नई दिल्ली
दिल्ली में सर्दी ने 119 सालों का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। स्कूल-कॉलेज भले ही बंद हैं लेकिन बाकी काम चालू हैं। ऑफिस जाने वाले, दुकानदार तो फिर भी ठंड से कुछ हद तक बच जाते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे काम कर रहे हैं जो बाहर रहकर ही होते हैं और जरूरी भी हैं। उनके पास इस ठंड से लड़ने के सिवा कोई चारा नहीं। ऐसे ही कुछ लोगों से बात की टीम एनबीटी ने और जाना कि इस रूह कंपा देने वाली सर्दी का ये कैसे कर रहे हैं सामना:
घरवाले चिंता करते हैं... हमें तो बस ड्यूटी करनी है’
चाहें कितनी भी गलाने वाली शीत लहर चल रही हो, ट्रैफिक तो मैनेज करना ही है। इस रूह कंपा देने वाली सर्दी में भी आपको 24 घंटे ट्रैफिक पुलिस से जवान जगह-जगह खुली सड़कों और चौराहों पर तैनात दिख जाएंगे। हमने उनसे बात की।
रिंग रोड-भैरों रोड की क्रॉसिंग पर तैनात ट्रैफिक पुलिस की टीम कंपकंपाती ठंड में भी ड्यूटी पर मुस्तैद थी। एएसआई सुरेश कुमार वशिष्ठ के नेतृत्व में कॉन्स्टेबल सुमन शर्मा और दिनेश ट्रैफिक पर नजर रख रहे थे। कॉन्स्टेबल भरत सोलंकी और विकास रेड लाइट जंप करके जा रहे एक कार ड्राइवर को रोककर उसके डॉक्युमेंट्स चेक कर रहे थे।
ट्रैफिक पुलिसकर्मियों से जब इतनी ठंड में ड्यूटी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘हम लोग तो हर मौसम में सड़कों पर तैनात रहते हैं। बस, हर मौसम के हिसाब से हम अपने लिए जरूरी इंतजाम कर लेते हैं।’ पुलिसकर्मियों ने बताया कि जैसे आजकल बहुत तेज सर्दी है, शीतलहर चल रही है, तो हम लोग ड्यूटी पर आने से पहले वर्दी के अंदर इनर या कुछ गरम कपड़े पहन लेते हैं। कानों में हवा न लगे इसके लिए टोपी या मफलर से कान ढंक लेते हैं। डिपार्टमेंट की तरफ से हमें सर्दियों में पहनने के लिए गरम जैकेट तो मिलती ही है। पैरों को बचाने के लिए जूते के अंदर हम मोटी जुराबें पहनते हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने कहा, ‘जब मौसम ज्यादा खराब रहता है, तो घरवालों को थोड़ी चिंता तो होती है, मगर हमें तो ड्यूटी करनी ही है, इसलिए हम ज्यादा नहीं सोचते।’
‘इतनी सर्दी कि झाड़ू पकड़ना भी मुश्किल’
ठिठुरती सर्दी के इस मौसम में जिस वक्त लोग रजाई से बाहर भी नहीं निकलते, उस वक्त ईस्ट एमसीडी में काम करने वाले स्वच्छता कर्मचारी विनोद चौटाला (42) घर से 10 किलोमीटर दूर बाइक चलाकर अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद वह अपनी बीट के तहत आने वाले एरिया में झाड़ू लगाने में जुट जाते हैं। विनोद के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे है। विनोद बताते हैं, ‘मैं दिल्ली बॉर्डर के पास यूपी में लगने वाली पप्पू कॉलोनी में रहता हूं। पिछले पांच साल से मेरी ड्यूटी राधू पैलेस के पास चल रही है। यहां से मेरे घर की दूरी 10 किलोमीटर के करीब है। ठिठुरती सर्दी में मैं सुबह ही घर से ड्यूटी के लिए निकल जाता हूं। इसके बाद यहां पहुंचकर अपने काम में जुट जाता हूं। इस समय ठंड इतनी ज्यादा पड़ रही है कि हाथों से झाडू पकड़ने में भी मुश्किल होती है, लेकिन चाहे जो हो ड्यूटी तो करनी ही है। सर्दी से बचने के लिए एमसीडी से किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती। सर्दी से बचने के लिए अपना पूरा बचाव खुद ही करना होता है। यहां तक कि एमसीडी मास्क तक उपलब्ध नहीं कराती। पहले वर्दी और कंबल भी मिलता था, लेकिन अब किसी भी कर्मचारी को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है।
