आलोक मिश्रा, नई दिल्ली
दिल्ली में मतदान में अब बस 2 हफ्ते ही बचे हैं और संघ भी पूरी तैयारी के साथ इसमें जुट गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए शहर में भेजना भी शुरू कर दिया है। 8 फरवरी को मतदान से पहले 40 हजार ड्राइंग रूम मीटिंग करने की योजना है। इन बैठकों में संघ के कार्यकर्ता शाहीन बाग और जामा मस्जिद में प्रदर्शन, नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
बैठकों के जरिए हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश
आरएसएस की कोशिश है कि इन बैठकों के जरिए हर मीटिंग में कम से कम 15-20 लोगों तक पहुंचा जाए। बैठकों के जरिए मतदाताओं को 'ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति' के खिलाफ 'राष्ट्रीय ताकत' के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित किया जाएगा। संघ की कोशिश युवा वर्ग, महिलाएं, सामाजिक प्रभाव रखनेवाले व्यक्ति, वर्किंग क्लास और दलितों तक पहुंचने की है।
पढ़ें: दिल्ली चुनाव की सभी खबरें एक साथ यहां
प्रचार के लिए सभी पार्टी लगा रही हैं पूरा जोर
विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी जोर-शोर से कर रही हैं। तीनों ही प्रमुख पार्टियों के बड़े नेता रोड शो, कॉर्नर मीटिंग्स और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रचार के दूसरे माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिए भी सभी पार्टियां जमकर प्रचार कर रही हैं।
पढ़ें : AAP के 3, ये हैं दिल्ली के करोड़पति उम्मीदवार
संघ का प्रचार बीजेपी के लिए प्रभावी हथियार
बीजेपी के लिए संघ का चुनाव प्रचार करना हमेशा ही प्रभावी रहा है। आम तौर पर लोकसभा चुनाव से अलग विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़े जाते हैं। इस बार दिल्ली में स्थिति थोड़ी अलग है जहां सीएए-एनआरसी के विरोध में जमकर प्रदर्शन हो रहा है। पिछले कुछ सप्ताह में सिटिजनशिप ऐक्ट दिल्ली में चर्चा का विषय बन गया है। शाहीन बाग में महीने भर से अधिक से जारी प्रदर्शन पर आम लोगों के बीच में भी चर्चा हो रही है। आप से बीजेपी में शामिल हुए मॉडल टाउन कैंडिडेट कपिल मिश्रा खुलकर प्रदर्शन खत्म करने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी के दूसरे नेता खुले तौर पर इसके लिए कांग्रेस और आप को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दिल्ली में मतदान में अब बस 2 हफ्ते ही बचे हैं और संघ भी पूरी तैयारी के साथ इसमें जुट गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए शहर में भेजना भी शुरू कर दिया है। 8 फरवरी को मतदान से पहले 40 हजार ड्राइंग रूम मीटिंग करने की योजना है। इन बैठकों में संघ के कार्यकर्ता शाहीन बाग और जामा मस्जिद में प्रदर्शन, नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
बैठकों के जरिए हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश
आरएसएस की कोशिश है कि इन बैठकों के जरिए हर मीटिंग में कम से कम 15-20 लोगों तक पहुंचा जाए। बैठकों के जरिए मतदाताओं को 'ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति' के खिलाफ 'राष्ट्रीय ताकत' के साथ खड़े होने के लिए प्रेरित किया जाएगा। संघ की कोशिश युवा वर्ग, महिलाएं, सामाजिक प्रभाव रखनेवाले व्यक्ति, वर्किंग क्लास और दलितों तक पहुंचने की है।
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प्रचार के लिए सभी पार्टी लगा रही हैं पूरा जोर
विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी जोर-शोर से कर रही हैं। तीनों ही प्रमुख पार्टियों के बड़े नेता रोड शो, कॉर्नर मीटिंग्स और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रचार के दूसरे माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिए भी सभी पार्टियां जमकर प्रचार कर रही हैं।
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संघ का प्रचार बीजेपी के लिए प्रभावी हथियार
बीजेपी के लिए संघ का चुनाव प्रचार करना हमेशा ही प्रभावी रहा है। आम तौर पर लोकसभा चुनाव से अलग विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़े जाते हैं। इस बार दिल्ली में स्थिति थोड़ी अलग है जहां सीएए-एनआरसी के विरोध में जमकर प्रदर्शन हो रहा है। पिछले कुछ सप्ताह में सिटिजनशिप ऐक्ट दिल्ली में चर्चा का विषय बन गया है। शाहीन बाग में महीने भर से अधिक से जारी प्रदर्शन पर आम लोगों के बीच में भी चर्चा हो रही है। आप से बीजेपी में शामिल हुए मॉडल टाउन कैंडिडेट कपिल मिश्रा खुलकर प्रदर्शन खत्म करने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी के दूसरे नेता खुले तौर पर इसके लिए कांग्रेस और आप को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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