टर स्वतंत्र तौर पर 39 तरह की सर्जरी कर सकते हैं। वे कान, नाक, गले और आंख से जुड़े 19 तरह के ऑपेरशन की ट्रेनिंग हासिल कर सर्जरी सकते हैं। सरकार के उक्त निर्णय को लेकर ऐलोपैथ के डॉक्टरों में काफी नाराजगी है।
इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) ने 11 दिसंबर को देशभर में हड़ताल की घोषणा की है। यह ऐलान आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के फैसले के खिलाफ किया गया है। इस दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाएं बंद रहेंगीं। हालांकि, आईसीयू जैसी आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। लेकिन पहले से तय ऑपरेशन नहीं किए जाएंगे।
आईएमए के बयान में कहा गया है कि 11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। कुछ दिनों पहले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ आंख, कान, गले की सर्जरी कर सकेंगे। आईएमए ने कहा है कि सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए ने अधिसूचना को वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है।
वहीं दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। गुरुवार को डीएमए ने बैठक के बाद कहा है कि अगर यह अधिकार वापस नहीं लिया गया तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। बैठक के दौरान असोसिएशन के कई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहे। इस दौरान दिल्ली सरकार द्वारा आरटी पीसीआर जांच की घटाई गईं कीमतों को लेकर भी सवाल उठे हैं। बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया है कि असोसिएशन कोविड वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों को लेकर निगरानी रखेगी। इसके लिए अलग-अलग बोर्ड बनाने का निर्णय भी लिया है। राज्य स्तर पर भी असोसिएशन ने एक समिति बनाने का विचार किया है जो कि कोरोना वायरस के वैक्सीनेशन को लेकर पूरी निगरानी रखेगी। सरकार से वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नीति को सार्वजनिक करने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अध्यादेश जारी कर आयुर्वेद में पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की भी अनुमति दी है। इस निर्णय से ऐलोपैथ के डॉक्टरों में काफी नाराजगी है। डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने तो सरकार के इस फैसले को मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने की बात कही है और निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है। पारंपरिक दवाओं की सर्वोच्च नियामक संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने अपने अध्यादेश में कहा है कि एमएस (आयुर्वेद) के डॉक्टर स्वतंत्र तौर पर 39 तरह की सर्जरी कर सकते हैं। वे कान, नाक, गले और आंख से जुड़े 19 तरह के ऑपेरशन की ट्रेनिंग हासिल कर सर्जरी सकते हैं। सरकार के उक्त निर्णय को लेकर ऐलोपैथ के डॉक्टरों में काफी नाराजगी है।
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