नई दिल्ली
निर्भया के दोषियों की फांसी एक बार फिर टल गई। दिल्ली की एक कोर्ट ने चारों मुजरिमों की फांसी के वॉरंट की तामील पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। बता दें कि पहले निर्भया के गैंगरेप के दोषियों पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार (26), अक्षय कुमार (31) और मुकेश कुमार सिंह (32) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन कोर्ट के रोक लगाने के बाद सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर 7 साल पुराने मामले में इंसाफ कब होगा? बताया जा रहा है कि निर्भया के दोषियों के पास कानूनी रास्ते अभी भी बचे हैं जिस वजह से फांसी में देरी हो रही है, आइए जानते हैं कि अब इस केस में आगे क्या होगा?
दूसरी बार टली फांसी
सबसे पहले बता दें कि निर्भया के दोषियों की दूसरी बार डेथ वॉरंट की तामील टाली गई है। पहली बार सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को रोक लग गई। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वॉरंट जारी किया गया जिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी गई।
पढ़ें: निर्भया केस: डेथ वॉरंट पर बहस के बीच किसके वकील ने दी कौन सी दलील
उधर, निर्भया के एक दोषी पवन कुमार गुप्ता की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। पवन ने अपराध के वक्त अपने नाबालिग होने के दावे को खारिज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
(सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका खारिज किए जाने की चुनौती, NA मतलब- लागू नहीं)
क्या कहते हैं जेल के नियम?
जेल के नियमों के अनुसार, ऐसे किसी मामले में जहां एक से अधिक दोषियों को मौत की सजा दी गई हो, किसी भी दोषी को तब तक फांसी नहीं हो सकती जब तक कि उनके सभी कानूनी विकल्प खत्म न हो जाएं। 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने पर चारों मुजरिमों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने नकार दिया था। इसके बाद तीन दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी जिसे भी कोर्ट से खारिज कर दिया गया।
जहां चौथे दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं की है, वहीं निर्भया के मुजरिमों में से सिर्फ मुकेश सिंह के सभी कानूनी विकल्प खत्म हुए है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा खारिज दया याचिका को चुनौती देना भी शामिल है।
अब अभियोजक पक्ष के पास यह विकल्प
दिल्ली कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाने के साथ ही कोई नई तारीख भी नहीं दी है। अब केस में अभियोजक पक्ष फांसी से रोक हटाने के लिए उच्च अदालत में अपील कर सकता है। जब तक फांसी की नई तारीख की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक बचे हुए दो दोषी, जिन्होंने अभी तक राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका दायर नहीं भेजी है, अनिश्चित काल तक इंतजार कर सकते हैं क्योंकि अब कोई समय सीमा नहीं है।
आखिरी अपील खारिज होने और फांसी मिलने में 14 दिन का अंतर जरूरी
इस वजह से अब निर्भया के दोषियों की फांसी में संभावित रूप देरी बढ़ती दिख रही है। यह भी गौर करने वाली बात है कि मुजरिमों के सारे लीगल ऑप्शन खत्म होने के बाद भी उनकी आखिरी अपील के खारिज होने और फांसी मिलने में 14 दिन का अंतर होना जरूरी है।
निर्भया के दोषियों की फांसी एक बार फिर टल गई। दिल्ली की एक कोर्ट ने चारों मुजरिमों की फांसी के वॉरंट की तामील पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। बता दें कि पहले निर्भया के गैंगरेप के दोषियों पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार (26), अक्षय कुमार (31) और मुकेश कुमार सिंह (32) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन कोर्ट के रोक लगाने के बाद सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर 7 साल पुराने मामले में इंसाफ कब होगा? बताया जा रहा है कि निर्भया के दोषियों के पास कानूनी रास्ते अभी भी बचे हैं जिस वजह से फांसी में देरी हो रही है, आइए जानते हैं कि अब इस केस में आगे क्या होगा?
दूसरी बार टली फांसी
सबसे पहले बता दें कि निर्भया के दोषियों की दूसरी बार डेथ वॉरंट की तामील टाली गई है। पहली बार सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को रोक लग गई। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वॉरंट जारी किया गया जिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी गई।
पढ़ें: निर्भया केस: डेथ वॉरंट पर बहस के बीच किसके वकील ने दी कौन सी दलील
उधर, निर्भया के एक दोषी पवन कुमार गुप्ता की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। पवन ने अपराध के वक्त अपने नाबालिग होने के दावे को खारिज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
कानूनी विकल्प | मुकेश सिंह | विनय शर्मा | अक्षय ठाकुर | पवन गुप्ता |
पुनर्विचार याचिका | जुलाई 2018 में खारिज | जुलाई 2018 में खारिज | दिसंबर 2019 में खारिज | जुलाई 2018 में खारिज |
क्यूरेटिव याचिका | 14 जनवरी 2020 में खारिज | 14 जनवरी 2020 में खारिज | 30 जनवरी 2020 में खारिज | दाखिल नहीं हुई |
दया याचिका | 17 जनवरी 2020 को खारिज | 29 जनवरी 2020 को दाखिल | दाखिल नहीं हुई | दाखिल नहीं हुई |
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती* | 29 जनवरी 2020 को खारिज | NA | NA | NA |
(सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका खारिज किए जाने की चुनौती, NA मतलब- लागू नहीं)
क्या कहते हैं जेल के नियम?
जेल के नियमों के अनुसार, ऐसे किसी मामले में जहां एक से अधिक दोषियों को मौत की सजा दी गई हो, किसी भी दोषी को तब तक फांसी नहीं हो सकती जब तक कि उनके सभी कानूनी विकल्प खत्म न हो जाएं। 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने पर चारों मुजरिमों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने नकार दिया था। इसके बाद तीन दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी जिसे भी कोर्ट से खारिज कर दिया गया।
जहां चौथे दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं की है, वहीं निर्भया के मुजरिमों में से सिर्फ मुकेश सिंह के सभी कानूनी विकल्प खत्म हुए है, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा खारिज दया याचिका को चुनौती देना भी शामिल है।
अब अभियोजक पक्ष के पास यह विकल्प
दिल्ली कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाने के साथ ही कोई नई तारीख भी नहीं दी है। अब केस में अभियोजक पक्ष फांसी से रोक हटाने के लिए उच्च अदालत में अपील कर सकता है। जब तक फांसी की नई तारीख की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक बचे हुए दो दोषी, जिन्होंने अभी तक राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका दायर नहीं भेजी है, अनिश्चित काल तक इंतजार कर सकते हैं क्योंकि अब कोई समय सीमा नहीं है।
आखिरी अपील खारिज होने और फांसी मिलने में 14 दिन का अंतर जरूरी
इस वजह से अब निर्भया के दोषियों की फांसी में संभावित रूप देरी बढ़ती दिख रही है। यह भी गौर करने वाली बात है कि मुजरिमों के सारे लीगल ऑप्शन खत्म होने के बाद भी उनकी आखिरी अपील के खारिज होने और फांसी मिलने में 14 दिन का अंतर होना जरूरी है।
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