नई दिल्ली
फिश मार्केट में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां के छोटे-बड़े सभी कारोबारी और उनके यहां काम करने वाले लोगों के चेहरे उतरे हुए हैं। उनकी आंखों के सामने उनका पूरा कारोबार चौपट हो रहा है, लेकिन वे अभी कुछ कर भी नहीं सकते हैं। कोरोना का संक्रमण अपने साथ इन कारोबारियों के लिए बुरा वक्त ले आया। एक तो बीमारी फैलने के डर से लोग इन दिनों मांस-मछली खाने से परहेज कर रहे हैं। ऊपर से पुलिस की सख्ती के चलते मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरत जितने बर्फ की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां लाई गईं कई टन मछलियां पड़े-पड़े खराब हो रही हैं। मजबूरन कारोबारियों को रोज लाखों रुपए की मछलियां गाजीपुर लैंडफिल साइट पर फेंकनी पड़ रही है।
फ्री में भी लोग नहीं ले रहे मछली
आलम यह है कि लोग फ्री में भी मछली लेने को भी तैयार नहीं है। जिस मच्छली मार्केट में पहले पैर रखने तक की जगह नहीं मिल पाती थी, वहां अब चारों तरफ मातम सा माहौल है। काम-धंधा ठप होने की वजह से यहां काम करने वाले सैकड़ों मजदूर भी अब अपने घर जाना चाह रहे हैं, लेकिन पैसों की तंगी और साधनों के अभाव के चलते वे घर भी नहीं जा नहीं पा रहे हैं। यहां रहना दिन ब दिन उनके लिए मुश्किल होता जा रह है। कुछ कारोबारी फिश सप्लाई करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनके टेंपो लेकर निकले ड्राइवरों को भी जगह-जगह पुलिस रोक रही है। य
हां के फिश कारोबारी अब्दुल सत्तार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका रोज लाखों का माल खराब हो रहा है। खुद को इस मार्केट का एक छोटा कारोबारी बताने वाले सत्तार के मुताबिक, पिछले 3-4 दिनों के दौरान अकेले उनका 10-12 लाख का नुकसान हो गया है। जिनका बड़ा कारोबार है, उनकी तो कई गाड़ियां भरकर मछलियां सड़ गईं हैं। इस वजह से सारा माल फेंकना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी 5-6 लाख का माल और रखा हुआ है, लेकिन उसके भी बिकने की उम्मीद कम है। एक तो ग्राहक नहीं आ रहे। ऊपर से बर्फ की सप्लाई भी ठप हो गई है, जिसकी वजह से मछलियों को ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। दो-तीन दिन पहले उनका जो माल आया था, वह अभी तक बिका नहीं है। उनका सवाल था कि अब इसका मुआवजा हमें कौन देगा?
कॉलोनियों में जाकर फ्री में बांट रहे : यहां काम करने वाले मकसूद आलम ने बताया कि फिश मार्केट की स्थिति बहुत खराब चल रही है। जो फिश 110 रुपए किलो बिकती थी, उसे आज 5-10 रुपये में लेने वाला भी कोई नहीं मिल रहा। रोज यहां से कई कैरेट मछलियां आस-पास की कॉलोनियों में ले जाकर फ्री में बांटी जा रही हैं, ताकि वो किसी के काम तो आ जाए। ऊपर से बर्फ की सप्लाई कम होने की वजह से मछलियों को प्रिजर्व करके रखना भी मुश्किल हो रहा है। ऊपर से लेबर अलग फंसे हुए हैं। काम ठप होने की वजह से उन्हें भी पैसे नहीं मिल रहे। कारोबारी तो घर बैठे हुए हैं, लेकिन लेबर यहां फिश मार्केट में ही फंसे हुए हैं और अपने घर तक नहीं जा पा रहे।
सरकार से की घर पहुंचाने की अपील
यहां काम करने वाले मोहम्मद फारुख ने बताया कि बिहार के किशनगंज और अररिया के करीब 300-400 लोग यहां फंसे हुए हैं। उनके पास खाने-पीने तक के पैसे नहीं बचे हैं। उनके मुताबिक, काम बंद हो चुका है और हम लोग घर जाना चाहते हैं, लेकिन सरकार की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिल रही। उनका कहना है कि सरकार हमारा चेकअप कर ले और जो बीमार हो उसे रोक ले, लेकिन बाकी लोगों को जाने दे। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मदद की अपील की है।
