Monday, February 24, 2020

दिल्ली हिंसा: गलियों की पहरेदारी करते रहे लोग

सचिन त्रिवेदी, नई दिल्ली
किसी ने सोचा नहीं था कि मंजर ऐसा हो जाएगा। CAA को लेकर शांतिपूर्ण विरोध और समर्थन दंगों में बदल जाएगा। दो गुटों के बीच ऐसी पत्थरबाजी होगी कि यमुनापार भी कश्मीर का कोई ऐसा इलाका बन जाएगा, जहां सुकून की नींद के लिए लोग तरसते रहें। मौजपुर में चक्का जाम होने के तीन दिनों के अंदर यहां के लोगों ने वह सब कुछ देख लिया, जो ना देखते तो बेहतर था। मौजपुर के आसपास के इलाकों में दूसरे दिन घटी घटनाओं के बाद पूरी रात लोग नहीं सो पाए।

रातभर दंगों के शोर ने लोगों को सोने नहीं दिया। तो कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने रातभर अपने घरों, गलियों और मोहल्लों में पहरेदारी की। जहां कहीं लोहे के चैनल यानी गेट लगे थे और आमतौर पर बंद नहीं होते थे, वह सुबह तक बंद ही मिले। इतना ही नहीं, कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां लोगों ने रातभर गोलियां चलने की आवाजें सुनीं।

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मौजपुर में रातभर डंडे लेकर खुद की पहरेदारी
मौजपुर इलाके के अंदर कई छोटे-छोटे मोहल्ले आते हैं। उन्हीं में से एक है अशोक मोहल्ला, जहां रातभर लोगों ने अपने घरों के बाहर कुर्सियां डालकर पहरा दिया। ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि कब किस ओर से शोर मचना शुरू हो जाए, पता लगाना मुश्किल हो रहा था। कुछ युवक हाथों में डंडा लेकर गलियों में पहरा दे रहे थे और जिस ओर से शोर आता उस ओर भागते हुए नजर आते। यह सारा मंजर उन लोगों ने अपने घरों की छतों से रातभर देखा, जो पूरी रात नहीं सोए और बार-बार उठ उठकर हालात को भांपने की कोशिश करते रहे।

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ब्रह्मपुरी में दो गुटों में चलती रहीं गोलियां
ब्रह्मपुरी में रहने वाले कुछ लोगों का यह कहना है कि उन्होंने रातभर अपने घरों बाहर गालियां चलने की आवाजें सुनीं। इस वक्त वहां रहने वाले लोगों के दिलों पर क्या गुजरी होगी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिससे परिचितों या रिश्तेदारों की बात हुई, वह बताते-बताते रो पड़ते थे। यहां लोगों की छज्जों से झांकने की हिम्मत तक नहीं हुई, जिन्होंने हिम्मत जुटाकर देखा भी, बताते हुए उनकी जुबान लड़खड़ा रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने अपनी आंखों से एक नुक्कड़ से दूसरे नुक्कड़ पर दो गुटों को एक-दूसरे पर गोलियां दागते देख लिया और घरों में भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

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