नई दिल्ली
15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा पर एक और विडियो सामने आया है। रविवार के दो विडियो की तरह यह भी वायरल हो रहा है। यह सीसीटीवी फुटेज लाइब्रेरी की रीडिंग हॉल का बताया जा रहा है, जिसमें कुछ स्टूडेंट्स को दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान पीटते नजर आ रहे हैं। 5:10 मिनट का यह विडियो यूट्यूब में एक मीडिया ग्रुप ने जारी किया है।
इसमें दिख रहा है कि कैसे लाइब्रेरी के अंदर फोर्स घुसी, स्टूडेंट्स के साथ मारपीट कर उन्हें खदेड़ते हुए बाहर निकाला गया। फुटेज में कुछ लड़कियां भी नजर आ रही हैं, जो हाथ जोड़ते हुए पुलिस से बचने की कोशिश कर रही हैं। ट्विटर, फेसबुक… सोशल मीडिया में इसका एक हिस्सा वायरल हो रहा है।
जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (जेसीसी) का कहना है कि इस फुटेज में देखा जा सकता है कि उस 'ब्लडी संडे' को पुलिस का अत्याचार किसी तरह से पीक पर था। देख सकते हैं कि उन्होंने सीसीटीवी तोड़ने तक की कोशिश की। क्या शक के आधार पर इस तरह पीटने के बजाय वो उन्हें पकड़ नहीं सकती थी? वहीं, जामिया प्रशासन का कहना है कि फुटेज असली फुटेज की तरह लग रहे हैं। हमने दिल्ली पुलिस को पहले ही सभी फुटेज की कॉपी दी है, वो जांच कर सकती है।
सोमवार को जारी हुए विडियो में देखा जा सकता है कि गियर पहने पुलिस वाले एंट्रेंस तोड़कर कमरे में घुसे, कुछ टेबल हटाईं और फिर कुछ स्टूडेंट्स को लाठियों से पीटा। सीसीटीवी फुटेज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टूडेंट्स किसी संकरी जगह से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान दरवाजे की दूसरी तरफ से भी एक पुलिस वाला पीटता दिख रहा है। स्टूडेंट्स फंसे दिख रहे हैं। कई अपने बैग से खुद को बचाते दिख रहे हैं।
जामिया प्रशासन का कहना है कि इस पर पुलिस ही जवाब देगी। जामिया के चीफ प्रॉक्टर ए वसीम खान का कहना है कि ओरिजनल डीवीआर सील है। हमने लाइब्रेरी की डीवीआर (सभी सीसीटीवी फुटेज) की कॉपी एचआरडी मिनिस्ट्री, दिल्ली पुलिस, जामिया टीचर्स असोसिएशन, नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन और जामिया की फैक्ट फाइंडिंग कमिटी को दी है। दिल्ली पुलिस ने हमसे ऑरिजनल डीवीआर मांगी थी मगर हमने कॉपी दी।
सबसे रिसिविंग ली गई और अंडरटेकिंग ली कि वे इसे लीक नहीं करेंगे। हम जांच करेंगे कि ये लीक कहां से हुए क्योंकि मामला कोर्ट में है। डॉ खान कहते हैं, वैसे विडियो में कुछ नया नहीं है। हम पहले दिन से ही कर रहे हैं कि पुलिस बिना इजाजत घुसी, लाइब्रेरी में घुसकर स्टूडेंट्स को मारा, इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाया है। हमने एफआईआर के लिए जो कंप्लेंट दी थी, उसमें भी यही कहा है।
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन ने कहा, 'जामिया हिंसा मामले की जांच स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) कर रही है। जामिया के जितने भी विडियो सामने आ रहे हैं, वो सभी एसआईटी के संज्ञान में हैं। मीडिया या सोशल मीडिया पर ये विडियो टुकड़ों में चले हैं। इसलिए एसआईटी इन विडियो के सिक्वेंस को तय करेगी। पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई भी जांच के दायरे में है। फिलहाल जांच जारी है, इसलिए किसका क्या रोल है इस बारे में ज्यादा कुछ बताया नहीं जा सकता है।'
स्टूडेंट के हाथ में पत्थर या फिर पर्स!
जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी ने दावा किया है कि संडे को जारी हुए विडियो में स्टूडेंट के हाथ में कोई पत्थर नहीं, बल्कि पर्स है।
रविवार को जारी हुए एक विडियो में बताया जा रहा है कि स्टूडेंट के हाथ में पत्थर है। हालांकि, जेसीसी का कहना है कि गौर से देखेंगे तो नजर आएगा कि यह पत्थर नहीं पर्स है, जो बीच में खुला भी है। लाइब्रेरी में बैठते वक्त अक्सर स्टूडेंट्स वॉलेट बाहर निकाल लेते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर विडियो पर सवाल किए जा रहे हैं कि पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने मुंह पर रुमाल क्यों बांधा है। इसके जवाब में स्टूडेंट्स का कहना है कि पुलिस में कई राउंड टियर गैस फायर की थी जिससे पूरा एरिया घुएं में था। पुलिस वालों ने खुद रुमाल बांधे हैं। विडियो में भी देखा जा सकता है। जांच पुलिस करवा सकती है। लाइब्रेरी में हुए पुलिस एक्शन पर एफआईआर करवाने के लिए जामिया प्रशासन कोर्ट गया है। अगली सुनवाई 17 मार्च को है। 22 जनवरी को कोर्ट ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करने को कहा था।
15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा पर एक और विडियो सामने आया है। रविवार के दो विडियो की तरह यह भी वायरल हो रहा है। यह सीसीटीवी फुटेज लाइब्रेरी की रीडिंग हॉल का बताया जा रहा है, जिसमें कुछ स्टूडेंट्स को दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान पीटते नजर आ रहे हैं। 5:10 मिनट का यह विडियो यूट्यूब में एक मीडिया ग्रुप ने जारी किया है।
इसमें दिख रहा है कि कैसे लाइब्रेरी के अंदर फोर्स घुसी, स्टूडेंट्स के साथ मारपीट कर उन्हें खदेड़ते हुए बाहर निकाला गया। फुटेज में कुछ लड़कियां भी नजर आ रही हैं, जो हाथ जोड़ते हुए पुलिस से बचने की कोशिश कर रही हैं। ट्विटर, फेसबुक… सोशल मीडिया में इसका एक हिस्सा वायरल हो रहा है।
जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (जेसीसी) का कहना है कि इस फुटेज में देखा जा सकता है कि उस 'ब्लडी संडे' को पुलिस का अत्याचार किसी तरह से पीक पर था। देख सकते हैं कि उन्होंने सीसीटीवी तोड़ने तक की कोशिश की। क्या शक के आधार पर इस तरह पीटने के बजाय वो उन्हें पकड़ नहीं सकती थी? वहीं, जामिया प्रशासन का कहना है कि फुटेज असली फुटेज की तरह लग रहे हैं। हमने दिल्ली पुलिस को पहले ही सभी फुटेज की कॉपी दी है, वो जांच कर सकती है।
सोमवार को जारी हुए विडियो में देखा जा सकता है कि गियर पहने पुलिस वाले एंट्रेंस तोड़कर कमरे में घुसे, कुछ टेबल हटाईं और फिर कुछ स्टूडेंट्स को लाठियों से पीटा। सीसीटीवी फुटेज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टूडेंट्स किसी संकरी जगह से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान दरवाजे की दूसरी तरफ से भी एक पुलिस वाला पीटता दिख रहा है। स्टूडेंट्स फंसे दिख रहे हैं। कई अपने बैग से खुद को बचाते दिख रहे हैं।
जामिया प्रशासन का कहना है कि इस पर पुलिस ही जवाब देगी। जामिया के चीफ प्रॉक्टर ए वसीम खान का कहना है कि ओरिजनल डीवीआर सील है। हमने लाइब्रेरी की डीवीआर (सभी सीसीटीवी फुटेज) की कॉपी एचआरडी मिनिस्ट्री, दिल्ली पुलिस, जामिया टीचर्स असोसिएशन, नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन और जामिया की फैक्ट फाइंडिंग कमिटी को दी है। दिल्ली पुलिस ने हमसे ऑरिजनल डीवीआर मांगी थी मगर हमने कॉपी दी।
सबसे रिसिविंग ली गई और अंडरटेकिंग ली कि वे इसे लीक नहीं करेंगे। हम जांच करेंगे कि ये लीक कहां से हुए क्योंकि मामला कोर्ट में है। डॉ खान कहते हैं, वैसे विडियो में कुछ नया नहीं है। हम पहले दिन से ही कर रहे हैं कि पुलिस बिना इजाजत घुसी, लाइब्रेरी में घुसकर स्टूडेंट्स को मारा, इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाया है। हमने एफआईआर के लिए जो कंप्लेंट दी थी, उसमें भी यही कहा है।
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन ने कहा, 'जामिया हिंसा मामले की जांच स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) कर रही है। जामिया के जितने भी विडियो सामने आ रहे हैं, वो सभी एसआईटी के संज्ञान में हैं। मीडिया या सोशल मीडिया पर ये विडियो टुकड़ों में चले हैं। इसलिए एसआईटी इन विडियो के सिक्वेंस को तय करेगी। पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई भी जांच के दायरे में है। फिलहाल जांच जारी है, इसलिए किसका क्या रोल है इस बारे में ज्यादा कुछ बताया नहीं जा सकता है।'
स्टूडेंट के हाथ में पत्थर या फिर पर्स!
जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी ने दावा किया है कि संडे को जारी हुए विडियो में स्टूडेंट के हाथ में कोई पत्थर नहीं, बल्कि पर्स है।
रविवार को जारी हुए एक विडियो में बताया जा रहा है कि स्टूडेंट के हाथ में पत्थर है। हालांकि, जेसीसी का कहना है कि गौर से देखेंगे तो नजर आएगा कि यह पत्थर नहीं पर्स है, जो बीच में खुला भी है। लाइब्रेरी में बैठते वक्त अक्सर स्टूडेंट्स वॉलेट बाहर निकाल लेते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर विडियो पर सवाल किए जा रहे हैं कि पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने मुंह पर रुमाल क्यों बांधा है। इसके जवाब में स्टूडेंट्स का कहना है कि पुलिस में कई राउंड टियर गैस फायर की थी जिससे पूरा एरिया घुएं में था। पुलिस वालों ने खुद रुमाल बांधे हैं। विडियो में भी देखा जा सकता है। जांच पुलिस करवा सकती है। लाइब्रेरी में हुए पुलिस एक्शन पर एफआईआर करवाने के लिए जामिया प्रशासन कोर्ट गया है। अगली सुनवाई 17 मार्च को है। 22 जनवरी को कोर्ट ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करने को कहा था।
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