'ड्यूटी कभी इतनी मुश्किल नहीं लगी'
धुंध से भरी चिलचिलाती रातें काटना इन दिनों सिक्यॉरिटी गार्ड प्रमोद के लिए बहुत मुश्किल हो गया है। अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद हल्की सी धूप में खड़े होकर खुद को तरोताजा कर रहे प्रमोद कहते हैं, क्या कर सकते हैं, काम तो करना ही है। मजबूरी है। दिल्ली की सर्दी भी इस बार टॉप पर है। एंड्रूज गंज एक्सटेंशन में रेजिडेंशल एरिया में काम करने वाले प्रमोद कहते हैं, मेरी ड्यूटी रात ही को होती है। शाम को घर से निकलता हूं, उसी वक्त बहुत ठंड हो रही होती है और रात में तो गजब की ठंड। कितने कपड़े पहनो, आराम नहीं। ऊपर से आजकल रात को ठंडी हवाएं भी चलती हैं। पूरी कॉलोनी के चक्कर मारने होते हैं, फिर गेट के पास अकेले बाहर बैठना पड़ता है। सर्दी इतनी ज्यादा है कि नींद चाहकर भी नहीं आती। वैसे, कभी-कभी आग जला लेता हूं तो कुछ राहत मिल जाती है मगर उसके बाद चक्कर काटना और मुश्किल हो जाता है। 12 साल से गार्ड का काम कर रहा हूं और इतने सालों में ड्यूटी इतनी ज्यादा मुश्किल कभी नहीं लगी।
प्रमोद उत्तर प्रदेश के बदायूं से हैं। वह बताते है, इस बार ठंड वहां भी बहुत है। मगर जो भी हो, घर के अंदर, ऑफिस के अंदर फिर भी सुकून है। सिक्यॉरिटी का काम है ही ऐसा, ठंड हो या गर्मी, रहना है बाहर। सर्दी भी झेलो, गर्मी भी। वैसे, कपड़े अच्छे से पहनता हूं, पंखी ओड़ लेता हूं, मगर कंपकंपी आ ही जाती है।
दिल्ली में सर्दी ने 119 सालों का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। स्कूल-कॉलेज भले ही बंद हैं लेकिन बाकी काम चालू हैं। ऑफिस जाने वाले, दुकानदार तो फिर भी ठंड से कुछ हद तक बच जाते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे काम कर रहे हैं जो बाहर रहकर ही होते हैं और जरूरी भी हैं। उनके पास इस ठंड से लड़ने के सिवा कोई चारा नहीं। ऐसे ही कुछ लोगों से बात की टीम एनबीटी ने और जाना कि इस रूह कंपा देने वाली सर्दी का ये कैसे कर रहे हैं सामना:
घरवाले चिंता करते हैं... हमें तो बस ड्यूटी करनी है’
चाहें कितनी भी गलाने वाली शीत लहर चल रही हो, ट्रैफिक तो मैनेज करना ही है। इस रूह कंपा देने वाली सर्दी में भी आपको 24 घंटे ट्रैफिक पुलिस से जवान जगह-जगह खुली सड़कों और चौराहों पर तैनात दिख जाएंगे। हमने उनसे बात की।
रिंग रोड-भैरों रोड की क्रॉसिंग पर तैनात ट्रैफिक पुलिस की टीम कंपकंपाती ठंड में भी ड्यूटी पर मुस्तैद थी। एएसआई सुरेश कुमार वशिष्ठ के नेतृत्व में कॉन्स्टेबल सुमन शर्मा और दिनेश ट्रैफिक पर नजर रख रहे थे। कॉन्स्टेबल भरत सोलंकी और विकास रेड लाइट जंप करके जा रहे एक कार ड्राइवर को रोककर उसके डॉक्युमेंट्स चेक कर रहे थे।
ट्रैफिक पुलिसकर्मियों से जब इतनी ठंड में ड्यूटी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘हम लोग तो हर मौसम में सड़कों पर तैनात रहते हैं। बस, हर मौसम के हिसाब से हम अपने लिए जरूरी इंतजाम कर लेते हैं।’ पुलिसकर्मियों ने बताया कि जैसे आजकल बहुत तेज सर्दी है, शीतलहर चल रही है, तो हम लोग ड्यूटी पर आने से पहले वर्दी के अंदर इनर या कुछ गरम कपड़े पहन लेते हैं। कानों में हवा न लगे इसके लिए टोपी या मफलर से कान ढंक लेते हैं। डिपार्टमेंट की तरफ से हमें सर्दियों में पहनने के लिए गरम जैकेट तो मिलती ही है। पैरों को बचाने के लिए जूते के अंदर हम मोटी जुराबें पहनते हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने कहा, ‘जब मौसम ज्यादा खराब रहता है, तो घरवालों को थोड़ी चिंता तो होती है, मगर हमें तो ड्यूटी करनी ही है, इसलिए हम ज्यादा नहीं सोचते।’