फिश मार्केट में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां के छोटे-बड़े सभी कारोबारी और उनके यहां काम करने वाले लोगों के चेहरे उतरे हुए हैं। उनकी आंखों के सामने उनका पूरा कारोबार चौपट हो रहा है, लेकिन वे अभी कुछ कर भी नहीं सकते हैं। कोरोना का संक्रमण अपने साथ इन कारोबारियों के लिए बुरा वक्त ले आया। एक तो बीमारी फैलने के डर से लोग इन दिनों मांस-मछली खाने से परहेज कर रहे हैं। ऊपर से पुलिस की सख्ती के चलते मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरत जितने बर्फ की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां लाई गईं कई टन मछलियां पड़े-पड़े खराब हो रही हैं। मजबूरन कारोबारियों को रोज लाखों रुपए की मछलियां गाजीपुर लैंडफिल साइट पर फेंकनी पड़ रही है।
फ्री में भी लोग नहीं ले रहे मछली
आलम यह है कि लोग फ्री में भी मछली लेने को भी तैयार नहीं है। जिस मच्छली मार्केट में पहले पैर रखने तक की जगह नहीं मिल पाती थी, वहां अब चारों तरफ मातम सा माहौल है। काम-धंधा ठप होने की वजह से यहां काम करने वाले सैकड़ों मजदूर भी अब अपने घर जाना चाह रहे हैं, लेकिन पैसों की तंगी और साधनों के अभाव के चलते वे घर भी नहीं जा नहीं पा रहे हैं। यहां रहना दिन ब दिन उनके लिए मुश्किल होता जा रह है। कुछ कारोबारी फिश सप्लाई करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनके टेंपो लेकर निकले ड्राइवरों को भी जगह-जगह पुलिस रोक रही है। य
हां के फिश कारोबारी अब्दुल सत्तार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका रोज लाखों का माल खराब हो रहा है। खुद को इस मार्केट का एक छोटा कारोबारी बताने वाले सत्तार के मुताबिक, पिछले 3-4 दिनों के दौरान अकेले उनका 10-12 लाख का नुकसान हो गया है। जिनका बड़ा कारोबार है, उनकी तो कई गाड़ियां भरकर मछलियां सड़ गईं हैं। इस वजह से सारा माल फेंकना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी 5-6 लाख का माल और रखा हुआ है, लेकिन उसके भी बिकने की उम्मीद कम है। एक तो ग्राहक नहीं आ रहे। ऊपर से बर्फ की सप्लाई भी ठप हो गई है, जिसकी वजह से मछलियों को ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। दो-तीन दिन पहले उनका जो माल आया था, वह अभी तक बिका नहीं है। उनका सवाल था कि अब इसका मुआवजा हमें कौन देगा?
कॉलोनियों में जाकर फ्री में बांट रहे : यहां काम करने वाले मकसूद आलम ने बताया कि फिश मार्केट की स्थिति बहुत खराब चल रही है। जो फिश 110 रुपए किलो बिकती थी, उसे आज 5-10 रुपये में लेने वाला भी कोई नहीं मिल रहा। रोज यहां से कई कैरेट मछलियां आस-पास की कॉलोनियों में ले जाकर फ्री में बांटी जा रही हैं, ताकि वो किसी के काम तो आ जाए। ऊपर से बर्फ की सप्लाई कम होने की वजह से मछलियों को प्रिजर्व करके रखना भी मुश्किल हो रहा है। ऊपर से लेबर अलग फंसे हुए हैं। काम ठप होने की वजह से उन्हें भी पैसे नहीं मिल रहे। कारोबारी तो घर बैठे हुए हैं, लेकिन लेबर यहां फिश मार्केट में ही फंसे हुए हैं और अपने घर तक नहीं जा पा रहे।
सरकार से की घर पहुंचाने की अपील
यहां काम करने वाले मोहम्मद फारुख ने बताया कि बिहार के किशनगंज और अररिया के करीब 300-400 लोग यहां फंसे हुए हैं। उनके पास खाने-पीने तक के पैसे नहीं बचे हैं। उनके मुताबिक, काम बंद हो चुका है और हम लोग घर जाना चाहते हैं, लेकिन सरकार की तरफ से हमें कोई मदद नहीं मिल रही। उनका कहना है कि सरकार हमारा चेकअप कर ले और जो बीमार हो उसे रोक ले, लेकिन बाकी लोगों को जाने दे। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मदद की अपील की है।
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