नजफगढ़
दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर बसे जाट बहुल विधानसभा क्षेत्र नजफगढ़ में दोबारा आम आदमी पार्टी का दोबारा आना कई मायनों में एक महत्वपूर्ण जीत है। यूं ही नहीं, यहां पहली बार कोई विधायक दोबारा जीतने में कामयाब हुआ है। इसके पीछे एक ऐसा फैक्टर रहा है, जो पहले शायद कभी नहीं हुआ। वह है कांग्रेस के अलावा इस बार यहां सबसे मजबूत रही इंडियन नैशनल लोकदल का वोट भी आम आदमी पार्टी को चला जाना। चुनाव से पहले इस वोट बैंक के बीजेपी में शिफ्ट होने के कयास थे। इससे आम आदमी पार्टी की नींद भी उड़ी हुई थी। हालांकि यहां से जीतने वाले आप के विधायक कैलाश गहलोत ने चुनाव से पहले इस वोट बैंक को अपनी तरफ लाने का कॉन्फिडेंस जताया था।
निर्दलीयों का गढ़ कहे जाने वाले नजफगढ़ में 1993 के बाद के चुनावों में यूं तो एक बार कांग्रेस (1998) और बीजेपी (2013) जीत चुकी है, लेकिन अमूमन यहां निर्दलीयों या इनेलो समर्थित प्रत्याशी का कब्जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की लहर के बीच ही यह सीट बमुश्किल इनेलो प्रत्याशी भरत सिंह के पास जाते-जाते आप की झोली में आई थी। जीत का अंतर केवल 1555 वोटों का था। भरत सिंह 2008 में यहां विधायक बने और उसके बाद अगले चुनाव में बीजेपी के अजीत सिंह खरखड़ी को कड़ी टक्कर देकर रनरअप रहे। भरत सिंह अगले चुनाव में भी 33 पर्सेंट से ज्यादा वोट ले गए। 29 मार्च 2015 को उनकी हत्या के बाद इस चुनाव में उनके परिवार से कोई खड़ा नहीं हुआ। नजफगढ़ वालों के लिए अप्रत्याशित था।
हालांकि बाद में कहा गया कि भरत सिंह के परिवार ने बीजेपी के समर्थन की बात कही है। इसी से आप की नींद उड़ी। दरअसल उनकी चिंता की वजह वह 33 पर्सेंट वोट थे। बीजेपी को पिछले चुनाव में 24 पर्सेंट वोट मिला था। आप के कैलाश गहलोत को 34 पर्सेंट वोट मिले थे। करीब 1 लाख 60 हजार लोगों ने वोट डाले थे। बीजेपी आश्वस्त थी कि उसका वोट बैंक सरकने वाला नहीं है और जब गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी का पूरा अमला जबरदस्त कैंपेनिंग में जुटा हो तो इसके बढ़ने का ही अनुमान था। अगर भरत सिंह का 33 पर्सेंट वोट बीजेपी को मिलता तो उसकी जीत में कोई शक नहीं था। उसकी पूरी कोशिश यही रही। यही कोशिश आम आदमी पार्टी की भी रही। खुद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कैलाश गहलोत के लिए यहां आकर वोट मांगे।
पिछले विधानसभा चुनाव में कैलाश गहलोत को 55598 वोट मिले थे। इस बार उन्हें 81507 वोट मिले। जो कि करीब 26000 वोट ज्यादा है। बीजेपी के अजीत सिंह खरखड़ी को पिछले चुनाव में 39469 वोट मिले थे। इस बार उनहें 75276 यानी पिछली बार से 35807 ज्यादा वोट मिलें। भरत सिंह को पिछले चुनाव में मिले 54043 वोट इस तरह बीजेपी की तरफ झुके तो सही, लेकिन पूरी तरह नहीं। कैलाश गहलोत को बीजेपी से 6231 वोट ज्यादा मिले। यह वोट बैंक बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ, पर आधा। बाकी वोट आप की तरफ चला गया। जानकारों का कहना है कि इस शिफ्टिंग में कैलाश गहलोत या ये कहें कि आप के इस इलाके में कराए कामों ने असर डाला।
दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर बसे जाट बहुल विधानसभा क्षेत्र नजफगढ़ में दोबारा आम आदमी पार्टी का दोबारा आना कई मायनों में एक महत्वपूर्ण जीत है। यूं ही नहीं, यहां पहली बार कोई विधायक दोबारा जीतने में कामयाब हुआ है। इसके पीछे एक ऐसा फैक्टर रहा है, जो पहले शायद कभी नहीं हुआ। वह है कांग्रेस के अलावा इस बार यहां सबसे मजबूत रही इंडियन नैशनल लोकदल का वोट भी आम आदमी पार्टी को चला जाना। चुनाव से पहले इस वोट बैंक के बीजेपी में शिफ्ट होने के कयास थे। इससे आम आदमी पार्टी की नींद भी उड़ी हुई थी। हालांकि यहां से जीतने वाले आप के विधायक कैलाश गहलोत ने चुनाव से पहले इस वोट बैंक को अपनी तरफ लाने का कॉन्फिडेंस जताया था।
निर्दलीयों का गढ़ कहे जाने वाले नजफगढ़ में 1993 के बाद के चुनावों में यूं तो एक बार कांग्रेस (1998) और बीजेपी (2013) जीत चुकी है, लेकिन अमूमन यहां निर्दलीयों या इनेलो समर्थित प्रत्याशी का कब्जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की लहर के बीच ही यह सीट बमुश्किल इनेलो प्रत्याशी भरत सिंह के पास जाते-जाते आप की झोली में आई थी। जीत का अंतर केवल 1555 वोटों का था। भरत सिंह 2008 में यहां विधायक बने और उसके बाद अगले चुनाव में बीजेपी के अजीत सिंह खरखड़ी को कड़ी टक्कर देकर रनरअप रहे। भरत सिंह अगले चुनाव में भी 33 पर्सेंट से ज्यादा वोट ले गए। 29 मार्च 2015 को उनकी हत्या के बाद इस चुनाव में उनके परिवार से कोई खड़ा नहीं हुआ। नजफगढ़ वालों के लिए अप्रत्याशित था।
हालांकि बाद में कहा गया कि भरत सिंह के परिवार ने बीजेपी के समर्थन की बात कही है। इसी से आप की नींद उड़ी। दरअसल उनकी चिंता की वजह वह 33 पर्सेंट वोट थे। बीजेपी को पिछले चुनाव में 24 पर्सेंट वोट मिला था। आप के कैलाश गहलोत को 34 पर्सेंट वोट मिले थे। करीब 1 लाख 60 हजार लोगों ने वोट डाले थे। बीजेपी आश्वस्त थी कि उसका वोट बैंक सरकने वाला नहीं है और जब गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी का पूरा अमला जबरदस्त कैंपेनिंग में जुटा हो तो इसके बढ़ने का ही अनुमान था। अगर भरत सिंह का 33 पर्सेंट वोट बीजेपी को मिलता तो उसकी जीत में कोई शक नहीं था। उसकी पूरी कोशिश यही रही। यही कोशिश आम आदमी पार्टी की भी रही। खुद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कैलाश गहलोत के लिए यहां आकर वोट मांगे।
पिछले विधानसभा चुनाव में कैलाश गहलोत को 55598 वोट मिले थे। इस बार उन्हें 81507 वोट मिले। जो कि करीब 26000 वोट ज्यादा है। बीजेपी के अजीत सिंह खरखड़ी को पिछले चुनाव में 39469 वोट मिले थे। इस बार उनहें 75276 यानी पिछली बार से 35807 ज्यादा वोट मिलें। भरत सिंह को पिछले चुनाव में मिले 54043 वोट इस तरह बीजेपी की तरफ झुके तो सही, लेकिन पूरी तरह नहीं। कैलाश गहलोत को बीजेपी से 6231 वोट ज्यादा मिले। यह वोट बैंक बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ, पर आधा। बाकी वोट आप की तरफ चला गया। जानकारों का कहना है कि इस शिफ्टिंग में कैलाश गहलोत या ये कहें कि आप के इस इलाके में कराए कामों ने असर डाला।
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