नई दिल्ली
जेएनयू ने बुधवार को कहा कि पुलिस में दर्ज करवाई गई सभी एफआईआर और अन्य शिकायतें 3 जनवरी को हुई घटनाओं के मुताबिक हैं और तथ्यों में कोई चूक नहीं है। दरअसल, एक आरटीआई के आधार पर यह दावा किया गया था कि सर्वर रूम में तोड़फोड़ को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के दावों में विसंगतियां हैं।
यूनिवर्सिटी ने कहा कि आरटीआई आवेदन का जो जवाब उसने दिया है, वह आवेदक के सवालों और विशेष स्थान से संबंधित हैं। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि 4 जनवरी को सर्वर को उपद्रवियों के एक समूह ने क्षतिग्रस्त किया था। यूनिवर्सिटी ने कहा, 'प्रशासन की ओर से सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) डेटा सेंटर में हुई घटना के सिलसिले में 3 जनवरी 2020 को दर्ज करवाई गई शिकायत के मुताबिक जेएनयू ने यह दावा नहीं किया कि सर्वरों को उस दिन नुकसान पहुंचाया गया था। आरटीआई में दिए गए जवाब सही हैं और जो पूछा गया है उसी के जवाब दिए गए हैं।'
इसमें कहा गया कि आरटीआई के जवाब में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सर्वर सीआईएस कार्यालय में नहीं बल्कि सीआईएस डेटा सेंटर में हैं और ऐसा लगता है कि मीडिया में इस मामले को उठाते वक्त इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। यूनिवर्सिटी ने कहा, 'पुलिस में दर्ज करवाई गईं सभी एफआईआर और अन्य शिकायतें वास्तविक घटनाओं के मुताबिक हैं, वे घटनाएं जो 3 जनवरी को घटित हुई। ये वास्तविक तथ्यों से अलग नहीं हैं।'
जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि 3 जनवरी को नकाबपोश छात्र सीआईएस डेटा सेंटर परिसर में आए, उन्होंने तकनीकी कर्मियों को वहां से जबरन हटाया, बिजली आपूर्ति को ठप किया, परिसरों पर ताला लगाया और सीआईएस डेटा सेंटर के मुख्य द्वार के सामने बैठ गए, उन्होंने सेंटर में प्रवेश को बाधित किया। इसमें कहा गया कि तकनीकी कर्मियों को सेंटर से निकालने से पहले नकाबपोश छात्रों ने उन्हें सिस्टम को ठप करवाया।
जेएनयू ने बुधवार को कहा कि पुलिस में दर्ज करवाई गई सभी एफआईआर और अन्य शिकायतें 3 जनवरी को हुई घटनाओं के मुताबिक हैं और तथ्यों में कोई चूक नहीं है। दरअसल, एक आरटीआई के आधार पर यह दावा किया गया था कि सर्वर रूम में तोड़फोड़ को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के दावों में विसंगतियां हैं।
यूनिवर्सिटी ने कहा कि आरटीआई आवेदन का जो जवाब उसने दिया है, वह आवेदक के सवालों और विशेष स्थान से संबंधित हैं। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि 4 जनवरी को सर्वर को उपद्रवियों के एक समूह ने क्षतिग्रस्त किया था। यूनिवर्सिटी ने कहा, 'प्रशासन की ओर से सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) डेटा सेंटर में हुई घटना के सिलसिले में 3 जनवरी 2020 को दर्ज करवाई गई शिकायत के मुताबिक जेएनयू ने यह दावा नहीं किया कि सर्वरों को उस दिन नुकसान पहुंचाया गया था। आरटीआई में दिए गए जवाब सही हैं और जो पूछा गया है उसी के जवाब दिए गए हैं।'
इसमें कहा गया कि आरटीआई के जवाब में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सर्वर सीआईएस कार्यालय में नहीं बल्कि सीआईएस डेटा सेंटर में हैं और ऐसा लगता है कि मीडिया में इस मामले को उठाते वक्त इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। यूनिवर्सिटी ने कहा, 'पुलिस में दर्ज करवाई गईं सभी एफआईआर और अन्य शिकायतें वास्तविक घटनाओं के मुताबिक हैं, वे घटनाएं जो 3 जनवरी को घटित हुई। ये वास्तविक तथ्यों से अलग नहीं हैं।'
जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि 3 जनवरी को नकाबपोश छात्र सीआईएस डेटा सेंटर परिसर में आए, उन्होंने तकनीकी कर्मियों को वहां से जबरन हटाया, बिजली आपूर्ति को ठप किया, परिसरों पर ताला लगाया और सीआईएस डेटा सेंटर के मुख्य द्वार के सामने बैठ गए, उन्होंने सेंटर में प्रवेश को बाधित किया। इसमें कहा गया कि तकनीकी कर्मियों को सेंटर से निकालने से पहले नकाबपोश छात्रों ने उन्हें सिस्टम को ठप करवाया।
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