Sunday, March 29, 2020

आनंद विहार खाली, वापस लौटाने पर खूब रोए

अनूप पांडेय/राजेश पोद्दार, नई दिल्ली
आनंद विहार बस अड्डे के आसपास रविवार को हालात शनिवार की तरह नहीं थे। बावजूद इसके सैकड़ों लोग सुबह से बसों का इंतजार करते नजर आए। पुलिस ने पहले उन्हें गाजीपुर गांव की तरफ रोक कर रखा था। बाद में जब आनंद विहार बस अड्डे की तरफ हालात थोड़े ठीक हुए, तो उन लोगों को उस तरफ भेजा गया। रविवार सुबह से दोपहर दो बजे तक बस अड्डे के गेट पर खड़े होकर लोग बसों का इंतजार करते रहे।

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फूट-फूटकर रोने लगे लोग
दोपहर तक अधिकारी इस बात को लेकर मंथन करते रहे कि इन लोगों को कैसे और कहां पहुंचाना है। अखिरकार तय हुआ यह कि इन लोगों को बस अड्डे के भीतर पहले से यह बताए बगैर एंट्री दी जाए कि आगे उन्हें कहां भेजा जाएगा और बाद में उन्हें बसों में बैठाकर दिल्ली-एनसीआर के ही अलग-अलग इलाकों में ले जाकर छोड़ दिया जाए। कई लोग दिल्ली के दूरदराज के इलाकों से पैदल पहुंचे थे। सैकड़ों लोग फरीदाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, बल्लभगढ़ से आनंद विहार तक पहुंचे थे। जैसे ही लोगों को पता चला कि उन्हें उनके गांव नहीं, बल्कि वापस वहीं भेजा जा रहा है, जहां से वे आए थे, तो इनमें से कुछ लोग फूट-फूट कर रोने लगे।


800 बसें लगाकर हटाई भीड़
दिल्ली सरकार से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि शनिवार की रात को बस अड्डे पर जिस तरह से हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई थी, उसे खत्म करने के लिए रात में 800 से अधिक बसें लगा कर लोगों को गाजियाबाद के लाल कुआं और हापुड़ ले जाकर छोड़ा गया। इसके बाद आनंद विहार और कौशांबी में जुटी लोगों की भीड़ छट पाई। इस बीच दिल्ली सरकार की तरफ से भी लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए प्राइवेट बसों का इंतजाम कर लिया गया था, लेकिन बाद में यह प्लान कैंसल कर दिया गया और आनंद विहार में लोगों की भीड़ खत्म हो जाने के बाद बसें वापस चली गईं।

पुलिस ने खाना भी नहीं बांटने दिया
आनंद विहार और आसपास के इलाके को खाली कराने के लिए पुलिस ने इस कदर सख्त रवैया अपना लिया था कि यहां फंसे लोगों में खाना बांटने के लिए पहुंचे लोगों को पुलिस ने खाना तक नहीं बांटने दिया। पुलिस ने यह कह कर खाने का सामान ला रही गाड़ियों को गोल चक्कर से ही लौटा दिया कि अगर इन लोगों को खाना मिल गया, तो ये रात तक नहीं हटेंगे। खाना लाए लोगों और पुलिसकर्मियों के बीच नोकझोंक भी हुई। रविवार को भी आनंद विहार इलाके में व्यवस्था के नाम पर सिर्फ पुलिस की मौजूदगी रही।


सिंघू बॉर्डर पर भी फंसे रहे हजारों लोग
सिंघू बॉर्डर पर भी रविवार को बड़ी तादाद में लोगें की भीड़ इकट्ठा हुई। ये लोग सोनीपत, पानीपत, कुंडली, राई जैसे इलाकों से पैदल चलकर आए थे और दिल्ली के रास्ते यूपी, एमपी और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में जाना चाहते थे। पुलिस उन्हें बॉर्डर से ही लौटा रही थी। यही हाल संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, बादली, आजादपुर सहित कई इलाकों में देखने को मिला। इन इलाकों से हजारों मजदूर हरियाणा के रास्ते जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जाने के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेज दिया। ऐसे में लोगों की काफी दुर्दशा हुई।

पानीपत से पैदल चलकर सिंघू बॉर्डर तक पहुंचे पंकज अपने पूरे परिवार के साथ यूपी के मैनपुरी जाने के लिए निकले थे। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री बंद हो जाने की वजह से खाने-पीने में काफी परेशानी होने लगी है। अब वहां रहकर क्या करेंगे।


जम्मू जाने के लिए नहीं मिली बस
संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में मजदूरी करने वाले जम्मू के सोनू और पवन ने बताया कि वे कई दिनों से यहीं फंसे हुए हैं। जिस ठेकेदार के पास वे लोग काम करते थे, वह पहले ही चला गया। वे लोग रविवार तड़के 4 बजे संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से पैदल चलकर दोपहर करीब 3 बजे सिंघू बॉर्डर पहुंचे थे, लेकिन जम्मू तक जाने के लिए उन्हें कोई गाड़ी नहीं मिल रही थी। उन्होंने कहा कि कोई साधन नहीं मिला, तो वे पैदल ही चले जाएंगे। उनके साथ करीब 20 लोगों का ग्रुप है।

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