‘इतनी सर्दी कि झाड़ू पकड़ना भी मुश्किल’
ठिठुरती सर्दी के इस मौसम में जिस वक्त लोग रजाई से बाहर भी नहीं निकलते, उस वक्त ईस्ट एमसीडी में काम करने वाले स्वच्छता कर्मचारी विनोद चौटाला (42) घर से 10 किलोमीटर दूर बाइक चलाकर अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद वह अपनी बीट के तहत आने वाले एरिया में झाड़ू लगाने में जुट जाते हैं। विनोद के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे है। विनोद बताते हैं, ‘मैं दिल्ली बॉर्डर के पास यूपी में लगने वाली पप्पू कॉलोनी में रहता हूं। पिछले पांच साल से मेरी ड्यूटी राधू पैलेस के पास चल रही है। यहां से मेरे घर की दूरी 10 किलोमीटर के करीब है। ठिठुरती सर्दी में मैं सुबह ही घर से ड्यूटी के लिए निकल जाता हूं। इसके बाद यहां पहुंचकर अपने काम में जुट जाता हूं। इस समय ठंड इतनी ज्यादा पड़ रही है कि हाथों से झाडू पकड़ने में भी मुश्किल होती है, लेकिन चाहे जो हो ड्यूटी तो करनी ही है। सर्दी से बचने के लिए एमसीडी से किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती। सर्दी से बचने के लिए अपना पूरा बचाव खुद ही करना होता है। यहां तक कि एमसीडी मास्क तक उपलब्ध नहीं कराती। पहले वर्दी और कंबल भी मिलता था, लेकिन अब किसी भी कर्मचारी को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है।
'ड्यूटी कभी इतनी मुश्किल नहीं लगी'
धुंध से भरी चिलचिलाती रातें काटना इन दिनों सिक्यॉरिटी गार्ड प्रमोद के लिए बहुत मुश्किल हो गया है। अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद हल्की सी धूप में खड़े होकर खुद को तरोताजा कर रहे प्रमोद कहते हैं, क्या कर सकते हैं, काम तो करना ही है। मजबूरी है। दिल्ली की सर्दी भी इस बार टॉप पर है। एंड्रूज गंज एक्सटेंशन में रेजिडेंशल एरिया में काम करने वाले प्रमोद कहते हैं, मेरी ड्यूटी रात ही को होती है। शाम को घर से निकलता हूं, उसी वक्त बहुत ठंड हो रही होती है और रात में तो गजब की ठंड। कितने कपड़े पहनो, आराम नहीं। ऊपर से आजकल रात को ठंडी हवाएं भी चलती हैं। पूरी कॉलोनी के चक्कर मारने होते हैं, फिर गेट के पास अकेले बाहर बैठना पड़ता है। सर्दी इतनी ज्यादा है कि नींद चाहकर भी नहीं आती। वैसे, कभी-कभी आग जला लेता हूं तो कुछ राहत मिल जाती है मगर उसके बाद चक्कर काटना और मुश्किल हो जाता है। 12 साल से गार्ड का काम कर रहा हूं और इतने सालों में ड्यूटी इतनी ज्यादा मुश्किल कभी नहीं लगी।
प्रमोद उत्तर प्रदेश के बदायूं से हैं। वह बताते है, इस बार ठंड वहां भी बहुत है। मगर जो भी हो, घर के अंदर, ऑफिस के अंदर फिर भी सुकून है। सिक्यॉरिटी का काम है ही ऐसा, ठंड हो या गर्मी, रहना है बाहर। सर्दी भी झेलो, गर्मी भी। वैसे, कपड़े अच्छे से पहनता हूं, पंखी ओड़ लेता हूं, मगर कंपकंपी आ ही जाती है।
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Read more: इनके पास नहीं है सर्दी का कोई बहाना