राजेश पोद्दार, दिल्ली
लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। मध्यम और छोटे वर्ग के लोगों के लिए खाने-पीने की परेशानी बढ़ती जा रही है। आमदनी होती रहे, इसके लिए लोग अलग-अलग एरिया में हाथ आजमा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण हैं नरेला के राधेश्याम। राजीव कॉलोनी में रहने वाले राधेश्याम इन दिनों फूड डिलिवरी करने लगे हैं। इससे पहले वह एक फैक्ट्री में काम करते थे। अक्सर आपने बाइक से लोगों को फूड डिलिवरी करते हुए देखा होगा, लेकिन राधेश्याम साइकल से यह काम कर रहे हैं। एक हफ्ते से वह यह काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के बीच वह रेस्तरां से घर खाना पहुंचा रहे हैं।
पढ़ें: आपके राज्य में कोरोना के कितने मरीज, लिस्ट
राधेश्याम कहते हैं, ‘मैं जिस फैक्ट्री में काम करता था वह लॉकडाउन के कारण बंद हो चुकी है। घर का बजट बिगड़ गया है। घर में दो छोटे बच्चे हैं। पत्नी है और भी लोग हैं। लालन-पालन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। घर चलाने के लिए फूड डिलिवरी करने लगा।’
एक दिन में सिर्फ 5-6 ऑर्डर
राधेश्याम का कहना है कि उनके पास दूसरे लोगों की तरह पलायन करने का विकल्प था या दूसरा कोई काम ढूंढने का। यह काम मिल गया तो करने लगे। इस काम में इन दिनों ज्यादा ऑर्डर नहीं आ रहा है। साइकल से ही 4 किलोमीटर के दायरे में डिलिवरी देते हैं। एक दिन में 5-6 ऑर्डर ही मिल पा रहा है। एक ऑर्डर के सिर्फ 20 रुपये मिल रहे हैं। ऐसे में घर चलाना बेहद मुश्किल है।
राधेश्याम का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से कई ऐसे लोग हैं, जिनका रोजगार खत्म हो गया है। उनके साथ बहुत से नए लोगों ने डिलिवरी बॉय का काम शुरू किया है। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए वह काफी घबराए हुए भी रहते हैं। वह अपने साथ सैनिटाइजर लेकर जाते हैं। हर डिलिवरी देने से पहले और देने के बाद उसका इस्तेमाल करते हैं। वह संक्रमण से बचे रहना चाहते हैं।
लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। मध्यम और छोटे वर्ग के लोगों के लिए खाने-पीने की परेशानी बढ़ती जा रही है। आमदनी होती रहे, इसके लिए लोग अलग-अलग एरिया में हाथ आजमा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण हैं नरेला के राधेश्याम। राजीव कॉलोनी में रहने वाले राधेश्याम इन दिनों फूड डिलिवरी करने लगे हैं। इससे पहले वह एक फैक्ट्री में काम करते थे। अक्सर आपने बाइक से लोगों को फूड डिलिवरी करते हुए देखा होगा, लेकिन राधेश्याम साइकल से यह काम कर रहे हैं। एक हफ्ते से वह यह काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के बीच वह रेस्तरां से घर खाना पहुंचा रहे हैं।
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राधेश्याम कहते हैं, ‘मैं जिस फैक्ट्री में काम करता था वह लॉकडाउन के कारण बंद हो चुकी है। घर का बजट बिगड़ गया है। घर में दो छोटे बच्चे हैं। पत्नी है और भी लोग हैं। लालन-पालन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। घर चलाने के लिए फूड डिलिवरी करने लगा।’
एक दिन में सिर्फ 5-6 ऑर्डर
राधेश्याम का कहना है कि उनके पास दूसरे लोगों की तरह पलायन करने का विकल्प था या दूसरा कोई काम ढूंढने का। यह काम मिल गया तो करने लगे। इस काम में इन दिनों ज्यादा ऑर्डर नहीं आ रहा है। साइकल से ही 4 किलोमीटर के दायरे में डिलिवरी देते हैं। एक दिन में 5-6 ऑर्डर ही मिल पा रहा है। एक ऑर्डर के सिर्फ 20 रुपये मिल रहे हैं। ऐसे में घर चलाना बेहद मुश्किल है।
राधेश्याम का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से कई ऐसे लोग हैं, जिनका रोजगार खत्म हो गया है। उनके साथ बहुत से नए लोगों ने डिलिवरी बॉय का काम शुरू किया है। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए वह काफी घबराए हुए भी रहते हैं। वह अपने साथ सैनिटाइजर लेकर जाते हैं। हर डिलिवरी देने से पहले और देने के बाद उसका इस्तेमाल करते हैं। वह संक्रमण से बचे रहना चाहते हैं।
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