निशांत केतु पटना से रिटायर होकर दिल्ली आए और फिर यहीं पर रच बस गए। वो दिल्ली को दिलवालों की तो मानते हीं हैं साथ ही मानते हैं कि यहां सभी को एक समान नजर से देखते थे।
Read more: जब दिलवालों की दिल्ली थी बहुत उदार, हर किसी को यहां समान नजर से देखा जाता था